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अब तक आपने पढ़ा.. रोहित भैया मुझसे मेरी माँ की जवानी के बारे में बात करने लगे थे, जिससे मेरी कामुकता बढ़ती ही जा रही थी। अब आगे..
अब भैया को भी समझ आ गया था कि मैं इन सब बातों का बुरा मानने वाला नहीं हूँ.. तो वो फिल्म के साथ साथ मेरी माँ का बारे में गन्दी बातें करने लगे थे और मेरी लुल्ली की मुठ भी मार रहे थे।
भैया- ये देखो.. साड़ी में ये औरत कैसे चल रही है.. एकदम तुम्हारी माँ की तरह ही इसकी गांड मटक रही है। तुम्हारी माँ भी जब भी चलती हैं तो ठीक ऐसे ही मटकती है ना! ‘हाँ भैया..’ ‘सच में सोनू, मैं सच बता रहा हूँ कि तेरी माँ की गांड इतनी मस्त है कि कई बार जब वो कुछ काम करके उठती हैं ना, तो पीछे से साड़ी उनकी गांड की दरार में फंस जाती है। उस वक्त मेरा मन तो करता है कि मैं अपने होंठों से पकड़ कर साड़ी को बाहर निकाल लूँ और उनकी गांड में घुस जाऊँ।’
अपनी ही माँ की बारे में यह सब सुन कर मेरी लंड अकड़ता जा रहा था, मेरे मुँह से बस ‘आहें..’ निकल रही थीं और भैया मेरी लुल्ली मुठियाते हुए आगे बोलते जा रहे थे- सच में सोनू.. एक बार अपनी माँ की चूत दिलवा दे। उसकी चूत क्या मस्त पॉव रोटी जैसे होगी.. एकदम रस से भरी.. जब वो मेरे लंड के आगे चुदने के लिए कुतिया बनेगी.. तो उसकी चूत से टपकता रस मैं अपनी जीभ से किसी कुत्ते की तरह चाट जाऊंगा!
‘आह भैया.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह..’ और मेरी रसधार निकल गई और कुछ सेकंड में भैया भी जोर से गुर्राए और उनका गाड़ा मरदाना वीर्य मेरे हाथ में छप गया था। थोड़ी देर बाद मैं अपने घर आ गया।
कुछ दिन ऐसे ही सब चलता रहा। मेरे पीठ पीछे भैया ने क्या किया.. मुझे ज्यादा पता नहीं.. लेकिन फिर एक दिन भैया मेरे घर आए, उस वक़्त पापा घर में नहीं थे, मम्मी भैया को देख कर काफी खुश थीं।
भैया मेरे पास बैठ कर मुझसे बात करने लगे और मुझे कंप्यूटर पर कुछ-कुछ सिखाने लगे। तभी मम्मी ने भैया को बोला- रोहित, बेटा चाय पियोगे या शरबत? भैया बोले- आंटी मुझे सब चलेगा, चाय शरबत या दूध..
मेरी मम्मी की चूचियों की तरफ भैया ये बोल कर थोड़ा सा मुस्कुरा दिए, जो समझ कर मम्मी भी शर्मा गईं। मम्मी धीरे से बोलीं- अभी इतनी बड़े नहीं हुए हो! उनको लग रहा था कि मेरा ध्यान कंप्यूटर में है, न कि उनकी बातों में!
तभी मम्मी अन्दर चली गईं.. लेकिन कुछ ही मिनट में मम्मी की आवाज आई- आओ बेटा रोहित.. तुम्हें अपना घर दिखाती हूँ। भैया ख़ुशी ख़ुशी उठ कर चले गए।
मम्मी ने मेरे आस-पास पूरा घर दिखाया और आखिर में वे दोनों किचन में चले गए जहाँ चाय बनने के लिए गैस पर चढ़ी थी।
मुझे बाहर से उन दोनों की बात करने की और हँसने की आवाजें आ रही थीं.. मेरा देखने का बहुत मन हो रहा था। इसीलिए मैं किचन के दूसरी तरफ वाले कमरे में चला गया.. वहाँ से किचन दिख रहा था।
मैं आप सभी को बता दूँ कि उस वक़्त मम्मी ने एक सिल्क की नाइटी पहनी हुई थी और अब तक जितना मैंने देखा था कि मेरी माँ घर में नाइटी के अन्दर कुछ नहीं पहनती हैं। क्योंकि मैंने कई बार उनके निप्पल्स एकदम उभरे हुए देखे हैं और जब माँ काम करते वक़्त झुकती हैं तो मुझे उनके पिछवाड़े से पता चल जाता था कि उन्होंने अन्दर पैंटी भी नहीं पहनी है। ऊपर से सिल्क इतना पतला होता है कि बस पहना न पहना.. सब बराबर होता है।
दूसरी तरफ भैया ने नायलॉन का बॉक्सर टाइप कच्छा पहना हुआ था.. मुझे पूरा यकीन था कि अंडरवियर तो उन्होंने भी नहीं पहना होगा.. क्योंकि रोज़ मैं उनके कच्छे में हाथ जो देता था।
अब वापिस किचन में चलते हैं, उन दोनों के बीच बात हो रही थी।
भैया मम्मी के थोड़ा पीछे खड़े सिल्क की नाइटी में उनकी गांड की बनावट निहार रहे थे। मेरी माँ भी अपनी वासना छुपा नहीं पा रही थीं और भैया को देख-देख कर मुस्कुरा रही थीं।
मुझे तो लग रहा था कि आज कुछ होने वाला है।
तभी माँ वापिस पलटीं और कुछ लेने के लिए भैया का बगल से गुजरीं।
मैंने उस वक़्त सब बहुत ध्यान से देखा, मानो सब कुछ स्लो-मोशन में चल रहा हो। जैसे ही मेरी माँ अपनी मुलायम मोटी गांड मटकाती हुई भैया के बगल से गुजरीं.. भैया ने जानबूझ कर अपना हाथ थोड़ा से आगे कर दिया, जिससे मम्मी की गांड पर बड़े ही प्यार से सहलाना हो गया। मुझे शक़ है कि भैया ने मम्मी की गांड को शायद थोड़ा तो दबाया भी था।
ये सब कुछ ऐसा हुआ मानो कोई गलती से छू गया हो। दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और मुस्कुरा दिए। भैया आंटी से बोले- सिल्क का कपड़ा तो बहुत मुलायम है। और इतना कह कर वे हँसने लगे, मम्मी भी हंसते हुए कुछ सामान लेने लगीं।
ये सब देख कर मेरा हाथ अपने लंड पर आ गया था।
वे दोनों ही जानते थे क्या हो रहा है और दोनों ही शायद और खेलना चाहते थे। तभी मम्मी वहाँ से वापिस पलटीं और इस बार भैया का दिमाग में शैतानी घुस गई थी।
भैया इस बार ठीक मम्मी के पीछे आकर खड़े हो गए थे ताकि मम्मी पलटें और भैया से भिड़ जाएं।
इधर एक हाथ से मैं अपनी लुल्ली मुठिया रहा था.. उधर अपनी ही माँ की अय्याशी देख रहा था।
जैसे ही मेरी कुतिया माँ पलटीं.. भैया अपने दोनों हाथ ठीक माँ की चूचियों के सामने किए खड़े थे।
ओहो.. क्या रसीला नज़ारा था, मम्मी का भैया से टकराना.. मम्मी के दोनों दूध भैया के हथेलियों में कैद थे और उसी पल भैया ने उनको दबोच कर अच्छे से नाप लिए।
जैसे ही भैया ने मम्मी के दूध मसले मम्मी के मुँह से एक कामुक ‘आह..’ निकल गई। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं! इधर मेरे हाथ भी ज़ोरों पर चल रहे थे और दिल भी फुल स्पीड से धड़क रहा था।
इससे पहले मम्मी इस हमले से संभल पातीं.. भैया इस टक्कर से मम्मी को गिरने से बचने के बहाने मम्मी को अपनी और खींच कर अपनी बांहों में ले लिया और बोले- अरे आंटी.. जरा संभल कर..!
अब मेरी जवानी से भरपूर माँ एक मुस्टण्डे मर्द की बांहों में थीं.. मेरी माँ की मुलायम चूचियां भैया की छाती से मसली जा रही थीं। तभी मैंने देखा भैया ने अपने एक हाथ को मम्मी की कमर पर रख दिया।
अब तक मम्मी संभल चुकी थीं लेकिन उनकी साँसें तेज हो गई थीं और उन पर चुदास का सुरूर चढ़ रहा था। एक पल को उन्होंने भैया की तरफ नशीली आँखों से देखा.. मानो कह रही हों.. अब और किस का चीज इंतज़ार है.. ले चलो अपनी कुतिया को उठा कर बैडरूम में.. और चोद-चोद कर मेरी चूत का भोसड़ा बना दो।
तभी मेरी माँ थोड़ी होश में आईं और भैया से दूर हो गईं। माँ वापिस चाय बनाने में लग गई.. कुछ पल के लिए शांति छा गई थी, मानो आने वाले उस चुदाई के घमासान से पहले का सन्नाटा छाया हो।
तभी माँ ने चायपत्ती लेने के लिए ऊपर की तरफ हाथ बढ़ाया.. मगर वो उनकी पहुँच से थोड़ा बाहर था।
मेरी माँ बहुत गरमा गई थीं और खेल को शायद और आगे लेकर जाना चाहती थीं, वो भैया से बोलीं- बेटा ये चाय पत्ती का डिब्बा उतार दोगे?
आगे क्या हुआ पढ़िए अगले भाग में..
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