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मेरी गांड में लंड की कहानी में पढ़ें कि मैं एक दोस्त की जन्मदिन पार्टी में गया। वहां मुझे एक जवान लड़का भा गया। क्या वो भी वही चाहता था जो मैं चाह रहा था?
दोस्तो, मैं अपने जीवन एक घटना आपको बताना चाहता हूं। आमतौर पर होने वाली चुदाई की घटनाओं से यह थोड़ी अलग आपको लग सकती है क्योंकि यह एक लड़के की तरफ मेरे आकर्षण की कहानी है।
यह कहानी एक लड़के आनन्द के बारे में है। आगे बढ़ने से पहले बता दूं कि मैं कॉलेज में पढ़ने वाला एक छात्र हूं और आम लड़कों की तरह ही जीवन जीता हूं। बस कुछ अलग है तो वह मर्दों के प्रति मेरा आकर्षण।
अब मैं आपको वह घटना बताता हूं जिसके लिए मैं यहां पर आया हूं। आनन्द मुझे एक दोस्त के घर पार्टी में मिला था।
वो 28 साल का मर्द था। दिखने में साधारण मगर बहुत आकर्षक। उसके होंठ बहुत रसीले और बड़े बड़े थे। देखकर ही उन अंगूरों का रस पीने का मन करने लगता था। आंखों पर फ्रेम रहित चश्मा था जिसके नीचे थी उसकी आंखें जिनसे वो भी मुझे, मेरे जिस्म को तराश रहा था।
उसकी वे शरारती आंखें मानो मुझपर गर्म गर्म शोले बरसा रही थीं। उसकी मोटी मोटी भौहें बता रही थीं कि उसे भी मेरी तरह अक्सर दूसरे लड़कों के साथ बिस्तर गर्म करना पसंद है।
मैं उसे पहले से नहीं जानता था लेकिन उसके बलिष्ठ हाथ देखकर मन करने लगा था कि कब ये मेरे जिस्म को छुएं और राहत दे दें।
पार्टी में और भी लोग थे मगर हमारी नजरें बार बार आपस में टकरा रही थीं। मैं जब जब उसे देखता तो लगता कि वो मुझे ही निहार रहा है। मैं अपने दोस्तों के साथ बैठा था और वो अपने!
हम सब दो गुटों का हिस्सा थे जो यहां एक दोस्त के घर में उसका जन्मदिन मना रहे थे। जब केक कटा तो सबने बहुत मस्ती की और इसी में कुछ केक की क्रीम मेरे हाथ पर चिपक गयी थी जिसे धोने मैं बाथरूम में गया।
मैंने देखा तो आनन्द वहां पहले से ही अपने हाथ धो रहा था। मैं उसके हटने का इंतजार कर रहा था मगर वो था कि मुझे देखकर मुस्करा रहा था और हाथ धोये ही जा रहा था।
जब इंतजार न हुआ तो मैंने खीझकर कहा- हाथ धो रहे हो या नहा रहे हो? उसकी मुस्कराहट गायब हो गई।
इससे पहले कि वो कुछ बोलता मैं वहां से बाहर निकलने के लिए चल पड़ा।
तभी उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया। मैं हक्का बक्का रह गया।
पीछे से उसने दरवाज़ा बंद करके मुझे दरवाज़े पर धकेल दिया। वो करीब आया और बोला- नहाने का मन तो तुम्हारे साथ कर रहा है।
मैं उसकी हिम्मत देखकर हैरान था। मैंने हाथ छुड़ाया और उसे अपने से दूर कर दिया।
मुझे उसकी बेसब्र निगाहें परेशान कर रही थीं। मैंने हाथ धोये और वो वहीं खड़ा रहा।
नखरे मेरे भी थे … मैं इतनी जल्दी उसको सब कुछ सौंपना नहीं चाह रहा था। मगर न जाने क्यों रोक नहीं पा रहा था खुद को! मगर आग मुझमें भी थी।
मैंने कहा दिया- अभी मौका और समय ठीक नहीं है, फिर कभी नहा लेंगे। फिर पता नहीं क्यों अगले पल झट से मैं उसके बड़े बड़े होंठों पर अपने होंठ रख कर उनकी नमी का आनन्द लेने लगा।
आनन्द ने अपने कड़क हाथ मेरी कमर में डाल लिए और मेरे होंठों से अपने होंठों तक अपना रस पहुंचाने लगा। उसकी सांसों से शराब की गंध आ रही थी मगर मैं उसके नशे में था और वो अपनी मदहोशी में!
वो मुझे जकड़ कर अपने आप में समा लेना चाहता था। हमें काफी देर यूं ही चूमते हुए हो गई थी।
जब होश आया और हम अलग हुए तो मैंने उससे बोला- अब हमें चलना चाहिए, लोग ढूंढ रहे होंगे।
उसने कहा- सब दारू पीकर नशे में हैं। किसके पास फुर्सत है किसी को देखने की!
मगर मैं उससे अलग हुआ और उससे कहा कि पूरी कहानी फिर कभी लिखेंगे। उसे मेरी बात रास नहीं आई।
दरवाज़ा खुलने से पहले उसने मेरी गान्ड जकड़ कर खूब मसली और कान में गालियां देकर मुझे चोदने की इच्छा ज़ाहिर करता रहा।
मैं उसके व्यवहार से खुश था मगर परिस्थिति से मायूस था। मैं किसी तरह मन मारकर बाहर आ गया और फिर वो भी!
लगभग दो घंटे बाद हम सब पूरी तरह नशे में थे। किसी को अपना होश नहीं था।
अधिकतर लोग जा चुके थे और अब हम सिर्फ चार लोग रह गए थे।
मुझे पीकर गाड़ी चलाने से नफ़रत थी इसलिए अपने दोस्त से उसके घर रुकने के लिए पहले ही बात कर ली थी। मेरा दोस्त अपने एक और दोस्त को लेकर ये बोल कर चला गया कि उसे बहुत नींद आ रही है और आराम करना है।
अब आनन्द और मैं ही बचे थे। मुझे भी थकान थी इसलिए हॉल से एक कमरे में जाकर बिस्तर पर पड़ गया।
अभी पांच सात मिनट ही हुए होंगे कि आनन्द ने कमरे में आकर कमरा अंदर से बंद कर लिया। वो आकर मेरे पास लेट गया।
आनन्द से रहा नहीं गया और भभकते मुंह मेरे करीब आकर मुझे पलटा। मैं नींद में था कि तभी आनन्द मेरे ऊपर आ गया और मेरे होंठों पर अपने होंठ कस लिए।
इधर मैं भी काफी मदहोश था मगर उसकी हिम्मत में उसका साथ दे रहा था। जब हवस भारी तो डरना क्या! आनन्द मुझे सांस लेने नहीं दे रहा था और बस चूमे जा रहा था।
जैसे ही मैं अलग होना चाहता तो एकदम से मेरे होंठ कुतर कर फिर चूमने लगता।
अब तो बस एक ही चारा था कि उसकी बांहों में समाकर उसका बन जाऊं। तभी मैंने अपने हाथ उसके मुंह और सिर पर कस लिए।
वो जो मंजूरी मुझसे चाह रहा था वो उसे मिल गई थी। अब वो धीरे धीरे मेरे होंठों से होता हुआ कब मेरी गर्दन तक पहुंचा मुझे पता नहीं चला।
मैं तो बस कामवासना में खो गया था; उसे अपनी बांहों में जकड़ कर अपना बनाने में लग गया था। उसके साथ हर क्षण जन्नत था, उत्तेजना भरा था। वो बढ़ रहा था और मैं उसका साथ दे रहा था। वो जकड़ रहा था और मैं जकड़ा जा रहा था।
आनन्द ज्यों ज्यों मुझे चूमता तो अपने दांत भी गड़ा देता।
हर किस में एक लाल सा निशान अपनी हवस, अपने प्यार का … मेरी गर्दन और शरीर पर छोड़ देता।
अब वो मेरी कमीज़ के बटन खोलकर मुझे आज़ाद करके अपना बनाने की ख्वाहिश पूरी करने में लग गया। उसने मेरी कमीज़, मेरा बनियान मेरे शरीर से अलग कर दिए और मेरे ऊपर रहते रहते खुद के कपड़े भी उतार कर मेरी छाती का मुआयना करने लगा।
मेरी छाती का कोई कोना ऐसा नहीं छोड़ा जहां उसने मुझे चूमा नहीं हो। ऐसा मेहसूस हो रहा था जैसे मेरा शरीर बस उसी के लिए तराशा गया है और वो उसे प्यार करने के लिए ही बनाया गया है।
आनन्द के गीले लबों से मेरी छाती अब बिल्कुल गीली हो चुकी थी। आनन्द पूरे जिस्म को जैसे अपने आप से जोड़कर उसका रसपान करके जन्मों की भूख मिटा रहा था। मुझे भी ऐसा महसूस करा रहा था जैसे वो सिर्फ मेरे लिए बना है।
उसका ये दीवानापन मेरी सोच पर हावी था और मैं उसको खुद में समाकर एक कर लेना चाहता था; लग रहा था कि आनन्द कामसूत्र पढ़कर आया है।
वो फिर मेरे होंठों पर चूमने लगा; अपनी शर्ट के बटन खोलकर ऊपर से बिल्कुल नग्न अवस्था में मेरे शरीर को अपने शरीर से लगाकर गर्म करने लगा। उसका शरीर बिल्कुल क्लीन शेव था जैसा कि मुझे पसंद है।
कभी उसकी जीभ मेरे मुंह में, कभी मेरी जीभ उसके मुंह में जा रही थी। मेरे प्रतिकार पर उसका लबों को काटकर अपना अधिकार जमाना … आह्ह … बस ऐसा लग रहा था कि आज आनन्द की गिरफ्त में उसका मुलाजिम अपना दिल, शरीर, संतुलन और होश खो बैठा है।
आनन्द ने मुझे पलट कर मेरी कमर, कंधे सब जगह प्यार दिया। अब मुझे लगने लगा कि जब वो मुझे इतना सुख दे सकता है तो मुझे भी उसे परम सुख दिलवाना चाहिए।
मैंने आनन्द की पैंट खोलकर उसकी जांघें चाटना शुरू कर दिया। आनन्द का लन्ड कच्छा फाड़कर बाहर निकलकर तबाही मचाने के लिए तैयार था।
मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था। अब मैंने उसके कच्छे के ऊपर से चाटना शुरू कर दिया। अब उसका कच्छा गीला हो गया तो उसे उतार कर अलग कर दिया।
आनन्द मुझे बस वासना से भरी नज़रों से देखता ही रहा। उसने मेरे बाल पकड़ कर मुझे फिर अपने लबों के रस में डुबा लिया।
मैं उसकी छाती से होता हुआ उसके लन्ड तक पहुंचा और उसका लाल मुलायम सुंदर टोपा अपने मुंह में होंठों के बीच दबाकर जीभ से चाटने लगा।
आनन्द की भारी तेज सांसों में उसके सुख की व्याख्या थी।
फिर जब कुछ देर बाद उससे सहा नहीं गया तो मैंने उसका लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। उसका नमकीन प्रीकम मेरे मुंह को आनन्ददायक अहसास दे रहा था।
तभी आनन्द ने मेरे सिर को पकड़ कर अपना लम्बा लन्ड मेरे गले में उतार दिया। शुरू में थोड़ी दिक्कत हुई पर मैंने चूसना जारी रखा।
अब आनन्द ने ज़ोर लगाना शुरू कर दिया। मेरी आंखों से पानी जा रहा था और गले में उसका नमकीन पानी आ रहा था। तभी आनन्द ज़ोर लगाते लगाते एकदम तेज़ी से मुंह में ही झड़ गया।
उसका गर्मा गर्म कामरस मैं पीकर उसके शिथिल होते लन्ड को चाटने लगा।
जब वो थक गया तो उसने अपना लौड़ा, जो अब लुल्ली रह गया था, मेरे मुंह से निकाला और मुझे अपने बराबर में लिटा कर बाहों में भरकर चूमा। कुछ देर में हमारी सांसें शांत हुईं थी कि आनन्द के अंदर का जानवर फिर जग गया।
इस बार वो मुझे और ज्यादा प्यार करने लगा। मुझे पता था कि आगे क्या होने वाला है पर कैसे … ये नहीं पता था।
हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। आनन्द मुझे चूम रहा था और उसका लौड़ा फिर फूल रहा था।
मैंने नीचे जाकर उसकी गोलियां चूसीं और लन्ड को फिर मुंह में भरकर उसे आनन्द की लहरें दी।
अब आनन्द ने मुझे कमर के बल लिटाकर मेरे दोनों पैर अपने मजबूत कंधों पर रख लिए। वो झुका और मेरी गान्ड के छेद पर थूक कर उसे चाटने लगा।
उफ्फ … क्या बताऊं गर्म गर्म अहसास था वो! उसके गर्म और नर्म होंठ मेरी गांड की कुलबुलाहट बढ़ा रहे थे। आनन्द की इस क्रिया से मैं और भी खुल गया और मैंने गान्ड ढीली छोड़ दी।
उसने मौका देखकर अपनी एक उंगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी। मैं कसमसाने लगा मगर वो रुका नहीं।
आनन्द ने अब कंडोम चढ़ाकर अपना लन्ड मेरी गांड के छेद पर टिकाया और मेरे पैर अपने कंधे पर रखवाकर मेरे हाथ अपनी गर्दन पर बांधने को कहा।
उसकी बातों और नशे के आगे मैंने सब माना और उसने अपना मोटा भारी लन्ड रगड़ कर अन्दर करने के प्रयास में धक्के देने आरंभ किए।
आखिर में एक ज़ोरदार झटके से उसने अपना पूरा लन्ड मेरी गांड में घुसा दिया। मैं चीखने-तड़पने लगा.
मगर उसे भी पता था कि सब नशे में सो रहे हैं; वो धीरे धीरे चोदते हुए इंसान से जैसे फिर जंगली जानवर बन गया और उसकी गति बढ़ती चली गई।
मेरे होंठों से आहें निकलती रहीं और उसके शरीर से झटके लगते रहे। मेरी हार में उसकी हसीन जीत थी।
उसने अपना एक हाथ मेरे मुंह पर दबाकर चोदना जारी रखा और मैंने भी उसका साथ देने के लिए गान्ड उचकाना शुरू कर दिया।
वो शायद और कुछ करना चाहता था। वो उठा और अपने लंड से कॉन्डोम उतार दिया। उसने मुझे करवट से लिटाया और फिर मेरा एक पैर हवा में पकड़ कर अपना मूसल लौड़ा फिर अन्दर पेल दिया।
उसका दूसरा हाथ मेरे बाल खींच रहा था। अब बिना कंडोम के लंड गांड में ज्यादा सुखद अहसास दे रहा था। मगर उसके धक्के बहुत ज्यादा तेज थे इसलिए दर्द और अधिक बढ़ गया था।
मैं दर्द और वासना के सागर में डूबा हुआ था। उस पर शैतान सवार था और मुझ पर मेरी कमजोरी।
वो मेरी गान्ड को चीर रहा था और मैं उसका साथ दे रहा था। पता नहीं ये तूफान कब रुकने वाला था।
उस दर्द में बहुत सुकून था। उन गर्म सांसों में बहुत राहत थी।
आनन्द अब मुझे घोड़ी बनाकर चोद रहा था। ऐसा करते करते वो अपना सिर मेरे कान के पास लाकर मेरे कानों में गर्म गर्म सांसें छोड़ रहा था।
मैं जन्नत में था। मेरे दर्द से ज़्यादा मुझे आनन्द मिल रहा था।
स्वयं कामदेव मेरा शरीर भोग रहा था तो और मुझे क्या चाहिए था। आखिरकार आनन्द थककर बैठ गया।
उसकी थकान उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी। वो एक घंटे से गांड में लंड डाल मुझे चोदकर अपनी खुराक ले रहा था मगर झड़ नहीं रहा था। अब उसके तने हुए लौड़े पर मैं ऊपर से जा बैठा।
मैंने उचकना शुरू कर दिया और आनन्द ने मेरा गला अपने हाथों में भर लिया। मानो वो चोदते चोदते अपनी हवस का गला घोंट रहा हो।
कुछ ही क्षणों में मैंने उसके होंठों को अपने होंठों मे भर लिया और उछलना जारी रखा। उसके हाथ मेरे कंधों पर थे और एकदम से वो अंदर झड़ गया। उसका कामरस मेरी गांड की गहराई में मिल गया।
हम दोनों पसीने में तर थे, एक दूसरे की महक में डूबे हुए थे।
मैं उससे अलग होकर हांफता हुआ लेट गया। आनन्द करवट बदल कर सो गया।
सुबह जब मैं उठा तो आनन्द बिस्तर और कमरे में नहीं था। मेरे कपड़े भी मेरे शरीर पर नहीं थे।
बिस्तर पर सिलवटें थी और मैं अकेला। मैंने कपड़े पहने और समय देखने के लिए फोन देखा तो मेरे फोन पर उसकी एक मिस्ड कॉल और एक मैसेज था। वो मुझे प्यार करना चाहता था मगर मेरी तरफ से ‘ना’ सुनने की उसकी हिम्मत नहीं थी इसलिए चला गया।
उस एक रात में कई तरह के निशान मेरे शरीर पर अंदर और बाहर छोड़ गया था तो मैं भी उसे भुला नहीं सका। मैंने आनन्द से बात की और हम फिर मिले।
उससे मेरी दोस्ती हुई और अब हर बार आनन्द मुझे यूं ही आनन्द देता है। मैं उसके लौड़े पर उछल-उछलकर राज करता हूं।
ये थी मेरी गांड में लंड की गांडू सेक्स कहानी। आपको मेरी गांड चुदाई की ये कहानी पसंद आई होगी. मुझे फीडबैक दें। आपके मैसेज का मैं इंतजार करूंगा। मेरा ईमेल आईडी मैंने नीचे दिया हुआ है। कहानी पर कमेंट करना न भूलें। [email protected]
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