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मेरा नाम खुशी कुमारी है.. मैं एक मेडिकल स्टूडेंट हूँ। मैं जब भी बोर होती हूँ.. तो अन्तर्वासना में हिंदी सेक्स स्टोरी पढ़ने आ जाती हूँ। आज जब मैं इसकी एक रसीली कहानी पढ़ रही थी, तो मैंने सोचा क्यों ना अपनी स्टोरी भी लिखूं। क्योंकि मैं भी किसी से कम नहीं हूँ। मेरा 36डी-30-36 का फिगर वाला एकदम सुडौल जिस्म देख कर किसी की भी नज़र टिक जाए.. और बिना चोदने की सोचे हटे ही नहीं। मैं अभी 22+ की अल्हड़ मस्त जवान और गरम माल हूँ।
अब बात करती हूँ अपनी सेक्स कहानी की..
मैं दिल्ली से हूँ। तीन साल पहले मैं एक लड़के से मिली थी.. जो बेहद स्मार्ट है.. थोड़ा शर्मीला है और एक डीसेंट बंदा है। उसकी उम्र 23+ की है.. वो एकदम गोरे रंग का है।
हम दोनों फेसबुक पर दोस्त बने थे और धीरे-धीरे अच्छे दोस्त बन गए। हम दोनों ने अपने नंबर्स एक्सचेंज कर लिए और पता ही नहीं चला कि कब हम दोनों एक-दूसरे के प्यार में पड़ गए।
वो मेरे घर के पास में ही रहता था.. हमारी जब पहली मुलाक़ात हुई.. हम लोगों ने खूब बातें की.. खूब चुम्बन किए.. ‘चॉकलेट किस’ भी किया।
इस चुम्बन के दौर में मेरा हाथ उसकी जाँघों से टकरा गया, मेरा हाथ उसके मेनपॉइंट पर चला गया। मैं सच बोलती हूँ.. कि मुझे उसका ‘वो’ कोई गरम लोहे की रॉड लग रहा था।
फिर बहाने-बहाने से मैंने ‘उसे’ दबाना शुरू कर दिया। वो तो शर्मा कर पानी होता जा रहा था पर मैं ही थी इतनी तेज.. कि फटाक से उनकी चैन खोलकर उसका आइटम देख लिया।
उसका खड़ा लंड मुझे बहुत पसन्द आया और तुरंत ही उसको बाहर निकाल लिया। एकदम कड़क.. सीधा.. पूरी तरह से सख्त गरम.. और कुछ अधिक ही मोटा और लम्बा लौड़ा जब बाहर आया.. तो मुझे ऐसा लगा कि किसी अजगर को बिल से निकाल लिया हो। लंड का एकदम लाल टोपा.. और एकदम गुलाबी खाल।
खड़ा लौड़ा देखते ही मेरे मुँह से निकला- वाउ.. कितना सुंदर है..
मैंने उसके लौड़े को अपने हाथ में लेकर के अपने दूधों पर लगा लिया.. और कहने लगी- मेरे साथ तुमने बहुत सेक्स चैट किया है ना.. अब रियल में छू कर देखो।
उसने तो किसी लड़की की उंगली भी नहीं छुई थी.. वो शरम से लाल हो गया। पर मुझसे रहा ही नहीं गया.. और मैं उसको पार्क की झाड़ियों के पीछे ले गई.. और अपने मम्मों को खोल कर दिखा दिया।
आखिर कब तक शरमाता वो.. झटके से वो भी भूखे शेर की तरह चूसने लगा।
आआहह.. क्या मस्त फ़ीलिंग थी, अभी भी याद आता है तो पेंटी गीली हो जाती है।
फिर हम लोग कुछ देर यूं ही मस्ती करने के बाद वहाँ से अपने-अपने घर को चले गए.. घर जाकर तो नींद नहीं आ रही थी..बस मन कर रहा था कि जल्दी से काम निपटा कर उसके बारे में ही सोचूँ।
मैं तो हर दिन उसके साथ सेक्स के सपने देखने लगी.. पूरी गीली होने लगी।
एक दिन मेरे फ्रेंड के यहाँ पार्टी थी.. उसने सबको बुलाया था और उनके मॉम-डैड बाहर थे.. घर पर कोई नहीं था।
हम लोगों ने उसके घर पर पूरी रात रुकने का सोच लिया था।
हम थोड़ी देर पार्टी में नाचते-गाते रहे.. कोल्डड्रिंक पीते रहे।
अभी पार्टी चल ही रही थी कि हम दोनों उसकी मम्मी के बेडरूम में आ गए.. जो कि तीसरी मंजिल पर था।
यहाँ से शुरू हुई हमारी चूत चुदाई की कहानी।
उस दिन मैंने ट्राउज़र और टॉप पहना था। मैं अपने लवर के लिए एकदम तैयार होकर आई थी।
मैं थोड़ी भरे हुए जिस्म की हूँ मतलब एकदम सूखी नहीं हूँ। मेरे जिस्म पर एकदम टाइट ट्राउज़र था.. जिससे मेरे चूतड़ उठे हुए साफ़ नज़र आ रहे थे और पेंटी लाइन भी साफ़ दिख रही थी। मेरी पेंटी पिंक कलर की थी।
हम जैसे ही कमरे में घुसे.. दरवाजा बंद किया.. सिटकनी लगाई और हम पर जैसे नशा सा छा गया। हम दोनों एक-दूसरे ऐसे चूम रहे थे.. कि पूछो मत। हाथ कभी मेरा हाथ उसके जीन्स के ऊपर से लौड़े पर जाते.. तो मैं कभी उसकी जीन्स के अन्दर हाथ डाल देती।
वो भी मेरे साथ रह कर तेज हो गया था। उसने मेरे होंठ चूसने शुरू किए.. जो बहुत ही मजेदार किस हुआ। इसी चुम्बन के साथ हम दोनों पूरी तरह गरम हो गए थे।
उसने धीरे-धीरे मुझे मेरी कमर के पास.. कन्धों पर सहलाना स्टार्ट किया। फिर टॉप के नीचे से हाथ डाल कर पीठ की तरफ से मेरी ब्रा से खोलने लगा।
मैं बहुत ज्यादा गरम हो गई थी। मैंने उसके लौड़े को मजबूती से अपनी मुठ्ठी में जकड़ लिया.. और उसकी जीन्स को उतारने की कोशिश करने लगी।
तब तक उसके हाथ मेरे मम्मों पर आ चुके थे, वो बड़ी बेरहमी से मेरे चूचों को मसले जा रहा था।
मैंने भी अब तक जीन्स खोल दी.. इतनी देर में उसने भी मेरी ब्रा, जो कि वाइट कलर की थी.. उसे पीछे से खोल दिया.. और उतार कर टॉप के नीचे खींचते हुए साइड में फेंक दी।
अब वो मेरे मुक्त हो चुके मम्मों को तेज़ी से मसलने लगा। मुझे पता नहीं क्या हो रहा था.. मैं एकदम पागल सी हो गई थी। मुझे इससे पहले अपने चूचे दबवाने में कभी मजा नहीं आया था।
हालांकि मुझे ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि मेरी चूत की सील खुली हुई थी जिसको मेरे पहले ब्वॉयफ्रेंड ने खोली थी.. पर उस चूतिया के लौड़े में कोई दम ही नहीं था। इसी लिए उससे मेरा ब्रेकअप हो गया था.. खैर छोड़ो उस बात को..
फिर उसने मेरे टॉप भी उतार दिया। अब मैं ऊपर से पूरी नंगी हो गई थी।
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वो भी मदहोश हो रहा था। तब तक मैंने उसकी जीन्स उतार डाली.. वो एक चुस्त फ्रेंची में था। वो मेरे मम्मों चूसने लगा.. मेरे एक आम को दबा रहा था.. दूसरे को चूस रहा था।
अहह.. मैं बता नहीं सकती कि मुझे कैसी मस्त फ़ीलिंग हो रही थी।
मैंने उसके कान में कहा- जान अब बर्दाश्त नहीं होता.. खा जाओ.. उफफ्फ़.. आआहह.. उमम्म..
तब उसने तेज़ी से मेरे दूध को चूसना स्टार्ट किया और उसका एक हाथ मेरे ट्राउज़र के अन्दर मेरी चूत पर चला गया.. जो तब तक पूरी गीली हो चुकी थी।
आहह.. वो चूत के अन्दर उंगली डाल कर फिंगरिंग करने लगा।
अहह.. क्या मस्त मजा था दोस्तो.. चूत में उंगली से इतना मस्त मजा आ रहा था तो उसके मोटे लौड़े से कितना मजा आने वाला था।
मैं तो अभी से ही कामातुर होकर बहुत चुदासी सी और गरम हो गई थी।
फिर मैं खुद अपना ट्राउज़र उतरने लगी.. तो उसने रोक दिया.. और सामने पड़े बिस्तर पर मुझे धकेल दिया।
अहह..
वो मेरे मम्मों को चूसते-चूसते.. चूचुकों पर प्यार से काटता हुआ मेरे पेट के छेद को चाटने लगा। मैं एकदम से मचलने लगी।
वो अपनी जीभ से मेरी नाभि को पूरी तरह चाटे जा रहा था। अब मेरा ट्राउज़र उतरता गया.. मैं सिर्फ़ अपनी पिंक पेंटी में उसके सामने चुदने को बेताब पड़ी थी।
उसने पेंटी को बिना उतारे.. एक साइड में करके मेरी गीली चूत को अपनी जीभ से चाटते हुए उसका रस पीने लगा।
‘आआआहह.. बिना चुदे ही चुदाई की फीलिंग थी.. आह्ह.. उंह..’ मैं मादक सीत्कार करने लगी।
वो अपने मुँह से मेरी पेंटी उतारने लगा। फिर वो मेरी पेंटी उतारते-उतारते चूत को चूसता रहा.. आहह.. और उसने मेरी पेंटी उतार दी।
मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी। अब मेरी आँखें बंद थीं और मैं कह रही थी- जान तड़पाओ मत.. अब अपने लंबे और मोटे लंड को मेरी गीली तड़पती चूत में सीधे डाल दो।
उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए, हम दोनों नंगे हो चुके थे। उससे रहा नहीं गया और इधर मैं भी उसके मूसल लंड को देखकर पागल हो गई थी।
वो अपना लंड मेरे मुँह के पास लाया.. मैं तैयार थी.. मैंने झट से लौड़े को मुँह के अन्दर ले लिया और चूसने लगी।
पहले मैंने उसके टोपे को चाटा.. जो आंवले के आकार का जैसा था पर एकदम पिंक कलर का था।
सुपारे पर जीभ घुमाई.. आहह.. मेरी चूत को मेरी जीभ से जलन होने लगी, फिर मैं पूरे लंड को अपने मुँह के अन्दर लेने लगी। आह्ह.. उसका बहुत बड़ा था.. पूरा नहीं जा पा रहा था। फिर भी मैं उसका लौड़ा पूरा ज़ितना अन्दर ले सकती थी, लिया और चूसने लगी।
अब हम दोनों ही पगला गए थे। चुदासी आवाजों का शोर तेज हो गया था। मैंने कहा- बस जानू.. अब जल्दी से मेरी चूत में डाल दो।
उसने मेरी कमर के नीचे तकिया लगाया.. और अपना पिंक टोपा मेरी चूत पर सैट किया और धीरे से मेरी गीली चूत में डालने लगे। मेरी दर्द से एक चीख निकल गई थी.. और मैंने झट से उसे अपने से अलग कर दिया.. मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने बाँस को मेरी चूत में डाल दिया हो।
फिर वो मेरे पास आया और मेरे माथे को चूम कर कहने लगा- अगर तुम नहीं चाहती.. तो हम नहीं करेंगे।
बस उसकी इसी बात ने मेरा दिल छू लिया.. और मैंने अपने मम्मों को फिर से उसके मुँह में दे दिया.. और मैं फिर से गीली हो गई।
वो भी मेरी चूत चाटने लगा.. धीरे-धीरे मुझे मजा आने लगा था.. मानो जैसे में मदहोश हो गई थी।
मैंने कहा- आआअहह जान.. अहह.. अब और सहा नहीं जाता अब कुछ भी हो जाए तुम रुकना मत।
फिर उसने बिना देर किए आधा लंड मेरी चूत में घुसा दिया.. मैं दर्द से तड़प गई पर आवाज़ बाहर ना जाए इसलिए मैंने उसका हाथ अपने मुँह पर रखवा लिया.. और उसने बिना रुके.. मेरी चूत की चुदाई शुरू कर दी।
उसने धीरे-धीरे धक्के लगाने स्टार्ट कर दी.. कुछ ही पलों में मुझे मजा आने लगा। एक ऐसा मजा.. मानो जन्नत मिल गई हो। फिर मैंने उसका हाथ अपने मुँह से हटा दिया। मैं आँखें बंद करके मादक सीत्कार करे जा रही थी ‘अहह.. उन.. हाँअ जान तेज.. और तेज करो.. पेल दो मुझको अपने मोटे लंड से..’
फिर उसने जो झटके मारने स्टार्ट किए… आह मैं पागल हो गई। झटके पे झटके लगते रहे.. बिस्तर भी हल्की आवाज़ करने लगा। इतनी हवस होने के बावजूद भी मैं उसका पूरा लंड अपनी चूत में नहीं ले पा रही थी।
वो आधे अधूरे लौड़े से मुझको चोदते रहे.. मैं चुदवाती रही।
फिर मैंने कहा- जान.. डॉगी स्टाइल..
तो उसने मुझको डॉगी बनाया.. और अपने खड़े लंड पर मेरी चूत को सैट करके अन्दर तक डालने लगे।
आह्ह.. धक्के लगने लगे.. चूत आवाज़ करने लगी.. उसके आंड मेरे चूतड़ों पर टकरा रहे थे.. जिससे मधुर आवाज़ हो रही थी। वो तेज-तेज मेरी चूत मारने लगा।
इसी तरह काफ़ी देर तक उसने मुझे चोदा। अब तक मैं दो बार झड़ भी चुकी थी.. और थोड़ी देर बाद वो भी झड़ गया।
हम एक-दूसरे के साथ काफ़ी देर तक पड़े रहे.. जब होश आया तो पता चला आधा घंटे से लेटे हुए थे।
फिर हम दोनों ने अटैच्ड बाथरूम में जाकर अपने आपको साफ किया, उसके बाद धीरे-धीरे मुझे एहसास हुआ कि मेरी चूत दर्द कर रही है.. और फिर देखा तो पता चला कि वो नीचे से कट गई थी.. बहुत दर्द करने लगी थी।
इसके बाद तो उसके साथ चुदाई का खेल कई बार हुआ और अब भी होता है.. हम दोनों को चुदाई करते हुए काफ़ी टाइम हो गया है.. लेकिन सच कहती हूँ दोस्तो.. उसका पूरा लंड लेने में मुझे कई महीने लग गए थे। [email protected]
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