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दोस्तो, मेरी पहली कहानी भैया भाभी की चुदाई देखी आधी रात के बाद को आप लोगों ने खूब पसंद किया.
उसकी सेक्सी स्टोरी में आगे पढ़ें कि क्या हुआ.
अगले दिन सुबह उठा तो आठ बज रहे थे, मैंने देखा कि मैं नंगा ही सो गया था और वो भी दरवाज़ा खुला छोड़ के! मुझे डर लगा कि कहीं किसी ने मुझे नंगा तो नहीं देख लिया. तभी अचानक मेरा ध्यान, कल रात की घटनाओं पर पडा. कैसे मैंने भैया-भाभी की चुदाई देखी और कैसे अपना माल फर्श पर गिरा दिया था. भाभी का गोरा सुडौल शरीर याद करके मेरा आठ इंच आठ इंच का लंड पूरा तन कर खड़ा हो गया.
मैंने झट से दरवाज़ा बंद किया और भाभी के बारे में सोच कर अपना लंड हिलाने लगा. मैंने आँखें बंद की और भाभी का नंगा बदन मेरे सामने आया. नंगी चूचियाँ और उन पर चॉकलेट जैसे भूरे निप्पल जिनको भाभी अपने एक हाथ से मसल रही थी. और उनका खूबसूरत पेट और उस पर उनकी प्यारी सी नाभि. भाभी अपनी कमर एक नौटंकी में नाचने वाली रंडी के जैसे मटका रही थी और मुझसे खुद को चोदने का आग्रह कर रही थी.
इतने में मुझसे रहा नहीं गया और मैं छूट गया, ढेर सारा माल मेरे लंड से छूट कर नीचे चादर पर गिरकर इकट्ठा होने लगा. मैंने नंगे ही लेटकर कुछ देर आराम किया और फिर मेरी आँख लग गई.
कुछ देर बाद दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ ने मुझे जगाया- क्यूँ देवर जी, रात को क्या घोड़े बेचे थे जो इतना देर तक सो रहे हो? जल्दी उठो, आज आपका कॉलेज का पहला दिन है, चलो उठो! ‘हाँ भाभी, बस दो मिनट!’ मैं भूल ही गया था कि आज मुझे कॉलेज जाना है.’
मैं अपने कपड़े ढूँढने लगा लेकिन मुझे मेरी चड्डी नहीं मिली तो मैंने बिना चड्डी के सिर्फ़ पायजामे में दरवाज़ा खोला. पायजामे में मेरे वीर्य ने एक गीला धब्बा बना दिया था और साथ ही चड्डी न होने की वजह से मेरा लंड पायजामे में झूल रहा था. मैंने दरवाज़ा खोला तो भाभी बोली- सासू माँ ऊपर नहीं चढ़ पाती तो उन्होंने मुझे भेजा है. चलो नहा धो के नीचे आ जाओ, नाश्ता कर लो!
भाभी कमरे में आ गई. उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी और हर बार की तरह क़यामत ढहा रही थी. हर बार की तरह मेरी नज़र उनके गोरे मुलायम और खूबसूरत पेट पर पड़ी. मन तो था कि अभी बिस्तर पर पटक के पेट चूम लूँ और नंगी करके चोद दूं.
मैं इन्हीं ख्यालों में था जब भाभी बोली- तुम्हारा कमरा साफ कर देती हूँ, देवर जी, जाओ तब तक नहा लो!
भाभी की नज़र चादर पर मेरे वीर्य से बने गीले धब्बे पर पड़ी- यह क्या है देवर जी? भाभी ने हँसकर बोला- कहीं रात को बिस्तर गीला तो नहीं… हाय राम राजेश, वो क्या है?’ ‘क्या भाभी?’
मैंने भाभी की नज़र देखी और सर झुका कर देखा तो देखा कि मेरा 8 इंच का लंड पजामे के मूतने वाले छेद से बाहर निकल कर भाभी को सलामी दे रहा था. मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई, मैं लंड को पाजामे के अंदर करते हुए बाथरूम की तरफ भागा. बाथरूम का दरवाज़ा बंद करते समय मैं देखा भाभी के चेहरे अचम्भे के भाव थे. मैं बाथरूम के अंदर काफ़ी देर तक बंद रहा, सोचा कि भाभी ने सबको जाकर बता दिया होगा. बाहर निकला तो देखा कि भाभी मेरा पूरा कमरा ठीक करके गई हैं.
मैं नहा-धो के नीचे नाश्ते के लिए आया, वहाँ भैया और चाची नाश्ता कर रहे थे. मैं चुपचाप आकर बैठ गया.
तभी भाभी मेरा नाश्ता लेकर आई और खुद भी बैठकर नाश्ता करने लगी. मेरी हालत खराब थी कि कहीं मेरी हरकत के बारे में बता ना दिया हो. भाभी कुछ देर बाद बोली- सासू माँ, मैं सोच रही थी कि अपना राजू कितना सयाना हो गया है. हमारी शादी के वक़्त तो बस बच्चा ही था. ऐसा कहते हुए भाभी ने मेरे गाल खींचे.
मुझे महसूस हो गया कि भाभी कुछ देर पहली हुई घटना के बारे में किसी को नहीं बताया.
‘हाँ बहू, बड़ा हो गया राजू.’ चाची बोली.
उसके बाद मैं कॉलेज चला गया. मेरा यही रवैया हो गया था. सुबह कॉलेज जाना. शाम को कॉलेज से आकर खाना खाना और रोज़ रात को भैया-भाभी की चुदाई देखना!
कुछ दिन बाद शनिवार था. भैया काम से बाहर गये थे, कॉलेज बंद था. मैं घर के बगीचे में पौधों को पानी दे रहा था. तभी चाची बोली- ‘बेटा राजेश, ज़रा ऊपर जाकर सुमन को बुला दे! मैं ऊपर की ओर बढ़ा और भाभी के कमरे तक पहुँचा. मैंने दरवाज़ा खटखटने की सोची लेकिन कुत्ते की पूंछ कभी सीधी हुई है? मैं हर बार की तरह चाभी वाले छेद से अंदर झाँकने के लिए झुका. नज़ारा देख कर मेरी आँखें फटी रह गई और मेरा लंड फनफना कर खड़ा हो गया. सामने भाभी केवल गुलाबी रंग की ब्रा और चड्डी में खड़ी खुद को शीशे में निहार रही थी.
मैं अपना लंड निकल कर धीरे-धीरे हिलाने लगा. भाभी के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी. वो अपने बदन को घूम-घूम कर आईने में देख रही थी. फिर वो अपने बदन के अंगों को हाथों से सहलाने लगी. गर्दन और चूचियों को सहलाते हुए वो अपने खूबसूरत पेट और नाभि पर हाथ फेरते हुए बोली- बहुत जल्द…
उसके बाद भाभी ने अपनी ब्रा और चड्डी उतार दी और चूतड़ मटकाते हुए बाथरूम में नहाने चली गई. मैं अपना लंड हिला रहा था. तभी मैंने देखा कि भाभी कमरा अंदर से बंद करना भूल गई थी. मैं चुपचाप, बिना आवाज़ किए उनके कमरे में घुस गया. भाभी की ब्रा और चड्डी अभी भी ज़मीन पर पड़ी थी. मैंने उनकी चड्डी ज़मीन से उठाई और उसे सूंघने लगा. क्या मादक खुश्बू आ रही थी उनकी चड्डी से… ऐसी खुशबू सिर्फ़ एक चुदासी औरत की चूत से ही आ सकती थी. मैं चड्डी सूंघते हुए अपना लंड बुरी तरह से हिला रहा था.
फिर मैंने उनकी चड्डी को अपने लंड पर लगाकर आँखें बंद कर ली. भाभी की चड्डी गीली थी. मैंने अपना लंड चड्डी के उसी जगह पर लगाया था जहाँ भाभी की चूत थी. मेरा लंड का टोपा गीला हो चुका था. उस गीलेपन ने भाभी की चड्डी भी गीली कर दी. कुछ देर और हिलाने के बाद मैं छुटने वाला था. मैंने भाभी की चड्डी को एक बार अपने लंड से रगड़कर अलग किया और छुटने को तैयार था.
मैंने अपनी आँखें खोली तो देखा भाभी बाथरूम के दरवाज़े पर खड़ी थी. उन्होंने सिर्फ़ एक तौलिया अपने नंगे बदन पर लपेटा हुआ था. वो मेरी तरफ देख रही थी और उनका मुंह हैरानी से खुला था. मेरा हाथ अपने लंड से छूट गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, मेरा मुठ मेरे लंड से बाहर निकल कर फर्श पर गिर रहा था.
भाभी की नज़र मेरे मुठ गिरते लंड पर पड़ी. जब मेरा लंड शांत हुआ, मैंने अपना पजामा उठाया और वहाँ से निकालने की सोची.
‘रुक!’ भाभी की गरजती हुई आवाज़ ने मुझे रोका- बेशरम! तू यह सब सोचता है अपनी भाभी के बारे में? भाभी मेरे पास आई और फर्श पर से अपनी गीली चड्डी उठाई. उन्होंने उसे सूँघा और फिर मेरे गाल पर ज़ोर का थप्पड़ मारा- बदतमीज़… बहुत ठरक चढ़ी है ना तुझे… बता कब से चल रहा है ये सब… बता वरना सासू माँ को सब बोलती हूँ! ‘नहीं नहीं भाभी… प्लीज़… किसी को मत बोलना… मैं बताता हूँ.’
मैंने भाभी को सब बताया. सब सुनने के बाद भाभी गुस्से में थी- तू रुक… आज शाम को तेरे भैया को सब बताऊंगी… कि उनका चचेरा भाई उनकी बीवी के बारे में कितने गंदे ख्याल रखता है. ‘नहीं भाभी… प्लीज़.. भैया मुझे जान से मार डालेंगे.’ ‘बिल्कुल… तेरे जैसे बेशर्मों की यही सज़ा होनी चाहिए!’ ‘नहीं भाभी प्लीज़… आप जो कहोगी मैं वो करूँगा… आप जो सज़ा देना चाहो दे दो.’
‘अच्छा… अभी सासू माँ खाना बनाने के लिए बुला रही हैं… खाना खाने के बाद इसी कमरे में आ… तेरी सज़ा तभी मिलेगी तुझे.’
भाभी नीचे खाना बनाने चली गई. उन्होंने काली साड़ी पहन रखी थी. भाभी मेरे लिए खाना लेकर आई. हम तीनों खाना खा रहे थे. सबसे पहले चाची ने खाना ख़त्म किया और वो उठकर अपनी थाली रखने चली गईं. टेबल पर सिर्फ़ मैं और भाभी थे. भाभी बोली- खाना ख़ाकर चुपचाप मेरे कमरे में चले जाना! मैं जवाब देने में असमर्थ था, मैंने सिर्फ़ हाँ में सिर हिलाया.
फिर चाची की आवाज़ आई- सुमन, बेटा मैं सोने जा रही हूँ. तू भी टेबल समेट कर आराम कर ले. राजेश, तुझे तो पढ़ाई करनी होगी. और फिर चाची कमरे में जाकर सो गई. मैंने खाना ख़त्म किया और भाभी के आदेशानुसार उनके कमरे में जाकर इंतज़ार करने लगा.
कुछ देर बाद भाभी आई- हाँ… तो देवर जी… बताइए आपकी क्या सज़ा होनी चाहिए? ‘कुछ भी भाभी… बस प्लीज़ भैया को मत बताना.’ ‘ठीक है… तो..’ भाभी मेरे पास आई और मेरे पजामे का नाड़ा खोल दिया- उतारो इसे और अपना लंड खड़ा करो मेरे सामने… बहुत मजा आता है तुझे दूसरों को नंगा देखने में… अब बता कैसा लग रहा है तुझे?
साड़ी में से उनका नंगा पेट और प्यारी सी नाभि देखकर तो मेरा लंड तो पहले ही खड़ा था. मैं बस हिलाकर उसे थोड़ा आराम दे रहा था. ‘रुक… हिलाना बंद कर… अब खड़े लंड के साथ सॉरी बोलते हुए कान पकड़कर 30 बार उठक-बैठक कर!’
मेरा लंड भाभी के सामने तन कर खड़ा था और मैंने अपना लंड छोड़ कर कान पकड़कर उठक-बैठक करनी शुरू कर दी. मेरी नज़र भाभी पर ही थी. लेकिन भाभी सिर्फ़ मेरे झूलते हुए खड़े लंड को ही देख रही थी.
भाभी ने मेरे लंड को देखते हुए अपनी जीभ बाहर निकली और उससे अपने होठों को चाटा. मैंने उठक-बैठक ख़त्म की तो मेरा लंड बहुत दर्द कर रहा था. मैंने उसे हिलाने के लिए भाभी से अनुमति माँगी. भाभी ने अपनी आँखें झपकाकर हाँ का इशारा किया. मैं तुरंत अपना लंड धीरे-धीरे हिलाकर उसे आराम देने लगा.
कुछ देर बाद भाभी बोली- रुक…! मुझे लगा कि फिर से सज़ा मिलेगी लेकिन भाभी मेरे पास आई और मेरे लंड पर अपना थूक थूका और बोली- ले, इसे अपने पूरे लंड पर मल और फिर हिला!
मैंने वैसा ही किया और मुझे और आनन्द मिला. मैं आँखें बंद करके अपना लंड हिलाए जा रहा था. तभी मुझे अपने लंड पर कुछ गीला गर्म सा महसूस हुआ. मैंने नीचे सिर झुकाया तो पाया कि भाभी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी. मैंने अपना हाथ लंड से हटाया और भाभी ने मेरे लंड के पूरे आठ इंच अपना मुँह में ले लिया. भाभी अपनी जीभ से मेरा पूरा लंड चाट रही थी, उनकी आँखें बंद थी और चाटते हुए उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह से निकाला और मेरे लंड के मूतने वाले छेद को जीभ से चाटने लगी.
मैं भाभी के बालों को सहलाते हुए बोल पड़ा- सुम्मी… चूसो इसे… चूस एक ढाई रुपये वाली रंडी के जैसे… मुझे मालूम है कि तू कैसी लालची निगाहों से इसे देखती है… चूस इसे… और प्यास बुझा ले अपनी…
भाभी यह सुनकर मेरा लंड ज़ोर से चूसने लगी और हल्के-हल्के मेरे टट्टों को सहलाने लगी. मुझसे रहा नहीं गया. मैंने भाभी का चेहरा दोनों हाथों से पकड़ा और कसके अपना लंड उनके मुँह से अंदर-बाहर करने लगा. कुछ ही देर में भाभी मेरी गांड पर चपत लगाने लगी और चिकोटी काटने लगी. मुझे दर्द हुआ तो मैंने उन्हे छोड़ दिया.
भाभी कुछ देर खाँसी और फिर बोली- तू और तेरा भाई… दोनों एक नंबर के भड़वे… साले मेरे से अपना लंड मजे से चुसवाएँगे… लेकिन दोनों में से कोई भी मेरी बुर नहीं चाटेगा… चल इधर आ… और चाट इसे!
भाभी बिस्तर पर बैठ गई, मैं ज़मीन पर अपने घुटनों पर बैठ गया, मैंने उनकी साड़ी का पल्लू हटाया और उनका खूबसूरत पेट और नाभि नज़र आई. मुझसे रहा नहीं गया मैंने उनकी नाभि चूम ली और पेट को अपने चेहरे से लगा लिया. भाभी ने मेरे बाल खीचें और बोली- साले… चूत चाटने को बोला था… मेरा पेट क्यों चूम रहा है? ‘भाभी, प्लीज़… आप नहीं जानती हो कि आपके पेट और नाभि का मैं कितना दीवाना हूँ… दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ है ये… आपका गुलाम बनके रहूँगा हमेशा, बस मुझे इसे प्यार करने दो!’
भाभी ने मुझे अपने पेट और नाभि को खूब प्यार करने दिया. ‘चल… अब देर मत कर… मेरी चूत बहुत प्यासी है!’ मैंने भाभी की साड़ी उठाई और उनकी खूबसूरत जांघें चूम ली. जांघें चूमते हुए मैंने उनकी चड्डी उतार दी. फिर उनकी चूत के पास जाकर एक गहरी साँस अंदर ली. वो भाभी के बदन की असली खुशबू थी. उस खुशबू से मैं पागल हो गया और भाभी की चूत को मैंने चूम लिया.
भाभी के मुँह से ‘आह!’ निकल पड़ी. मैंने सिर उठाकर ऊपर देखा तो भाभी के आँखें बंद थी और चहेरे पर कामुकता के खूबसूरत भाव थे. भाभी की चुदाई की यह हिंदी कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
भाभी बोली- राजू, फिर से कर… बहुत तड़पाती है ये कमीनी!’ मैंने भाभी को थोड़ा परेशान करने की सोची. मैंने चूत के पास अपना मुँह लगाया और दोनों जांघों को पास लाकर अपने गालों से चिपका लिया. फिर चूत के इर्द-गिर्द ही अपनी जीभ से भाभी की चूत छेड़नी शुरू की.
मैंने ठान ली कि जब तक भाभी खुद तड़प कर मुझसे चूत चाटने को ना बोले, मैं उनकी चूत नहीं चाटूंगा और मैंने वैसा ही किया.
चूत के इर्द-गिर्द ही जीभ घुमा रहा था और इसके साथ ही मेरी खुरदरी दाढ़ी भाभी की जांघों को सता रही थी. भाभी बार बार सोच रही थी कि मैं चूत अब चाटूँगा लेकिन मैं ऐसा नहीं कर रहा था. तंग आकर भाभी ने अपना हाथ मेरे सिर पर लगाकर मुझसे अपनी चूत चटवाने की कोशिश की लेकिन मैंने फिर भी उनकी चूत नहीं चाटी.
आख़िर में भाभी के सब्र का बाँध टूट गया और वो बोली- भड़वे साले… चाट ले ना अब मेरी चूत को! और फिर मैंने भाभी की चूत पर अपनी जीभ चलानी शुरू कर दी. मैं एक हाथ से उनके पेट को हल्के हल्के दबा रहा था और साथ ही चूत चाटे जा रहा था. भाभी के मुँह से कामुक आवाज़ें आने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाँ राजू, चाट ले इसे… शांत कर दे साली को… बहुत तंग करती है ये तेरी भाभी को… बदला ले अपनी भाभी का इससे! और मैं और तेज़ी से भाभी की चूत चाटने लगा.
भाभी आगे से अपनी उंगली लाकर अपनी चूत का दाना रगड़ने लगी, वो ज़ोर से हाँफ रही थी. मैं भाभी के दाने से उनकी उंगली हटाई और अपनी उंगली से उनका दाना रगड़ने लगा.
‘हाँ… हाँ… बस राजू वहीं पे… हाँ वही पे… बहुत मजा आ रहा है राजू… तू.. तू पागल कर देगा मुझे… हाँ राजू.. बस चाट मुझे!’ और फिर मैंने भाभी को पूरी ताक़त से चाटना शुरू कर दिया. मुझे लगा कि जैसे मेरी ज़िंदगी का मक़सद ही सुमन भाभी को कामुक सुख देना हो!
‘रा… रा.. राजू… मैं… मैं छूट रही हूँ… मैं छूट रही हूँ… आआआहह!’ भाभी ने अपनी जांघों से मेरा सिर पकड़ कर छूटने लगी. उनकी चूत से गाढ़े पानी मेरे मुँह में आने लगा. मुझे लगा कि वो मूत रही हैं लेकिन वो मूत नहीं रही थी, वो उनकी चूत का पानी था. भाभी ने सारा पानी मेरे मुँह पर छोड़ा और फिर शांत हो गई.
मैंने उनका पानी चखा. नमकीन लेकिन स्वादिष्ट था. मैंने सिर उठा के देखा तो पाया भाभी गहरी साँसें ले रही थी और चेहरे पर एक तृप्त औरत की हल्की सी मुस्कान थी. मैं भाभी के ऊपर आ गया और ब्लाउज खोल कर उनकी चूचियाँ आज़ाद कर दी और निप्पल चूसने लगा, फिर भाभी का चेहरा प्यार से पकड़ कर उनको चूमने लगा.
भाभी भी मेरे चुम्मों का जवाब देने लगी. हम दोनों कई मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे. मैंने उनकी आँखें भी चूमी. मेरा लंड और भाभी की चूत भी एक दूसरे को चूम रहे थे.
मैं भाभी के कान में बोला- भाभी… क्या मैं? भाभी ने मुझे गले से लगाया और बोली- हाँ राजू… डाल दे!
मैंने झट से अपना लंड भाभी की चूत में डाला. भाभी की चूत इतनी गीली थी कि फ़ौरन मेरा लंड जड़ तक भाभी की चूत में घुस गया. मैं भाभी की चूत में अपने लंड से खुदाई करने लगा. भाभी की चूत मेरे लंड को लील रही थी. मैं अपने लंड की मालिश भाभी की चूत से कर रहा था और भाभी के नर्म रसीले होंठ चूम रहा था.
जल्द ही मैं भी छूटने वाला था. भाभी मुझसे प्यार से चुदवा रही थी, उनके दोनों हाथ मेरे चूतड़ पर थे. मैं सोच रहा था कि अपना माल कहाँ निकालूँ? अचानक मुझे याद आया की उस रात भैया भाभी को बच्चा देने वाले थे. यह ख्याल आते ही मुझसे रहा नहीं गया और मैं भाभी की चूत के अंदर ही छूट गया. छूटते समय मैंने भाभी को फिर चूम लिया.
जब मैं पूरी तरह से छूट गया तो भाभी के ऊपर से उतरकर उनके बगल में लेट गया और प्यार से उनका पेट सहलाने लगा, ये सोचकर कि शायद मेरा बच्चा अब इस पेट में पल रहा है. मैंने भाभी को लेट कर अपनी बाहों में लिया, उन्होंने भी मुझे अपनी बाहों में लिया. हम दोनों ने एक दूसरे को चूमा और चिपक कर सो गये. [email protected]
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