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समुद्रतट से घर पहुंच कर भाभी अपने बेड रूम में घुसी तो मैं भी पीछे-पीछे घुस गया। भाभी ने स्कर्ट, टीशर्ट और ब्रा को अपने जिस्म से अलग किए और जमीन पर फेंक दिए, उसके बाद पेंटी उतारी और फिर अपनी चूत के आस पास की जगह को साफ किया, फिर चूत के अन्दर की सफाई की और उसके बाद अपनी गांड को भी उसी पेंटी से साफ किया और फिर अलमारी से मैक्सी निकाल कर पहनते हुए मुझसे बोली- अमित, मेरे ये कपड़े उठाकर वाशिंग मशीन में डाल दो और साथ में अपने कपड़े भी डाल देना। मैंने कहा- ठीक है भाभी, जैसा आप कहें।
‘अगर तुम चाहो तो मुझे कामिनी बुला सकते हो!’ ‘न भाभी, नाम में मजा नहीं है जितना भाभी में मजा है।’ कहकर मैं एक बार फिर से मैक्सी के अन्दर भाभी के सुडौल जिस्म को देखने लगा था। क्या तनी हुई चूची थी… मेरी नजर उनकी उस गोल गोल तनी हुई चूची से हट ही नहीं रही थी। एक बार फिर मुझे टोकते हुए भाभी बोली- अमित, क्या देख रहे हो? ‘भाभी, आपके दूध को!’
मेरे शब्द सुनकर अपनी चूची पर हाथ फेरते हुए बोली- तुम्हें मेरे दूध अच्छे लग रहे हैं। मैंने हाँ में सर हिलाया तो वो बोली- जाकर कपड़े को मशीन में डालकर आओ, फिर मैं तुम्हें अपना दूध पिलाती हूँ। मैंने जल्दी से कपड़े उठाये और मशीन में डाल दिए, खुद एक कैपरी पहन ली और वापस भाभी के पास आ गया।
भाभी बेड पर पालथी मारे हुए बैठी थी, मुझे देखते ही अपनी बांहो को मेरी ओर फैला दिया और मुझे पुचकारते हुए अपनी तरफ बुलाने लगी। मैं जल्दी से उनके बेड पर पहुंच गया और उनके गोद में अपने सर को रख दिया, बड़े प्यार से वो मेरे सर को सहलाते हुए बोली- तो मेरा प्यार देवर अमित अपनी भाभी का दूध पियेगा? मैंने भी सर हिला दिया।
मेरे सर हिलाते ही उन्होंने अपनी मैक्सी को बन्धन मुक्त किया और अपने हाथ से चूची को पकड़कर मेरे मुंह से निप्पल लगा दिया। मैं निप्पल को चूसने लगा, पर मेरा हाथ काबू में नहीं आ रहा था और स्वतः ही भाभी के दूसरे स्तन की तरफ पहुंच गया और उसके साथ खेलने लगा, कभी उसको दबा देता तो कभी निप्पल पर चुटकी काट लेता तो कभी मसल लेता।
भाभी के मुंह से आह की आवाज भर आती और उनकी इस आवाज को सुनकर मेरा उत्साह दुगुना हो जाता मैं और कस कर उनकी चूची को मसल देता, बीच-बीच में उनके निप्पल को दांत से काट लेता।
भाभी अपनी आँखें बन्द किये हुए सिसकारी भर रही थी, मैं बारी बारी से दोनों चूचियों को अपने मुंह में भर कर चूस रहा था और इसी बीच भाभी का हाथ भी मेरे वक्ष पर पहुंच चुका था और निप्पल को अपनी दोनों उंगलियों के बीच में मसलने लगी।
अब मैं उनकी गोद में सीधा लेट गया, भाभी मेरे ऊपर झुक गई और उनकी चूची मेरे मुंह में आ गई। मैं एक बार फिर उनके निप्पल को चूसने लगा और भाभी मेरे दोनों स्तन को तेज-तेज मसल रही थी।
उत्तेजना का दौर चल चुका था और उत्तेजना हावी हो चुकी थी। मैंने तुरन्त अपनी कैपरी उतारी और अपने तने हुए लंड महराज को आजाद किया। भाभी ने भी मुझे अपने से अलग किया और अपनी मैक्सी को उतारकर फेंक दी और मेरे ऊपर चढ़ गई।
हम दोनों 69 की अवस्था में आ चुके थे। भाभी ने गप से मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और अपनी चूत को मेरे मुंह से रगड़ने लगी। उनकी चूत से क्या मस्त महक आ रही थी और जिस तरह से गर्मी में गर्म-गर्म भभके का अहसास होता है ठीक उसी तरह से उनकी चूत से निकलते हुए गर्म-गर्म भभके मेरे मुंह में पड़ रहे थे।
काफी देर तक वो मेरे लंड को चूसती रही और मैं उनकी चूत को चाटता रहा। फिर भाभी मुझसे अलग हुई और बेड पर पेट के बल लेट गई और अपनी गांड को फैलाते हुए मुझसे बोली- अमित, इस गांड के छेद को भी चाटो, मुझे बहुत मजा आता है।
भाभी के कहते ही मैंने अपनी जीभ की टिप को उनकी गांड के छेद पर लगा दिया।
‘अबे भोसड़ी के पहले… मेरी गांड में थूक, उसके बाद चाट!’ मैं सहम गया और भाभी के कहने के अनुसार मैंने उनकी गांड में थूका और फिर चाटने लगा। ‘हाँ मेरे लाल, बहुत मजा आ रहा है। चाट और चाट!’
मेरा लंड पलंग पर रगड़ खा रहा था और ऐसा लग रहा था कि मेरा पानी न निकल आये। मैंने सहमते हुए भाभी से कहा- भाभी, मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरे लंड कुछ गीला सा होने लगा है। सुनते ही भाभी घूमी और अपनी टांगें फैला दी और बोली- ले मेरे लाल, अपनी भाभी की चूत में अपना लंड डाल कर मजे ले।
चूंकि मैं अनाड़ी और वो खिलाड़ी थी, फिर भी थोड़ा बहुत समझ के साथ मैंने अपना लंड भाभी की चूत के अन्दर डालने की कोशिश की। जैसे ही लंड ने चूत को टच किया, मैं स्वतः ही पीछे हो गया क्योंकि भाभी की चूत बिल्कुल आग का गोला लग रही थी और ऐसा लग रहा था कि अगर लंड चूत के अन्दर चला गया तो कहीं जल ही न जाये।
मुझे ऐसा करते देख बोली- अबे गांडू, चूत में लंड ही नहीं डाल पा रहा है, कैसा मर्द है? ‘भाभी, आपकी चूत काफी गर्म लग रही है।’ ‘धत्त गांडू… ऐसा ही होता है, चल डाल!’
फिर मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत के मुहाने में सेट किया और हल्के से अपने को पुश किया, मेरा सुपारा अन्दर जा चुका था। ‘थोड़ा धक्का तुम भी लगाओ, मेरी जान और अपनी भाभी के चूत का मजा लो।’ भाभी के इतना बोलते ही मैंने धक्का लगाया, गप्प से मेरा लंड उनकी चूत के अन्दर धंस चुका था। भाभी ने अपनी कमर उपर उठाई, वो मेरे लंड को और अन्दर लेना चाहती थी।
उम्म्ह… अहह… हय… याह… उसकी चूत की गर्मी मैं बर्दाश्त नहीं कर सका और मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया। ‘मादरचोद… यह क्या किया तूने, बहन के लौड़े?’ यह हिंदी सेक्सी स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैं उनके ऊपर लेट गया, मेरा लंड सिकुड़ कर बाहर आ चुका था, भाभी मुझे धकेलते हुए उठ खड़ी हुई और चिल्लाती हुई बोली- भोसड़ी के, अगर लंड पानी छोड़ रहा था तो चूत से बाहर अपना लंड तो निकाल ही सकता था। ‘सॉरी भाभी, मैं नहीं समझ पाया कि मेरा लंड पानी छोड़ रहा है।’
मैं नजर नहीं मिला पा रहा था। भाभी बहुत गुस्से में थी, मैं वहीं चुपचाप बैठा हुआ था और भाभी गुस्से में बोली जा रही थी- किस गांडू को अपनी चूत दी थी। पूरे मजे की माँ चोद दी। फिर बेड पर पड़े हुए चादर से अपनी चूत को साफ करने लगी। काफी देर तक बड़बड़ाती जा रही थी ‘किस मादरचोद से पाला पड़ गया, देखने में ही साले का लंड लंबा है, साले निकाल कर अपनी गांड में डाल ले और अपनी गांड में लंड को हिला कर पानी निकाल…’ पता नहीं और क्या बड़बड़ाये जा रही थी।
फिर बड़बड़ाते हुए धीरे धीरे शांत होने लगी। शांत होने के बाद बोली- चल खाना खा ले! फिर देखती हूँ कि तेरे साथ क्या करना है।
नंगे ही हालात में हम दोनों खाना खाने बैठे। हम दोनों ही खाना चुपचाप खा रहे थे। भाभी एक बार फिर उठी और दो केन बीयर की लाई एक मुझे दी और दूसरी खुद पीने लगी। अब वो मुझसे सामान्य बात कर रही थी।
मैं अभी भी अपनी नजर झुकाये हुए खाना खा रहा था कि भाभी ने एक बार फिर तंज कसते हुए बोली- आज तक कोई लड़की की चूत चोदी है या नहीं? मैंने न में सिर हिलाया और बोला- भाभी, तुम पहली हो जिसके साथ मैं… कह कर अपनी बात काट दी।
;ओह, इसका मतलब आज तक तुझे कोई चूत चोदने को नहीं मिली?’ मैंने भी अपनी सहमति जताई। ‘चल कोई बात नहीं, हो जाता है।’
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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