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हसीन भाभी के साथ सुहाना सफ़र और चोदा चोदी-1
अब तक आपने सुहाना भाभी संग चोदा चोदी की कहानी में पढ़ा कि सुहाना भाभी मेरे ऑफिस में मेरे साथ थीं और अब मैं उनको चोदने की तैयारी में था।
अब आगे..
मैंने कहा- भाभी, आपके ये जो गुलाबी होंठ हैं ना, वो इतने रसीले लग रहे हैं कि मैं अपने आपको रोक नहीं पा रहा हूँ। यह कहते हुए मैंने अपने होंठ धीरे से उनके होंठों पर रख दिए और प्यार से चूमने लगा।
वो थोड़ी मुस्कुरा दीं और मेरे साथ अपने होंठों को मिलाने लगीं। फिर क्या था.. अपनी गाड़ी तो फिर से सुहाने सफ़र पर निकल पड़ी।
मैंने भाभी को कुर्सी से खड़ा करके सोफे पर लिटा दिया, फिर उनके ऊपर आकर उनको बेतहाशा चूमने लगा, भाभी के होंठों को.. फिर गर्दन को मैं चूमता चला गया और वो गर्म होती गईं।
भाभी के भी दोनों हाथ मेरे सर पर घूम रहे थे। मैंने भाभी के टॉप के अन्दर हाथ डाल कर उनके मम्मों को दबाने लगा। क्या मस्त टाईट चूचे थे..
भाभी थोड़ी ही देर में मादक सिसकारियां लेने लगीं ‘उफफ्फ़.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… उफफ्फ़…. आअह..’
मैंने उनका टॉप उतार फेंका, फिर उनकी लैगीज के अन्दर हाथ डाला तो उनकी चूत भीग चुकी थी। फिर मैंने वो भीगी चूत में अपनी दो उंगलियां डाल दीं। भाभी एकदम से सिहर उठीं.. और ‘आहहह..’ करने लगीं।
अब भाभी ने भी मेरी कमीज के बटन खोल दिए और मेरी छाती को जंगली बिल्ली की तरह से चूमने लगी.. और कुछ ही पलों में उन्होंने मेरी कमीज उतार फेंकी।
मैंने भी भाभी की लैगीज उतार दी, अन्दर भाभी ने पिंक कलर की पेंटी पहनी हुई थी। ऊपर मम्मों को दबोचे एक छोटी सी ब्लैक कलर की ब्रा क्या गजब लग रही थी।
हम दोनों एक-दूजे में खोए जा रहे थे। तभी भाभी ने मेरे पैंट को खोल कर निकाल दिया.. जिससे मेरा लौड़ा पैंट के पिंजरे में से आजाद हो गया, लेकिन अभी अंडरवियर बचा था।
मेरा लौड़ा अंडरवियर में एकदम टाइट हो चुका था और इतना मस्त फूला हुआ दिख रहा था कि किसी भी लड़की को दीवाना कर दे।
मैंने भाभी की ब्रा को उतार दिया और भाभी के मम्मों को आज़ाद कर दिया। मैं दोनों निप्पलों को बारी-बारी से चूसने लगा तो भाभी के मुँह से मादक सीत्कारें निकलने लगीं ‘आह्ह.. उफ्फ़.. ओह..’ भाभी चोदा चोदी करने के लिये एकदम तैयार लग रही थी, उनकी आवाजों से लंड को और मजा आने लगा।
मेरी एक फितरत है कि मुझे अपने लंड से चुदने वाली को परेशान करना बहुत पसंद है। लेकिन आज मैं इस परी को परेशान नहीं करना चाहता था, मैं तो उसे बस प्यार ही करना चाहता था।
मैंने भाभी की पेंटी उतार दी, अह.. क्या मस्त नजारा था.. मैं तो उनकी मासूम रोती हुई चूत को देख कर पागल सा हो गया क्यूंकि उनकी गुलाबी पेंटी की अन्दर और एक गुलाब का फूल जैसा छेद था, उनकी चूत के होंठ एकदम मासूम से पिंकी से थे और उनमें से रस निकल रहा था।
मैं भाभी की चूत पर अपने मुँह में लगा कर चूसने लगा.. तो भाभी बिल्कुल ही पागल हो गईं।
वो मुझे चूत चूसने के लिए मना करने लगीं कि मत चूसो.. ये गंदी जगह होती है.. उसे छोड़ दो, लेकिन मैं लगा रहा। थोड़ी ही देर मैं भाभी चूत ने फैला दी और चुसाई का मज़ा लेने लगीं।
भाभी अपने मुँह से ‘आआहह.. उफ्फ़..’ करने लगीं।
उनकी चुदास बढ़ गई थी और उन्होंने अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और मसलने लगीं, जिससे मेरी भी हालत खराब होने लगी।
मैंने खड़े हो कर मेरा लौड़ा उनके मुँह पर रख दिया, तब मुझे पता चला कि भाभी ने अब तक कभी भी किसी का लौड़ा मुँह में नहीं लिया था।
वो मना करने लगीं, लेकिन थोड़ा कहने पर भाभी ने लंड को मुँह में ले लिया। लेकिन उन्हें लंड पसंद नहीं आया।
तब मैंने एक तरकीब सोची, मैं अपनी टेबल की दराज में अक्सर चॉकलेट रखता हूँ.. तो मैंने डेरी मिल्क निकाल कर अपने लंड पर लगा दी।
अब मैंने भाभी को बोला- भाभी ये एक आइसक्रीम है.. ऐसा सोच कर इसे चूसो।
भाभी ये देख कर मुस्कुराने लगीं उन्हें डेरी मिल्क बहुत पसंद थी इस बात को उन्होंने मुझे बाद में बताया था।
वे झट से लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.. उनको लंड का स्वाद अच्छा लगने लगा। फिर भाभी पूरी तरह से लंड में लगी चॉकलेट को चाट गईं।
उन्होंने चॉकलेट चाटी थी और मुझे लगा कि मैं लंड चुसवा रहा हूँ और ये सोच कर मैं पूरा लौड़ा भाभी के मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा।
मैंने फिर 69 में आने को बोला, तो वो झट से तैयार हो गईं।
मैंने एक चॉकलेट को और अपने लंड पर मली और 69 में होकर लेट गया। अब हम दोनों एक-दूसरे के आइटम चूसने में इतने खो गए थे.. कि समय का पता ही नहीं चल रहा था।
थोड़ी देर में मैं झड़ने को आया, मैंने बिना बताए भाभी के मुँह में अपने लंड का पूरा माल उतार दिया। वो चुदास की मस्ती में मेरे लंड की क्रीम को निगल गईं और अभी भी वो लंड को चूसे जा रही थीं।
इतने में वो भी झड़ गईं और भाभी की चूत से क्या लाजबाव अमृत निकला.. हय.. मैंने सब गटक लिया।
अब वो निढाल हो गईं, लेकिन उन्होंने मेरा लौड़ा मुँह में अब भी रखा हुआ था और धीरे-धीरे मेरे सुस्त हो चुके लंड को चूस रही थीं। उनकी मदमस्त चुसाई से मेरा लौड़ा फिर से टाइट होने लगा।
कुछ ही पलों बाद मैंने भाभी को गोद में उठाया और ऑफिस की बड़ी सी टेबल पर लेटा दिया। मैं भाभी को फिर से गर्म करने लगा, मेरी दो उंगलियां उनकी चूत में अन्दर-बाहर होने लगीं।
वो थोड़ी देर में गर्म हो गईं.. मैंने अपना लौड़ा भाभी की चूत के छेद पर लगाया और अन्दर धकेलने लगा।
भाभी की चूत में जैसे ही लंड के आगे का हिस्सा अन्दर गया.. भाभी चिल्ला उठीं और बोलीं- ऊ.. जय.. प्लीज इसे बाहर निकालो.. मुझे दर्द हो रहा है।
तब मुझे पता चला कि भाभी के पति का लंड छोटा और मरघिल्ला सा है.. जो उनकी चूत की आग को पूरी तरह से नहीं बुझा सकता है। मैंने लौड़ा वैसे ही रहने फंसा रहने दिया और भाभी के मम्मों से खेलने लगा।
साथ ही मैं धीरे भाभी के होंठ चूमने लगा। कुछ देर में ही भाभी फिर से गर्म होने लगीं और अपनी कमर हिलाने लगीं.. मैंने जोर से एक झटका मार के पूरा लौड़ा भाभी की चूत में जड़ तक पेल दिया।
भाभी फिर से एक बार चिल्लाने जा ही रही थीं कि इस बार मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ जमा दिए और मैं धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ ही धक्कों में भाभी शांत होने लगीं और उनके मुँह से चीख की जगह सिसकारियाँ निकलने लगीं। वो अब मदमस्त हो कर चुदवा रही थीं और आँखें बंद करके बोल रही थीं- अह.. मेरे राजा.. और चोद दो.. मजा आ गया.. उह.. जम कर चोद मेरे राजा इह्ह..
मैं उनके मम्मों को अपने हाथ में लेकर मसले जा रहा था।
उनकी बढ़ती चुदास का अहसास हुआ तो मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।
इस वक्त वो एकदम खुश लग रही थीं, जैसे उन्हें अपनी कोई खोई हुई चीज मिल गई हो। वो मुँह से आवाज निकल रही थीं- उफ्फ़.. आहह.. और तेज और तेज.. फक मी हार्ड माय लव.. यह हिंदी चोदा चोदी की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने भाभी के दोनों पैर एक साथ पकड़ उनके सिर की ओर कर दिए और फिर उनको उसी पोज़िशन में जम कर चोदने लगा। वो चुदाई की मस्ती में ग़ालियां देने लगीं.. लेकिन मुझे उनकी हर बात पसंद आ रही थी।
फिर भाभी की आवाजें तेज होने लगीं ‘आआह.. ओह्ह.. मर गई.. आअह..’ मुझे समझ आ गया कि वो झड़ने वाली हो चुकी थीं.. और वही हुआ वो इठते हुए झड़ गईं। उनकी चूत ने पानी छोड़ा तो मैं भी पिघल गया और मैं भी भाभी के साथ झड़ने वाला हो गया। भाभी की गीली चूत में मेरा लौड़ा सटासट अन्दर-बाहर आ रहा था, मैं मुँह से गुर्राहट निकालने लगा और झड़ने ही वाला था।
भाभी ने मेरी तरफ देखा तो मैंने इशारे से पूछा कि माल किधर निकालूँ? तो उन्होंने कहा- अन्दर ही माल निकाल दो।
अगले ही झटके में मैंने पूरा माल चूत के अन्दर ही छोड़ दिया। मेरा माल भाभी को गर्म-गर्म सा लगने लगा.. और उन्होंने अपनी आँखें बन्द कर लीं।
जब भाभी का माल और मेरा माल मिक्स हुआ, तब हम दोनों के चेहरों पर अपार संतुष्टि थी।
इस जोरदार चोदा चोदी के कुछ पल बाद मैंने जैसे ही अपना लौड़ा बाहर निकाला तो मेरा लौड़ा एकदम लाल हो गया था। लंड अभी भी टाइट था लंड को सुहाना भाभी ने देखा और झट से उठ कर चाटने लगीं।
भाभी बोलीं- मैंने कभी लौड़ा मुँह में नहीं लिया था.. लेकिन तुमने मुझे इतना दीवाना बना दिया है कि तुम्हारा लंड मुझे भा गया है।
भाभी ने मेरे लंड को चूस के साफ कर दिया। फिर हम दोनों ने दो बार फिर से चुदाई की और भाभी ने थक कर मेरे कंधे पर सर रख दिया।
हम दोनों लेट गए।
चुदाई के बाद हम दोनों मस्ती करते हुए बातें करने लगे, तब भाभी ने बताया कि वो डॉक्टर के पास गई ही नहीं थीं, वो तो ऑफिस के नीचे ही खड़ी हो कर मेरे पास आने के लिए सोच रही थीं।
मैंने उस छोटे से सुहाने सफ़र में भाभी को गर्म कर दिया था.. और चूंकि भाभी के पति उनको वो संतुष्टि नहीं दे सकते थे, जो अभी मैंने सुहाना को दी थी।
थोड़ी देर मैं भाभी अपने कपड़े पहनने के लिए खड़ी हुईं.. तब मैंने उनकी उठी हुई गांड को ललचाई निगाहों से घूर कर देखा तो सुहाना भाभी को समझ में आ गया कि मेरी क्या मंशा है। उन्होंने तुरन्त बोला- बहुत ही गंदे हो तुम.. यहाँ नजर मत लगाना, बहुत दर्द होता है।
लेकिन मैंने भाभी की गांड को सहलाते हुए उनको मना ही लिया ‘भाभी यहाँ और अधिक मज़ा आता है..’ लेकिन भाभी ने कहा- अभी नहीं.. फिर जब मैं दोबारा आऊँगी.. तब करेंगे और उस वक्त हम दोनों और भी ज़्यादा मस्ती करेंगे। मैंने पूछा- कब आओगी? भाभी- मैं जब भी आऊँगी तो तुमको कॉल जरूर करूँगी।
उसके बाद भाभी चली गईं और अपना नंबर दे गईं। जाते समय भाभी आँख मारते हुए बोलीं- ये सुहाना सफ़र याद रहेगा ना??
मैंने उनकी चुची दबाते हुए कहा- ये सुहाने सफ़र की मुझे दोबारा तलाश रहेगी जान..!
मुझे अभी भी भाभी के कॉल का इंतजार है।
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