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प्रेषक : राज कुमार
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और वर्तमान में मैं गुड़गाँव में एक बड़ी कंपनी में जॉब करता हूँ। इसी वर्ष मेरी इंजीन्यरिंग खत्म हुई है और मेरा कैम्पस प्लेसमेंट हो गया था। बात उस समय की है जब मैं 11वीं कक्षा पास कर के इंजीन्यरिंग की तैयारी करने कोटा गया। उस समय मैं 18 वर्ष का था। मैं और एक मेरा दोस्त एक साथ ही कोटा गए थे। हमने एक कोचिंग में एड्मिशन ले लिया क्योंकि उसकी परीक्षा हम पहले ही दे चुके थे और उसमें हम पास कर गए थे।
अब मुख्य समस्या वहाँ कमरे और मैस की थी। काफी ढूंढने के बाद एक घर मिला जिसमें केवल तैयारी करने वाले लड़के रहते थे। मकान के मालिक एक बूढ़े अंकल थे जो हर महीने आकर पैसे ले जाते थे। मकान दो तलों का था और हम लोग नीचे वाले कमरे में रहते थे। हमारा स्नानघर और शौचालय अलग था जो कमरे से बाहर था। हम लोगों ने घर के ठीक बगल में ही एक घर में मैस ले लिया था। वो मैस नहीं था, एक आंटी थी जो खाना बनाकर बच्चों को खिलाती थी। इसी वर्ष उनका मैस शुरू हुआ था। खाना घरेलू था इसीलिए हम लोगों ने आंटी का वो मैस जॉइन कर लिया था। रात में आंटी एक ग्लास दूध भी देती थी।
आंटी के तीन बेटे थे, बड़े वाले की शादी ही चुकी थी और उनका 2 साल का बेटा भी था। बचे दो बेटे घर के आगे ही एक दुकान चलाते थे। बड़े बेटे की पत्नी को हम भाभी कहा करते थे, उनका नाम मीनाक्षी था। वो काफी कम उम्र की थी शायद 22 या 23 साल की इसीलिए उनकी जवानी अपने सुरूर पर थी।
कुछ महीने बाद पढ़ाई में मेरी रुचि थोड़ी कम होने लगी इसीलिए मैं बाहर भी घूमने फिरने लगा। कुछ दूर पर एक किताबों का दुकानदार रहता था जो सेक्सी पत्रिकाएँ भाड़े पर देता था। मैं उसका ग्राहक बन गया और उन पत्रिकाओं की नग्न तस्वीरों को देखकर कभी कभी मुट्ठ मारकर खुद को शांत करना लगा।
एक दिन जब मैं मुट्ठ मारकर कमरे से बाहर निकला तो देखा कि बगल की मीनाक्षी भाभी मुझे देखकर हंस रही हैं। मैं शरमा गया क्योंकि मैंने देखा कि मेरे कमरे की वो खिड़की खुली थी जिधर उनका घर था। दोपहर के खाने के समय मैं उनसे नजर नहीं मिला पा रहा था। वो खाना खिलते समय भी मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी, मैं उनसे बात नहीं कर पा रहा था।
दो दिन बाद उन्होंने ही शुरुआत की और कहा- अरे राजू, उसमें शर्माने वाली कोई बात नहीं, इस उम्र में तो यह करना ही पड़ता है।
अब मेरी जान में जान आई, अब मैं उनसे खुलकर बातें करने लगा। सेक्सी किताबें पढ़ लेने के कारण सेक्स के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिल गई थी।
एक दिन मैं भाभी से पूछ बैठा- क्या आप भी उस उम्र में ऐसा कुछ करती थी?
उन्होंने मुझे हल्की सी डांट लगाई और बोली- लड़कियों से ऐसे नहीं पूछते।
अब मैं उस खिड़की को खोलकर ही अपने लौड़े से खेला करता था लेकिन यह ध्यान देता था कि भाभी के अलावा कोई न देखे। भाभी मेरी इस क्रिया को देख ही लेती थी… उनको देखकर मैं ज़ोर ज़ोर से लौड़ा हिलाने लगता था। मेरा लन्ड सामान्य औसत लंबाई 6 इंच का है। भाभी को भी मेरा यह खेल धीरे धीरे अच्छा लगने लगा।
एक दिन भाभी से मैंने कह दिया- आपने मुझे तो मुट्ठ मारते हुए कई बार देख लिया अब आपको भी कुछ दिखाना होगा।
भाभी का चेहरा शर्म से लाल हो गया और वो वहाँ से चली गई, मुझे लगा कि उनको बुरा लग गया इसीलिए मैं उनसे अब कुछ नहीं कहता था।
एक दिन दोपहर के खाने के बाद मेरा दरवाजा खड़का, दरवाजा खोला तो भाभी खड़ी थी।
मैंने कहा- आप यहाँ?
तो उन्होंने कहा- घर में सब सो रहे थे तो मैं तुमसे महीने के पैसे लेने आ गई।
मैंने कहा- ठीक है, आप अंदर आ जाइए।
वो अंदर आकर कुर्सी पर बैठ गई और मैं पैसे निकालने लगा तभी भाभी ने कहा- राजू, क्या तुम मेरा एक काम करोगे?
मैंने कहा- आप बोलो तो भाभी…
इतना कहने पर वो मुस्कुराने लगी और कहा- आज काम करते करते पूरा शरीर अकड़ गया है, थोड़ी मालिश कर दो।
मैं दुखी हो गया और सोचा कि ये अब मुझसे मालिश करवाने आ गई हैं ! और बुझे मन से तेल लाने चला गया। तेल लाया तो देखा भाभी बिस्तर पर मालिश करवाने को तैयार लेटी हैं।
मैंने पूछा- कहाँ से मालिश शुरू करूँ?
तो उन्होंने बोला- पीठ से।
मैंने कहा- आपके घर के लोगों को पता चला तो?
भाभी ने बोला- सब खाना खाने के बाद सो रहे हैं।
मैंने पीठ पर तेल डाला, उनका ब्लाउज़ पीठ में काफी नीचे था और वो पीछे से ही खुलता था। ये सब देखकर मेरी आँखें चमकने लगी और मैंने सोचा कि भाभी भी शायद वही चाहती हैं जो मैं चाहता हूँ, बस बोलने में शरमा रही हैं।
खैर मैंने उनका ब्लाउज़ खोल दिया और ब्रा का हुक भी खोल दिया। इसके बाद मालिश करने लगा, भाभी उल्टा ही लेटी रही, बगल से उनकी चूचियों का कुछ भाग नजर आ रहा था यह सब देखकर मेरा पप्पू जाग उठा।
कुछ देर बाद उल्टी लेटी हुई ही भाभी ने कहा- अब थोड़ा पैरों में मालिश कर दो। मैंने उनके घुटनों तक साड़ी उठा दी। उनकी संगमरमरी जांघों का कुछ भाग दिख रहा था जिसके कारण मेरे लन्ड के अगले भाग से कुछ तरल भी निकाल उठा, मेरा लन्ड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और उसका उभार भाभी को भी दिख रहा था पर वो कुछ बोल नहीं रही थी।
मैं पैरों में तेल लगाते लगाते उनकी जांघों तक पहुच गया, अब साड़ी इतनी उठ चुकी थी कि उनकी लाल पैन्टी नजर आ रही थी। मेरा हाथ उनकी पैन्टी से बस थोड़ा दूर ही था कि उन्होंने मुझे रोक दिया।
मुझे बहुत गुस्सा आया।
वो अब सीधी हो गई और उन्होंने कहा- थोड़ा आगे भी छाती पर मालिश कर दो।
मेरी मुराद पूरी हो गई। उन्होंने छाती से अपने कपड़े हटाये और उनके चुच्चे आजाद हो गए, उनकी भूरी घुण्डियाँ देखकर मेरा लन्ड और फुंफकारे मारने लगा।
अब मैंने थोड़ा तेल उनकी चूचियों पर रखा और उसकी मालिश करने लगा। भाभी की साड़ी भी लगभग खुल चुकी थी और मेरी मुलायम मालिश से उनकी आँखें बंद हो रही थी। इसी बीच मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसे नीचे खिसका दिया।
भाभी ना ना बोल रही थी मगर काफी धीरे से। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने देखा कि उनकी लाल पैन्टी का अगला भाग कुछ भीगा हुआ है। मैं मालिश करता रहा और उनसे बोला- भाभी, आपकी पैन्टी गीली हो चुकी है।
अब भाभी को होश आया और वो नजरें चुराने लगी। तब तक मैं उनके जांघों के बीच का भाग मालिश करने लगा। भाभी पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी।
मैंने भी अपने सारे कपड़े खोल लिए बस चड्डी को छोड़कर। भाभी ने मेरे तने हुए लन्ड को चड्डी के ऊपर से ही छुआ और आँखें बंद करने लगी।
अब मैंने उनकी पैन्टी थोड़ी खिसका दी और उनकी नर्म फूली हुई पाव रोटी की तरह गुलाबी चूत पर हाथ फिराने लगा। उन्होंने भी मेरा लन्ड बाहर निकाल लिया जो सलाख की तरह गरम हो चुका था और अपनी पूरी लंबाई में था। वो मेरे लन्ड को आगे पीछे करने लगी और खुद भी सिसकारी भरने लगी।
तभी मैंने उनकी मालिश करनी बंद कर दी, वो घबरा गई और बोलने लगी- कुछ करो राजू कुछ करो वरना मैं पागल हो जाऊँगी।
अब मैं अपना लन्ड उनके मुँह के पास ले गया। उन्होंने झट से उसे अपने मुँह में ले लिया और आम की तरह चूसने लगी।
मैंने हाथों के बाद अब अपने मुँह से उनकी चूत की मालिश शुरू कर दी। मैं अपनी जीभ को उनकी चूत में अंदर बाहर करने लगा। अचानक उनका शरीर अकड़ गया और उनकी चूत से कुछ नमकीन तरल निकालने लगा। उन्होंने मुझे कसकर जकड़ रखा था और वो झटके देकर झड़ रही थी।
मैंने भी उनके मुख को चोदना चालू रखा और अपना सारा माल कुछ देर में उनके मुँह में ही निकाल दिया।
अब भाभी काफी तृप्त नजर आ रही थी। कुछ देर बाद उन्होंने ने मुझे अपने चूची चूसने को कहा। मैं तो तैयार बैठा था। मैंने अपना लण्ड उनके हाथों में दिया और उनकी चूचियों को मसलने और चूसने लगा। मेरे मसलने से और चूसने चूमने से उनकी चूची लाल हो गई। अब मेरा लन्ड फिर से सलामी दे रहा था। सेक्सी पत्रिकाओं के अपार ज्ञान ने मेरी बहुत सहायता की और ऐसे ऐसे स्थानों पर चूमने के कारण जो लड़कियों को स्वर्ग का दरवाजा दिखा देते हैं, भाभी बहुत जल्द चुदने को तैयार हो गई।
मैंने अपना लन्ड उनकी भीगी हुई चूत से सटाया तो वो पूरी तरह से सिहर गई। मैंने अपने लन्ड को अंदर घुसना शुरू किया, साथ ही उनकी गर्दन को भी चूम रहा था और हाथ से चूचियों को मसल रहा था।
वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी, मेरा लन्ड आसानी से भीतर चला गया। हम दोनों एक दूसरे को चोदने लगे। भाभी अपनी चूतड़-गांड उठा उठा कर चुद रही थी। यह दौर काफी लंबा चला क्योंकि हम पहले भी झड़ चुके थे।
20 से 25 मिनट की चुदाई के बाद हम झड़ने के करीब पहुँच गए। इस बीच भाभी एक बार और झड़ चुकी थी शायद। वो मेरे शरीर से पूरी तरह लिपट गई और झड़ने लगी। मैंने भी अपना लावा उनके चूत के अंदर छोड़ दिया।
10 मिनट हम उसी तरह पड़े रहे फिर भाभी उठी और मुझे चूमने लगी और मुझे धन्यवाद देने लगी, कहने लगी- आज पहली बार उनकी पूरी मजे से चुदाई हुई।
हमने अपने कपड़े ठीक किए और भाभी अपने घर जाने लगी, यह कहकर कि फिर आऊँगी।
मैं मन ही मन काफी खुश था क्योंकि मैंने अपने मजे के साथ साथ उनको भी पूरा सुख दिया। कोई शादीशुदा लड़की फिर से आपसे चुदने की इच्छा रखे तो समझ जाइए कि आप उस्ताद हैं।
मेरी चुदाई से और भी कई भाभियाँ खुश हो चुकी हैं। उनकी कहानियों के साथ फिर लौटूँगा…
कहानी कैसी लगी, जरूर लिखें।
[email protected]
प्रकाशित : 17 दिसम्बर 2013
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