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एक दिन मैं शाम को कैलाश के घर पहुंचा, थोड़ा अंधेरा हो रहा था, कैलाश के घर का दरवाजा बन्द था, जो जरा सा धक्का देने पर खुल गया। मैं अन्दर कमरे में घुसा, तो देखा कैलाश एक तख्त पर बैठा था। उसकी गोद में एक लड़का बैठा था। मैंने ध्यान से देखा तो उस लड़के के बदन पर मात्र अंडरवियर था.. जो नीचे खिसका हुआ था। कैलाश भाई साहब उसे नंगा ही गोद में बिठाए थे।
मुझे देख कर लड़का चौंका, पर कैलाश उससे बोला- बैठा रह यार.. ये तो अपना दोस्त है.. कोई बात नहीं। कैलाश उसकी गांड में जाने कब से लंड पेले हुए था।
मैं बोला- जाता हूँ.. फिर आऊंगा। कैलाश- अब रुक भी जा.. बैठ! मैं खाली पड़ी कुर्सी पर बैठ गया।
कैलाश ने लड़के को तख्त पर लेटा दिया और कहा- पलट जा! लेटने से लड़के के चूतड़ ऊपर उठ गए वह लड़का कैलाश से तगड़ा लग रहा था, औंधे लेटने से मस्त चूतड़ और बड़े दिख रहे थे। उसी समय मैंने पहली बार कैलाश का फनफनाता लंड देखा। चूंकि अभी अभी गांड में से निकला था.. अतः उसका लंड बुरी तरह तना हुआ था और दुबारा लौंडे की गांड में घुसने को तैयार था।
कैलाश थूक लगा कर डालने ही वाला था कि मैंने कहा- तेल तो लगा ले! वह बोला- ठीक है रहने दे। मैंने कहा- कहां रखा है.. मैं लाता हूँ।
उसने इशारे से बताया तो मैं तेल की शीशी ले आया और अपनी हथेली पर लेकर उसके लंड पर मलने लगा। इसी दौरान उसके लंड को मुट्ठी में लेकर दो बार सड़का सा भी दे दिया। वह बोला- बस बस रहने दे.. झड़ जाऊंगा।
उसने ये कहते हुए मेरा हाथ हटा दिया। फिर अपना मस्त लंड मेरे सामने ही लौंडे की गांड में पेल दिया। मैं उस लौंडे की गांड में लंड जाता हुआ देख रहा था। देखते ही देखते धीरे-धीरे पूरा लंड उस लौंडे की गांड में समा गया।
अब कैलाश धक्के देने लगा.. झटके तेज होते गए। अपनी गांड में लिए वो लड़का.. लड़का क्या, वह तो जवान मर्द था। वो पूरी मस्ती से गांड मरा रहा था.. गांड उचका रहा था और जोश भी दिला रहा था।
‘हां और जोर से.. वाह मजा आ गया वाह प्यारे.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… वाह!’
कैलाश भी जोरदार झटके दे रहा था, वो लंड आधा निकाल कर.. फिर पूरा पेलता था। मैंने भी अपना लंड बाहर निकाल लिया था और अपने हाथ से सहलाते हुए गांड चुदाई की लाइव फिल्म देख कर मजा ले रहा था।
फिर कुछ देर बाद कैलाश झड़ गया, तब कैलाश बोला- यार अब तू भी आ जा! मैं संकोच कर ही रहा था कि वह लड़का बोला- आजा.. चढ़ बैठ! यह कह कर उसने मेरा लंड पकड़ लिया और चूसने लगा।
फिर कैलाश ने मुझे उसके ऊपर बिठा दिया। मेरा लंड तो फड़फड़ा रहा था.. गांड उसकी भी बार-बार ढीली कसती हो रही थी।
मैंने अपना लंड उसकी गांड में टिकाया और सुपाड़ा अन्दर किया ही था कि उसने गांड उचका कर मेरा पूरा लंड अन्दर कर लिया।
अब वो बोला- हां, शुरू हो जा!
मैं भी ‘दे दनादन..’ शुरू हो गया।
फिर वह घुटनों पर हो गया और गांड से धक्के देने लगा। जब मेरा लंड उसकी गांड में अन्दर था.. वह गांड को सिकोड़ और फैला रहा था.. तब भी बड़ी देर तक खेल चला।
फिर उसने पीछे मुड़कर देख कर बोला- झड़े नहीं..! तब मैं हँस दिया और शुरू हो गया।
जब मैं झड़ कर अलग हुआ.. तो वह बहुत प्रसन्न था.. उसका लंड भी खड़ा था। मैंने उसका लंड पकड़ लिया। कैलाश बोला- अब यार तू इसकी मार ले। वह बोला- नहीं.. मुझे जल्दी जाना है।
उसने पैंट पहन लिया और ‘बाय बाय’ करता हुआ चला गया।
कैलाश बोला- साला बदमाश है.. हमेशा मरवा लेता है, फिर चल देता है। असल में ये लौंडियाबाज है.. इसे चूत चाहिए.. कई बार इस चक्कर में जूते भी खा चुका है। ये अस्पताल में काम करता है.. वहां भी पिट चुका है। मैंने इसकी कई बार मारी.. पर ये मेरी नहीं मारता। मैंने कहा- पर उसका लंड मस्त है.. कड़क भी है! कैलाश हँस कर बोला- उसकी गांड भी तो मस्त थी। फिर हम दोनों बाहर होटल पर खाना खाने आ गए।
खाने के बाद मैंने कहा- अब चलता हूँ! कैलाश बोला- यार मेरे साथ ही चल.. कमरे में ही सोएंगे।
मैं उसके साथ आ गया और दोनों एक ही साथ सो गए। रात में जब मेरी नींद खुली.. तो लगा कोई मेरा लंड सहला रहा है। वह कैलाश का हाथ था.. जो मेरा लंड पकड़े था, वो मेरा लंड खड़ा हो गया।
जब मैंने करवट बदली और हाथ फेरा.. तो देखा कैलाश पूरा नंगा था और उसकी पीठ मेरी तरफ थी। मैंने हाथ नीचे किया तो उसके नंगे चूतड़ पर मेरा हाथ पहुंच गया। मेरा शरीर सनसना गया, मैंने लंड पर थूक लगा कर उसकी गांड पर टिका दिया और धीरे से धक्का दे दिया। मेरा खड़ा लंड उसकी गांड के अन्दर हो गया। मैं डर रहा था कि कैलाश नाराज न हो जाए, पर कैलाश की पीठ मुझसे और चिपक गई।
अब मैं धीरे-धीरे लंड उसकी गांड में अन्दर-बाहर करने लगा। इतने में कैलाश औंधा हो गया तो मैं उसके ऊपर चढ़ गया.. पर लंड निकल गया था, अतः फिर थूक लगा कर डाला और धीरे-धीरे स्पीड बढ़ा दी।
अब मेरा लंड जोश से भर गया था। कैलाश ने भी गांड ढीली करके टांगें चौड़ी कर ली थीं और अपनी गांड उचकाने लगा था। मैं थोड़ा रुका.. तो बोला- झड़ गए क्या? मैंने कहा- नहीं.. बस अभी चालू होता हूँ!
इस तरह दोनों मजा लेते रहे, फिर मेरे साथ ही कैलाश भी झड़ गया।
सुबह होते ही मैं अपने कमरे पर जाने लगा। कैलाश प्रसन्न था.. पर मैं प्यासा रह गया था। अब प्यास के बारे में आगे बताऊंगा।
मैं एक दिन सुबह तैयार होकर कॉलेज जा रहा था कि कैलाश मिल गया। उसके साथ मैं सर जी के घर पहुँचा.. सर जी भी तैयार थे। मैं कैलाश के साथ पहुँचा तो कैलाश को देखकर सर जी का गांड प्रेमी लौंडेबाज लंड.. उनकी अंडरवियर के अन्दर उछल-कूद करने लगा। माशूक नमकीन लौंडे की गांड में घुसने को अंडरवियर से बाहर निकलने को मचलने लगा। सर जी का लंड बुरी तरह फड़फड़ाने लगा। हम नमस्कार करके चलने लगे, तो सर बोले- रुको.. चलते हैं, तुम दोनों मेरी मोटर साईकिल पर चलना!
हम दोनों ने हाँ में मुंडी हिला दी। फिर सर ने मुझसे कहा- बैठो..
इसके बाद मेरे सामने ही सर अपने को रोक न पाए और कैलाश का जोरदार चूमा ले डाला।
कैलाश भी महाकमीना था.. उसने फौरन अपना हाथ सर के फड़फड़ाते लंड पर रख दिया और उनकी पैंट उतारने लगा।
सर का लौड़ा उनके अंडरवियर में से निकाल कर अपने मुँह में चूसने के लिए ले लिया। सर मस्त हो गए.. उन्होंने आंखें बन्द कर लीं और लंड चुसवाने लगे।
थोड़ी देर लंड चुसाने के बाद सर बोले- अबे बस कर.. लंड झड़ जाएगा। अब सर ने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए कहा- चल लेट जा।
कैलाश पलंग पर लेट गया।
सर का भयंकर और मस्त लंड फिर मेरे सामने था, पर इस बार भी वह मेरी गांड में न घुस कर, कैलाश को मजा देने वाला था।
सर जी ने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ों पर रख दिए.. अब वे उन्हें बुरी तरह मसल रहे थे। जोश में आकर दो बार चूतड़ों का चूमा ले लिया और एक बार तो एक चूतड़ पर अपने दांत गड़ा दिए।
इससे कैलाश चीख पड़ा- सर सर! सर जी बोले- अरे वैसे ही चिल्ला रहा है.. अभी तो डाला भी नहीं है, थोड़ा कॉपरेट कर.. ऐसे कैसे काम चलेगा.. ज्यादा नखरे नहीं! क्या पहली बार है..? चल टांगें चौड़ी कर ले और चुपचाप लेटा रह।
फिर सर ने अपने उस भयंकर माशूक लौंडों की गांड के दुश्मन लंड को कैलाश की गुलाबी चिकनी गांड पर टिका दिया।
सर ने लंड पर केवल थूक लगा कर उस बेचारे की कोमल गांड में लंड पेल दिया।
कैलाश ‘आ.. आह.. सर.. सर..’ करके रह गया। कैलाश के चिहुंक जाने से लंड निकल गया। अब सर ने उसके चूतड़ अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अलग किए, फिर एक हाथ से लंड पकड़ कर उसकी गांड पर टिकाया पेलते में बोले- ढीली कर.. अन्दर जा रहा है!
बस अब सर ने मोटा लम्बा लंड उसकी गांड में बेरहमी से पेल दिया। टोपा अन्दर जाते ही सर ऊपर चढ़ गए, अपने दोनों हाथ पीछे से कैलाश के बगल से निकाल कर आगे कस लिए। फिर लंड के जोरदार धक्के से उसे पूरा का पूरा गांड के अन्दर कर दिया और कैलाश से चिपक कर रह गए।
एक-दो पल बाद सर ने उसके गालों के चुम्मे लेने शुरू कर दिए.. उसके होंठ काट डाले।
अब सर पूरे जोश में आ गए थे.. और कैलाश की गांड पर चोट पर चोट दिए जा रहे थे। मैं देख रहा था कि सर के लंड का सुपाड़ा छोड़ कर आधे से ज्यादा गांड से बाहर आ जाता, फिर वे उसे पूरी दम से पेल देते।
एक दो बार तो पूरा लंड बाहर निकाल आया, तब सर जी ने दुबारा थूक लगा कर गांड में डाला। कैलाश ने कहा- सर बस करें, दर्द कर रही है।
पर सर जी कहां मानने वाले थे, कैलाश जाल में फंसी चिड़िया सा फड़फड़ा जाता, पर सर उसे कसके पकड़े हुए थे और लंड के धक्के पर धक्के दिए जा रहे थे, ऐसा लग रहा था कि सर आज उसकी गांड फाड़ ही डालेंगे।
आखिर में वे उससे चिपक कर रह गए और बड़ी देर तक चिपके रहे.. फिर वे झड़ गए। झड़ते हुए भी उन्होंने कैलाश के दो-तीन चुम्बन ले डाले।
इसके बाद कैलाश ने बाथरूम में जाकर गांड धोई और पेंट पहना। सर ने भी अपना लंड पोंछा और हम सब कॉलेज के चल दिए।
कहानी जारी है।
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