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प्रिय अन्तर्वासना पाठको जून महीने में प्रकाशित कहानियों में से पाठकों की पसंद की पांच कहानियां आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…
दोस्तो, आपका स्वागत है मेरी इस बिल्कुल नई और मस्ती से भरपूर कहानी में! इससे पहले की कहानी मेरी चालू बीवी के नाम से प्रकाशित हुई थी।
आपने इस कहानी को खूब प्यार दिया इसी प्यार ने मुझे आगे की कहानी लिखने को प्रेरित किया। उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी भी आपका उतना ही मनोरंजन करेगी और आपका प्यार मुझे मिलता रहेगा।
सलोनी मेरी सेक्सी बीवी किसी परिचय की मोहताज़ नहीं… उसका सौन्दर्य बिना कहे ही अपनी कहानी खुद बता देता है। मुझे अब भी याद है कि विवाह से पूर्व जब मैंने सलोनी को देखा था तो बिना कुछ सोचे मैंने सलोनी के लिए हाँ कर दी थी… मेरी सलोनी है ही इतनी मस्त कि कोई उसको एक बार देख ले तो जिन्दगी भर भूल नहीं सकता।
उसकी 34C की एकदम गोल चूचियाँ… उसकी गोरी छाती पर ऐसे उभरी हैं जैसे रस भरे आम हों, जिनको मुँह लगाकर चूसने को दिल मचल उठता है। ऊपर से उनपर लगे वो चमकते गुलाबी निप्पल… कितना भी चूस लो… उनकी रंगत में कोई फर्क नहीं आया है.. किसी कम उम्र की कमसिन कुंवारी लड़की की चूचियाँ भी सलोनी के इन नगीनों के समक्ष कम लुभावनी ही नजर आएंगी।
और सिर्फ़ चूचियाँ ही क्यों… सलोनी के तो हर अंग से मादकता छलकती है… उसकी मक्खन सी गोरी जांघों के बीच सिंदूरी रंग की छोटी सी चूत… उसकी दोनों पंखुड़ियाँ आपस में ऐसे चिपकी रहती हैं जैसे प्रेमी और प्रेमिका का प्रथम चुम्बन…
मेरी सलोनी की योनि के दोनों लब आपस में अब भी किसी अक्षतयौवना की अनछुई योनि तरह चिपके हैं… उस पर सलोनी मंहगी क्रीम से उसको चमका कर रखती है।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
दोस्तो, मैं सनी वर्मा, मेरी पिछली कहानी
दोस्त और उसकी बीवी ने लगाया ग्रुप सेक्स का चस्का
आप सभी ने पसंद की, धन्यवाद!
मेरी यह कहानी मेरी अपनी नहीं, बल्कि मेरे खास दोस्त अनिल की है, वो खुद लिखने में घबराता है। मेरी उसकी पटती भी खूब है, इसलिये वो मुझसे कुछ छिपाता भी नहीं है। यह कहानी मैं उसी के शब्दों मैं लिख रहा हूँ।
मेरा नाम अनिल है, मैं बत्तीस साल का शादीशुदा मध्यम काठी का युवक हूँ, स्मार्ट, अंग्रेजी बोलने में माहिर और बहुत सलीकेदार कपड़े पहनने वाला प्रभावशाली व्यक्तित्व का मालिक हूँ। मेरे एक बेटा सेकंड क्लास में पढ़ता है, मेरी बीवी सीमा बहुत खूबसूरत और अच्छी पढ़ी-लिखी युवती है।
हमारा दांपत्य जीवन सेक्स की दृष्टि से बहुत रोमांचक है। हम दोनों ही बहुत रोमांचक और सेक्सी सोच रखते हैं और जिन्दगी को हर रूप मैं एन्जॉय करता चलना चाहते हैं। मेरे दबाव देने पर सीमा हर तरह के सेक्स में मेरा साथ दे देती है पर उसे खुद पहल करने का शौक नहीं है।
अपनी शादी के दो साल बाद मैं और सीमा थाईलैंड गए। थाईलैंड में हम पत्ताया गए, वहाँ हमें तीन दिन रूकना था। हम दोपहर को लगभग एक बजे पत्ताया पहुँच गए।
मैंने लोकल एजेंट से बात की और अपना तीन दिन का प्रोग्राम बनाया।
हम लोग शाम को एक एडल्ट शो देखने गए। उस समय मैं और सीमा दोनों ही बहुत सेक्सी मूड में थे और सेक्स में भी रोमांचक सेक्स का मजा लेन चाहते थे। मतलब रात को घूमते समय सड़क पर ही मैं सीमा के बूब्स मसल देता या फिर हम दोनों होंठ मिला कर कहीं भी खड़े हो जाते।
भारत में गाड़ी चलाते समय तो मेरे लंड मसलना या चूसना सीमा को बहुत ही पसंद था। तो फिर थाईलैंड जैसी जगह पर जहाँ हर ओर सेक्स का आलम हो, वहाँ हम जैसे लोग तो मानों पागल ही हो जाते हैं।
उस एडल्ट शो में जाने के लिए सीमा ने एक शॉर्ट स्कर्ट और उसके ऊपर टॉप पहना। ब्रा पैंटी तो वो पहनना चाह ही नहीं रही थी। मैंने भी एक ढीला बरमूडा और उसने शर्ट पहन ली।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
मेरी मौसी की लड़की है मीनू, वो करीब 15 साल बाद हमारे घर आई, शादी हो चुकी है उसकी, 2 बच्चे भी हैं। आज की तारीख में उसकी उम्र होगी कोई 30 साल।
तो जब वो हमारे घर आई, इतने सालों बाद, तब मेरी बीवी भी गर्मियों की छुट्टियों में अपने मायके गई हुई थी, मगर माँ बाबूजी भाई भाभी बाकी लोग सब घर में थे, बीवी घर न थी और मैं अकेला लंड!
और ऊपर से मौसी की लड़की आई तो बड़ी ज़ोर से गले लग के मिली, बहुत रोई भी- भैया आप हमसे मिलते नहीं, आते जाते नहीं, बहुत दिल तड़पता था, आपको मिलने को! ये… वो… और न जाने क्या क्या बोली!
मगर मुझे तो कुछ और ही फीलिंग आई, जब मेरे सीने से लगी तो उसके मोटे मोटे चूचे भी मेरे सीने से लगे, तो मेरे मन में पहले ख्याल यह आया कि इसके ये बड़े बड़े चूचे चूसने को मिल जाएँ तो मज़ा आ जाए।
खैर मैंने उसको कोई खास तवज्जो नहीं दी। बात दरअसल यह थी कि जायदाद के बंटवारे को लेकर हमारे परिवारों में आपसी रंजिशबाजी थी इसलिए हमारा एक दूसरे के घर आना जाना बिल्कुल बंद हो गया था, कभी कभार किस खुशी गमी के मौके मिलते तो भी एक दूसरे को देख कर नज़रें चुरा लेते।
मुझे यह समझ में नहीं आया कि अब ये प्यार कहाँ से जाग गया।
मैं तो उसके बाद ऊपर अपने कमरे में आ कर बैठ गया और टीवी देखने लगा। टीवी में दिल न लगा तो कम्प्यूटर पर अन्तर्वासना डॉट कॉम खोली और अपनी मनपसंद कहानियाँ पढ़ने लगा।
सेक्सी कहानी पढ़ी तो लंड जी महाराज उठ खड़े हुये। मुझे तो यह था कि ऊपर मेरे कमरे में कोई नहीं आता, इसलिए लोअर नीचे करके मैंने अपना लंड बाहर निकाला और कहानी पढ़ते पढ़ते उसे सहलाने लगा। मगर मेरे दिमाग में रह रह कर मीनू का ख्याल आने लगा, मेरी इच्छा हो रही थी कि मीनू को कैसे पटाऊँ, रिश्ते में तो वो मेरी बहन लगती है, मगर अब जिस बहन से कोई प्यार नहीं, कोई रिश्ता नहीं, वो भी कैसी बहन।
तभी मुझे लगा जैसे बाहर कोई आया है। मैंने झटपट अपना लंड अपने लोअर के अंदर डाला, कम्प्यूटर बंद किया और उठ कर देखा, बाहर मीनू खड़ी थी।
मैंने दरवाजा खोल कर उसे अंदर बुलाया। लंड मेरा अब भी खड़ा था और लोअर से साफ दिख रहा था। मीनू ने भी अंदर आते समय मेरे खड़े लंड पर निगाह मार ली थी।
मैं वापिस अपनी कुर्सी पर बैठ गया और कम्प्यूटर पर अपने ऑफिस का काम करने लगा, और ऐसा दिखाने लगा कि मुझे उसके आने से कोई खास खुशी नहीं है।
मीनू बोली- कैसे हो भैया? मैंने कहा- ठीक हूँ। ‘अभी तक नाराज़ हो?’ वो बोली। मैंने कहा- नहीं, नाराजगी कैसी। मीनू- तो उस तरफ मुँह किए क्यों बैठे हो?
बात तो दरअसल यह थी कि मैं तो अपना खड़ा लंड छुपा कर बैठा था। मैं थोड़ा सा उसकी तरफ घूमा- कोई खास बात कहनी है क्या? मैंने थोड़ा बेरुखी से पूछा। ‘क्यों आगे क्या हम सिर्फ खास बातें ही किया करते थे? मीनू बोली।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
दोस्तो, मैं आपकी अपनी सीमा, जो अब एक पूरी तरह से चुदक्कड़ भाभी बन चुकी है, कैसे? आइये आपको बताती हूँ। सेक्स तो हर कोई करता है और सभी को पसंद है, मुझे भी है। और ऊपर से हूँ भी मैं पतली, सुंदर सेक्सी…
स्कूल टाइम से ही लड़के मुझे पर बहुत मरते थे, स्कूल में फिर कॉलेज में, आस पड़ोस, मोहल्ले से हर जगह से मुझे कुछ मूक तो कुछ मुखर प्रेम निमंत्रण मिलते ही रहते थे। मगर मैंने कभी किसी की परवाह नहीं की, मुझे ये भी था, जितनी मैं सुंदर हूँ, उतना ही सुंदर मेरा बॉय फ्रेंड भी होने चाहिए।
एक एक करके मेरे सभी सहेलियों के बॉय फ्रेंड बन गए, मगर मैं अकेली की अकेली। एक दो ने तो लव मैरिज भी कर ली, मगर मुझे कोई ढंग का बॉय फ्रेंड भी न मिला। चलो जी जब पढ़ाई पूरी हो गई, उम्र हो रही थी तो घर वालों ने एक अच्छा सा लड़का देख कर शादी तय कर दी।
फिर भी मैं सोचूँ, के यार मैंने किया क्या, जिन लड़कियों की न अक्ल न शक्ल वो भी यार लिए घूमती थी, मुझमें क्या कमी थी, इतने लोग मुझ पर लाइन मारते थे, यहाँ तक कि मेरे रिश्तेदार भी मुझे चाहत भरी और कई तो वासना भरी नज़रों से देखते थे, फिर मेरी जवानी ऐसे ही क्यों निकली जा रही थी।
शादी हो गई… सुहागरात को पति ने तोड़ कर रख दिया। पहला अनुभव सेक्स का और वो भी इतना ज़बरदस्त, शायद किसी को चुदाई में इतनी तकलीफ न होती हो, या पति को ही उसके दोस्तों ने कुछ ऐसा समझा बुझा कर या खिला पिला कर भेजा के वो रब का बंदा, आधा पौना घंटा नीचे ही न उतरता, और सुहागरात पर ही उसने मुझे चार बार चोदा, पूरी बेदर्दी से।
मुझे तो यही समझ नहीं आ रहा था कि ये सब हो क्या रहा था।
खैर अगले दिन मुझसे तो उठा भी नहीं गया। ससुराल वाले सब खुश, अपने लड़के की मर्दानगी पर कि दुल्हन का तो बैंड बजा दिया।
उसके कुछ दिन बाद हनीमून… वहाँ तो लगातार 10 दिन सेक्स, कोई सुबह नहीं देखी कोई शाम नहीं देखी। जब भी वक़्त मिलता, ठोकना पीटना शुरू।
फिर मुझे भी इस सब में मज़ा आने लगा। इसी तरह शादी को एक साल हो गया।
पति देव अब थोड़ा नर्म पड़ गए थे, काम में व्यस्त… मगर मैं घर में बैठी, यही सोचती कि वो पहले वाला दमखम दिखायें। पहले दिन में तीन बार होता था, अब तीन दिन में एक बार।
अपना मन बहलाने को इधर उधर मन लगाती, मगर मन कहाँ काबू में रहता है, वो घूम फिर कर फिर टाँगों के बीच घुस जाता। फिर एक और आदत पड़ गई, अक्सर दोपहर को खाना खा कर मैं बिल्कुल नंगी होकर बेड पे लेट जाती, अपने बदन को सहलाती, फ़ुल साइज़ शीशे के सामने नंगी होकर खड़ी हो जाती, अपना तरह तरह से मेक अप करती, कुछ कुछ बनती, खुद को तड़पाती और फिर हाथ से अपनी चूत को शांत करती। ये तो रोज़ का ही काम हो गया था।
अक्सर सोचती, ये सब्जी वाला, अंदर आकर मुझे पकड़ ले, ये एल पी जी गैस वाला, अपना लंड चुसवा जाए, मगर फिर भी अपने मन को समझा कर अपने पर काबू रखने की कोशिश करती। हस्तमैथुन तो रोज़ की बात थी।
ऐसे ही एक दिन बाद दोपहर कुछ करने को नहीं था, तो उठी, तैयार हुई और पास वाले मॉल में चली गई, बेवजह दुकानों में घूमती रही, एक दो जगह, कुछ ड्रेस पसंद की, मगर ली नहीं। फिर एक और दुकान में घुस गई, एक जीन्स देखी, पसंद की, ट्राई लेने ट्राई रूम में गई।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
यह कहानी पाकिस्तान के एक लड़के सगीर की है। लुत्फ़ लीजिए।
मेरा नाम सगीर है और मेरी उम्र इस वक़्त 35 साल है। कहानी है इस बारे में कि कैसे मैं और मेरी परिवार में चुदाई से आशनाई हुई। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती जाएगी.. मैं आप लोगों से अपनी फैमिली का तवारूफ करवाता जाऊँगा।
ये सब जब शुरू हुआ.. उस वक़्त मेरी उम्र 19 साल थी। मैं सेक्स के मामले में बिल्कुल पागल था। चौबीस घंटे मेरे जेहन में सिर्फ़ सेक्स ही भरा रहता था। मैं हर वक़्त सेक्स मैगजीन्स की तलाश में रहता था। हालांकि मुठ मारने के लिए सिर्फ़ ब्रा-पैन्टी पहने हुई लड़की की तस्वीर भी मेरे लिए बहुत थी।
एक दिन मुझे मेरे दोस्त ने एक सीडी दी। मैं सीडी लेकर घर आया और हमेशा की तरह कंप्यूटर इस्तेमाल में था और मैंने शदीद झुंझलाहट में अपनी ज़िंदगी को कोसा कि मेरे इतने भाई बहन ना ही होते तो अच्छा था कि यहाँ किसी को कभी कोई प्राइवेसी ही नहीं मिलती।
मैंने सीडी अपने कॉलेज बैग में छुपा दी और रात के इन्तजार में दिन काटने लगा।
रात को जब सब सोने चले गए तो मैंने सीडी निकाली और स्टडी रूम की तरफ चल दिया। स्टडी रूम में किसी को ना पकड़ मुझे कुछ इत्मीनान हुआ और मैंने मूवी देखना शुरू की।
यह एक आम ट्रिपल एक्स मूवी थी.. जिसमें एक जोड़े को चुदाई करते दिखाया गया था।
मैंने अपने 6.5 इंच लण्ड को अपने शॉर्ट से बाहर निकाला और मूवी देखते-देखते अपने लण्ड को सहलाने लगा। अचानक ही मेरा छोटा भाई फरहान… रूम में दाखिल हुआ।
मैं मूवी देखने और लण्ड को सहलाने में इतना खो सा गया था कि मैं फरहान की आमद को महसूस ही नहीं कर सका जब तक कि उसने चिल्ला कर हैरतजदा आवाज़ में पुकारा- भाईजान.. ये क्या हो रहा है? यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मेरी खौफ से तकरीबन मरने वाली हालत हो गई और मैंने फ़ौरन अपने लण्ड को छुपाने की कोशिश की.. फरहान कुछ देर खामोश खड़ा कुछ सोचता रहा और फिर मुस्कुराते हुए कहने लगा- तो आप भी ये सब करते हैं.. मैं तो समझता था कि सिर्फ़ मैं ही ऐसा हूँ।
मैं उस वक़्त कुछ कन्फ्यूज़्ड सा था.. लेकिन मैंने देखा कि फरहान ने इस बात को इतनी अहमियत नहीं दी है.. तो मैंने झेंपते हुए मुस्कुराहट से फरहान को देखा और कहा- यार सभी करते हैं.. ये तो नेचुरल है।
फरहान ने सवालिया अंदाज़ में पूछा- भाई.. आपने ये मूवी कहाँ से ली है? क्योंकि उस वक़्त ऐसी मूवीज का मिलना बहुत मुश्किल होता था.. ख़ास तौर से हमारे एरिया में.. मैंने कहा- यार मोईन से ली है। मोईन मेरा दोस्त था।
फरहान ने हिचकिचाते हुए कहा- भाईजान मैं भी देखूंगा.. फिर मुझे कुछ सोचता देख कर फ़ौरन ही बोला- भाईजान प्लीज़ देखने दो ना.. मैंने मुस्कुरा कर फरहान को देखा और कहा- चल जा.. कुर्सी ले आ और यहाँ पर बैठ जा।
वो खुश होता हुआ कुर्सी लाकर मेरे साथ ही बैठ गया।
हमने पूरी मूवी साथ में देखी.. लेकिन मैं मुठ नहीं मार सका.. क्योंकि मेरा छोटा भाई मेरे साथ था। मूवी के बाद हम अपने-अपने बिस्तर पर चले गए.. जो हमारे अलग-अलग बेडरूम में थे। हमने यह तय किया कि हम में से जिसको भी ऐसी कोई मूवी मिली.. तो हम साथ ही देखा करेंगे।
इस एग्रीमेंट से हम दोनों को ही फ़ायदा हुआ कि हम कभी भी मूवी देख सकते थे। कंप्यूटर ज्यादातर हम दोनों के ही इस्तेमाल में रहता था। हमारी बहनें कंप्यूटर में इतनी रूचि नहीं लेती थीं।
साथ फिल्म देखने में हममें एक ही मसला था कि.. हम एक-दूसरे के सामने मुठ नहीं मार सकते थे। कुछ हफ्तों के बाद हमने एक मूवी देखी.. जिसमें कुछ सीन होमोसेक्सुअल भी थे। जैसे एक सीन में एक 18-20 साल का लड़का एक आदमी का लण्ड चूस रहा था। मुझे वो सीन कुछ अजीब सा लगा और सच ये था कि मुझे एक अलग सा अनोखा मज़ा भी आने लगा।
फरहान ने स्क्रीन पर ही नज़र जमाए हुए पूछा- भाई इसमें क्या मज़ा आता है इन लोगों को? जब लड़कियाँ मौजूद हैं.. तो ये लड़के एक-दूसरे को क्यूँ चोद रहे हैं? मैंने कहा- पता नहीं यार.. फिर मैंने फरहान को बताया- मुझे अपने एरिया के कुछ लड़कों का पता है कि वो एक-दूसरे को चोदते हैं।
जैसे-जैसे मूवी आगे बढ़ती जा रही थी.. हमें भी मज़ा आने लगा था।
मैंने फरहान को देखा.. तो फरहान अपने शॉर्ट के ऊपर से ही अपने लण्ड को मसल रहा था। मुझे भी बहुत अधिक ख्वाहिश हुई कि मैं भी अपने लण्ड को सहलाऊँ। तो मैंने हिम्मत की और फरहान की परवाह किए बगैर शॉर्ट के ऊपर से ही अपने लण्ड को पूरा अपनी गिरफ्त में लेकर हाथ आगे-पीछे करने लगा।
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