This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
वो डर सी गई और मुझे मनाने लगी- प्लीज़ अजय, ऐसे मत कहो! चलो ठीक है, जो आप कहोगे मैं वही करुँगी, प्लीज़ मान जाओ! मैंने कहा- ऐसे नखरे क्यों? उसने कहा- बस ऐसे ही! कह कर चुप हो गई।
मैंने कहा- ऐसा क्यों कर रही हो? ऐसे नखरे मत दिखाओ, अगर करना है तो सब कुछ करेंगे, वरना कुछ नहीं! तुम अपने आप को बस मेरे हवाले कर दो चाहे मैं कुछ भी करूं! कोमल ने कहा- ओके जी ओके ओके! अब मैं कुछ नहीं कहूँगी, जो आपका मन करे, वो कर लेना! ओके बाबा, मान भी जाओ देवता जी अब! मैंने कहा- ओके जान! और लग गया अपनी ड्यूटी पर…
अब तो हर तरफ से ग्रीन सिगनल मिल गया था, मैंने कोमल को किस की और चुची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और धीरे से कोमल की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार को कोमल के बदन से अलग कर दिया। उसने नीचे पेंटी नहीं पहनी थी रात को तो सभी लड़कियाँ ब्रा पेंटी निकाल कर ही सोती हैं।
क्या नजारा था आह… बिल्कुल कोमल कोमल बदन… भरी हुई जांघें… नाभि से नीचे का बदन तो और भी स्पाट सुन्दर चिकना था। दोनों जांघों के बीच में हल्की सी फ़ूली हुई बुर और उस पर हल्के हल्के भूरे रंग के बाल जो कोमल ने कभी शेव नहीं किये थे इसलिए वो कोमल की बुर को थोड़ा सा ढक रहे थे और उसके बीच में पतली सी दरार…
देखते ही मेरे तो मुँह में पानी आ गया था पर न जाने अपने आप को कैसे रोके हुए था। जिंदगी में पहली बार किसी लड़की को एकदम सम्पूर्ण रूप से नंगी देख रहा था जो मेरे बर्दाश्त से बाहर था, मैंने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए, सिर्फ शार्ट में हो गया।
अब मैंने कोमल को नीचे लेटाया और उसके होंठों पर किस करने लगा, चुची को दबाने लगा, दोबारा से गर्म करने लगा। कोमल तो बस अब आँखे बंद किये हुए हल्की हल्की ‘सीं शा… आहः ओह हय अहा ओह’ सिसकारी लिए जा रही थी।
अब मैं भी धीरे धीरे नीचे आने लगा, उसके मखमली पेट को सहलाने लगा, क्या पेट था चिकना बिल्कुल गोरा चिट्टा साफ! फिर मैंने कोमल की गहरी गदराई हुई नाभि मैं अपनी जीभ डाली और चाटने लगा।क्या स्वाद था हल्का सा नमकीन, मगर थोड़ा सा अलग!
इससे कोमल को गुदगुदी सी होने लगी और वो मचलने, तड़फने लगी। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।
अब मैं कोमल के ऊपर से नीचे आ गया और कोमल की दोनों टांगों के बीच में बैठ गया और कोमल की गांड के नीचे एक तकिया दे दिया और कोमल की दोनों टांगों की घुटनों को मोड़ कर उसकी चुची के पास ले गया।
क्या पोजीशन थी यार… बुर एकदम से उभर कर आ गई जैसे मुझे बुला रही हो, कह रही हो ‘आ आकर मुझ में समा जा…’ यह मैं अपनी जिंदगी में पहली बार देख रहा था! यकीनन आज तो ऐसे महसूस हो रहा था कि अगर आज के बाद जान भी चली जाए तो कोई गम नहीं! वो पल ही इतना सुखद था कि बता नहीं सकता! अगर कोई महसूस कर सकता है तो बस सिर्फ वो… जो इस पहली बार का मजा चख चुका है या फिर वो जो इसके सपने देखता है।
मैंने हल्के से कोमल की बुर पर हाथ रखा, क्या गजब का एहसास था! ऐसे लग रहा था मानो गुलाब की पंखुड़ियों में हाथ चला गया हो! हल्के घुंघराले बालों में उंगलियाँ फेरते हुए जब मैंने कोमल की भगनासा को नाममात्र ही छुआ कि कोमल की सिसकारी निकली आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अह हहा हहह! यही तो वो अंग है लड़की का जो सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है, जिससे लड़की की भूख बढ़ती है, पागलों जैसे बर्ताव करती है, लड़की के सांसों को बेकाबू कर देता है भगनासा!
भगनासा को छेड़ने की वजह से अबकी बार कोमल की आवाज भी बदल गई थी और बदन के हर अंग में जैसे करंट का झटका सा लगा हो! मैंने कोमल की बुर के दोनों होंठों को फैलाया और अंदर का भाग नजर आया, बिल्कुल लाल हल्के गुलाबी रंग का, जैसे किसी ने इसमें रंग भर दिया हो!
इतना कुछ होने के बाद बुर में से चीनी की चाशनी जैसे चिपचिपी लार सी टपकने लगी थी जिसे देख कर न चाहते हुए भी मेरे मुँह में पानी आ गया और बुर को चाटने का मन किया। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने सही पोजीशन ली और अपनी जीभ कोमल की बुर पर छुआ दी, हल्के से जैसे कोई धागा सुई के छेद को छूता हो! जिससे कोमल तड़प उठी, वो ना चाहते हुए भी नीचे से बुर को ऊपर को उठाने लगी मानो वो कहना चाह रही ही कि मत तड़पाओ प्लीज़! अब तो डाल दो इसमें कुछ!
मेरी जीभ पर भी हल्का सा नमकीन स्वाद का अहसास हुआ जिसके लिए मैं बरसों से प्यासा था! था नमकीन पर शहद से भी मीठा… महक ऐसी कि गुलाब के फूलों से भी अच्छी! जिंदगी ऐसे लग रही थी जैसे सब कुछ इसी में सिमट कर रह गया हो, जैसे वक्त यहीं रूक गया हो!
अब तो कोमल का बहुत बुरा हाल था और मेरे से भी नहीं देखा जा रहा था, पहली बार होने के कारण वो कुछ बोल भी नहीं रही थी पर मुझे अहसास था कि वो कितना तड़प रही है और क्या चाह रही है। मैं अपनी जीभ को बुर की दरार में डालते हुए नीचे से ऊपर ले गया, ऐसा ही मैंने तीन चार बार किया।
इस बार मैंने कोमल की भगनासा पर जब अपनी जीभ रखी और दाने को अपने दोनों होंठों से भींच कर जब उसका रसपान किया तो कोमल की क्या अंगड़ाई टूटी और क्या सिसकारी निकली- श्श्श्श्श अह हाआ आह मी माँ ऊई माँ ओह आ याह यस स साह हह इइइ माँह ओह मँ माँ ए ओ ओ!
अपने दोनों हाथों से मेरे सर के बालों को नोच लिया और अपनी बुर पर मेरे सर को ऐसे दबाने लगी मानो कि इसी में घुसेड़ देगी और नीचे से ऐसे उछलने लगी, और आवाज भी बहुत जोर जोर से निकाल रही थी।
मैंने कहा- कोमल, आराम से! इतनी आवाज न कर… कोई आ ना जाये! पर उसने मेरी एक न सुनी ‘हांह क्या, हह ऊओ क्याआआ हह!’
अब मैंने भी कोई परवाह ना करते हुए कोमल की दोनों चुची को पकड़ा और अपनी जीभ से कोमल की बुर पर खूब रगड़ा, खूब जोर से कोमल की चुची को अपने हाथों से मसला। अबकी बार मैंने भी कोई दया नहीं दिखाई। कोमल को बहुत दर्द हो रहा था पर कोमल को मजे के कारण तो मानो जैसे दर्द का एहसास ही नहीं हो रहा था क्या नजारा था… सारा कमरा कोमल की सिसकारियों से गूंज रहा था।
अब कोमल के शरीर ने उसका साथ देना बंद कर दिया वो बिल्कुल अकड़ सी गई थी बैड की चादर को उसने अपनी मुट्ठी से खींच कर इकट्ठी कर दिया बहुत जोर जोर से हड़बड़ाने लगी, पता नहीं क्या क्या बोल रही थी ‘जान न न न न आह ओह मैं आई होय आहः हा हो आहः आह यस इया हो आह!
अब मेरे होंठ कोमल की बुर के होंठों के बीच जा फंसे थे, अब बस मेरी जुबान ही चल रही थी कोमल की बुर के अंदर और उसका अमृत रस टपक रहा था जिससे मैं बड़ी खुशी से पी रहा था।
फिर कोमल ने एक गहरी सी साँस ली और बिल्कुल अपने आप में सिमट गई और बहुत जोर की सिसकारी लेकर झड़ गई और खूब सारा रस मेरे होंठों पर उगल दिया।
मैंने भी सारा रस पी लिया। क्या संतुष्टि मिली… क्या मजा आया! कोमल तो बिल्कुल निढाल सी हो गई, वो बहुत जोर जोर से हांफ रही थी, उसका पेट और सीना बहुत जल्दी जल्दी ऊपर नीचे हो रहा था। मैंने पूछा- कोमल मजा आया? अअजय्य्य पपुपुछो ममतत! कोमल से बोला नहीं जा रहा था, वो हकला रही थी, तुतला रही थी जैसे उसका बदन उसके बिल्कुल भी वश में नहीं हो। झड़ने के तीन चार मिनट तक तो उसे बिल्कुल भी होश नहीं था, उसके होंठ ऐसे कांप रहे थे मानो सर्दी की वजह से कांप रहे हों।
कोमल को आज मैंने जो पहले सेक्स का एहसास दिलवाया था, आज वो पूरी तरह से संतुष्ट थी, क्या गजब लग रही थी, अपने बिखरे बालों पर वो पड़ी थी जो उसकी गांड के नीचे से निकल कर उसकी जांघों तक आ रहे थे।
उसे थोड़ी देर बाद होश आया, होश आते ही वो मुझ से लिपट गई मानो वो इस पहले प्यार के अनुभव का प्यार से शुक्रिया कर रही हो! कोमल बहुत खुश थी।
अब बारी मेरी थी, मैंने कोमल को किस किया, अपना शॉर्ट को उतार दिया और बिल्कुल नंगा हो गया। पहले तो कोमल शर्माई, हल्का सा मुस्कराई, फिर मेरे लंड को एकटक देखने लगी। फिर मैंने कोमल का एक हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया और इशारा किया- अब तेरी बारी है मुझे खुश करने की! और चूसने को कहा।
कोमल ने एक बार जरा सा विरोध किया पर वो अपने आप मान गई और उसने मेरे लंड का टोपे को निकाला और अपने मुलायम होंठ मेरे लंड पर रख दिए और धीरे धीरे सारा लंड अपने मुँह में निगल गई, सक करने लगी। ‘आययई हाय्य्ये अऊआ हहहह आहः हहहहह’
अब पता चला मुझे भी कि अपने आप इतनी जोर से सिसकारी क्यों निकलती है, सब कुछ अपनेआप होता है, मैं न चाहते हुए भी मुँह को बंद नहीं कर ताकत था, ना ही मेरी सिसकारी रुक रही थी। मैंने कोमल के बालों को जोर से पकड़ा और उसके मुंह में अपने लंड को जोर जोर से सक करवाने लगा।
हालाँकि कोमल बहुत ही अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी, फिर भी न जाने क्यों, उसके साथ मैं धक्का सा कर रहा था, अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मेरा भी छूटने को हुआ, मैं पूरे जोर से कोमल के मुँह को चोदने लगा और कोमल को कहने लगा- जोर से अहा, कोमल आआआ ह्यहह जल्दी करो… और जोर से… मजा आ गया कोमल हा यस हा ओह आईई ई ललवव यु!
कोमल बोल तो नहीं पा रही थी पर अपनी आँखों से इशारा कर मुझे बता रही थी कि ‘हाँ, मैं जल्दी कर रही हूँ।’
आखिर वो पल आ ही गया, मैंने गहरी सांस ली और कोमल के सर को पकड़ा और रुक कर कोमल के मुँह में अमृत धारा छोड़ दी और कोमल का मुँह भर दिया, वो मेरा सारा वीर्य गटक गई। आज मानो जन्मों बाद मुक्ति मिली हो, आज एहसास हुआ कि जिंदगी जीने की भी कोई वजह है, किसी न किसी कारण ये साँस चल रहे है! आज मेरी रूह खुश थी… हर तरफ से तन मन सब खुश था!
फिर हमने एक जोर की जफ़्फ़ी भरी, खूब सारा प्यार दिया एक दूसरे को और एहसास दिलाया कि हम बहुत खुश हैं। बोल कोई कुछ नहीं रहा था पर फिर भी सब कुछ कह दिया।
‘आई लव यू अजय आई लव यू…’ मैंने भी- ‘आई लव यू टू कहा।
अब मैंने टाइम देखा तो सुबह के 4 बज चुके थे, फिर हम बाकी कल पर छोड़ कर दोनों सो गए।
सुबह 8 बजे नींद खुली, आज संडे था, मेरी छुट्टी थी पर कोमल आज खुश नजर नहीं आ रही थी, मायूस सी, डरी डरी सी लग रही थी। कोमल को ऐसा देख कर मुझे भी बेचैनी सी होने लगी, मन को अजीब से सवालों ने घेर लिया, मैं भी डर गया और सोचने लगा कि कहीं किसी ने देख न लिया हो और कोमल को धमका दिया हो?
पर मेरे घर वाले तो बिल्कुल ठीक थे और नार्मल बर्ताव कर रहे थे।
फिर मैंने मौका सा देख कर कोमल से ही पूछा- क्या हुआ? जब कोमल ने बात बताई तो मेरा भी बहुत मन खराब हुआ। कोमल बोली- मुझे पीरियड हुए हैं।
मेरे मुँह से भी ‘ओह तेरी की… ये क्या हुआ?’ ऐसा निकला क्योंकि दो दिन बाद तो कोमल ने वापिस जाना था अब कर भी क्या सकते थे तो निराश से हम दोनों एक दूसरे की तरफ देखा और आँखों आँखों में प्यार जताया। और कोमल अपना काम करने लगी।
फिर दो रात कोमल को मैंने अपने पास नहीं सुलाया क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि हमसे कोई गलती हो! मौका दोबारा मिल सकता है पर अगर एक बार गलती हो गई तो सिर्फ पछताने के अलावा और कुछ नहीं बाकी बचेगा और हमारे रिश्ते में भी दरार पड़ जायेगी।
मेरी आंटी अगले दिन आ गई और मैं कोमल और उसके परिवार को मंगलवार सुबह ट्रेन में छोड़ आया।
हम दोनों की आँखों से आंसू निकल रहे थे, चाह कर भी एक दूसरे की तरफ देखा नहीं जा रहा था! और वो चली गई मुझे अकेला छोड़ कर एक लंबे इंतजार के लिये!
दोस्तो, यह थी मेरी पहली लव स्टोरी! इसका अगला भाग मैं जल्द लेकर आऊँगा। मुझे ईमेल जरूर करना! [email protected] आपका अजय
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000