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कुमुद की उन्मत्त चूँचियों को देखकर राज का लण्ड उसके पाजामें में फुंफकार मारने लगा। राज ने बरबस अपना लण्ड अपनी बीबी रानी की जाँघों से सटा दिया, तब रानी ने आँखें खोली तो अपने पति राज को कमल की पत्नी कुमुद की नंगी चूँचियों के दर्शन करते हुए पाया।
रानी अपने मन में ही कुढ़ने लगी। क्या उसके स्तन कुमुद के स्तनों से कम थे? क्या उसकी चूँचियाँ कुमुद की चूँचियों से छोटी या कम सुन्दर थीं?
एक बार तो रानी का मन किया की वह अपने पति राज को धक्का देकर उसको डाँटे। पर फिर उसने सोचा की वह खुद भी तो कुछ ही देर पहले कुमुद के पति कमल का मोटा लंबा लण्ड देखकर पागल हो रही थी।
रानी ने फिर भी नारी वश इर्षा के कारण अपने पति की ठुड्डी अपने हाथों में लेकर हिलायी और उसके कानों में फुसफुसाई, “अरे भाई, कुमुद की चूँचियाँ मेरी चूँचियों से बड़ी और ज्यादा अच्छी हैं क्या? मेरी चूँचियों को देख कर क्या तुम्हारा पेट नहीं भरा?”
राज ने अपनी पत्नी की और घबराते हुए देखा और फिर सोचा क्यों ना इस नारी वश इर्षा का फायदा उठा जाय? उसने रानी को चिढ़ाते हुए रानी के कानों में कहा, “तो फिर दिखाओ ना अपनी मदमस्त चूँचियों को और अपने आप ही देख लो किसकी चूँचियाँ ज्यादा सुन्दर हैं?”
अपने पति राज की बात सुनकर रानी ने शर्मा कर राज के कानों में फुसफुसाते हुए कहा, “मेरे बुद्धू पतिदेव, इन पर तुम्हारा अधिकार है। कमल भैया के हाथ तो बड़े अच्छे चल रहें हैं तो अगर इन्हें देखना है तो तुम्हारे हाथों को क्या लकवा मार गया है? भला मैं तुम्हें कैसे रोक सकती हूँ?” यह कह कर रानी ने राज पर अपने पति की ही जुबान में जवाब दिया।
राज समझ गया की उस की बीबी रानी अब गरम हो रही थी। राज ने धीरे से चद्दर को अपने पॉंव के अंगूठे से पकड़ कर थोड़ी ऐसे खिसका दी, जिससे कमल और कुमुद रानी को खुल्ला देख सके।
रानी ने अपनी आँखें बंद ही कर रखीं थीं। राज ने फुर्ती से रानी के गाउन के आगे वाले बटन खोल दिए। बटनों के खुलते ही रानी के बड़े बड़े तरबूच रानी की ब्रा में से बाहर अनावृत होकर निकलने के लिए जैसे बेताब हो रहे थे।
फिर राज ने धीरे से रानी के बदन के निचे हाथ डालकर पिछे से रानी के ब्रा की पट्टीयां खोल दी। गुम्बज के सामान फैले हुए रानी के मस्त उरोज ब्रा के बंधन में से मुक्त होते ही रानी की छाती पर डोल कर सब का ध्यान आकर्षित करने लगे।
उन उच्छृंखल उरोजों पर गोरी गोरी एरोला की चॉकलेटी गोलाई दिख रही थी जिसमें छोटी छोटी सैंकड़ों फुंसियां खिली हुई थीं, जो रानी के गरम होने की चुगली खा रहीं थी।
उन गोरी अरोलाओं के घेरे के बिचों बिच रानी के स्तनों की चोटी पर दो दण्डों के सामान उसकी फूली निप्पलें (चुचुक) गजब ढा रही थीं।
कमल पहले से ही इसी का इंतजार कर रहा था की कब राज अपनी पत्नी के गाउन के पट खोले और उसे राज की बीबी रानी की मद मस्त अल्लड़ चूँचियों के दर्शन हों।
रानी के खुल्ले हुए अफलातून स्तनों को देखकर कमल की भी वही दशा हुई जो राज की कमल की बीबी कुमुद के स्तनों को देख कर हुई थी।
लगता था जैसे कमल की आँखें रानी के मस्त परिपक्व फुले हुए अल्लड़ गुम्बजोँ को देख कर चौंधियाँ सी गयीं। कमल से रहा नहीं जा रहा था।
वह रानी की उन चूँचियों को अपने दोनों हाथों में लेकर मसलना चाहता था। कमल रानी की चूँचियों को मसल ने का आनंद थोड़ी देर पहले ही ले चुका था।
पर वह थोड़ी देर के उस स्पर्श से कमल को संतुष्टि नहीं हो रही थी। वह रानी के गुम्बजोँ को प्यार से और देर तक चूसना, चूमना और मसलना चाहता था।
पर उसे अपनी बीबी की उपस्थिति में थोड़ी सी झिझक हो रही थी। कुमुद ने देखा की उसका पति कमल राज की बीबी के स्तनों को घुरघुर कर देखा रहा था।
कुमुद को बरबस हंसी आगयी। वह सोचने लगी यह पुरुष की जात बन्दर के समान है। जैसे ही कोई सुन्दर बंदरिया उसे दिखती है वह जीभ लपलपाता अपनी बीबी कितनी ही सुन्दर क्यों ना हो, को छोड़ कर दूसरी के पीछे भागने लगता है।
कुमुद ने अपने पति कमल के लण्ड को अपनी गाँड़ में टक्कर मारते हुए महसूस किया। कमल एकदम गरम हो चुका था। कमल ने कुमुद का हाथ पकड़ा और पीछे की और घुमाकर उसे अपने लण्ड पर रख दिया। कमल चाहता था की कुमुद उसके लण्ड को सहलाये।
कुमुद ने अपने पति का लण्ड अपने हाथों में लिया और उसे धीरे धीरे सहलाने लगी। उसे इस पोजीशन में असुविधा हो रही थी।
दोनों पति दूसरे की पत्नी को और उसके बदन को भूखी नज़रों से देख रहे थे। पर उनमें हिम्मत नहीं हो रही थी की दूसरे की पत्नी को छुए।
दोनों बीबियाँ भी काफी गरम हो चुकी थीं और चाहती थीं की उनका पति उनको और गरम करे। अपने मन में शायद वह समझ चुकी थीं की उस रात उन दोनों की खूब चुदाई होने वाली थी।
कमल ने राज को इशारा किया की राज अपनी बीबी रानी के गाउन को पूरी तरह उतार फेंके। इधर कमल ने भी अपनी बीबी के गाउन को कुमुद के हलके फुल्के अवरोधकों ना मानते हुए पूरा खोल दिया।
रानी और उसका पति राज कमल और कुमुद की गतिविधियों को बड़े ध्यान से देखने लगे। कुमुद के दूध समान गोरे नंगे बदन को पहेली बार अपनी नज़रों के समक्ष देखकर राज की बोलती बंद हो गयी।
कुमुद एक अप्सरा के समान दिख रही थी। उसका नग्न बदन उसकी पतली कमर, उसके उन्नत फुले हुए स्तन मंडल और उसकी गिटार के सामान सुआकार कमर के निचे की बदन की गोलाई देखते ही बनती थी।
राज क्या राज की पत्नी रानी भी कुमुद का कमसिन और गोरा जलपरी सा नंगा बदन देखकर जैसे मोहित हो गयी। रानी अपने आपको रोक नहीं पायी और बरबस रानी का एक हाथ कुमुद के स्तनों से खेलने लगा।
रानी और कुमुद दोनों एक दूसरे से एकदम सट कर लेटे हुए थे। दोनों की जांघें और कंधे एक दूसरे से रगड़ रहे थे।
रानी के हाथ जब कुमुद के स्तनों पर थे तब कमल ने रानी के हाथों को थाम लिया और रानी की हथेली के पीछे उपरसे अपनी हथेली रानी के हाथ पर रख दी। कुमुद की सुन्दर उरोजों से कमल और रानी दोनों ही खेलने लगे।
कुमुद ने कमल के लण्ड से अपना हाथ हटा लिया क्यूंकि कुमुद को दर्द हो रहा था। तब कमल ने अपने पाजामे का नाडा खोल दिया और अपने लण्ड को खुल्ला छोड़ दिया।
कमल अपनी पत्नी कुमुद के पीछे था इसलिए राज और रानी उसे देख नहीं पाए पर उन्होंने देखा की कमल अपना पजामा उतार चुका था और वह कुमुद की बाहों के ऊपर से अपना एक हाथ लंबा कर अपनी बीबी कुमुद के स्तनोँ को दबा रहा था और साथ साथ रानी के हाथ जो कुमुद के स्तनोँ को सेहला रहे थे उन्हें दबा कर अपनी इच्छा प्रकट कर रहा था। पीछे से कमल कुमुद की गांड की दरार में हलके से अपना लण्ड फँसा ने में जुटा हुआ था।
यह देखकर राज भी उत्तेजित हो कर अपनी बीबी रानी के स्तनों को और जोश से मलने लगा। राज का सपना साकार होने वाला था। कुमुद के नग्न बदन के दर्शन करने का राज का पहला सपना तो साकार हो ही चुका था।
अब उसे दूसरे सपने का फलीभूत होने का बेसब्री से इंतजार था। वह बेचैन था की कब उसे कमल भैया की पत्नी और उसकी चाह, कुमुद के नंगे बदन को अपने हाथों से सहलाने का, दुलार करने का मौक़ा मिले।
कमरे में सेक्स की खुशबु चारों और फ़ैल रही थी। दोनों बीबियों ने जो परफ्यूम लगाए थे उसके साथ चारों की योनियों से रिसते हुए रस की खुशबु मिल कर एक रोमांचक सी महक कमरे को तरबतर कर रही थी।
कोई कुछ भी बोल नहीं रहा था। सब का ध्यान ‘अब आगे क्या होगा ‘ पर केंद्रित था। हालांकि सबको आज रात का अंजाम भलीभांति पता था, पर फिर भी आखिरी वक्त पर कहीं कोई पासा उलटा ना पड़ जाए, कहीं कोई बेगम नाराज ना हो जाए, उसकी आशंका से दोनों पति अपनी पत्नियों को कुछ ज्यादा ही खुश रखने में मशगूल थे।
हालांकि दोनों मर्द अपनी बीबी से ज्यादा दूसरे की बीबी के बारेमें सोच रहे थे; पर क्यूंकि बीबियों की रजामंदी के बगैर जो वह करना चाहते थे वह नहीं हो सकता था, इसलिए दोनों पति अपनी बीबियों को यह जताने में लगे हुए थे की उनका ध्यान अपनी बीबियों पर ही था।
कोई भी पति दूसरे की बीबी को छेड़ने की पहल नहीं कर रहा था। हाँ कमल कुमुद के स्तनों को सहलाते हुए रानी के हाथ को दबा कर अपनी कामना का संकेत जरूर दे रहा था।
तब अचानक कमल धीरे से ऊपर की और उठा और अपनी बीबी कुमुद को पलंग पर सीधा लिटा कर उसके दोनों पाँवों के बिच जा पहुंचा। कुमुद कुछ बोले या कुछ विरोध करे उसके पहले कमल ने कुमुद की टांगें फैला दी और उनके बिच अपने मुंह को डालकर अपनी बीबी की चूत को चाटने लगा।
राज की नजर कुमुद की चूत पर अटक सी गयी। राज ने कई बार कुमुद को मन ही मन में चोदा था। कुमुद की चूत की कई बार वह कल्पना कर चुका था। पर अपनी आँखों से साक्षात् जब देखा तो पाया की कुमुद की चूत उसकी कल्पना से भी कहीं खूबसूरत थी।
दो लचीली सपाट और कमनीय जाँघों के बिच छोटी सी हलके बालों में घिरी हुई कुमुद की गुलाबी चूत का कोई जवाब ही नहीं था। रानी के मुकाबले कुमुद की जांघें पतली और सुआकार थीं। कुमुद की पतली कमर और वहाँ से जाँघों का घुमाव कितना खूबसूरत था। राज देखता ही रहा।
शुरू में कुमुद शर्मिंदगी और उलझन के मारे अपने पति का विरोध करती रही पर जैसे ही कमल की जीभ ने कुमुद की चूत की पंखुड़ियों में अपना जादू फैलाना शुरू किया की वह मचलने लगी। अपने बदन पर उसका नियत्रण ना रहा और जल्द ही वह कामुक कराहें और आहें भरने लगी।
शर्मिंदगी और उलझन पर स्त्री सुलभ व्यभिचार भाव हावी हो गया। उसे होश ना था की राज और रानी दोनों उसकी चूत की चुसाई देख रहे थे और वह नंगी लेटी हुई उन दोनों के सामने अपने स्त्रीत्व का प्रदर्शन करा रही थी।
जब बड़े भैया अपनी बीबी कुमुद की चूत चूस रहे थे तो छोटा भाई कहाँ रुकने वाला था? राज ने भी फुर्ती से रानी की भरी हुई जाँघें खोल कर रानी के गाउन को ऊपर उठाकर अपना सर रानी की दो टाँगों के बिच में डाल दिया और अपनी बीबी की चूत प्यार से चाटने लगा, और उसमें से झरने की तरह रिस रहा रस चूसने लगा।
राज को पहली बार महसूस हुआ की काम वासना की मारी उसकी बीबी रानी की चूत में से कितना पानी बह सकता है। राज बड़े चाव से वह रिस्ता हुआ पानी चूस रहा था।
रानी अपने पति की चूत चुसाई से मचल रही थी। अब उसे यह शर्म नहीं थी की उसके करीब करीब नंगे बदन को और उसकी चूत चुसाई को कमल और कुमुद देख रहे थे और उत्तेजित हो रहे थे।
रानी ने सोचा की शायद कहीं ऐसा ना हो की कमल भी उसकी जाँघों के बिच आकर उसकी चूत का पानी चूसने न लग जाय। यह सोचते ही उसके बदन में एक सिहरन सी फ़ैल गयी।
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