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अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के पाठकों को नमस्ते, मेरा नाम रमन है, मैं पटियाला के पास एक गाँव में रहता हूँ।
मैं आपको मेरी सच्ची चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ। पंजाबी में खूबसूरत जवान लड़की को मुटियार कहते हैं।
बात आज से एक साल पहले की है, मुझे आधार कार्ड बनाने वाली कंपनी में जॉब मिली थी.. वहाँ पर कुछ लड़कियां भी काम करती थीं। उधर काम करते हुए दिन बीतते गए।
मुझे उनमें से एक लड़की बहुत पसंद थी.. उसका नाम दीप्ति था। दीप्ति दिखने में बहुत सेक्सी थी.. उसका वैसे ही बहुत कामुक फिगर था और ऊपर से वो कपड़े भी एकदम चुस्त पहनती थी.. जिसमें से उसका पूरा यौवन खिल कर दिखता था।
थोड़े दिन बाद मैंने उससे कह ही दिया- मैं तुमसे फ्रेंडशिप करना चाहता हूँ.. मैं तुम्हें प्यार करता हूँ। पहले तो वो घबरा सी गई.. मगर फिर उसने कहा- मुझे सोचने का कुछ वक्त दो। मैंने कहा- ठीक है.. कितना वक्त? उसने कहा- मैं एक हफ्ते बाद बताऊँगी। मैंने कहा- ठीक है।
मैं खुश था कि उसको मुझमें कुछ तो लगा, तभी तो उसने मुझसे वक्त माँगा, नहीं तो वो मुझे मना भी कर सकती थी।
यूं ही दिन बीतते गए.. अब हम साथ में लंच करते थे, मैं उसके पास बैठ कर खाना खाता था, मुझे उसका साथ बहुत अच्छा लगता था।
फिर एक हफ्ते के बाद वो दिन आ ही गया, जिसका मुझे इन्तजार था, मैंने सुबह उठते ही उसको फोन किया- अब बताओ.. तुमने क्या सोचा? वो बोली- अरे बाबा, इतनी भी क्या जल्दी है.. बता दूँगी.. ऑफिस तो आ जाऊँ! मैंने कहा- ठीक है।
मैं ऑफिस के बाहर उसका इन्तजार करने लगा.. उसके आते ही उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- अब तो बताओ? वो बोली- हाँ मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ.. मुझे तुम पहले दिन से ही अच्छे लगते थे.. क्योंकि तुम सबकी मदद करते हो, यह मुझे बहुत अच्छा लगता है।
यह सुन कर मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा.. मैंने उसका हाथ पकड़ा और चूम लिया, वो कुछ नहीं बोली। फिर हम अपने अपने लैपटॉप लेकर बैठ गए और काम करने लगे।
इसके बाद हमारी फोन पर बातें होने लगीं।
एक दिन हमारे सेंटर में दो महीने की सेलरी ना आने की वजह से हड़ताल हो गई.. तो हमने लोगों को कह दिया कि आज कोई काम नहीं होगा, इससे लोग अपने अपने घर चले गए और हम सभी एक जगह बैठ गए।
अब तक मेरे और दीप्ति के बारे में सबको पता चल चुका था।
उस दिन थोड़े टाइम सबके साथ बैठने के बाद मैंने उससे कहा- चलो हम दोनों ऊपर चलते हैं।
पहले तो वो कहने लगी कि नहीं, पर मेरे जोर डालने पर मेरे साथ चली गई। हम दोनों ऊपर एक साईड में बैठ गए और बातें करने लगे। बातों बातों में मैंने उसका हाथ पकड़ लिया, तो वो कुछ नहीं बोली.. इससे मेरी हिम्मत बढ़ी, मैंने उससे कहा- मुझे किस करना है!
वो कुछ नहीं बोली तो मैंने हौसला करके मुँह आगे बढ़ाया.. तो उसने आखें बँद कर लीं। अब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. उसने अब भी कुछ नहीं कहा तो मैं उसके होंठ चूसने लगा, कुछ पलों बाद वो भी मेरा साथ देने लगी।
उसके होंठों को चूमने में बहुत मजा आ रहा था, मैं देर तक उसके होंठ चूसता रहा और मेरा हाथ कब उसके मम्मों पर चला गया, मुझे पता ही नहीं चला। मगर जब वो कुछ नहीं बोली, तो मैंने उसकी कमीज के अन्दर हाथ डाल दिया.. अब तो वो सिसकारियां भरने लगी और उसने भी अपना हाथ मेरी पैंट के अन्दर डाल दिया, उसका हाथ मेरे लंड को आगे पीछे करने लगा।
अब मुझे बहुत मजा आने लगा था।
कुछ ही देर में उसकी चुदास भड़क उठी.. उसने मेरा लंड पैंट से बाहर निकाल लिया और हिलाने लगी। थोड़ी ही देर में उसके हाथों लंड की मुठ मारी जाने से मैं झड़ गया। इसके बाद हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े ठीक किए और नीचे आ गए। फिर हम दोनों अपने अपने घर चले गए।
रात को खाना खाकर मैंने उसे फोन किया, आधा घंटा हम दोनों बात करते रहे। मैंने उसके साथ सेक्स करने को बोल दिया, तो वो आसानी से मान गई। वो बोली- पर कोई सेफ सी जगह पर करेंगे!
मुझे तो उसको चोदना था.. तो मैंने अपने मित्र को फोन लगाया और उससे कमरे के लिए बोल दिया। मित्र की ‘हाँ’ मिलते ही मैंने दीप्ति को बता दिया। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर एक तय समय के बाद वो टाईम आ ही गया और हम दोनों मित्र के कमरे में चले गए। मेरा मित्र हम दोनों को अकेला छोड़ कर चला गया। उसके कमरे में अन्दर जाते ही मैं दीप्ति को चूमने लगा।
कमरे में सेक्स की हवा बहने लगी और दीप्ति भी मुझे काम की हवस में चूमे जा रही थी। दस मिनट तक चूमने के बाद मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए। वो भी मुझे नंगा कर रही थी।
अगले कुछ पलों में वो सिर्फ काले रंग की ब्रा और पेंटी में थी। उफ़.. क्या गजब लग रही थी वो.. मेरा लंड तो अंडरवियर फाड़ कर बाहर आने को आतुर हो रहा था।
मैंने दीप्ति की ब्रा हटा कर उसके चूचे दबाने शुरू कर दिए, वो भी धीरे-धीरे मेरा लंड सहलाने लगी। हम दोनों पूरी तरह नंगे हो चुके थे और मैंने दीप्ति को लिटा दिया और उसकी नंगी चिकनी चुत में उंगली घुसाई और फिर चुत चाटने लगा।
दीप्ति की गर्म और गीली चुत का पता नहीं.. कैसा खट्टा-कसैला और नमकीन सा स्वाद था! फिर दोनों 69 की स्थिति में आकर कुछ मिनट तक एक-दूसरे को चूम-चाट कर मजा दिया।
वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और बोलने लगी- जल्दी से चोद दो मुझे..!
तो मैंने अपना लंड चुत से रगड़ते हुए एक ही झटके में आधा अन्दर डाल दिया। वो तड़फ उठी और बोली- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आराम से डालो.. दर्द होता है।
थोड़ी देर रुकने के बाद मैंने दूसरा झटका लगाया और पूरा लंड अन्दर डाल दिया। अब मैं धीरे धीरे लंड अन्दर बाहर करने लगा। मुझे लगा कि ये साली खेली खाई लगती है तो मैंने पूछा। इस पर उसने बताया कि उसने पहले भी सेक्स किया है।
देर तक चोदने के बाद मैं उसकी चुत में ही झड़ गया।
कुछ देर बाद फिर चुदाई शुरू हो गई और इस तरह मैंने उस दिन उसे 3 बार चोदा।
उसके बाद भी मैंने उसे बहुत बार चोदा औऱ उसकी गांड भी मारी। अब उसकी शादी हो चुकी है।
मेरी यह हिंदी सेक्स स्टोरी आपको कैसी लगी, जरूर बताइएगा। [email protected]
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