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मेरा नाम अदिति है, मेरी उम्र 28 साल है. मैं एक हाउसवाइफ हूं, मैं दिल्ली में रहती हूं. मेरे बूब्स 32 साइज के हैं और मेरे हिप्स 36 है. मेरा रंग गोरा है मैंने आपको अपने बारे में सब बता दिया है ताकि आप मेरे जिस्म का अंदाजा लगा सके कि मैं कैसी दिखती हूंगी।
जब मेरी शादी हुई तो मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते थे। घर में मुझे सभी से बहुत अच्छा प्यार मिला.
लेकिन इन सबके बीच एक शख्स और था जो मुझे बहुत प्यार करता था। वे थे मेरे देवर!
मेरे देवर जी मुझसे बहुत प्यार करते थे मेरी छोटी छोटी बातों का ख्याल रखते थे. मुझे अगर कुछ मांगना होता या कुछ मंगाना होता बाहर से तो वे मुझे लाकर देते थे। जैसे एक बार मुझे एक साड़ी बहुत पसंद आई ऑनलाइन; तो मैंने अपने देवर से कहा. तो उन्होंने मुझसे कहा- ठीक है भाभी, मैं पेमेंट कर देता हूं. आप शॉपिंग कर लो. आपको यह साड़ी अच्छी लग रही है तो आप आर्डर कर दो.
ऐसी ही बहुत सारी बातें थी जो मुझे उनकी तरफ खींचती थी।
हमारे बीच भाभी देवर की जो छोटी मोटी बातें होती हैं वे हुआ करती थी लेकिन हमारा रिश्ता थोड़ा खुला था. कभी वे मेरे गालों पर चुम्बन कर देते थे ‘मेरी प्यारी भाभी! मेरी प्यारी भाभी!’ करते हुए। मुझे बहुत अच्छा लगता था.
धीरे धीरे मेरा इंटरेस्ट मेरे देवर में और बढ़ने लगा क्योंकि वो मेरी हर बात मानते थे. हम एक दोस्त की तरह बातें करते थे. मैं अक्सर अपने देवर से पूछती थी कि आपकी कोई गर्लफ्रेंड है? तो वो मुझसे बताते कि भाभी आज तक मुझसे कोई पटी नहीं. मैंने कोशिश तो बहुत की. मैं बस उनकी तरफ देखकर मुस्कुरा दिया करती थी।
कुछ वक्त और बीता. धीरे धीरे मुझे वे बहुत अच्छा लगने लगे क्योंकि उसकी बातें मुझे लुभाती थी।
एक बार ऐसा हुआ कि बिजनेस के सिलसिले से मेरे पति को 1 हफ्ते के लिए बाहर जाना पड़ा. घर में किसी और के ना होने के कारण मेरी सासू ने मेरे देवर को मेरे रूम में सोने के लिए बोल दिया ताकि मैं रात में ना डरूं. हम दोनों ने एक ही बेड पर अपने अलग-अलग तकिया लगा लिया और दोनों बैठ के अलग अलग साइड पर लेट गए. हमने बहुत सारी प्यारी प्यारी बातें की और फिर ऐसे ही सो गए।
रात के करीब 1:00 बजे मैंने महसूस किया कि मेरे पेट पर किसी का हाथ रखा है. मैं जाग गई थी. मैंने देखा कि वो मेरे प्यारे देवर का हाथ है, सोते हुए उन्होंने मेरे पेट पर अपना हाथ रख लिया है.
मुझे बहुत अच्छा लगा, मैंने उनके हाथ पर अपना हाथ रख लिया. शायद यह पहला मेरी तरफ से उनको एक रिएक्शन था कि वे मेरे करीब आ सकते हैं. और शायद वो समझ भी गए थे.
फिर उन्होंने अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख ली। लेकिन मैं फिर भी एक ऐसा नाटक कर रही थी जैसे मैं सोई हुई हूं। लेकिन शायद वे जानते थे कि मैं जगी हुई हूं. और वे यह भी जानते थे कि मैं उनके साथ सेक्स करना चाहती हूं. इसलिए फिर धीरे-धीरे वे अपना हाथ मेरे पेट से होते हुए मेरे बूब्स तक ले आए और उन्हें ऊपर से हल्के हल्के ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगे।
यह उस दिन पहली बार था कि मैं रात में भी साड़ी में ही सो गई थी वरना हस्बैंड के साथ तो मैं नाइटी में सोया करती थी.
फिर उन्होंने मेरे बूब्स को ब्लाउज से निकालने की कोशिश की लेकिन वे नहीं कर सके क्योंकि ब्लाउज ज्यादा टाइट था. इसलिए ऐसे ही मेरे बूब्स को थोड़ा सा और दबाकर और मेरे पेट पर ऐसे ही अपने हाथ फिरा कर वे फिर से सो गए. यह शायद इसलिए था कि मैंने कोई कोशिश नहीं की थी कि मैं अपने कपड़े खुद उतार दूं और वे ज्यादा कर नहीं सके. यह जो भी कुछ हुआ था ना उनके समझ में आया ना मेरे।
अगली सुबह हुई. लेकिन जैसे ही मेरे देवर मेरे सामने आए, वे मुझे देखकर हल्का शर्मा रहे थे. लेकिन मैंने उनसे सामान्य व्यवहार किया जैसा मेरा रोज का होता है, वैसे ही बात की. इसलिए थोड़ी बहुत देर में वे कंफर्टेबल हो गए।
फिर जब अगली रात आई तो फिर भी ऐसा ही हुआ मेरी सासू ने फिर से मेरे देवर को मेरे रूम में सोने के लिए बोल दिया कि तब तक तेरे भैया नहीं आते तब तक भाभी के साथ ही सो जाया कर ताकि वे ना डरे।
लेकिन इस रात के लिए मैं एकदम तैयार थी. मैंने उस रात बहुत हल्की सी नाइटी पहनी जिसमें मेरा जिस्म हल्का हल्का सा दिख रहा था. जब सोने के वक्त मैं उस नाइटी को पहन कर देवर के सामने गई तो उन्होंने ऐसी रिएक्ट किया जैसे उन्होंने मुझे ध्यान से देखा ही नहीं.
लेकिन मैं जानती थी वे तो मेरे लिए पागल था बस हमारे सोने का इंतजार था आज रात जो होने वाला था मैं उसके लिए बहुत खुश थी। लेटने के करीब 1 घंटे बाद मेरे देवर ने मेरे पेट पर हाथ रख लिया.
अभी तक हम सोए नहीं थे. आज मैंने नाइटी पहनी थी तो वो इतनी हल्की थी कि कोई हल्की सी भी कोशिश करे तो वह मेरे बदन से अलग हो सकती थी. उन्होंने उस ड्रेस को हल्के से खींचा तो वो एकदम सारी खुल गई. अब मैं उनके सामने नंगी थी ब्रा और पेंटी में … ड्रेस खुली हुई बेड पर पड़ी थी.
लेकिन जब मेरी ड्रेस खुली तो मुझे अपने देवर से पूछना पड़ा एक नाटक सा करते हुए- यह आप क्या कर रहे हैं? उन्होंने मुझसे कहा- भाभी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूं. प्लीज आज मत रोको।
और यह कहते हुए वे मेरे ऊपर आ गए, मेरी ब्रा को एक झटके में खोल दिया और मेरे नंगे बूब्स उनके सामने थे. वे उनको पागलों की तरह चूसने लगे. उन्होंने शायद पहली बार किसी लड़की के बूब्स को टच किया था, पहली बार देखे थे शायद!
मुझे भी अच्छा लग रहा था तो ना मैंने हां की ना ना … बस चुप आंखें बंद करके लेटी रही। और बस महसूस करती रही अपने जिस्म उनका होना! मैंने अपने हाथ उनकी कमर पर फिराये।
फिर वे मेरे बूब्स को चूसते हुए मेरे पेट पर किस करते करते नीचे मेरी चूत तक चले गए. मेरी तो जैसे सांस फूलने लगी थी. तब उन्होंने बहुत प्यार से मेरी चूत को चाटना शुरू किया. मेरी चूत में से पानी निकलना शुरू हो गया लेकिन देवर जी की जीभ का अहसास मुझे और पागल कर रहा था; वे बहुत प्यार से मेरी चूत को चाट रहे थे. कभी-कभी वे पूरी जीभ अंदर घुसा देते, फिर बहुत प्यार से बाहर के हिस्से पर जीभ फिराते.
मैंने अपनी टांगें चौड़ी कर ली आनंद ही आनंद में … मुझे पता ही नहीं चला।
फिर मैंने अपनी टांगें उठा कर उनकी कमर पर रख दी और वे भी मेरी जाँघों को पकड़कर मेरे चूत को और जोर से चूसने लगे. इतनी तेज कि अब मुझे हल्का सा दर्द होने लगा. वे इतनी तेज चूस रहे थे कि मुझे अब मजा और दर्द मीठा मीठा दोनों हो रहे थे.
इसलिए मैंने उनके बाल पकड़कर उनको अपने ऊपर आने के लिए कहा. फिर वे मेरे ऊपर आ गए और कुछ देर मेरे बूब्स चूसे फिर उन्होंने मेरी चूत पर अपना लंड लगा दिया.
मेरी चूत इतनी गीली हो गई थी थोड़ा सा जोर लगाते ही देवर जी का आधा लंड मेरी चूत में चला गया. मैं तो आनंद के मारे अपनी आंखें बंद करके बस मजा लेती रही. फिर उन्होंने और जोर लगाया और पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया और हल्के हल्के से धक्के लगाने लगे.
मेरा मन तो उन्हें खा जाने को कर रहा था।
फिर हम दोनों एक दूसरे में खो गए. उन्होंने मेरे जिस्म की कोली भर रखी थी और मैंने उनकी। हमारे होंठ और जीभ एक दूसरे को इतनी बुरी तरह से चूस रहे थे कि मैं आपको बता नहीं सकती.
कमरे में ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ ऐसी मादक सिसकारियां गूंज रही थी जो सिर्फ हमारे कानों को ही सुनाई दे रही थी। वे मेरी चूत में बहुत तेज तेज धक्के लगा रहे थे मैं भी खुलकर उनका साथ दे रही थी.
जब मुझे मजा आया तो मैंने अपने दांत उनकी गर्दन पर और मेरे नाखून उनकी कमर पर गाड़ दिए। और मैं उनकी बांहों में ही सिमट गई. फिर मैंने अपने आप को ढीला छोड़ दिया.
अब उनका पानी निकालने का टाइम था तो देवर जी मुझे जमकर चोद रहे थे। उनकी प्यारी भाभी जिसके साथ अब तक सिर्फ एक दोस्त वाला रिश्ता था. आज वे दोस्ती का रिश्ता बदलकर जैसे एक हस्बैंड वाइफ का हो गया था.
कुछ देर और चुदाई करने के बाद अब मुझे हल्का सा दर्द होने लगा. फिर मैंने बहुत धीमी सी आवाज में कहा- प्लीज जल्दी कर लो. और वे भाभी भाभी करते हुए फिर मेरी चूत में ही झड़ने लगे.
मैंने उनसे कहा- रुको, आपने तो कंडोम भी नहीं लगाया है. उन्होंने कहा- प्लीज भाभी, हो जाने दो.
फिर मैंने उन्हें मना नहीं किया और उन्होंने मेरी चूत में ही अपना पानी निकाल दिया और मेरे ऊपर लेट गए थक कर!
हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे से ऐसे ही चिपके रहे. उनका वीर्य निकल कर मेरी चूत से बहने लगा. फिर मैंने उन्हें कहा- प्लीज, मेरे ऊपर से उठो. और वे उठ गए.
मैंने कपड़े से उनका पानी पूछा जो मेरी चूत में बह रहा था और अपनी नाईटी के हुक लगाए और सो गई.
ना उन्होंने मुझसे कुछ कहा, ना मैंने उनको! एक दूसरे का पानी निकालने के बाद जैसे हमें अब ऐसे लगने लगा कि हमने यह गलत किया. इसलिए हमने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा और बस सो गए.
सुबह जब हम उठे एक दूसरे की आंखों में देखकर बहुत खुश थे क्योंकि अगली रात को और भी बहुत कुछ होने वाला था।
जैसे तैसे दिन बीता और अगली रात भी आ गई.
मैं सोने की तैयारी ही कर रही थी रूम में अपने कि उन्होंने पीछे से आकर मेरी कोली भर ली और मुझे किस पर किस करने लगे. मैं फिर से बहक गई. और उन्होंने अपना लंड निकाल कर मुझसे कहा- भाभी, प्लीज एक बार चूसो ना!
मैं अपने घुटनों पर बैठ कर देवर का लंड चूसने लगी. मुझे भी बहुत मजा आ रहा था और उन्हें भी! फिर उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे बेड की झुका कर मेरी चूत में लंड डाल दिया और मुझे बहुत तेज तेज चोदने लगे जैसे आज तो मैं उसकी वाइफ हूं, वे जो चाहें मेरे साथ कर सकते हैं.
और फिर खुद बेड पर लेट कर मुझे अपने ऊपर आने को कहा, मैं उनके ऊपर चढ़ गई, उनका लंड अपनी चूत में ले लिया और धक्के लगाने लगी. राइडिंग करने वाली पोजीशन में मुझे मजा आने लगा क्योंकि मेरे बूब्स वे नीचे से चूस रहे थे और अपनी उंगलियां मेरे चूतड़ों पर फिरा रहे थे.
नीचे से लंड मेरी चूत में घुसा हुआ था तो मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं उसी पोजीशन में झड़ गई तो मैं फिर से एक बार देवर से चिपक गई और उन्होंने भी नीचे से चुपके चुपके अपना सारा पानी मेरी चूत में निकाल दिया.
जब मैं उनके ऊपर से उठी तो वीर्य मेरी चूत से निकलकर वापस उनके लंड पर बहने लगा क्योंकि बहुत सारा वीर्य निकला था.
यह थी मेरी और मेरे देवर की छोटी सी सच्ची सेक्स कहानी जो मैं आप लोगों को बता रही हूं.
फिर एक-दो दिन बाद मेरे हस्बैंड वापस आ गए.
उसके बाद से कभी-कभी जब वे घर पर नहीं होते थे तो हम वापिस ऐसे ही चुदाई करते थे.
अब मेरे देवर की जॉब लग गई है तो वे दूसरे शहर चले गए हैं. कभी भी जब वे आते हैं तो मौक़ा मिलते ही हम देवर भाभी सेक्स कर लेते हैं.
मैं स्वीकार करती हूँ कि मेरी लाइफ में, जिससे मैं अपने दिल की हर बात शेयर करती हूँ, मेरा देवर है, वही दोस्त है जो हमेशा मेरे लिए खड़ा रहता है. एक अच्छा इंसान!
मेरी देवर भाभी चुदाई कहानी आपको कैसी लगी, प्लीज मुझे जरूर बताइएगा. मैं अपनी ईमेल आईडी लिख रही हूं। [email protected]
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