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पेश है आपके लिए दोस्त की बीवी की चुदाई की कहानी का अगला एपिसोड.. हम पायल और अशोक को साथ लाने में कामयाब हो गए और वो दोनों चोदने लगे. साथ ही डीपू ने अशोक के सामने मेरा फायदा उठाने की कोशिश शुरू कर दी.
पायल की प्यास शांत करने और अपने पापो का प्रायश्चित करने हम पायल और अशोक को करीब लाने में लग गए थे, शरीर से कोक चाटने के खेल के जरिये. अशोक भी मजे लेते हुए पायल के शरीर को चाट रहा था.
अशोक का लंड कड़क हो चूका था और पायल के बदन पर रोंगटे खड़े हो गए. डीपू ने अशोक को बोला रेडी और थोड़ा कोक पायल की चूत के थोड़ा ऊपर के बालों में डाल दिया. अशोक के होंठ पायल की चूत के बालों में उलझ गए और वहा फंसा पानी पीने लगे.
पायल रह रह कर तड़प रही थी. मैंने पायल के सर की तरफ जाकर उसके दोनों हाथों को ऊपर कर पकड़ लिए. डीपू ने थोड़ा कोक उसकी कांख की प्याली में भर दिया.
अशोक अपने बहाव में पायल की कांख से कोक सुड़क सुड़क कर पीने लगा और फिर उसके कांख के बालों में उलझा कोक चाटने लगा. पायल का मस्ती में कराहना अशोक को अच्छा लग रहा था.
डीपू ने फ़िर पायल की दूसरी कांख में भी यही दोहराया. डीपू ने पायल की टांग घुटनो से मुड़ा कर पाँव चौड़े कर दिए. मैं भी पायल के हाथ छोड़ कर उसकी दूसरी तरफ जाकर बैठ कर देखने लगी, जहा डीपू बैठा था.
अब डीपू ने अशोक को तैयार रहने को कहा और थोड़ा कोक पायल की चूत के थोड़ा ऊपर गिराया जो रिसता उसकी चूत की दरारों में उतर गया.
अशोक ने अपनी जबान वहा रखी जहा कोक गिराया था और वहा से चाटना शुरू करते हुए उसकी चूत की दरारों में उतर चाटने लगा.
पायल अब लगातार आहह्ह्ह आहह्ह्ह करते सिसकियाँ निकाल रही थी और अशोक सब भूल कर बहुत देर तक उसकी चूत ही चाटता रहा. मैं पायल के पास ही लेट गयी और कौतुहल से देखने लगी.
थोड़ी देर बार अशोक का नशा उतरा तो उसको अहसास हुआ कि वो क्या कर रहा हैं. फिर वो पीछे हटा और अपराधी की भांति डीपू को देखने लगा.
डीपू मेरे पांवो के पास ही बैठा था. उसने अशोक की तरफ हंस कर देखते हुए मेरी टाँगे चौड़ी कर दी और बहुत सारा कोक मेरी चूत पर गिरा दिया और अपना मुँह मेरी जांघो के बीच फंसा कर, होंठ मेरी चूत पर रख थोड़ी देर तक चाटता रहा. मैं उसके सर के बालो को पकड़ सिसकियाँ निकालने लगी.
अशोक मुझे ही देख रहे थे. उन्हें लगा उनकी गलती की वजह से डीपू मेरी भी चूत चाट रहा हैं. डीपू ने चाटना बंद किया.
अशोक: “रुको डीपू, हम अपने मजे के चक्कर में इन दोनों को क्यों फंसा रहे हैं?”
डीपू: “अरे देखो, इन दोनों को भी मजा आ रहा हैं. शरम के मारे वो थोड़े ही कुछ बोलेगी.”
पायल: “तुम लोग चिंता मत करो, मजा आ रहा हैं. करते रहो.”
डीपू: “थोड़ा थोड़ा कोक पीने में मजा नहीं आया ना? चलो ज्यादा बड़ा जाम बनाते हैं. अशोक तुम पायल के पैर पकड़ कर ऊपर उठाओ.”
किसी को ज्यादा कुछ समझ नहीं आया, पर अशोक ने पायल की दोनों टांगो को कमर से आसमान की तरफ उठा दिया. पायल ने अपने घुटने मोड़ कर अशोक के कंधे पर टिका दिए.
अब पायल की चूत आसमान की तरफ़ खुली हुई थी. डीपू ने फिर अपनी उंगलियों से पायल की चूत खोल कर उसमे थोड़ा कोक डाल दिया.
पायल की चूत में ठंडा ठंडा कोक जाते ही वो थोड़ा हिल गयी.
अशोक ने जल्दी से पायल की चूत पर मुँह लगाया और कोक चूसने लगा. पायल की चूत के पानी से कोक मिलकर एक कॉकटेल बन गयी जो अशोक मजे लेकर पी गया और फिर चाटता रहा. पायल आहें भरते हुए मजे में चिल्ला रही थी.
फिर अशोक ने अब पायल को फिर नीचे लेटा दिया.
डीपू: “अब मेरा नंबर, अशोक ये कोक पकड़ो.”
अब डिपू मेरी तरफ बढ़ा और मेरे पैर पकड़ लिए और ऊपर उठाने लगा.
मैं: “नहीं डीपू, मेरे साथ नहीं. मुझे ठंड बर्दाश्त नहीं होती. प्लीज, अशोक रोको.”
डीपू: “अरे इतनी देर से बोतले पड़ी हैं, अब ठंडी नहीं हैं.”
तभी डीपू ने मुझे भी उसी तरफ कमर से ऊपर उठा कर पकड़ लिया. उसका मुँह मेरी चूत के करीब था.
डीपू: “अशोक, अब कोक डालो.”
अशोक ने आकर मेरी चूत पर थोड़ा कोक डाला जो रिस कर नीचे उतर गया.
डीपू: “अरे थोड़ा खोल कर छेद में डालो. पूरी प्याली भर दो.”
अशोक ने अपनी उंगलियों से मेरी चूत खोली और अंदर थोड़ा कोक भर दिया. डीपू ने अपना पूरा मुँह खोल कर मेरी चूत को कवर कर लिया और अब मेरी चूत के पानी का कॉकटेल पीने लगा.
मैं रह रह कर प्रेशर निकालते हुए कोक चूत से थोड़ा थोड़ा बाहर निकाल रही थी और डीपू उसे मजे से पी रहा था. मैं नीचे आहें भरते हुए चिल्ला रही थी.
जब उसका मन भर गया तो उसने मुझे फिर नीचे लेटा दिया.
मैं: “तुम लोगो के करो तो पता चलें कितना ठंडा था?”
डीपू: “हमारे भी करते हैं रुको.”
ये कहते हुए हुए डीपू ने थोड़ा कोक अशोक के लंड पर डाल कर गीला कर दिया.
डीपू : “चलो आगे बढ़ो, पायल इंतज़ार कर रही हैं.”
अशोक ने मेरी तरफ देखा और मैंने दूसरी तरफ देखना शुरू कर दिया जैसे मुझे इससे कोई लेना देना नहीं.
फिर अशोक आगे बढ़ा और पायल के मम्मो के ऊपर जा बैठ गया. पायल के मोटे मम्मे अशोक की गांड के नीचे दब कर पिचक गए.
अशोक ने आगे झुक कर अपना लंड पायल के मुँह तक ले आया और पायल ने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया.
अब अशोक आगे पीछे झटके मारता हुआ पायल के मुँह को चोदने लगा. इस बीच डीपू ने अपने लंड को भी कोक से गीला किया और मेरे मम्मो को अपनी गांड से दबाते हुए बैठ गया. मैंने अपना मुँह उसके लंड के लिए खोल दिया और उसने भी मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर ऐसे ही चोदने के बाद अशोक की नजर मुझ पर पड़ी. मैं डीपू को हलका धक्का देते हुए हटाने लगी. वो दोनों एक दूसरे की बीवियों के ऊपर से हट गए.
मैं: “छी, गन्दा. मुँह में क्यों डाला? मुझे अच्छा नहीं लगता.”
वो दोनों हंस पड़े और मजाक में टाल दिया.
डीपू ने पायल के सिरहाने जाकर उसके दोनों हाथ ऊपर की तरफ कसकर पकड़ लिए और बोला “अशोक पायल के ऊपर आओ, उसको अब अधूरा मत छोडो, वो तुम्हारे लिए ही तड़प रही हैं.”
अशोक उसको देखता ही रह गया. एक बार तो उसको यकीन नहीं हुआ कि डीपू क्या कह रहा हैं.
डीपू: “चिंता मत करो, इसके बदले मैं तुम्हारी बीवी के साथ कुछ नहीं करूँगा.”
अशोक मेरी तरफ देखने लगा.
मैं: “मुझे पता हैं तूम भी यही चाहते हो और पायल भी. मेरी तरफ मत देखो, तुम वही करते हो जो तुम्हारा मन करता हैं.”
मैंने कोक की बोतल उठायी और सारा कोक पायल के सीने से लेकर चूत तक गिरा खाली कर दिया. अशोक पायल के पुरे बदन को चाटने लगा और चाटते हुए पायल के ऊपर चढ़ गया.
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फिर उसने बिना देरी किये अपना लंड पायल की चूत में घुसा दिया और जोर से झटके मारते हुए चोदने लगा. पायल जोर जोर से सिसकियाँ मारने लगी और अशोक ने भी उसकी सिसकियों में साथ देना शुरू कर दिया.
डीपू ने पायल के हाथ छोड़ दिए और पायल ने अशोक की पीठ को कसकर पकड़ लिया. पायल के दोनों पाँव अजगर की तरह अशोक की कमर से लिपटे हुए थे.
डीपू मेरे पास आया और हम दोनों बैठ कर अपने साथियों को मजे लेते हुए देखने लगे. इस बीच मैं डीपू के लंड को सहला रही थी तो वो मेरी चूत और मम्मो को.
अशोक और पायल के बदन कोक से चिपके हुए थे और उनके झटको के साथ पुरे बदन से चप चप की आवाजे आ रही थी.
अंत में तो ये चप चप की आवाज पायल की चूत से आने वाली फच्चाक फच्चाक की आवाज़ों से दब गयी.
अशोक अब पायल के ऊपर से उठा और घुटनो के बल बैठ पायल के दोनों पैरो को को ऊपर उठा फिर से चोदने लगा. अशोक अब पायल को और गहराई से चोद रहा था.
पायल : “प्रतिमा मेरे मुम्मे चुसो.”
मैं पायल के ऊपर झुक कर उसके मम्मे चूसने लगी और पायल की आहें बढ़ने लगी. तभी डीपू मेरे पीछे आया और मेरे कूल्हे पकड़ कर मुझे डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू कर दिया. मैंने पायल के मम्मो को चूसना छोड़ दिया और आहें भरने लगी.
मैं: “आह्ह… डीपू , क्या कर रहे हो? अशोक, … डीपू मुझे चोद रहा हैं.”
अशोक सब देख रहा था पर पायल को चोदने की मदहोशी में सब नजरअंदाज कर रहा था. मैं भी एक लाचार बीवी की तरह नाटक करते हुए मजे लेकर चुदवा रही थी. और रह रह कर अशोक से बचाने की गुहार कर रही थी.
मुझे लगा अगर मैं गर्भवती हुई तो इल्जाम अशोक के सर मढ़ सकती हूँ कि उसने मुझे नहीं बचाया जब डीपू मुझे चोद रहा था. मैंने थकी हुई आवाज में अशोक को कहा.
मैं: “अशोक, डीपू को मुझे चोदने से रोको. अगर डीपू ने पूरा कर दिया तो मैं माँ बन जाउंगी.”
अशोक को एकदम झटका सा लगा और उसने पायल को धक्के मारना बंद कर दिया, पर उसका लंड अभी भी पायल की चूत में ही था. डीपू भी मुझे चोदते चोदते रुक गया.
अशोक: ‘डीपू, तुमने वादा किया था कि मेरे पायल को चोदने के बदले तुम्हे कुछ नहीं चाहिए पर अब तुम जबरदस्ती कर रहे हो.”
मेरा प्लान कामयाब नहीं हुआ. ना तो गर्भवती होने पर इल्जाम डीपू पर डाल पाऊँगी और ऊपर से मैं अधूरा भी छूट गयी. कम से कम एक काम तो मुझे पूरा करना ही था. मैं नाराज हो कर वहा से उठ कर जाने लगी.
वो दोनों मुझे रोकने लगे.
डीपू: “सॉरी, अशोक. मुझे लगा प्रतिमा की भी पायल को देख कर इच्छा हो रही होगी इसलिए मैंने किया. मैं प्रतिमा से माफ़ी मांग लेता हूँ और उसको समझा बुझा कर वापस लेकर आता हूँ. तुम अपना काम जारी रखो.”
मैं गाड़ी के दूसरी तरफ आ गयी और पीछे पीछे डीपू और अशोक भी आ गए. वो दोनों मुझसे माफ़ी माँगने लगे.
डीपू: “अरे नाराज मत हो, चल इधर आ.”
फिर डीपू ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे गले लगा दिया और पीठ सहला कर मुझे झूठी सांत्वना देने लगा.
डीपू: “अशोक, तुम जाओ पायल के पास, मैं इसे मना कर लेकर आता हूँ.”
अशोक वहा से चला गया. डीपू ने मुझे गाड़ी के दरवाजे से चिपका दिया और हाथ ऊपर कर के पकड़ कर अपना शरीर मेरे शरीर से चिपका दिया. मेरे मम्मे उसके सीने से दब गए और हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
हमने गाड़ी की खिड़की के शीशो से देखा, अशोक पायल को बेतहाशा चोद रहा था. इससे पहले की उन दोनों का काम हो जाये हमे हमारा काम करना था.
डीपू ने एक एक कर मेरी दोनों टाँगे उठाई और मुझे कार के बंद दरवाजे से सटा कर मेरी चूत में अपना लंड डाल कर खड़ा खड़ा ही चोदने लगा.
हमें दूर से पायल के चीखने की आवाजे आ रही थी, तो मैंने अपनी आवाज दबा कर रखने में ही भलाई समझी. ये बहुत मुश्किल काम था, खासकर जब डीपू के जैसा लंबा लंड आपकी चूत को आरी की तरह काटता हुआ अंदर तक दस्तक दे रहा हो.
अपनी आवाज तो मैं दबा रही थी पर मेरी चूत से आने वाली थप थप और फच्च फच्च की आवाजों पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था, पर वो इतनी तेज भी नहीं थी कि आस पास की आवाजों के होते हुए अशोक तक पहुंच जाए.
कुछ देर इसी अवस्था में मैं अपनी पीठ गाड़ी के सहारे टिका और दोनों पैर हवा में लटकाये चुदवा रही थी. इस चुदाई में पता ही नहीं चला कि पायल की आवाज कब बंद हो गयी और तभी हमें हमारे करीब कुछ आहट सुनाई दी. हमने चौंक कर दाई तरफ देखा तो पायल थी.
पायल: “डरो मत, तुम लोग अपना काम करके उधर आ जाओ. अशोक शरम के मारे तुम्हारा सामना करने की हिम्मत नहीं झूटा पा रहा हैं. तुम्हे कुछ हेल्प चाहिए तो बोलो.”
मैं: “बस अशोक को संभाल कर रखना, इधर ना आ जाये.”
पायल: “डोंट वरी, नहीं आएगा. तुम्हे कितना टाइम लगेगा?”
डीपू: “अभी तो शुरू किया हैं. आखिरी बार हैं तो दस पंद्रह मिनट ओर दो.”
पायल: “ठीक हैं, कोई जल्दी नहीं. आराम से चोदो.”
मैं: “तुम्हारा कैसा रहा अशोक के साथ?”
पायल: “एकदम मस्त, दो दिन से इतना पास आकर भी तड़प रहा था तो सारा प्यार निकाल दिया मुझ पर.”
मैं: “एक राउंड ओर कर लो.”
पायल: “नहीं बाबा, मशीन थोड़े ही हूँ. चलो मैं जाती हूँ, तुम लोग आ जाना आराम से.”
पायल के जाने के बाद डीपू और मैंने जम के हमारी आखरी चुदाई का आनंद लिया. डीपू ने थोड़ी देर मुझे डॉगी स्टाइल में चोदा तो थोड़ी देर मैंने उस पर चढ़ कर चोदा और एक दूसरे को अपने रस से भीगा दिया.
मैं और डीपू बाहर आये और देखा पायल और अशोक पानी में नहा रहे हैं. हम दोनों भी पानी में जा पहुंचे.
डीपू: “अशोक, मैंने प्रतिमा को अच्छे से समझाया हैं और उसने तुम्हे माफ़ कर दिया हैं.”
पायल और डीपू ने मिलकर मुझे और अशोक को गले लगवा कर मेरी नकली नाराजगी दूर करवाई.
उसके बाद हम चारो ने एक साथ नहाने का आनंद लिया. फिर हम लोग कपडे पहन कर होटल लौट आये अपने बेग लेने के लिए.
विदा होने से पहले पायल ने मुझे अकेले में धन्यवाद दिया और कहा कि जल्द ही हम फिर किसी घूमने के कार्यक्रम में मिलेंगे और डीपू को रिचार्ज करेंगे. शायद अगली बार हम मिले तो पायल की चूत के बाल साफ़ मिले.
अशोक के साथ घर लौटते वक़्त रास्ते में याद आया कि डीपू ने इमरजेंसी पिल तो लाकर ही नहीं दी. अब मेरा क्या होगा? ये तो मेरी आत्मकथा की इस श्रृंखला की अगली कहानी में ही पता चलेगा.
वैसे आप कॉमेंट कर के बता सकते हैं कि पहली रात को अशोक जब लौटा था, तो उस के अंग गीले क्यों थे? मुझे लगा था कि शायद पसीने की वजह से हुआ होगा.
ये दोस्त की बीवी की चुदाई की कहानी यही समाप्त होती हैं, पर इस कहानी का अगला एपिसोड एक बोनस एपिसोड हैं. जिसे पढ़कर इस कहानी का एक दूसरा नजरिया पता चलेगा.
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