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निशा की चूत से निकला मेरा लंड सारिका ने एकदम अपने मुख में ले लिया और चूस चाट कर सफ़ कर दिया। अब हम देखा कि पास ही विनय आंचल की गांड में पीछे से लंड घुसा कर चोदने में लगा था और आंचल आगे अपनी चुत में अपनी उंगली घुसा कर चुत को सहला रही थी, उसने अपने होंठों को कस कर भींच रखा था जैसे गांड चुदाई का पहला दर्द बर्दाश्त कर रही हो।
आंचल के पीछे विनय आंचल को घोड़ी बनाये हुए उसकी गांड में आधा लंड डालकर और जोर लगा रहे थे। आंचल और विनय का ये सेक्सी सीन देखने लायक था।
तभी ये सब देख कर अपनी चुत साफ़ करती हुई निशु बोली- ओह, महारानी तभी शुरू में इतना जलवा दिखा रही थी, तो ये साली सच में गांड फड़वा रही है! मैंने उसे कहा- कोई बात नहीं, ले लेने दे बेचारी को मजा, फिर क्या पता ऐसा जलवा दिखाने का मौका कब मिले! हम सब हंसने लगे।
हमें देख कर विनय बोला- अरे आप अपना काम करो, इधर मेरी पार्टनर की फटी पड़ी है और तुमको मजाक सूझ रहा है? फिर वो आंचल को बोला- चल रानी एक और झटका लगा रहा हूँ!
यह सुन कर सारिका बोली- फाड़ी भी तो आपने ही है और फड़वाने वाली यह खुद है, अब भोसड़ी वालो, हम बातें भी न करें क्या? उसने बनावटी गुस्सा दिखाया और उन दोनों को हाथ से एक गन्दा सा सेक्सी गांड फाड़ने वाला इशारा किया।
अब तक विनय ने आंचल की गांड में अपना पूरा लंड डाल दिया और उसकी गांड को चोदने लगा। आंचल एक हाथ से अपनी चुत को खुद ही कुरेद रही थी और आहें भरती हुई गांड चुदवाने का मजा ले रही थी।
तभी सारिका आगे बढ़ी और उसने आंचल की चुत में अपनी एक उंगली डाल कर आगे पीछे करने लगी मैं और निशा उनका यह चुदाई का सीन देख रहे थे तो सारिका ने मुझे आँख मारकर उसके आगे आने का इशारा किया. मैं तुरंत उठ कर अपना खाली हो चुका लंड लेकर आंचल के आगे आया और उसके मुंह में डाल दिया.
आंचल ने अपना हाथ चुत से हटा कर मेरे लंड को थाम लिया और मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर अच्छे से चूसने लगी। सारिका आंचल की चुत के दाने को रगड़ रही थी और ऊपर से विनय आंचल की गांड चोदने में व्यस्त था।
आंचल की एक तरह से तीन तरफ़ा चुदाई हो रही थी, आंचल मेरे लौड़े को भी अच्छे ढंग से चूस रही थी और साथ साथ अपनी गांड मरवा रही थी। विनय आंचल की गांड में लंड डालता हुआ बोला- निशु जान, तू क्यों अकेली बैठी है, इधर आ, मैं भी तेरी जवानी का टेस्ट कर लूँ थोड़ा! यह सुन कर निशु बोली- न बाबा न, पहले ही रवि ने मेरी चुत फाड़ कर रख दी, अब गांड नहीं फड़वानी है।
उसकी ये बात सुन कर हम सभी हंस पड़े। विनय फिर बोला- नखरे मत कर डार्लिंग, हमें और गांड नहीं चाहिए, गांड चुदवाने वाली आंचल है यहाँ! निशा बोली- पहले आंचल की तसल्ली तो हो जाये, फिर मैं भी देख लूँगी।
तभी सारिका बोली- आजा निशु डार्लिंग, फिर ऐसा मजा नहीं मिलने वाला! और निशा को आँख मार कर अपने पास बुला लिया।
विनय का लंड अब तक आंचल की गांड में जड़ तक घुस चुका था और वो धीरे धीरे उसे आगे पीछे करने लगा था। अब सारिका ने आंचल की चुत के दाने को रगड़ना छोड़ा और वहां पर निशा को बिठा दिया ताकि वो आंचल की चुत के दाने को रगड़ती रहे, खुद सारिका आंचल के नीचे लेट गई, आंचल की गांड की तरफ सारिका का मुंह था और सारिका की चुत की तरफ आंचल के होंठ, मतलब वो दोनों आपस में 69 पोजिशन में हो गई।
अब तक मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था और चुदाई के लिए तैयार था, मैंने सारिका का इशारा पाकर मैंने अपना खड़ा हो चुका लौड़ा लौड़ा आंचल के मुंह से निकाला और सारिका की गीली चुत पर रख दिया जिसे सारिका ने हाथ से पकड़ कर चुत पे सेट कर लिया और मैंने हल्के से झटका लगा कर अपना लौड़ा उसकी जवानी के अंदर ठेल दिया।
सारिका थोड़ा कसमसाई, फिर मजा ले लेकर मेरा लंड और अंदर लेने लगी। इस तरह दोनों महारानियाँ अपनी चुत और गांड मेरे और विनय से चुदवा रहीं थीं। वो दोनों चुद रही थीं और मैं और विनय आमने सामने से उन दोनों की चुत और गांड चोद रहे थे।
ये सब देख कर निशा बोली- वाओ क्या मस्त आईडिया है, लंड भी क्या दमदार तरीके से चोद रहे हैं! मेरी तो चुत दुबारा खुजलाने लगी है।यह सुन कर विनय आंचल की गांड में लंड हिलाता हुआ बोला- साली इसी लिए तो कह रहा हूँ कि ले ले आज अपनी जवानी का मजा मेरी जान!
आंचल को भी विनय से गांड चुदवाने में मजा आ रहा था, वो गांड चुदवाते हुए बीच में बोली- उफ़.. सी सी अरे, जिस साली को चोद रहे हो उसको तो चोद लो, आह चोद मेरी जवानी को! उई.. शायद वो चरम पर आने वाली थी।
मेरे लंड के नीचे चुद रही सारिका मस्ती से अपनी चुत चुदवा रही थी और मैंने निशु को आँख मारते हुए मेरे मुंह के आगे चुत करने को कहा तो निशा तुरंत मेरा इशारा पाकर मेरे आगे आ गई और अपनी दोबारा गर्म हो चुकी चुत को मेरे मुंह पे लगा दिया।
निशा आंचल के ऊपर दोनों टांगें आजू बाजू रख कर खड़ी हो गई थी, निशा का मुंह मेरी तरफ था और मैंने उसकी चुत पे अपनी जीभ रख दी और उसे चूसने लगा, निशा की पीठ विनय की तरफ हो गई थी।
आंचल ने मुंह को ऊपर करके सब देखना चाहा तो मैंने आंचल के सर को पकड़ कर सारिका की चुत चोद रहे अपने लौड़े पर लगा दिया तो सारिका सिसक पड़ी और आंचल भी हल्के हल्के साथ साथ मेरे लंड पे कभी कभी जीभ लगा देती।
अब मैं निशु की चुत में अंदर तक जीभ डाल कर चाट रहा था, उसकी चुत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और पीछे से आंचल की गांड चोद रहा विनय निशु की पीठ को किस भी कर लेता था।
निशा भी हॉट हो गई थी और नीचे से अपनी चुत चुदवा रही सारिका के मुंह से सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गई थी। विनय की स्पीड भी बढ़ गई थी और आंचल की गांड में वो कभी भी धार छोड़ सकता था। विनय जोर जोर से आंचल की गांड के अंदर बाहर लंड के झटके लगा रहा था, आंचल आहें भरती हुई अपनी गांड हिला हिला कर सिसकारियाँ लेती हुई उसका साथ दे रही थी।
तभी आंचल ने जोर से चीख मारते हुए कहा- अह्ह्ह आह उम्म्ह… अहह… हय… याह… उई चुद गई सालों… साथ ही अपनी चुत से कामरस की धार छोड़ दी जो सारिका के मुंह पर गिरी क्योंकि सारिका आंचल के नीचे उसकी चुत की तरफ मुंह करके मेरे लंड से चुद रही थी।
पीछे से विनय ने एक जोर का शॉट आंचल की गांड में और लगा दिया। यह देख कर सारिका ने भी आंचल का मजा बढ़ाने के लिए उसकी चुत को अपने होंठों में ले लिया ताकि झड़ती हुई आंचल ज्यादा मजा ले सके। सिसकारती हुई आंचल झड़ चुकी थी परन्तु विनय अभी भी उसकी गांड में लगातार झटके लगा रहा था।
आंचल से जब बर्दाश्त न हुआ तो वह वहां से उठ गई और उसने विनय का लंड मुंह में ले लिया। मैंने विनय को इशारा किया, मेरा इशारा पाकर विनय ने आंचल के मुंह से लंड निकाला और मेरी तरफ आ गया। मेरी जीभ से चुद रही निशु को मैंने साइड पे किया और मेरे लंड से अपनी चुत चुदवा रही सारिका को अपनी गोद में लेकर ऊपर उठा लिया तभी विनय सारिका के पीछे गया और उसकी गांड के साथ अपना लौड़ा भिड़ा दिया।
सारिका को जब अपनी गांड पे भी लंड महसूस हुआ तो वो कसमसाती हुई बोली- आह उई राजे, आज मेरी दोनों तरफ से फाड़ डालोगे लगता है, आओ सालों, उफ़ आह सी सी बजा दो मेरी गांड और चुत आह सी सी…
विनय के एक दो झटकों से ही सारिका की चुदी हुई गांड में उसका लौड़ा चला गया, क्योंकि सारिका अक्सर गांड चुदवाती है।
अब सारिका हम दोनों मर्दों के बीच सैंडविच बन चुकी थी और उसकी जवानी का मजा हम दोनों मर्द अच्छे से लूट रहे थे और वो भी हम दोनों मर्दों की जवानी का रस एक साथ पीना चाहती थी। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
हम तीनों गुत्थम गुत्था हो चुके थे और सबकी सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज रहा था। तभी विनय जोर जोर से चिल्लाता हुआ अपने लंड की धार सारिका की गांड में छोड़ने लगा- उई आह आह ले साली चुद आह आह सम्भाल अपने यार का लौड़ा कुतिया आह आह…
ऐसे चिल्लाते हुए विनय ने अपनी जवानी का रस सारिका की गांड में भर दिया। मैं और सारिका अभी भी चुत चुदाई में मग्न थे।
विनय अब साइड पे हो गया था तो मैंने सारिका की चुत में लंड को जोर जोर से आगे पीछे करना शुरू कर दिया, उसकी चुत से मजे के कारन पानी निकलना शुरू हो गया था, वो जोर जोर से चिल्लाती हुई झड़ने लगी- आह उई आह सी सी सी मेरा छुटा रवि… आह रवि चुद गई मेरी जवानी… आह… सी सी सी उई उई बस बस… कहती हुई सारिका झड़ गई थी। मैं भी झड़ने के बहुत करीब था तो मैं भी तीन चार जोर जोर से झटके लगा कर सारिका की चुत में ही झड गया।
जैसे ही हम अलग लग हुए तो निशु और आंचल ने ताली बजाई और निशा ने तो आकर मुझे एक बार किस कर दी और बोली- वाओ… ग्रेट चुदाई की आपने!’
हम सभी थक कर बैठ गये। हमारे इस राउंड में आंचल और विनय की चुदाई कम हुई थी, क्योंकि आंचल की चुत को अभी तक लंड का मजा नहीं आया था और विनय को चुत नहीं मिली थी।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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