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नमस्कार दोस्तो, पिछले भागों में आपने सैम, रेशमा का चले जाना, फिर सुधीर स्वाति का सच्चा प्रेम और बिस्तर तक की कहानी पढ़ी.. आगे की कड़ी लेकर मैं संदीप साहू आपकी सेवा में हाजिर हूँ.. इस कड़ी को आप ध्यान से पढ़ियेगा क्योंकि यह कड़ी आपको वापिस पिछली कहानी आधी हकीकत आधा फसाना में स्वाति और उसके जीजा के यौन सम्बन्धों की अधूरी कहानी को पूरा करेगी।
पापा के आने के पहले हमने उस दिन हमने चुदाई का तीसरा घमासान राऊंड पूरा किया, फिर सुधीर चला गया, हम मम्मी के मायके से लौटने तक रोज ये खेल खेला करते थे। जब मम्मी आ गई तब मैंने (स्वाति) खुद सुधीर को मामा के घर वापस जाने को कहा क्योंकि उसकी पढ़ाई प्रभावित हो रही थी, हम दोनों ने एक दूसरे से जीवन भर प्यार करने का वादा किया और बातें कम पढ़ाई ज्यादा का भी वादा लेते हुए आँखों में अश्रू धार लिये हुए विदा हो गये।
जब भी सुधीर छुट्टियों में घर आता, हम मौका देख कर चुदाई का खेल खेला करते थे.. कई बार तो हमें खुद को हस्तमैथुन के जरिये शांत करना पड़ता था।
ऐसे ही दिन बीते, हमारे पेपर अच्छे गये, हम अच्छे अंकों से पास हो गये.. मैंने और सुधीर ने एक ही कॉलेज में प्रवेश लिया और हम समय और जगह देख कर चुदाई कर लेते थे.. पर अति कभी नहीं की.. हम एक दूसरे को समझने लगे और पहले से ज्यादा चाहने लगे।
इस बीच हमारे घर में दीदी की शादी की बातें होने लगी थी, दीदी की शादी की चिंता में सभी परेशान भी थे.. फिर अचानक खबर आई की दीदी की शादी तय हो गई हम सभी बहुत खुश हो गये.. शादी भी बड़े धूमधाम से हुई… मैं शादी के रश्मों में दीदी के ससुराल नहीं गई थी.. इसलिए जब कुछ महीनों बाद मुझे छुट्टी मिली तब मैं दीदी के पास मिलने चली गई।
दीदी की ससुराल में मैंने जैसे ही कदम रखा, मेरे तो हाथ पांव फूल गये.. सबने हंसी खुशी मेरा स्वागत किया, पर स्वागत करने वालों में एक ऐसा शख्स भी था जिसे मैं बहुत अच्छे से जानती थी.. मैं सबको नजर अंदाज करते हुए दीदी (किमी) के पास गई और धीरे से इशारा करते हुए दीदी से उस आदमी के बारे में पूछा- ये तुम्हारा क्या लगता है?
किमी ने कहा- ये मेरे जेठ जी हैं। यह सुन कर मैं तो सन्न रह गई.. पर दीदी को कुछ नहीं बताया.. और बताती भी क्या कि यही वह आटो चालक है जो मुझे छेड़ता था या जिसकी हम लोगों ने पिटाई और शिकायत की थी। वो भी मुझे पहचान चुका था.. उसकी कमीनी हंसी साफ बता रही थी कि उसने यह शादी जानबूझ कर कराई है।
दीदी को सब बताऊँ या नहीं… इसी सोच में दूबे हुए एक दिन गुजर गया.. मैं अपना मन बहलाने अपने बायफ्रेंड से बात करने छत पर गई थी कि तभी मौका पाकर उसका जेठ वो आटो चालक मेरे सामने आकर बोला- देख स्वाति, अब तू मेरे जाल में फंस चुकी है.. यह शादी मैंने तुझसे ही बदला लेने के लिए अपने भाई से करवाई है, वो पहले से शादीशुदा है, पर तेरी दीदी नहीं जानती.. तू शांति से हमारी बात मान तो तेरी दीदी यहाँ खुशी खुशी रहेगी.. ऐसे भी तूने मेरी जिन्दगी खराब कर दी, तेरी शिकायत की वजह से मुझे गांव आकर खेती बाड़ी करनी पड़ रही है.. इस बार अगर तुमने कुछ किया तो मैं तुम्हें और तुम्हारे खानदान को बरबाद कर दूँगा..
मैं उसकी बातें सुनकर सहम गई.. मैं शांत रही और वो चला गया। मैं बहुत घबराई सी और परेशान रहने लगी.. मेरे मन में अपराध भाव था कि मेरी वजह से मेरी दीदी की जिंदगी दांव पर लग गई है। अगले दिन उसने फिर मौका देख कर मुझे कहा- आज रात तुम दरवाजा खुला रखना, हम आयेंगे.. मैं उसकी बातों का पूरा मतलब समझ रही थी.. मैंने हिम्मत दिखाने की कोशिश की, मैंने कहा- मैं तुम्हारी कोई भी बात नहीं मानूँगी, जाओ जो करना है कर लो.. और अगर ज्यादा तंग करोगे तो मैं घर में सभी को तुम्हारी हकीकत बता दूँगी..
वो हंसने लगा.. उसकी हंसी मुझे सुई की तरह चुभ रही थी.. उसने अपनी बीवी को आवाज दी, वो आ गई। उसने कहा- इसे बताओगी? लो बताओ.. मैं समझ गई कि ये भी मिली हुई है।
दीदी अपने कमरे में सो रही थी, मैं डर रही थी कि वो मत उठे क्योंकि वो इन बातों को जानकर सह नहीं पाती! उसने फिर कहा- सुधीर जरा आना तो.. मैं चौंक पड़ी- सुधीर यहाँ कैसे?
तभी वो कमीना जीजा आया, उसका भी नाम सुधीर था और मेरे प्यार का नाम भी सुधीर था.. मैं सोच रही थी कि एक ही नाम के दो लोगों के विचार इतने अलग कैसे हो सकते हैं.. वो भी उनसे मिला हुआ था, और वो सब हाथ में पेट्रोल और माचिस ले आये, और कहा- तुमने अगर हमारी बात नहीं मानी तो तुम्हारी दीदी जली हुई लाश की तुम खुद ही जिम्मेदार होगी।
अब मैं ठंडी पड़ गई.. मैंने गिड़गड़ाते हुए कहा- आप लोग जो कहोगे, मैं वो करूंगी बस मेरी दीदी को कुछ मत करो.. उसे ऐसे ही धोखे में खुश रहने दो। वो रात को आने को बोल कर चले गये।
मैं अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ कर जिल्लत सहने तैयार बैठी थी, मन में आया कि अपने सुधीर को ये सब बता दूँ, या पापा को ही बता दूं.. पर मैंने सोचा एक बार जो हिम्मत दिखाई थी उसका यह परिणाम आया है, अबकी बार और कुछ हो गया तो फिर कुछ नहीं बचेगा और मैंने सारी गलतियों का दोषी खुद को समझा और अपने साथ हो रहे इस व्यवहार को उसका प्रायश्चित!
मैं सलवार सूट पहने अपने बिस्तर में उन पिशाचों का इंतजार करने लगी। मैं रो रही थी, सुबक रही थी, सोच-सोच कर परेशान थी कि मैं यह क्या करने को राजी हुई हूँ। तभी मन में बात आई कि जब मैं दो लोगों से चुद ही चुकी हूँ तो दो और लोगों से चुदने में क्या हर्ज है.. और मुझे यह भी लग रहा था की इस रात और मेरे इस समर्पण के बाद सब कुछ ठीक हो जायेगा।
तभी दरवाजा खुला और वो तीनों अंदर आये.. मैं सहमी सी थी उन्हें देख कर और जोरों से रो पड़ी.. तभी किमी की जेठानी मेरे पास आई और मुझे बिस्तर से उतार कर खड़ी करके बहुत जल्दी मेरी सलवार का नाड़ा खोला, सलवार नीचे गिरी ही थी कि किमी के जेठ ने मेरी पेंटी सरकाई और दो ऊंगली मेरी योनि में डाल दी और कहने लगा- इसी पर घमंड था ना.. तुझे.. आज बताता हूँ.. इसे कैसे फाड़ते हैं.. मैं तो डर ही गई.. मैं खुद को अपनी ही बाहों में समेटने की कोशिश करने लगी.. लेकिन मुझे मालूम था कि मैंने खुद यह अंजाम चुना है, मेरे साथ कोई जबरदस्ती नहीं हो रही है।
तभी जीजा ने मेरी ब्रा खींच दी.. अब मैं पूरी नंगी उनके सामने थी, उन्होंने मुझे पटक दिया और जीजा ने मेरी योनि में अपना लिंग डाल दिया ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मैं तो बेजान सी थी, मानसिक तनाव के कारण बहुत दर्द भी हो रहा था पर चीख नहीं सकी क्योंकि मेरे मुंह में किमी के जेठ ने अपना लिंग घुसा दिया था। उसकी जेठानी मेरे मम्मों को आटा गूंथने जैसे मसल रही थी।
अब मेरी योनि चुदाई का कुछ आनन्द उठाने लगी थी.. और मैंने उसके जेठ का लिंग अच्छे से चूसना शुरू किया ताकि सब कुछ जल्दी से निपट जाए। वह भी मेरे मुंह में ही झड़ गया और लिंग बाहर निकाल लिया। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
लेकिन तभी किमी की जेठानी ने मेरे चूतड़ों के छेद में दो उंगलियाँ घुसा दी, मैं तड़प गई और जोर से चीख पड़ी।
उतने में ही किमी वहाँ आ गई.. उसके जेठ जेठानी दोनों छुप गये.. और किमी ने मुझे और जीजा को चुदाई करते देख लिया। मैं एक पल को खुश भी थी कि किमी ने देख लिया तो अब मैं वहशीयत से बच जाऊँगी.. और किमी को सब बता दूँगी पर किमी ने इसका मौका नहीं दिया।
वहाँ से आकर मैंने सुधीर को सब बताया तो सुधीर ने मेरी स्थिति परिस्थिति को समझा और मेरी ओर से किमी को समझाने वाला था पर उससे पहले ही किमी ने आत्महत्या का प्रयास कर डाला।
जब किमी थोड़ी ठीक हालत में थी तब वो अपने पति के नाम से भी नफरत करने लगी थी.. और वही नाम तो मेरे बायफ्रेंड का भी है इसलिए मैंने सुधीर को दीदी से नहीं मिलवाया कि कहीं इससे मिलकर उसे अपने पति की याद ना आ जाये और सदमा ना पहुंचे।
किमी पूरी बात भी नहीं जानती और मुझे गलत समझती है, अब तुम ही बताओ संदीप मैं क्या करूँ?
मैंने गहरी सांस ली.. हालांकि मेरे लिंग ने इस कहानी में बिना छुये ही दो बार आँसू बहाये हैं, फिर भी अभी मुझे स्वाति और किमी के बीच दूरियाँ मिटाने के लिए कुछ करना था.. मैं यही सोचता रहा कि मैं क्या करूं.. तभी किमी आफिस से घर आ गई उसकी आहट पाते ही स्वाति संभल कर बैठ गई, हम ऐसे बातें करने लगे जैसे कुछ हुआ ही ना हो। किमी भी अपने कमरे में चली गई।
शाम की चाय हुई, रात का खाना हुआ और आज रात हम सब जल्दी सो गये। पर आधी रात को किमी ने रोते हुए मुझे और स्वाति को उठाया और स्वाति के उठते ही उसे गले से लगा लिया और कहा- स्वाति, मुझे माफ कर दो, मैंने तुम्हें बहुत गलत समझा..
मैं हतप्रभ था कि यह किमी को क्या हो गया है? स्वाति भी स्तब्ध थी.. तभी किमी ने कहा- जब मैं आफिस के लिए निकली, तब मुझे तुम दोनों पर शक हुआ इसीलिए मैं अपनी सहेली का कैम रिकार्डर मांग के लाई थी और अपने कमरे से हाल कवर हो, ऐसा फिट करके चले गई थी.. संदीप सॉरी तुम भी इमानदार हो, मैंने तुम पर भी शक किया.. क्योंकि मैं पहले भी इन चीजों से गुजर चुकी हूँ इसलिए मुझे ऐसा करना पड़ा। अब मैं रिकार्डिंग में सारी बातें देख चुकी हूँ, अब मेरे मन में कोई सवाल, कोई तर्क, कोई रंज नहीं है।
मैंने कोई बात नहीं कहते हुए बात को खत्म किया, अब सब कुछ खुद ही ठीक हो गया था, तो इससे अच्छा और क्या होता! चूंकि किमी खुद भी बेहद खूबसूरत हो चुकी थी और मेरा दिल भी किमी के साथ लग चुका था इसलिए मैंने हमेशा इमानदारी बरती.. अब मैं और किमी स्वाति के घर में होते हुए भी एक रूम में सोते और सैक्स करते हैं, स्वाति भी अब कभी भी अपने बायफ्रेंड को बुला कर अपने रुम में चली जाती है। किमी ने स्वाति और सुधीर की पढ़ाई के बाद शादी करवाने का वादा कर दिया है.. मुझे भी अच्छी लड़की देख कर शादी कर लेने को कहा है.. और खुद आजीवन अविवाहित रहने का फैसला किया है।
पर हमारे आज के सम्बन्धों के लिए किमी ने कहा है कि मैं जब तक चाहूँ ऐसा ही सम्बन्ध बनाये रख सकता हूँ, किमी मेरे लिए पूर्ण रुप से समर्पित है।
यह कहानी यहीं समाप्त होती है। पर मेरी शादी किससे हुई, शादी के बाद किमी का मेरी जिन्दगी में क्या अहमियत रही..स्वाति और सुधीर की शादी का क्या हुआ.. किमी उनके साथ कैसे रही.. ये सारी बातें मेरी अगली कहानी में पढ़ने को मिलेगी.. तब तक के लिए नमस्कार!
मेरी कहानी पर आप अपने विचार मुझे निम्न इमेल पर दे सकते हैं। [email protected]
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