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गाँव की चुदाई कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपनी विधवा चाची को लंड दिखाकर चोदा. चाची बिल्कुल अकेली रहती थी घर में …
मैं राज रोहतक (हरियाणा) से आपके सम्मुख हाजिर हूं एक गाँव की चुदाई कहानी लेकर … यह घटना इसी साल दीपावली से 3 दिन पहले की है कैसे मैंने पड़ोस की चाची को चोदा।
पहले आपको अपने बारे में बता दूँ कि मैं 30 साल का हो गया हूँ. और मेरी शादी नहीं हुई है.
हरियाणा में ज्यादातर यही चलता है कि सरकारी नौकरी है या बहुत जमीन है तो छोकरी है नहीं तो बस अपना हाथ …
फिलहाल शादी का मेरा भी इरादा नहीं है. सेक्स का मैं बहुत शौक़ीन हूँ औरत चाहे किसी उम्र की हो गोरी हो या साँवली हो सबकी चुत की पूजा करता हूँ बहुत इमानदारी से। मैं गांव से हूँ लेकिन कुछ समय दिल्ली रहा हूँ तो थोड़ी अंग्रेजी भी बोल लेता हूँ.
अभी मेरे पास कोई काम नहीं है तो मां बाप की सेवा कर रहा हूँ. करोना के कारण बाहर नहीं जा पाया तो गांव की चूत का पानी पिया. इसके बारे में आपने मेरी पिछली कहानी ना-ना करते चुद गयी हरियाणवी छोकरी में पढ़ लिया था.
उस कहानी पर मुझे मेल करने वाले दोस्तों का शुक्रिया अदा करता हूं।
मैं अपने सारे राज राज ही रखता हूँ; मैं नहीं चाहता कि मेरी किसी भी दोस्त को कोई परेशानी आए.
तो दोस्तो, मैं कहानी में कुछ हरियाणवी शब्दों का प्रयोग करूंगा क्योंकि ये मेरे कुछ दोस्तों की इच्छा है।
अब मैं असाली बात पर आता हूँ. यह कहानी मेरे और मेरी पड़ोस में रहने वाली काकी (चाची) की है. हमारे परिवारों की आपस में ज्यादा बोलचाल नहीं है.
मेरी काकी का नाम आसानी के लिए मीना (काल्पनिक) रख लेता हूँ. उनकी उम्र लगभग 42 के आसपास है. वह अनपढ़ हैं, रंग सांवला और कद 5’3″ है. चाची पतली सी हैं.
उनके दो बच्चे हैं, एक लड़की और एक लड़का! लड़की की शादी हो चुकी है. उनका लड़का 10वीं तक पढ़कर दिल्ली में किसी फैक्टरी मैं काम करता है और सप्ताह में दो दिन घर आता है. मेरे चाचा यानि चाची के पति की 2 साल पहले बीमारी की वजह से मौत हो गई थी. गरीबी की वजह से उनके लड़के को नौकरी करनी पड़ी।
चाची एक भैंस रखती है और उसका दूध बेचती हैं. उनसे हमारे घर के पीछे दायीं और उनका प्लाट है जहां एक कमरा बना है और आगे की जगह खाली है तो वो वहां भैंस बांधने आती और दोपहर को घर ले जाती हैं तो कभी कभी मेरी मां से उनकी बात हो जाती।
चाची का घर गांव के अन्दर है तो वो बस प्लाट में भैंस बांधने आती और फिर लेने!
मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं था चाची के लिए. पर कभी कभी खेत में दिन जाती तो सोचा लेता कि आज त चुत दे दे तो मजा आ जाए।
खेतो में भी चुत चोदने का अलग ही मजा हैं बो भी ईख के खेत में।
अगस्त महीने की बात है दोपहर को 2 बजे मैं नीचे अपने कमरे में लेटा हुआ था तो नींद आ नहीं रही थी. मैं बस आंखें बन्द करके अपनी महिला मित्रों के साथ की गई चुदाइयों को याद कर रहा था. मेरा लंड खड़ा हो गया था तो मैं हाथ से लंड को सहला रहा था। और क्या करता … कोई दोस्त मिलने नहीं आ रही थी क्योंकि कॉलेज स्कूल खुले नहीं तो कोई मिलने आ नहीं सकी।
तो मैं लंड सहला रहा था; तभी मीना चाची की आवाज सुनाई दी जो भैंस को उठा रही थी। मैं उठा और खिड़की से चाची को देखने लगा.
तभी मैंने क्या देखा कि चाची चारों तरफ देख कर वहीं पेशाब करने बैठ गई. मैंने झट से लंड निकाला और चाची को देखते हुए मुट्ठी मारने लगा।
चाची सलवार नीचे करके पेशाब कर रही थी तो मुझे उनकी गांड की झलक दिख गई. मेरा लंड भी पहलवान की तरह अकड़ गया.
मैंने सोचा कि क्यों ना चाची पर कोशिश की जाए. लंड की जरूरत तो इनको भी होगी. अगर सेटिंग हो गयी तो चाची अकेली रहती है, दिन रात खूब मजा देगी।
आपको पहले भी बताया था कि हमारे घर के पीछे और आगे भी दोनों जगह बाथरूम व खाली जगह ताकि सर्दी में आराम से धूप में बैठ सकें. पीछे वाले बाथरूम का दरवाजा चाची के प्लाट की तरफ है.
तो मैं बाहर आया और बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा हो गया और लंड को हिलाने लगा। ताकि मेरा लंड चाची को दिख जाए और उसे लगे कि मुझे ध्यान नहीं. मेरा लंड चाची की ओर और मैं दूसरी ओर देखने लगा.
काम वासना के चलते मेरे मन में कोई डर नहीं, कोई ख्याल नहीं! मैं बस मुट्ठी चलाता रहा. मैं चोर नजर से चाची को देख रहा था. वो कभी मुझको देखती, कभी आगे पीछे कि कहीं कोई और तो नहीं आ रहा।
मुठ मारते मारते मैं आखिर स्टेशन पर पहुँच गया तो मैंने मुंह सीधा कर लिया. अब मेरी और चाची की नजर मिली और मेर लंड ने माल गिराना शुरु कर दिया.
चाची अपनी भैंस को लेकर चली गई.
मुठ मारते समय इतना आन्नद आया कि लगा यही जिंदगी का मजा है, इससे बढ़ कर कुछ ना है।
फिर मैं सो गया. चाची जब भी भैंस बांधने आती, मैं खिड़की से देखता उनको. तो वो किसी ना किसी बहाने प्लाट में रुकी रहती और हमारे बाथरूम की तरफ देखती. आते जाते भी उनकी नजर इसी तरफ होती।
फिर तो मैंने भी सोच लिया कि जो होगा देखा जाएगा आज कुछ नया करूंगा. मैं इन्तजार कर रहा था मीना चाची का!
दोपहर को जैसे ही वो आयी, मैं झट से कमरे से बाहर निकला. चाची ने मुझे देखा और झाडू उठाकर सफाई करने लगी. और बीच बीच में मेरी और देखती तो मैं लंड पर हाथ फेर देता।
मुझ पर कामदेव फिर असर दिखाने लगा. फिर मैंने अपना लोड़ा निकाला और करने लगा नई दिल्ली पुरानी दिल्ली! मतलब मुठ मारने लगा.
अब तो मीना डार्लिंग मेरी ओर देखती तो मैं मुंह को ऐसा करने लगा जैसे पप्पी ले रहा हूँ. तो वो काम छोड़कर मेरी ओर देखती रही।
मैंने इशारा किया कि मैं आ जाऊं वहाँ? तो उसने चारों ओर देखा, फिर काम करने लगी।
बस फेर तो मुठ मारनी छोड़ मैं घर से निकल गया और चाची के प्लाट में पहुंच गया. चाची और मेरी नजर मिली; हम दोनों मुस्कुराये.
फिर चाची कमरे में गयी. मैं भी चारों ओर देखकर घुस गया.
चाची की नजर मेरे लंड पर थी; वो बोली- तन्ने त जमा शर्म बेच खायी. मैं बोला- के बात चाची? चाची बोली- इब चाची दिखगी जब इस लोडे और अपने झुनझुने (आंड) दिखाव था … जव ना बेरा था चाची लागु हूँ तेरी?
मैं बोला- चाची, यो खड़ा होते ही काबु मैं ना रहता! फेर तु बढिया लागे है मनै. तनै तो खेत मैं देखकर भी मुठ मारी है. देख तनै देख कर यो लंड कयोकर पागल हो जा है. और लंड बाहर निकाल लिया मैंने।
चाची बोली- कती बेशर्म है कमीना. तनै बेरा है ना … किसी न बेरा लाग गी तो के होवगा मेरा … तु त छोरा है, कुछ ना होव … पर मेरी बेज्जती हो जावगी।
मैं बोला- बेरा कयोकर लागगी? मैं तो किसी त बताऊ ना … तु देख कदै बता दे? और मैं उसके और नजदीक आ गया।
चाची की नजर लंड पर थी. फिर बोली- गांड त तेरी भी टुट गी किसे त बतायी तो! मैं बोला- मैं ना बताऊ।
चाची बोली- ठीक सै. इब के करेगा? जा कोई आ जावगा? मैं बोला- लंड न ठंडा तो कर दे इब।
चाची बिना बोले बाहर गई, चारों तरफ देखा, फिर अन्दर आ गयी और लंड पकड़ कर हिलाने लगी।
मैंने चाची का मुंह पकड़ कर होंठ मिला लिए और मैं जोर जोर से चूसने लगा. चाची कती ढीली हो गयी।
फिर थोड़ा धक्का देकर अलग हुई और बोली- तु त कती बावलीगांड समझ रहा ह … सांस तो लैन दे। मैं बोला- के करु रुका ना गया। चाची हंसने लगी.
तो मैं चाची की कुर्ती उठा कर चुची पीने लगा. चाची ने मेरा लंड छोड़ा और सर पर हाथ फेरने लगी।
वो गर्म होने लगी सांस तेज चलने लगी. चुची छोड़ कर मैंने सलवार का नाडा़ पकड़ लिया तो चाची न मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- कोई आ गया त रुका नी जाता. मैं बोला- रुका गया होता त यहाँ ना आता।
चाची बोली- देख करना है (चोदना है) तो तावला तावला कर ले … कोई भी आ सके है … के बेरा लागे है। और खुद सलवार का नाडा़ खोल दिया और सलवार घुटनों पर आ गयी। चाची बोली- तावला कर ले. फिर झुक गयी।
मैंने चाची की चुत में उंगली डाल दी तो चाची न आह भरी. चाची की चुत गीली हो चुकी थी।
वो बोली- बस बाड दे इब वार (देर) ना कर!
मैं चाची के पीछे आ गया और लंड को चुत पर लगाया और एक झटका लगाया तो लंड की टोपी अन्दर! चाची ने आहहह की आवाज निकाली।
आजकल गांव में डागी स्टाइल बहुत चला हुआ है बस जगह दिखी सलवार नीचे की और झुका कर चुदायी शुरू।
चाची कुतिया बनी हुई थी और मैं कुत्ता. मैंने एक झटका और मारा पूरा लंड अन्दर। चाची बोली- सहज बाड़ ले … चुत है मेरी या।
फिर चाची ने पीछे हाथ लेकर मेरी टांगों को पकड़ लिया और मैंने उनकी चूचियों को और घचके लगाने लगा। चाची आईईई आआई ईई कर रही थी.
मैं चाची की चूचियों को जोर से पकड़ कर मसल कर चोद रहा था.
चाची बोली- तावला कर ले … मैं दुखी हो ली हूँ आहह! मैं बोला- ठीक है.
अब मैं तेज तेज ठोकने लगा और लंड झड़ने को हो गया तो मैं चाची की कमर चूमते हुए कहने लगा- मीना मेरी जान आहहह! और मैंने कसकर कमर पकड़ ली और चाची ने भी टांगों को कसकर पकड़ लिया.
जैसे ही लंड झड़ने लगा, मैंने एक जोर के झटके से पूरा लंड घुसा दिया और चाची की कमर कस कर पकड़ ली। और मैं चाची की चूत के अन्दर ही झड़ गया. थोड़ी देर मैं ऐसा ही रहा।
फिर चाची बोली- इब हट ले न … या चुत काट ले जा … जी ना भरता तो तेरा। मैं बोला- तु त मस्त है मीना तेरे बिना अब क्या जीना!
फिर चाची ने एक कपड़े से चुत साफ की और सलवार बांधने लगी।
चाची बोली- इब के मिलगा तनै … दर्द कर दिया. मैं बोला- चुत मिलगी और तु मिलगी. रात की के सलाह है?
चाची बोली- बावला हो रहा है के? रात न त बुरा हाल कर देगा तु! डर लागै है मनै त! मैं बोला- र लागता तो चुत ना देती तु!
चाची बोली- रात न जब सही टाइम होगा तब बता दुंगी. आज तो छोरा आवगा घरा. मैं बोला- ठीक है, तावली बताना … ना तो मुठ मारनी पडेगी रोज! चाची बोली- बेशर्म है ठीक है मैं इब जाऊ हूँ। और चाची भैस लेकर चली गई.
थोड़ी देर में मैं भी वहाँ से चला आया।
कहते हैं सब काम समय पर होता है, इंसान के जल्दी करने से कुछ नहीं होता. चाची की लड़की भी अगले दिन आ गई; उसे आप्रेशन करवाना था बच्चे ना होने का।
तो वो 2-3 महीने यही रही और दिवाली से 1 सप्ताह पहले ही अपने ससुराल गयी।
दीवाली से 3 दिन पहले ही चाची ने कहा- आज आ जिए रात न … घने दिन होगे करे नै! मैं बोला- ठीक है चाची … तू तैयार रिहिये झाट साफ कर कै! चाची हंसने लगी और बोली- सब साफ कर ल्यूंगी. और चाची चली गई.
मैं रात होने का इंतजार करने लगा।
रात को 11 बजे मैं उठा और घर की दीवार कूदकर निकल गया. बाहर सब सुनसान था.
मैं चाची के घर के बाहर गया और दीवार कूदकर अन्दर गया तो उनके कमरे का दरवाजा बंद नहीं था, हाथ लगाते ही खुल गया।
चाची सो रही थी एक ओर करवट लेकर! मैं चुपके से उसके पीछे लेट गया और गांड पर लंड लगाकर गालों पर किस करने लगा.
चाची बोली-कितनी वारी (देर) मैं आया तु। मैं बोला- बस हिसाब देख कर आना पड़े है.
और उसका मुंह अपनी तरफ करके होंठ चूसने लगा. चाची मेरा साथ देने लगी. हमारी जीभ एक दूसरे के मुंह में थी.
फिर थोड़ी देर में हम अलग हुए तो मैं उठा और अपने सारे कपड़े निकाल दिए और चाची के भी कपड़े निकालने लगा.
मैंने चाची को भी बिल्कुल नंगी कर दिया. फिर चाची पलंग पर लेट गई, मैं चाची के ऊपर आ गया और हमारे होंठ मिल गए फिर से.
और लंड बार बार अंगड़ाई तोड़ रहा था तो मैं चाची की चूचियों को पीने लगा. चाची की सांस तेज हो रही थी और प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेर रही थी।
मैं बारी बारी से चूचियों को चूस रहा था. फिर धीरे-धीरे मैं पेट चूमने लगा.
चाची ने अब आंख बन्द कर ली. फिर मैं पेट चूमते हुए पहुंच गया चाची की चुत तक.
मैं पलंग से नीचे उतर गया और नीचे घुटनों के बल बैठ गया और चाची को कहा- टांगें मेरे कंधे पर रख दो। चाची ने अपनी नंगी टांगें मेरे कंधे पर रख दी.
और अब चाची की चुत मेरे मुंह के पास आ गई. मैं नाक चुत पर लगाकर चुत की खुशबू लेने लगा।
फिर मैंने चुत पर जीभ लगायी ही थी कि चाची ने लम्बी सांस ली और सीसीईईईई की आवाज की.
मैं चुत में जीभ से चाची की चुत चुदायी करने लगा।
चाची बोल रही थी- आआआहह हहह रुक जा आआहहह … बस बहुत हो गया इब कर ले आआअ! पर मैं लगा रहा.
चाची फिर बोली- बाड़ दे इब त लोले न! आहह हहहह रुका ना जाता … आआ आईईई बाडडड दे।
मैं उठा और चाची के ऊपर आ गया और होंठो को चूसने लगा. चाची ने खुद लंड पकड़कर चुत पर लगा कर मुझे अपनी बांहों में कस लिया.
मैंने भी धीरे से धक्का लगाया लंड का टोपा घुसते ही चाची ने सीईई ईआआ हह की आवाज निकाली और मैं चाची की चुत चोदने लगा।
पुरा लंड घुसा कर में रुक जाता तो चाची ‘आआआइइइ’ करती.
2-3 मिनट में चाची बोली- इब ना रुकिये … तेज तेज कर आह हह हहह कर … और कर … आहह हहह गई मैं … कर और कर … आहहह! और चाची की चुत ने मेरे लंड को जकड़ लिया और चाची ने मुझे कसकर बांहों में जकड़ लिया।
मैंने भी झटके मारने की स्पीड बढ़ा दी और मेरे लंड ने भी झड़ना शुरू कर दिया. फिर थोडी़ देर में हम उठे. चाची बाथरूम गयी और अपनी चूत साफ करके वापस पंलग पर लेट गई. मैं भी पेशाब करके नंगी चाची के साथ में लेट गया।
चाची बोली- आज तो छोरे … तने इतना मजा दिया … सोची ना थी इब कदै मिल जावगा. तेरा चाचा गुजरे बाद तो मैं भीतर त कती टुट गी थी। मैं बोला- मीना जानु, मैं हूँ इब तेरे साथ! और मैं चाची के चूतड़ों पर हाथ चलाने लगा।
चाची बोली- के बात है? गांड भी मारगा के अपनी चाच्ची की ? मैं बोला- ना त.
चाची बोली- गांड मारनी हो त मार लिए … तेरा चाचा भी मारा करता। मैं बोला- ठीक है आज गांड भी मारुंगा.
तो रात को 1 बार गांड भी मारी और चुत भी.
सुबह 3 बजे मैं चाची के घर से निकल गया क्योंकि दुधिया के आने का समय हो गया था।
गाँव की चुदाई कहानी ज्यादा लम्बी ना करते हुए यहीं समाप्त करता हूँ. चाची की गांड चुदायी फिर कभी लिखूँगा आप कहेंगे तो!
तो दोस्तो, मेल करना मुझे [email protected] पर! धन्यवाद.
इससे आगे की कहानी: पड़ोसन चाची की गांड मारी
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