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दो बार स्खलित होने से सुमन के पैर थरथराने लगे, सुमन हांफती हुई दीवार से टिक कर खड़ी रहने की कोशिश कर रही थी मगर उसके पैर कांप रहे थे। उसे तनिक भी आभास नहीं था कि सेक्स की पराकाष्ठा क्या होती है। पहली बार वो उसे इस तरह से स्खलित हुई थी।
सुमन गिरने को थी कि तभी मैंने उठकर उसे सहारा दिया और सुमन ने भी मेरे ऊपर अपने शरीर का पूरा भार डाल दिया। सुमन अब बिल्कुल बदहवास सी हो गई थी, सुमन की हालत का फायदा उठाकर मैं उसे अपने बिस्तर पर ले आया और उसके पैरों में फंसी सलवार व पेंटी को भी उतार कर अलग दिया।
मैं भी अब अपने सारे कपड़े उतारकर बिल्कुल नंगा हो गया और मैंने धीरे धीरे सुमन के गालों पर फिर से चूमना शुरू कर दिया जिससे सुमन के बदन में पहले तो हल्की सी चेतना आई और फिर अचानक से वो से उठकर बिस्तर पर बैठ गई, तभी शायद उसे अपनी नंगी अवस्था का अहसास हुआ और वो अपने कपड़े तलाश करने के लिये बिस्तर पर इधर उधर अपना हाथ चलाने लगी, मगर उसके कपड़े तो मुझे ही नहीं पता था कि उतारकर मैंने कहाँ डाल दिये थे इसलिये इतनी आसानी से सुमन को कैसे मिल जाते, ड्राईंगरूम में इतना अन्धेरा था कि हाथ तक दिखाई नहीं दे रहा था फिर सुमन को उसके कपड़े कैसे मिल सकते थे।
सुमन अन्धेरे में ऐसे ही बिस्तर अपना हाथ चला रही थी कि सुमन का हाथ मेरे उत्तेजित लिंग पर लग गया, मेरे लिये तो यह काफी सुखद था मगर सुमन ने अपने हाथ को ऐसे झटका जैसे उसने कोई बिजली की तार को छू लिया हो और वो मुझसे दूर एक तरफ होकर बैठ गई।
सुमन को भी पता चल गया था कि मैंने उसके साथ ये सब जानबूझकर किया है मगर फिर भी वो कुछ बोल नहीं रही थी, शायद अभी जो कुछ हमारे बीच हुआ था, उसकी वजह से वो शर्मा रही थी।
अन्धेरे में कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था बस सुमन का साया ही नजर आ रहा था जो मुझसे थोड़ी सी दूर बिस्तर पर ही बैठी हुई थी। सुमन ना तो कुछ बोल नहीं रही थी और ना ही कोई हरकत कर रही थी, बस चुपचाप बैठी हुई थी।
जब काफी देर तक सुमन ऐसे ही बैठी रही तो मैं ही खिसक कर धीरे से उसके पास चला गया, पहले तो मैंने उसका हाथ पकड़कर थोड़ा सा उसे अपनी तरफ खींचा, फिर धीरे से अपनी बाँहों में भर कर बिस्तर पर लुढ़क गया। अब सुमन मेरे ऊपर थी और मैं उसके नीचे था। मेरे शरीर पर तो एक भी कपड़ा नहीं था और सुमन के बदन पर भी बस एक ढीला सा कुर्ता व ब्रा ही थे और वो भी अस्त-व्यस्त हो गए थे।
नीचे से तो वो बिल्कुल ही नंगी थी इसलिये सुमन की मखमली नर्म मुलायम जाँघें सीधे मेरी नंगी जाँघों पर लग रही थी और मेरे उत्तेजित लिंग ने भी एक बार उसकी नंगी जांघों को अपनी कठोरता का अहसास करवा दिया था, तभी सुमन पलटकर मुझ पर से नीचे उतर गई और उठने की कोशिश करने लगी मगर मैंने उसे पकड़कर अपनी बगल में खींच लिया और अपना एक पैर उसकी नंगी जांघों पर रखकर उसे दबा लिया।
इस बार सुमन का मुँह दूसरी तरफ था और मैं उसके पीछे आ गया था, अब मेरा लिंग सुमन के नितम्बों के ठीक बीच में था जिससे वो कसमसाने लगी। सुमन अब भी कुछ नहीं बोल रही थी बस थोड़ा बहुत कसमसा ही रही थी।
मैंने अपना एक हाथ सुमन के शर्ट के अंदर डाल दिया और उसकी दोनों चूचियों को मसलना शुरू कर दिया, साथ ही दूसरे हाथ से धीरे धीरे उसके शर्ट को भी ऊपर खिसकाने लगा जिससे सुमन जोर से कसमसाने लगी और मेरे हाथ से अपने आप को बचाने के लिये थोड़ा सा झुक गई।
झुकने से सुमन के नितम्ब ऊपर हो गये और मेरा लिंग पीछे से उसकी दोनों जांघों के बीच सीधा बुर द्वार पर ही लग गया, अब तो सुमन और भी जोरो से कसमसाई और तुरंत सीधी हो गई मगर तब तक मैंने शर्ट को ऊपर खिसका कर उसकी पीठ को भी नंगा कर लिया था और उसकी मखमली नंगी पीठ को चूमना शुरू कर दिया।
सुमन मेरे होठों के स्पर्श से बचने के लिये इधर उधर हिलने लगी, सुमन ना तो कुछ बोल रही थी और ना ही मेरा विरोध कर रही थी बस कसमसा ही रही थी।
कुछ देर तक सुमन की नंगी पीठ को चूमने के बाद मैं उसकी गर्दन पर से होते हुए गालों पर आ गया और साथ ही धीरे से मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी बुर की तरफ भी बढ़ा दिया मगर मेरे छूने से पहले ही सुमन ने दोनों जांघों को भींच कर अपनी बुर को छुपा लिया, अब मैं उसकी बुर को तो नहीं छू सकता था इसलिये दोनों जांघों को व जांघों के बीच बुर के ऊपरी भाग को ही रगड़ने लगा और साथ ही धीरे धीरे उंगलियों को जांघों के बीच में घुसाने की भी कोशिश कर रहा था।
मेरा एक हाथ सुमन की चूचियों को मसल रहा था तो दूसरा उसकी जांघों व जांघों के बीच बुर के ऊपरी भाग को सहला रहा था, साथ ही मेरी जीभ सुमन की गर्दन व गालों पर चल रही थी और पीछे से मेरा उत्तेजित लिंग भी उसके नितम्बों को रगड़ रहा था।
इस चौतरफा हमले को सुमन ज्यादा देर तक सहन नहीं कर सकी और जल्द ही उसकी सांसें गर्म व गहरी होने लगी, चूचियों के निप्पल तन कर सख्त हो गये और जांघों की पकड़ ढीली होने लगी। सुमन अब फिर से उत्तेजित होने लगी थी।
सुमन के ढीली पड़ते ही मेरी उंगलियाँ धीरे धीरे उसकी जांघों के बीच जगह बनाने लगी, पहले तो मैंने थोड़ा थोड़ा करके उंगलियों से दोनों जांघों के बीच जगह बनाई और फिर धीरे धीरे करके अपना हाथ ही उसकी दोनों जांघों के बीच घुसाकर पूरी बुर पर कब्जा जमा लिया जो अब तक काफी गीली हो चुकी थी।
सुमन की बुर पर अब मेरा पूरा अधिकार हो गया था इसलिये मैं पूरा हाथ फैलाकर उसकी बुर को मसलने लगा जिसका सुमन भी कोई विरोध नहीं कर रही थी।
ऐसे ही कुछ देर तक मैं सुमन की बुर को मसलता रगड़ता रहा जिससे धीरे धीरे उसकी जांघों का दायरा बढ़ने लगा और मुँह से हल्की हल्की सिसकारियां भी फ़ूटनी शुरु हो गई। सुमन अब पुरी तरह मेरे वश में थी इसलिये मैंने उसकी बुर को सहलाते हुए धीरे धीरे उसे अपनी तरफ घुमा लिया और अपनी बाहों में भर कर उसके गालों को जोर से चूमने चाटने लगा जिसका सुमन ने कोई विरोध नहीं किया।
सुमन के गालों को चूमते हुए मैं उसके होंठों पर आ गया और धीरे से उसके रसीले होंठों को मुँह में भर लिया। सुमन के होंठों को मुँह में भरने से एक बार तो वो थोड़ा सा कसमसाई मगर फिर वो खुद ही धीरे धीरे मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैंने भी अब तुरन्त करवट बदलकर सुमन को नीचे गिरा लिया और खुद उसके ऊपर आ गया। सुमन का मखमली बदन अब मेरे नीचे था और मेरा उत्तेजित लिंग सीधा सुमन की नंगी बुर को छू रहा था।
मैं पहले ही काफी उत्तेजित हो चुका था और अब अपने लिंग पर सुमन की नंगी बुर की गर्माहट पाकर तो मैं अपने आप में नहीं रहा, मैंने सुमन के पूरे चेहरे पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी और साथ ही एक हाथ से उसकी नंगी चूचियों को भी मसलना शुरू कर दिया।
सुमन अपनी बुर को मेरे लिंग के स्पर्श से बचाने के लिये कमर को इधर उधर हिलाकर कसमसा रही थी मगर मैंने उसको ऐसे ही दबाये रखा और उसकी गर्दन पर से चूमते हुए उसकी चूचियों पर आ गया।
मैं अब बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को चूम चाट रहा था, सुमन पहले ही काफी उत्तेजित थी और अब तो मैं उसके पूरे बदन को मैं रगड़ मसल रहा था इसलिये धीरे धीरे वो फिर से शांत हो गई।
कुछ देर सुमन की चूचियों का रस पीने के बाद मैं उसके पेट पर से चूमते हुए नीचे उतर गया और सीधा अपना सिर उसकी दोनों जांघों के बीच घुसा दिया।
सुमन ने अपनी जांघें बन्द करने की कोशिश भी की मगर तब तक मैंने अपने हाथ दोनों जांघों के बीच घुसाकर उन्हें फैला दिया और एक बार फिर मैंने अपने होंठों को उसकी गीली बुर पर रख दिया जिससे सुमन अपने पैरों को समेटकर दोहरी हो गई और इईईई… श्शशश… अआआ… हहहह… की आवाज करके मेरे सिर को दोनों जांघों के बीच दबा लिया।
सुमन ने मेरे सिर को पकड़ कर अपनी बुर पर से हटाने का प्रयास भी किया मगर तब तक सेन्ध लग चुकी थी और मेरे होंठों ने उसकी बुर की कोमल फांकों को चूमना भी शुरू कर दिया… सुमन का प्रयास हल्का पड़ गया और वो कसमसाकर रह गई।
मैं सुमन की बुर को ऊपर से चूमते हुए धीरे धीरे नीचे बुर द्वार की तरफ बढ़ रहा था जिससे सुमन के मुँह से हल्की हल्की सिसकारियां फ़ूटने लगी और धीरे धीरे उसकी दोनों जांघें भी फिर से फैलने लगी।
मैंने भी अब सुमन की बुर को जीभ निकाल कर चाटना शुरू कर दिया जिसका वो बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रही थी बल्कि अब तो उसने खुद ही अपनी जांघों को पूरी तरह से फैला दिया, मैं अब खुलकर उसकी बुर के साथ खेलने लगा, कभी उसे होंठों से चूम रहा था, तो कभी जीभ निकाल कर पूरी बुर को ही चाट ले रहा था, और कभी कभी तो मैं जीभ को नुकीला करके बुर द्वार में हल्का सा घुसा देता जिससे सुमन जोर से सिसकार पड़ती और अपने नितम्बों को ऊपर हवा में उठाकर बुर को मेरे मुंह पर दबा लेती।
सुमन पुरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी इसलिये अब वो खुद ही अपनी बुर को मेरे मुँह पर घिसने लगी थी। सुमन तो शायद यही सोच रही थी कि मैं पहले की तरह मुँह से ही उसका रस स्खलित कर दूँगा मगर सुमन की बुर के साथ खेलने हुए पहले तो मैं उसको धीरे धीरे धकेल कर बिस्तर के बीचोंबीच ले आया और फिर उसकी दोनों जांघों को फैलाकर धीरे से उसके ऊपर लेट गया जिसका उसने विरोध तो नहीं किया बस हल्का सा कसमसाई और फिर शांत हो गई।
मैंने भी अपने लिंग को सुमन की बुर में घुसाने के लिये एक हाथ से लिंग को बुर द्वार पर लगाकर जोर से धक्का लगा दिया। जिससे सुमन अआआ..हहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… अआउऊच… करके जोर से चीख पड़ी और मेरा लिंग भी बुर द्वार से फिसल कर बुर रेखा में ऊपर की तरफ निकल गया।
सुमन इतनी जोर से चिल्लाई थी कि अगर बाहर बारिश का शोर नहीं होता तो शायद सुमन की चीख मेरे मम्मी पापा को भी सुनाई दे जाती, इसलिये मैंने जल्दी से एक हाथ से सुमन का मुँह दबा लिया और कुछ देर के लिये कोई हरकत नहीं की।
मुझे यह तो पता था कि कुँवारी बुर सख्त होती है और उसमें पहली बार जब लिंग प्रवेश होता है तो दर्द भी होता है, मगर यह नहीं पता था कि इतना अधिक दर्द होगा कि सुमन इतनी जोर से चीख पड़ेगी और उसमें मेरा लिंग भी इतनी आसानी से नहीं जायेगा। मैंने मेरी भाभी व रेखा भाभी के साथ काफी बार सम्बन्ध बनाये थे मगर किसी कुँवारी लड़की के साथ यह मेरा पहला अनुभव था। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
सुमन का मुँह मैंने दबा रखा था मगर वो अब भी गुगुँगुँ… गूँगूँगूँ… कर रही थी, मैं वैसे ही सुमन के बदन पर लेटा रहा और फिर से उसके गालों को चूमने चाटने लगा, साथ ही अपने लिंग को भी दूसरे हाथ से पकड़कर बुरद्वार पर घिसने लगा।
सुमन की बुर प्रेमरस से भीग कर इतनी चिकनी हो गई थी कि अपने आप ही मेरा लिंग बुर की दरार में फिसल रहा था।
कुछ देर तक मैं ऐसे ही सुमन को चूमता चाटता रहा और अपने लिंग को भी बुर की दरार में घिसता रहा जिससे सुमन के मुँह से हल्की-हल्की आहें फ़ूटने लगी। सुमन काफी उत्तेजित थी और उसकी बुर तो मुझे सुलगती सी महसूस हो रही थी, शायद वो स्खलित होने की कगार पर पहुंच गई थी क्योंकि अब वो खुद ही अपनी कमर को हिलाकर अपनी बुर को मेरे लिंग पर घिसने लगी थी, शायद वो जल्दी से चरम पर पहुँचना चाहती थी और उसके इन्हीं पलों का फायदा उठाकर एक बार फिर मैंने अपने लिंग को बुर के मुहाने पर रखकर जोर दार धक्का लगा दिया।
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