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अब तक आपने स्वाति के यौन उत्पीड़न और जवानी की दहलीज पर कदम रखने के साथ साथ सैम से करीबी और व्यवहार में बदलाव की कहानी पढ़ी, अब आगे… छुट्टियों के दिन कब बीते पता ही नहीं चला। फिर स्कूल शुरू हो गये, मैं रेशमा और सैम पहले की ही तरह साथ स्कूल जाते थे, सैम स्कूटी चलाता था और कभी रेशमा बीच में बैठ जाती थी तो कभी मैं बीच में बैठ जाती थी।
एक दिन रास्ते के गड्ढे में गाड़ी उछली, उस दिन बीच में मैं बैठी थी गाड़ी के उछलते ही मैंने सैम को कस के पकड़ना चाहा और अपनी बाहें उसके कमर पे लपेट ली, तभी मेरे हाथों को कुछ उभार का अहसास हुआ मैंने जिज्ञासा वश उसे छुआ और दबा दिया। उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय राम… यह क्या कर दिया मैंने.. यह तो सैम का लिंग था!
हालांकि ये सब सिर्फ कुछ क्षणों में हुआ था लेकिन सैम मेरी इस हरकत से हड़बड़ा गया और गाड़ी अनियंत्रित हो गई, हम गिरे तो नहीं क्योंकि सैम ने गाड़ी संभाल ली पर गाड़ी रास्ते से उतर कर झुक गई और हमें उतरना पड़ा। मैंने कान पकड़ कर सॉरी कहा, सैम ने मुस्कुरा कर कहा- कोई बात नहीं!
पर अभी रेशमा को माजरा समझ नहीं आया था तो उसने कहा- भाई तुझे गाड़ी चलानी नहीं आती क्या? आज तो मार ही डाला था तूने हम दोनों को! और तू रे स्वाति… भाई की गलती पे तू क्यों सॉरी बोल रही है? तो मैं मुस्कुरा दी और सैम ने कहा- तू चुप कर चल, बैठ गाड़ी पे, स्कूल के लिए देर हो रही है।
हम स्कूल पहुंच गये, वहां मौका मिलते ही रेशमा ने मुझे अकेले में फिर पूछा कि उस समय तू क्यों सॉरी बोल रही थी, तो मैंने उसे सारी बात बता दी। अब रेशमा मुझे छेड़ने लगी ‘आय हाय… तू तो बड़ी लक्की है रे, तुझे तो बैठे बिठाये लिंग मिल गया।’ मैंने भी आंखें तरेर के जवाब दिया कि मैं नहीं पकड़ने गयी थी तेरे भाई का बंबू, वो तो सिर्फ एक एक्सीडेंट था, और मुझे क्या मालूम था कि तेरा भाई अपना लिंग खड़ा करके गाड़ी चलाता है।
तो रेशमा ने फिर कहा ‘चल एक्सीडेंट ही सही, बता तो सही कि कितना बड़ा था कैसा लगा?’ मैं मुस्कुरा उठी, मेरी योनि भी चिपचिपा गई और उससे पीछा छुड़ा के जाते जाते मैंने कहा- कल तू बीच में बैठ जाना और पकड़ के देख लेना अपने भाई का लिंग! वापसी में मैंने बीच में बैठने में झिझक दिखाई तो रेशमा मेरी उलझन समझ कर बीच में बैठ गई, वो लोग मुझे घर पर उतार के चले गये और मैं कपड़े भी बदल नहीं पाई थी कि सैम मुझे गाड़ी सिखाने आ गया।
मैंने मम्मी से कहा- मैं आकर नाश्ता करूँगी। और सैम के साथ निकल गई, इस साल हम लोगों ने शुरुआत से ट्यूशन नहीं किया था, फिर भी पिछले कुछ दिनों से गाड़ी सीखने का काम बंद था पर आज सैम क्यों आया है और इतना उतावला क्यों है मैं समझ सकती थी।
सैम ने एक गार्डन में ले जाकर गाड़ी रोकी, हम कोई सूनी जगह के बजाय पब्लिक के बीच में नीचे घास पर अगल-बगल बैठे, दोनों कुछ देर खामोश रहे फिर मैंने कहा- आज यहां कैसे लाये हो सैम, कोई खास बात है क्या? उसने कहा- खास तो कुछ नहीं, बस यह बताओ कि तुमने कभी लिंग देखा पकड़ा नहीं है क्या? मैं उसके अचानक इस सवाल से हड़बड़ा सी गई पर अब सैम से नजदीकी बढ़ गई थी इसलिए जल्दी ही संभल कर बोली- मैं कहां और किसका देखूँगी, और ऐसे भी कौन होगा जो लिंग खड़ा करके गाड़ी चलाता होगा।
तो उसने मेरे उरोजों की ओर इशारा करके कहा- जब किसी की पीठ में तुम्हारे बोबे रगड़े गये ना, तो बुढ्ढों के भी लिंग खड़े हो जाएँ! हाय राम… सैम सच कह रहा था… मेरे मम्मे रोज उसके पीठ पे रगड़ते थे पर मैंने कभी ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। मैं शरमा गई और मुस्कुरा कर मस्ती में कहा- तब तो फिर तुम्हारी बहन रेशमा के मम्मे रगड़ने से भी तुम्हारा लिंग ऐसे ही फुंफकारता होगा, वैसे भी उसके मम्में मेरे से काफी बड़े भी तो हैं। इतना सुन कर सैम ने अजीब सा मुंह बनाया और कहा- चलो घर चलते हैं।
मुझे लगा कि मैंने कुछ गलत कह दिया और सैम नाराज हो गया, मैं उसे मनाने की कोशिश करने लगी पर वो नहीं माना हम गाड़ी पर बैठ गये। यहां पर आप लोगों को रेशमा के बारे में बता दूं, रेशमा बहुत गोरी.. 5’3″ की हाईट, बड़े भरे हुए मम्में, पिछाड़ी निकली हुई भरी हुई शरीर की, आंखों में काजल लगने पर मृगनैनी, होंठों पर लिपिस्टिक लग जाये तो गुलाब की पंखुड़ी, गाल भरे हुए, थोड़ी चंचल और हमेशा खुद को ढक कर रखने वाली लड़की थी।
मैं हमेशा चाहती थी कि उसके जैसे ही उभार मेरे सीने पर भी हों, इसीलिए मैंने सैम से रेशमा के मम्मों का जिक्र कर दिया, पर शायद सैम सच में नाराज था इसीलिए उसने आधे रास्ते तक कोई बात ही नहीं की। तब मैं उसे मनाने के लिए व्याकुल हो उठी और मैंने थोड़े से सूने रास्ते में सैम के गाल पर किस कर दिया और उसके कान में मासूमियत से सॉरी कहा। सैम ने मुस्कुरा के ‘इटस ओके’ कहा। और बस जल्दी ही हम घर पहुंच गये।
उस पूरी रात मैंने सैम के सपने देख कर गुजारे, मेरी योनि ने रस भी बहाया और पता नहीं कब मेरे हाथ मेरी योनि की ओर बढ़ गए और मैं योनि को सहलाने लगी, मैंने लोवर उतारी नहीं बल्कि उसके अंदर हाथ डाल कर योनि को रस छोड़ने तक सहलाया और थक कर सो गई।
अगले दिन जब स्कूल जाने के लिये वे दोनों भाई बहन मेरे घर के पास आये, तब मैं ही बीच में बैठना चाहती थी पर रेशमा ने जगह नहीं दी। ऐसा ही दो दिन लगातार हुआ और दूसरे दिन सैम ने मुझे कहा कि तुम बीच में क्यों नहीं बैठती हो, तुम उस दिन से नाराज हो क्या? मैंने कहा- नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, रेशमा ही बैठने नहीं देती। तो सैम ने सिर्फ ‘झूठ…’ कहा और चला गया।
अगले दिन स्कूल जाने के लिए वो लेट आये, पूछने पर बताया कि अब्बू को आफिस के काम से आठ-दस दिनों के लिए बाहर जाना था तो अम्मी भी घूमने के लिए साथ चली गई है, अब हम दोनों ही घर पर हैं तो लेट हो गए।
मैंने मुस्कुरा कर ‘कोई बात नहीं’ कहा और सब कुछ सामान्य सा रहा। वे लोग अगले दो दिन और लेट आये, चौथा दिन रविवार था, मैंने घर के कामों में दिन बिताया।
अगले दिन सोमवार को जब वो स्कूल जाने के लिए मेरे घर पहुंचे तो रेशमा गाड़ी से उतर कर मेरे घर में घुसी और मम्मी से कह दिया कि आज हम लोग स्कूल से सीधे हमारे घर जायेंगे, और स्वाति रात का खाना हमारे घर से खाकर आयेगी। मैं कुछ समझ नहीं पाई पर कुछ नहीं कहा, क्योंकि मुझे लगा कि रेशमा की कोई प्लानिंग होगी।
और वैसा ही हुआ सैम ने स्कूल का रास्ता छोड़ कर दूसरा रास्ता पकड़ा, अपने घर की ओर गाड़ी घुमाई। मैंने तुरंत टोका- ये हम कहां जा रहे हैं? तो रेशमा ने कहा- आज स्कूल की छुट्टी और घर पर मौज! मुझे यह बात अच्छी नहीं लगी और सच कहूँ तो अचानक प्लानिंग की वजह से हड़बड़ा रही थी, ऐसे ही ना नुकुर में हम एक दूसरे रास्ते से उनके घर पहुंच गये।
घर का दरवाजा रेशमा ने खोला और अंदर किचन में चली गई, इतने में सैम ने मेरे सामने आकर अपने दोनों कानों को हाथों में पकड़ कर सॉरी कहा, मैं मुस्कुरा उठी, मेरा गुस्सा नखरा सब काफूर हो गया और ‘कोई बात नहीं’ कहते हुए मैं घर के अंदर आकर सोफे पर बैठ गई।
सैम ने दरवाजा बंद किया और अपने कमरे में चला गया, रेशमा पानी लेकर आई, हमने पानी पिया और रेशमा के कमरे में आ गये। अब मैंने धीरे से रेशमा को कहा- यार बात क्या है? मुझे लग रहा है कि तुम लोग मुझ से कुछ छुपा रहे हो? तो रेशमा ने कहा- मैं तुम्हें यहां कुछ बताने के लिए लाई हूँ, यार भाई का लिंग सच में बहुत बड़ा है..!
मैंने आश्चर्य से रेशमा को देखा और कहा- तुमने कब देख लिया? और भाई के बारे में ऐसी बात करते शर्म नहीं आती। तो रेशमा ने बड़ी बेशर्मी से कहा- अब शर्म वर्म गई भाड़ में… बस मन हुआ तो छू लिया, देख लिया, चूस लिया, और अंदर भी डलवा लिया। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
इतना सुन कर मेरा चेहरा तो गुस्से से तमतमा गया क्योंकि अब सैम को मैं चाहने लगी थी, और योनि में झुरझुरी सी महसूस हुई, मैंने तुरंत सवालों के कई गोले दागे- कब, कहां, कैसे? तुम्हें डर नहीं लगा, कहां से सीख गई, कोई जान लेगा तो? ये वो… ये वो… मैं बहुत कुछ लगातार बोलती रही, उसने मेरे मुंह पे हाथ रखा और कहा- बस मेरी अम्मा, बस कर, तुझे आज सब कुछ बताने सिखाने के लिए ही तो यहां लाई हूँ।
सिखाने शब्द को सुन कर मैं फिर चौंकी- सिखाने से तुम्हारा क्या मतलब है मैं ये सब नहीं करने वाली हूँ। तो रेशमा ने कहा- वाह री शरीफजादी…! ये सब तेरी ही लगाई आग तो है।
अब मैं परेशान सी होकर सोचने लगी कि मैंने क्या किया। तब रेशमा ने कहा- तू चिंता मत कर, मेरी बात सुन, तुझे सब समझ आ जायेगा। तब मेरी जान में जान आई।
और फिर रेशमा अपनी सैक्स स्टोरी सुनाने लगी।
कहानी जारी रहेगी.. आप अपनी राय इस पते पर दे सकते हैं.. [email protected]
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