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नमस्कार दोस्तो, आपका संदीप साहू आप लोगों का प्यार पाकर गदगद है, आगे भी ऐसे ही साथ देते रहिये… किमी को आकर्षक और सुडौल बनाने के बाद किमी के साथ मेरा सेक्स संबंध बनने जा रहा है, अभी हम दोनों हॉल के बेड पर हैं। अब आगे..
मैंने किमी को खुद से अलग किया और बेड पर सीधा लेटाकर मैं खुद उसके पैरों की ओर आकर घुटनों पर बैठ गया।
मैंने किमी को नीचे से ऊपर तक निहारा किमी का रंग काले से गेहुँआ हो गया था.. उसका पेट अन्दर की ओर हो गया था, गला सुराहीदार, होंठ कंपकंपाते हुए उसको बेहद हसीन बना रहे थे।
मैंने इस नजारे को अपनी आँखों में हमेशा के लिए कैद करने की नाकाम कोशिश की। उसकी त्वचा इतनी मुलायम लग रही थी कि मेरा उसकी शरीर के हर हिस्से को चाटने का मन हुआ.. और आज मैंने अपने मन की बात सुनी। सबसे पहले मैंने किमी के पैरों के अंगूठे को जीभ से सहलाया और धीरे-धीरे पूरा अंगूठा मुंह में भर के चूसने लगा। किमी के लिए यह सब नया था.. वो हड़बड़ा कर उठ गई, पर उसे आनन्द भी आ रहा था, उसकी सिसकारियों और शरीर की कंपन साफ पता चल रही थी।
मैंने उसके दोनों पैर के अंगूठे बड़े मजे से चूसे.. फिर उसकी दोनों टांगों पर बारी-बारी जीभ फिराने लगा। मैं अपनी जीभ उसके पंजों से शुरू करके उसकी जांघों तक फिराता था, जिससे वो एकदम से सिहर रही थी।
फिर मैं खिसक कर ऊपर आ गया और उसके पेट और नाभि में जीभ घुमाने लगा, किमी पागल हुए जा रही थी।
मैंने जीभ को ऊपर की ओर बढ़ाते हुए उसके उरोज और निप्पल तक पहुँचाई। जब जीभ निप्पल तक पहुँचती थी, तब मैं अचानक ही उसके पूरे उरोज को खाने जैसा प्रयास करता था।
किमी ने आँखें बंद कर ली थीं और ‘आई लव यू संदीप..’ की रट लगाने लगी, मैं अपने ही काम में व्यस्त रहा।
जब मैंने उसके कंधों, कान और गाल को चूमा तो वो सिहर उठी। उसने मुझे जकड़ना चाहा और तभी मैंने उसके मुंह में जीभ डाल दी। मैं उसे उत्तेजक चुंबन देना चाह रहा था और वो मेरे हर हमले का जबाव मुझसे बढ़ कर दे रही थी।
उसने मेरे कानों में कहा- संदीप अब देर किस बात की..!
मैंने उसकी आँखों को देखा.. उसमें वासना ही वासना भरी थी, पर मैं अभी कुछ और चाहता था, इसलिए मैंने उठ कर अपनी दिशा बदली। अब मैंने उसके चेहरे की ओर अपनी कमर और उसकी कमर की ओर अपना चेहरा रखा। इस दौरान मैंने किमी को खुद के उभारों को दबाते देखा।
मैंने फिर नाभि से जीभ फिराना चालू किया और इस बार मेरे जीभ का अंतिम पड़ाव किमी की योनि का ऊपरी सिरा था। किमी ने मेरा सर पकड़ लिया और कराहने लगी, मैंने भी अपना जौहर दिखाते हुए योनि के चारों ओर जीभ घुमाई और योनि की दरारों में जीभ फेरने लगा।
किमी के शरीर की झुरझुरी साफ महसूस हो रही थी, किमी ने मेरे बाल और जोर से खींचे.. शायद कुछ बाल उखड़ भी गए हों।
तभी मैंने कुछ देर रुककर किमी से कहा- किमी लिंगराज के लिए अपने मुंह का द्वार खोल दो..! किमी ने कहा- क्या संदीप.. और क्या-क्या कराओगे मुझसे!
इतना ही कह कर वो मेरे लिंग पर जीभ फिराने लगी.. पहले तो उसने खांसने का नाटक किया.. फिर जल्द ही लिंग को मुंह की गहराइयों तक ले जाकर चूसने लगी।
मन तो किमी का पहले ही उसे चूसने का हो रहा होगा.. पर शायद मेरे कहने का इंतजार कर रही थी। क्योंकि कोई भी इंसान जो सेक्स के लिए तड़प रहा हो उसके सामने सात इंच का तना हुआ गोरा लिंग लहरा रहा हो.. तो मन तो करेगा ही.. और अभी तो मेरे लिंग का आकार उत्तेजना की वजह से और ज्यादा भी हो गया था।
अब हम दोनों 69 की पोजीशन में मुख मैथुन में लगे हुए थे।
किमी ने एक बार फिर साथ छोड़ दिया और उसी वक्त उसने मेरा लिंग अपने दांतों में जकड़ लिया। मैं चीख पड़ा, किमी कांपते हुए झड़ गई, उसके अमृत की कुछ बूँदें मेरे जीभ में लगीं, पर मैंने सारा रस नहीं पिया क्योंकि मुझे अच्छा नहीं लगता।
अब किमी ने लिंग से दांतों की पकड़ ढीली की.. तब मैंने अपना लिंग उसके मुंह से निकाल लिया। मेरा लिंग दर्द की वजह से थोड़ा सिकुड़ गया था। वैसे अच्छा ही हुआ.. नहीं तो मेरा भी स्खलन अब तक हो चुका होता।
फिर दोनों लिपट कर कुछ देर लेट गए, किमी ने मुझे न जाने कितनी बार चूमा और थैंक्स कहा।
कुछ देर ऐसे ही उसके उरोजों और शरीर से खेलने के बाद मैं एक बार फिर जोश में आ गया था। किमी की भट्ठी भी दुबारा जलने लगी थी।
इसी बीच किमी बाथरूम से होकर आ गई और अब उसकी योनि भी साफ थी। हम एक बार फिर जल्दी से मुख मैथुन की मुद्रा में आ गए और जैसे ही मुझे अपने लिंग में पूर्ण तनाव महसूस हुआ, मैंने किमी के टांगों को फैलाया और उसकी योनि पर अपना लिंग टिका कर बैठ गया।
मैंने किमी की योनि को अपने लिंग से सहलाया.. किमी ने बिस्तर को जकड़ लिया था, मानो वह हमले के लिए तैयारी कर रही हो।
उसकी योनि ने मेरा मार्ग आसान करने के लिए चिपचिपा द्रव्य छोड़ दिया था, अब मैंने किमी की आँखों में देखा और अपनी भौंहे उचका कर शरारती इशारा किया तो किमी शरमा गई और ‘धत’ कहते हुए मुंह घुमा लिया।
अब मैंने लिंग को उसके योनि में प्रवेश करा दिया.. अन्दर के गर्म लावे को मेरा लिंग साफ-साफ महसूस कर सकता था। किमी की आँखें बंद करते हुए एक ‘आह..’ भरी और इसी सिसकारी के साथ किमी ने लिंग को अपने अन्दर ले लिया। हालांकि उसकी सील पहले से टूटी हुई थी.. पर योनि की कसावट अभी भी बरकरार थी।
मैंने कमर धीरे-धीरे हिलाया और उसे छेड़ा- गाजर इससे भी मोटी थी क्या? किमी ने ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ के साथ लड़खड़ाते हुए कहा- आह्ह.. बड़ा बेशर्म है रे तू.. बड़ी थी या छोटी.. मैं नहीं जानती.. पर ये जरूर है कि आज जैसा मजा मैंने जिन्दगी के किसी पल में नहीं लिया!
और इतना कहने के साथ ही उसके मासूम आंसू गालों पर ढलक आए। किमी उस वक्त और भी बला की खूबसूरत लगने लगी, किमी की आँखें वासना से लाल हो गई थीं और उसने मुझसे निवेदन के लहजे में कहा- संदीप अब और बर्दाश्त नहीं होता.. आज मुझे ऐसे रगड़ो कि जिन्दगी भर न भूल पाऊं.. और हाँ संदीप, मैंने आज से अपनी जिन्दगी तुम्हारे नाम कर दी है, अब कभी मुझसे दूर न होना।
इतना सुनकर मेरे अन्दर का जोश बढ़ गया.. मैंने किमी से कहा- तुम चिंता छोड़ कर सिर्फ आनन्द लो!
मैं अपना घोड़ा तेज दौड़ाने लगा… कमरा आआआअ… ऊऊऊउउउ की मादक आवाजों से गूँजने लगा। किमी के पूरे शरीर को मैं बार-बार सहला रहा था, किमी ने अपने उरोज खुद थाम रखे थे, अब हम दोनों के बीच शर्म नाम की कोई चीज नहीं थी।
सम्भोग की गति बढ़ने लगी.. फिर और ज्यादा बढ़ने लगी.. और तब तक बढ़ती रही, जब तक तूफान शांत न हो गया, हम दोनों एक साथ ही स्खलित हुए थे।
दोनों ऐसे ही लेटे रहे और आँखें मुंद गईं। जब शाम चार बजे नींद खुली.. तो होश आया कि आज दोपहर हमने खाना ही नहीं खाया है, फिर भी हम दोनों ने बाथरूम से आकर खाना बनाने के पहले एक राऊंड और रतिक्रिया किया और बहुत आनन्द लिया।
फिर खाना खाने बाहर गए और रात को फिर एक बार ये दौर चला।
अब हम लगभग रोज ही एक बार सेक्स कर लिया करते थे। एक से ज्यादा भी नहीं करते थे क्योंकि इससे रुचि खत्म हो जाती।
किमी का व्यायाम, डांसिंग, स्वीमिंग, साइकिलिंग, लेप और सभी उपक्रम अब दिनचर्या में शामिल हो गया था। अब किमी दिनों दिन और खूबसूरत होने लगी थी। हमारा संबंध और गहरा हो गया था।
एक दिन जब हम घर पर बैठे थे, तो किमी को उसके पापा का फोन आया, वो किमी की बहन स्वाति को किमी के पास पी.एस.सी. की तैयारी के लिए भेज रहे थे।
जब किमी ने मेरे होने का बहाना किया, तब पापा ने ‘तुम तीनों ही रह लेना’ कह दिया।
मैंने किमी से कहा तो तुम इतना परेशान क्यूं हो रही हो, आने दो ना उसे.! तो उसने कहा- तुम समझते नहीं संदीप.. वो आ गई तो हमें खुलकर मिलते नहीं बनेगा। मैंने किमी को समझाते हुए कहा- तुम फिकर मत करो, कोई न कोई रास्ता निकल आएगा, तुम टेंशन में इस पल को बर्बाद मत करो।
मैं उसे बांहों में लेकर रतिक्रिया में डूब गया।
अभी बहुत कुछ है, अन्तर्वासना के साथ बने रहें और अगली सेक्स कहानी का इंतजार करें।
आप अपने विचार इस पते पर जरूर दें। [email protected]
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