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दोस्तो, मेरा नाम रवि है, मैं मुम्बई का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 23 साल है.. मैं 18 साल की उम्र से अन्तर्वासना की हिंदी सेक्स कहानी पढ़ रहा हूँ इसलिए मैं सेक्सी भाभियों और आंटियों को देख देख कर अक्सर उन्हें चोदने के सपने देखता रहता था, पर मुझे 20 साल की उम्र तक चुत के दीदार नहीं हुए थे।
मैं 19 साल की उम्र में पढ़ाई के लिए दूसरे शहर गया, मैं वहाँ एक साल हॉस्टल में रहा.. पर मुझे वहाँ रहने में मजा नहीं आ रहा था, इसलिए मैं और मेरे दो दोस्तों ने मिलकर किराए पर एक घर ले लिया था। घर के मालिक भी बाजू के घर में ही रहते थे, उनके घर में वो और उनकी बीवी रहती थी।
उनकी शादी को दस साल हो चुके थे.. पर उनकी अब तक कोई औलाद नहीं हुई थी, इसलिए आंटी और अंकल सब बच्चों से बड़े प्यार से रहते थे। आंटी का नाम नीलिमा था और उनकी उम्र 30 साल थी।
जब मैंने पहली बार उन्हें देखा तो मैं बस उन्हें ही देखता रहा। अब तक मैंने न जाने कितनी ही आंटियों को देखा था, पर इतनी खूबसूरत आंटी को देख कर सबको भूल गया। मैंने तभी तय कर लिया था कि पढ़ाई खत्म होने तक इस घर से कहीं नहीं जाऊँगा।
उन्हें देख कर किसी को भी ऐसा ही लगेगा कि वो एक 22 साल की लड़की हैं। उनका मासूम चेहरा और पतली गोरी कमर देख कर मुझे उनसे प्यार हो गया था।
अंकल की सोने-चांदी की दुकान थी.. इसलिए वो सुबह जाते और शाम को घर आते थे।
मेरे दोस्तों के घर नजदीक के गाँवों में थे इस वजह से वो दोनों दो-एक दिन की छुट्टी में भी घर जाकर हो आते थे, मैं अक्सर घर में अकेला ही रह जाता था। छुट्टी के दिनों में मैं टाईम पास करने के लिए मकान मालिक के घर चला जाता था। इस तरह मेरी और अंकल आंटी की अच्छी जान पहचान हो गई थी।
ऐसे ही चार-पांच महीने निकल गए।
अब मैं शाम को ही उनके घर जाता था। फिर जब मेरे दोस्त अपने अपने घरों को जाते, तब आंटी को मिलने के लिए किसी न किसी बहाने से जाने लगा। इस तरह मेरी और आंटी की अच्छी दोस्ती हो गई।
आंटी घर पर साड़ी पहन कर ही रहती थीं.. इसलिए मुझे आंटी की गोरी कमर और कभी गोरे दूधों के भी दीदार हो जाते थे। उनके मस्त दूध देख कर मैं बहुत गर्म हो जाता था और मैं रोज आंटी के नाम की मुठ मार लिया करता था।
एक बार अंकल को किसी काम से हफ्ते भर के लिए बाहर जाना था और आंटी रात को अकेली रहने वाली थीं.. इस वजह से अंकल ने मुझे रात को अपने घर सोने आने का आग्रह किया।
यह सुन कर मुझे अपनी और आंटी की चुदाई का सपना सच होता नजर आ रहा था, मैंने तुरन्त ‘हाँ’ कह दी।
सुबह अंकल अपने काम के लिए निकल गए और अब मैं रात होने का इन्तजार करने लगा। खाना खाने के बाद मैं आंटी के घर गया। जब मैं उनके घर पहुँचा, तब तक आंटी ने भी खाना खा लिया था।
फिर थोड़ी देर बातचीत करने के बाद मुझे दूसरे बेडरूम की ओर इशारा करते हुए आंटी कहने लगीं- तुम इस बेडरूम में सो जाना। मैंने ‘ठीक है..’ कह कर रजामंदी जता दी।
फिर वो अपने रूम में चली गईं, उस रात में आंटी को चोदने का प्लान बनाने लगा।
आंटी एक सीधी-सादी औरत थीं.. इसलिए मैंने समझ लिया था कि जैसे अन्तर्वासना की कहानियों में पढ़ा था कि सेक्सी मूवी दिखाने से.. या फिर अपना लंड दिखाने से वो अपनी चुत नहीं देने वाली थीं।
मैंने रात को बहुत सोचा.. तब मुझे एक आईडिया आया। मैंने अपने रूम के पंखे को रात में ही बिगाड़ दिया और हॉल में जाकर पता लगाया कि लाईट का मेन स्विच कहाँ पर है.. फिर मैं अपने काम की चीजें तलाश कर रहा था।
तभी मुझे बाथरूम में आंटी की गुलाबी ब्रा और काली पैंटी दिखी।
मैंने वो ब्रा और पैंटी लेकर उसे नाक के पास रख कर आंटी की चुत की मादक खुशबू सूँघने लगा। फिर उन्हें अपने लंड पर रख कर मुठ मारने लगा। उस दिन पहली बार किसी की पैंटी से मुठ मार रहा था, इसलिए मुझे बहुत मजा आया था।
फिर मैं रूम में जाकर सो गया। सुबह मैं जल्दी उठा तो देखा कि आंटी नहाने के लिए जा रही थीं। तब उन्होंने काले रंग की नाईटी पहनी हुई थी। उस समय आंटी को देख कर मन कर रहा था कि उन्हें पकड़ कर अभी नंगी करके चोद दूँ, पर मैं अपने लंड को संभालते हुए अपने कमरे में जाकर मुठ मारने लगा।
कुछ देर बाद मैंने बाजार जाकर एक दवा की दुकान से पिंक वियाग्रा की गोली ले ली और कमरे पर आकर उस गोली को मैंने पाउडर रूप में कर लिया। अब मैं रात होने का इन्तजार करने लगा।
रात को मैं आंटी के घर जल्दी चला गया.. उस वक्त आंटी खाना खा रही थीं। खाना खा कर जब हाथ धोने के लिए वे बाथरूम में गईं.. तो मैंने तुरन्त वियाग्रा का पाउडर आंटी के पानी में डाल दिया और वो पानी आंटी ने पी लिया। थोड़ी देर बाद वो सोने चली गईं और उन्होंने अपना दरवाजा बन्द कर लिया।
पांच मिनट बाद मैंने दरवाजा ठोक कर उन्हें आवाज दी और कहा- मेरे कमरे का पंखा बिगड़ गया है।
आंटी ने उस रूम में जाकर देखा तो पंखा नहीं चल रहा था.. इसलिए थोड़ा सोचने के बाद आंटी ने कहा- चलो कोई बात नहीं.. मेरे रूम का बेड बड़ा है.. उधर दो जन आराम से सो सकते हैं.. तुम मेरे साथ ही आ जाओ।
फिर मैं आंटी के पीछे-पीछे उनके कमरे में आ गया। उस दिन वो साड़ी पहन कर ही बेड पर आ गईं। आंटी के उस रूम में टीवी लगा था और वो हॉलीवुड की कोई मूवी देख रही थीं। ये मूवी मैंने पहले से देखी हुई थी.. इसलिए मुझे पता था कि मूवी में कब सेक्सी सीन आने वाले हैं।
थोड़ी देर में वियाग्रा भी अपना असर कर रही थी और आंटी अपनी जाँघों को खुजाते हुए अपनी चुत को मसलने लगीं।
मूवी में सेक्सी सीन थोड़ी देर में ही आने वाला था.. इसलिए मैं बाथरूम का बहाना करके बेड से उठ गया और थोड़ा दरवाजा खुला रख कर कमरे से बाहर से ही आंटी को देखने लगा।
मेरे कमरे में ना होने के कारण, आंटी अपने हाथ को चुत पर रख कर जोर-जोर से मसलने लगीं। मैं समझ गया कि इस वक्त आंटी को किसी का भी लंड मिलेगा, तो वो खुशी से चुदवा लेंगी, पर मैंने सोचा का लाईट के उजाले में आंटी को चुदवाने में शरमाने न लगें.. इसलिए मैंने लाईट की मेन स्विच बन्द कर दिया और रूम में जाकर आंटी से कहा- शायद पूरे मोहल्ले की लाईट चली गई है।
फिर मैं बिस्तर पर लेट कर सोने का नाटक करने लगा। कमरे में अंधेरा होने के कारण आंटी बिना टेन्शन के अपनी चुत मसलने लगीं।
थोड़ी देर बाद मैं हिम्मत करके आंटी के नजदीक गया और अपने एक हाथ को आंटी की चुत पर रख कर चुत सहलाने लगा और धीरे से कहा- मेरी जान मैं कुछ मदद करूँ!
आंटी पहले से ही बहुत गरम हो चुकी थीं.. इस वजह से आंटी ने अपने हाथ से मेरे हाथ को अपनी गर्म चुत पर रख कर कहने लगीं- इसकी आग बुझा दो मेरे राजा।
इन हालात में मेरा लंड भी अपनी आंटी की चुत में जाने के लिए बेकरार हो रहा था।
फिर मैंने आंटी के होंठों को चूमना चालू कर दिया। आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं और हम दोनों एक-दूसरे को पागल प्रेमी के जैसे किस करने लगे।
थोड़ी देर बाद मैं आंटी के मम्मों पर हाथ रख कर दबाने लगा और आंटी चुदास में सीत्कारने लगीं ‘आआहह.. उईई.. आह..’ आंटी के मम्मे रुई जैसे मुलायम थे।
उनके इन रसीले मम्मों को हाथों में पकड़ कर प्यार करना मेरा सपना था.. जो आज रात पूरा हो रहा था।
मैंने आंटी का ब्लाउज निकाला.. तो आंटी की सफ़ेद रंग की ब्रा दिखाई दी। आंटी के आधे मम्मे ब्रा में से बाहर निकले हुए थे। आंटी के दूध जैसे सफ़ेद मम्मे देख कर मैं उन पर टूट पड़ा.. उन्हें जोर-जोर से दबाने लगा और काटने लगा।
आंटी को बहुत मज़ा आ रहा था और मीठा दर्द भी हो रहा था.. इसलिए वो सिसयाने लगीं- आआहह.. उईई.. आह..
फिर मैंने आंटी की ब्रा निकाल कर उनके मम्मों को खुली हवा में उछलने के लिए खुला कर दिया और प्यार से उनका एक निप्पल चूसने लगा।
कुछ ही पलों में चुदास बढ़ गई और मैंने आंटी को पूरी नंगी कर दिया। अब मैंने उनको बिस्तर पर चित्त लेटा दिया और उनकी चुत पर हाथ फेरने लगा।
आंटी की पूरी चुत गीली हो चुकी थी। फिर मैंने अपने मुँह को चुत पर लगा कर अपनी जीभ से चाटने लगा।
वियाग्रा की मस्ती से अपनी चूत पर मेरी जीभ की छुअन पाते ही आंटी जोर-जोर से बोलने लगीं- फक मी.. फक मी बेबी.. आआहह.. उईई.. आह..
थोड़ी देर में आंटी अपनी चुत से पानी छोड़ने लगीं और मेरा पूरा मुँह पानी से भर गया।
फिर मैंने अपने लंड को आंटी के मुँह के सामने रख कर कहा- मेरी जान इसे भी प्यार करो ना! इतना सुनना था कि आंटी ने जल्दी से मेरे लंड को अपने मुँह में डाल कर लॉलीपॉप के जैसे चाटने लगीं। कुछ ही देर बाद आंटी मेरा पूरा लंड अपने मुँह में गले तक ले रही थीं।
थोड़ी देर बाद मेरे लंड ने अपना सारा पानी आंटी के मुँह में ही छोड़ दिया और आंटी सारा पानी पी गईं। फिर आंटी ने कहा- राजा, अब मत तड़पाओ और मेरी चुदाई चालू करो।
मैंने आंटी के दोनों पैरों को फैला कर अपने लंड को आंटी की चूत के छेद पर टिकाया और धीरे-धीरे लंड पेल कर उनकी चूत की चुदाई चालू कर दी।
थोड़ी देर बाद मैंने जोर-जोर से चुत में लंड पेलना चालू किया। आंटी को बहुत मजा आ रहा था और वो भी अपनी गांड उठा कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं।
कुछ देर के मैंने उन्हें अपने ऊपर ले लिया और लंड पर बिठा कर उछलने को कहा। अब मेरा पूरा लंड आंटी की चुत में जा रहा था और आंटी मस्ती से अपनी चूचियों को उछालते हुए अपनी चुदास शांत करवा रही थीं।
थोड़ी देर हम दोनों ने एक साथ अपना पानी निकाला। आंटी मुझ पर ही ढेर हो गईं और मुझे किस करने लगीं।
अभी तक दवाई का असर होने के कारण आंटी अब भी गर्म थीं। थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर चोदने के लिए तैयार हो गया।
फिर मैंने आंटी को घोड़ी बनने को बोला.. आंटी तुरंत घोड़ी बन गईं। मैंने उनकी गांड के पीछे से लंड लगाकर उनकी गांड मारने लगा। आंटी की गांड का होल बहुत छोटा था.. इसलिए उन्हें बहुत गांड मराने में बहुत दर्द हो रहा था.. पर वो वियाग्रा के असर के चलते बड़े मजे से चुदवा रही थीं।
थोड़ी देर में मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.. पर में जानता था कि आंटी अभी भी प्यासी हैं, मैं आंटी की चुत में तीन उंगली डाल कर जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा।
कुछ ही देर में आंटी बहुत जोर से चिल्लाने लगीं ‘आआह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह्ह.. मेरे राजा.. मजा आ गया..’
थोड़ी ही देर में आंटी अपना पूरा पानी चुत में से बाहर निकालने लगीं, अब जाकर आंटी शांत हुई थीं।
हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में लेट गए। थोड़ी देर बाद मैंने जाकर लाईट का स्विच चालू कर दिया और फिर नहाकर सो गया।
सुबह उठा तो देखा कि आंटी बैठ कर रो रही थीं। मैंने आंटी से पूछा- क्या हुआ? बोलीं- रात को हम दोनों ने जो किया, वो सब गलत था। मैंने अपने पति को धोखा दिया।
मैंने आंटी को बांहों में भर कर कहा- आप अपनी प्यास बुझाओ, तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है। आप बेफिक्र रहिये आपके पति को इसके बारे में कुछ पता नहीं चलेगा।
थोड़ी देर नाटक करने के बाद वो मान गईं और मैंने उन्हें पटा कर दिन के उजाले में ही उनको चोदने लगा। अब आंटी मुझसे पट गई थीं। मैं दो साल तक आंटी को अपनी गर्लफ्रेंड बना कर चोदता रहा।
दोस्तो, आप सभी को मेरी कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे लिखना मत भूलना। [email protected]
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