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नमस्कार दोस्तो, आप सभी का मेल मुझे मिल रहे हैं, यथासंभव मैंने जबाव भी दिए हैं। आप सबके प्यार के लिए मैं संदीप साहू आपका आभारी हूँ।
अब तक की कहानी में आपने किमी को सुंदर सुडौल बनाने के लिए किए गए मेरे प्रयत्नों को पढ़ा और अब मैं मंजिल को पाने वाला हूँ।
किमी ने मेरे द्वारा किए उपक्रमों के लिए मेरा आभार माना और खुद को मुझे सौंप दिया, साथ ही उसने खुद मुझसे भरपूर कामक्रीड़ा की इच्छा जताई।
मैं मुस्कुरा उठा, मैंने कहा- देखो किमी हम दोनों ही पहले भी सेक्स कर चुके हैं और मैंने उसे अपनी पिछली कहानी बतानी चाही, जो अन्तर्वासना में गर्लफ्रेंड ने खुद आकर चूत चुदवा ली के नाम से प्रकाशित है।
मैंने किमी से यह भी कहा कि मैं तुम्हारे साथ कामक्रीड़ा के चरम तक पहुँचना चाहता हूँ और वो तभी हो सकता है, जब हमारे मन में एक दूसरे के अतीत को जानने के बाद भी कोई गिला शिकवा न हो।
तो किमी ने कहा- संदीप तुमने मेरे लिए जो किया, उसके बाद तो तुम मेरे सब कुछ हो गए हो। अगर तुम चाहते ही हो कि मैं तुम्हारा अतीत जानूं, तो तुम मुझे वो बातें फिर कभी बता देना, पर अभी नहीं..! अभी तो बस मुझे इस लम्हे को जी लेने दो और तुम मेरा यकीन करो मुझे तुम्हारे किसी अतीत से कोई परेशानी नहीं है।
ये बातें हम मालिश टेबल पर ही कर रहे थे, यहाँ से किमी को नहाने जाना था।
अब मैं खुशी से झूम उठा और मैंने किमी को अपनी गोद में उठा लिया। पहले यह संभव नहीं था.. पर अब किमी का बीस किलो वजन कम हुआ है और अब वह 56 किलो की 5.3 इंच हाईट वाली गहरे पेट, पिछाड़ी निकली हुई, सीना उभरा हुआ और शक्ल तीखी, आँखें नशीली, निप्पल काले.. परंतु घेराव कम वाली माल बन चुकी थी। कुल मिला कर अब किमी आकर्षक सुंदरी बन चुकी थी और किसी सुंदरी का भार.. किसी भी नौजवान को भारी नहीं लगता, तो मैंने भी किमी को गोद में उठा लिया।
किमी ने भी अपनी बांहों का हार मेरे गले में डाल लिया और कहा- अब क्या इरादा है जनाब..? मैंने भी कहा- बस देखते जाओ जानेमन.. थोड़ी देर में सब पता चल जाएगा।
मैंने उसे कुर्सी पर बिठा दिया और आँखों पर आलू-खीरा रख कर उसे बैठे रहने को कहा।
अब मैं दूसरी तैयारी करने लगा.. वास्तव में मैं इस पल को और हसीन बनाना चाहता था, चूंकि अभी किमी को नहाना ही था तो मैंने अपना रोमांस बाथरूम में ही करने का प्लान बनाया।
मैं किमी को पहले शाही स्नान कराने के बाद ही उससे सेक्स करना चाहता था। इसलिए मैं दूध, गुलाब जल और गुलाब की पंखुड़ियों को तलाशने लगा। हम लोग दूध के पैकेट घर में हफ्ते में दो बार लाते थे.. एक बार में सात पैकेट लाने से सुबह शाम के हिसाब से तीन चार दिन चल जाता था और मैं आज ही दूध के पैकेट लेकर आया था।
अब मैंने सारे पैकेट फ्रिज से निकाले और एक बाल्टी में तीन पैकेट फाड़ कर डाल लिए और बाकी के पांच पैकेट बिना फाड़े ही बाथरूम में रख आया। बाल्टी को मैंने पानी से भर दिया और किमी के कमरे में रखी गुलाब जल की बोतल को भी बाल्टी में उड़ेल दिया।
अब गुलाब कहाँ से लाता.. क्योंकि जो चाहो वो हो जाए.. ऐसा संभंव नहीं है, तो मैंने बालकनी में खिले गेंदे के कुछ फूल को ही बिखरा कर पानी में डाल दिया।
अब पानी शाही स्नान के लिए तैयार था। शाही स्नान में और भी चीजें होती होंगी, पर मैं उस समय जितना कर सकता था किया।
इसके बाद मैंने पहले अपने पूरे कपड़े उतारे और किमी को फिर से गोद में उठा लिया, उसने मेरी आँखों में आँखें डालकर अपने होंठों में मुस्कुराहट बिखेरी। किमी के खुले शरीर से मेरा खुले शरीर का स्पर्श पहली बार हुआ था, इसलिए दोनों के शरीर में झुरझुरी सी हुई।
मैंने उसे बाथरूम में ले जाकर एक पीढ़े पर बिठाया, बाथरूम बड़ा था.. इसलिए हमें कोई दिक्कत नहीं हो रही थी। चूंकि हम लोगों के अलावा वहाँ और कोई नहीं था, इसलिए दरवाजा भी खुला ही था।
किमी ने मेरी तैयारी देखी और खुश हो गई- संदीप तुम बहुत अच्छे हो यार, सच में तुम बहुत अच्छे हो.. पता नहीं उसने ऐसा कितनी बार कहा होगा, क्योंकि मैं ये शब्द पांच मिनट तक लगातार सुनते रहा। फिर मैंने ही उसके मुंह पर हाथ रख कर उसे चुप कराया।
तभी उसकी नजर बाल्टी में गेंदे के फूल की पत्तियों के ऊपर पड़ी तो उसे हंसी आ गई। मैंने तुरंत कहा- गुलाब के फूल नहीं मिले.. तो इसे डाल दिया! उसने ‘कोई बात नहीं..’ कहते हुए कहा कि जाओ मेरे अलमारी को देख आओ शायद तुम्हें कुछ मिल जाए। मैंने कहा- बाद में देख लूँगा यार! उसने कहा- नहीं अभी जाओ!
मुझे उसकी जिद माननी पड़ी, मैंने उसकी अलमारी खोली.. उसके कपड़ों के ऊपर जो रखा था, उसे देख कर मैं पागल सा हो गया.. उसे लेकर मैं किमी की ओर दौड़ पड़ा और किमी के सामने पहुँच कर ‘आई लव यू टू किमी..’ कहते हुए उसे अपनी बांहों में भर लिया।
दरअसल उस अलमारी में किमी ने मेरे लिए गुलाब का बंच, चॉकलेट, घड़ी, पर्स और एक सफेद कागज रखा था, जिसमें उसने लिपिस्टिक लगा कर किस का निशान बनाया था और ‘आई लव यू संदीप..’ लिखा था।
मैं खुश इसलिए था क्योंकि मैंने किमी से इतने प्यार की उम्मीद नहीं की थी। खैर.. हमने अपनी भावनाओं पर काबू किया।
किमी ने कहा- लो अब गुलाब की पत्तियां मिल गईं ना.. अब डाल दो इसे पानी में! मैंने वैसा ही किया, दो-तीन गुलाब बचा कर बाक़ी तोड़ कर उनकी पत्तियां पानी में डाल दीं।
अब मैंने दूध के पांच पैकेटों में से एक पैकेट किमी के सर के ऊपर रख कर फाड़ा और उसके शरीर के सूख चुके लेप को दूध से भिगो भिगो कर रगड़ना शुरू किया। किमी आनन्द के सागर में डूबी जा रही थी, उसकी नजरें कभी मेरी नजरों से मिलतीं, तो शरमा उठती और कभी वो मेरे फनफनाते लिंग को चोर नजरों से निहारती जा रही थी।
मैंने दूध से उसकी मालिश का सिलसिला जारी रखा, अब मैंने बारी-बारी सारे दूध के पैकेटों को किमी के ऊपर उड़ेलते हुए, किमी के हर अंग की मालिश की। पहले उसके उरोजों को सहलाया, मसला, पुचकारा, पीठ पर उंगलियाँ घुमाईं और अब बारी थी योनि की, मैंने उसके लिए किमी को खड़ा किया और उसके सामने घुटनों पर बैठ गया और उसकी कमर को जकड़ कर मालिश करने लगा। मेरी नजर उसकी योनि पर टिकी थी।
मैंने योनि को नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे सहलाना शुरू किया.. तभी किमी ने मेरे बाल पकड़ के खींचे, मैं समझ गया कि अब खुद पर काबू करना इसके बस का नहीं.. पर मैं अपने कार्य में लीन था।
हालांकि मेरा लिंग भी महाकाय हो चुका था, पर लेप लगाते वक्त वीर्यपात हो जाने से अभी दुबारा फव्वारे पर नियंत्रण था। मैंने योनि की दूध से मालिश करते वक्त अपनी एक उंगली योनि में डाल कर मालिश कर दी, दो चार बार ही उंगली को आगे पीछे किया होगा कि मुझे अन्दर से गर्म लावे का एहसास होने लगा। उसकी योनि रो पड़ी.. रस की नदी जांघों पर बह आई, दूध और उसका रंग एक ही था इसलिए कितना बहा.. ये कहना मुश्किल है। पर बहती धार देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया, लेकिन अभी सब मैला-कुचैला होने की वजह से मैं अपने आपे में ही रहा।
अब किमी की हालत खड़े रहने की नहीं थी और मुझे भी उसे बैठाना ही था क्योंकि अभी उसका स्नान बाकी था।
मैंने उसे पीढ़े पर बिठाया और उसके ऊपर पानी डालने लगा। मैं किमी के सामने खड़ा था और वो मेरे सामने बैठी थी, मतलब मेरा लिंग ठीक उसकी नजरों के सामने था, जब किमी के सर से पानी नीचे की ओर बहता था.. तब दूध और पानी उसके बालों, गालों से होते हुए सीने की घाटियों पर.. और वहाँ से नीचे आकर अथाह समुद्र में खो जाती थी।
उस वक्त एक अलग ही नजारा था, ये देख कर मेरा लिंग झटके मारने लगा।
किमी ने मेरी बेचैनी समझ कर पहली बार मेरा लिंग अपने हाथों में लिया, शायद वो खुद भी बहुत बेचैन थी इसीलिए वो मेरे लिंग को बहुत जोरों से दबा रही थी और आगे-पीछे कर रही थी।
इधर किमी के चिकने शरीर का स्पर्श मुझे पागल कर रहा था। किमी की पकड़ मेरे लिंग पर और मजबूत हुई और रगड़ की वजह से मैं पांच मिनट में फूट पड़ा। मेरे लिंग से निकला बहुत सारा वीर्य किमी के चेहरे पर गया.. वो थू-थू करने लगी।
मैंने कहा- इतना क्यों घिना रही हो.. लोग तो इसे पी भी जाते हैं। तो उसने कहा- वो सब फिल्मों में होता है.. हकीकत में ये सारी चीजें घिनौनी ही लगती हैं। ‘नहीं किमी.. ऐसा नहीं है, ये भी कामक्रीड़ा का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है, ये बात मैं तुम्हें प्रेक्टिकल करके बताऊंगा।’
किमी ने दिखावे में मुंह बनाया और मैंने उसे जल्दी से नहलाया। उसी वक्त उसने मेरे ऊपर भी पानी डाल दिया तो अब हम दोनों ही शाही स्नान का मजा लेने लगे।
हम जल्द ही नहा कर एक-दूसरे को तौलिया से पोंछने लगे, अभी शरीर पूरा नहीं सूखा था.. फिर भी मैंने किमी को फिर से गोद में उठाया और हॉल वाले बेड पर ले आया।
यहाँ रोशनदान से और खिड़की से खूब प्रकाश आ रहा था, रूम के बाहर फुलवारी और उसके बाद बड़ा गेट जो हमेशा बंद रहता था, इसलिए खिड़की बंद करने की आवश्यकता नहीं थी।
किमी को मैंने बिना कपड़ों के कई बार देखा था.. पर आज वो दूध से नहा कर निकली थी। उसके बाल भीगे हुए थे और चेहरे पर शर्म उसकी खूबसूरती पर चार चांद लगा रहे थे। मुझे वो रति, मेनका, रंभा जैसी अप्सरा नजर आ रही थी और मैं खुद के भीतर कामदेव को महसूस कर रहा था।
किमी ने अपने एक हाथ से बाल का पानी झड़ाना शुरू किया.. अय..हय.. उसके उरोजों का हिलना देख कर मैंने अपना धैर्य खो दिया और मैंने बेड पर चढ़कर उसे गले लगा लिया।
किमी का हर अंग फूलों सा नाजुक और मुलायम लग रहा था। मैंने किमी के हर एक अंग को चूमना चाटना चाहा, किमी ने भी अपनी बांहों में मुझे लपेट लिया और मेरे बराबर ही प्रतिउत्तर देने लगी, हमारी आवाजें, सिसकारियों में बदल गईं।
अब मैंने किमी को खुद से अलग किया और उसे बेड पर सीधा लेटा दिया।
मेरी इस सेक्स कहानी के साथ जुड़े रहिए, आप समझ रहे हैं कि अभी बहुत कुछ बाक़ी है। अपने विचार इस पते पर भेजें। [email protected] कहानी जारी है।
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