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आपके लिए पेश है, मेरी हिन्दी चुदाई कहानी का तीसरा एपिसोड..
मैंने भी सोचा किस बन्दर के हाथ में तलवार पकड़ा दी मैंने। देखने से ही इसकी हालत ख़राब हो रही हैं तो छूने पर इसका क्या होगा।
अब उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर के दोनों तरफ रखे, जिससे मेरी पतली कमर उसके हाथों में समा गयी और उसके इस जादुई स्पर्श से मुझे एक गुदगुदी सी हुई और पुरे शरीर में करंट सा दौड़ गया।
मैंने सोचा मेरी ये हालत हैं तो उसका क्या हुआ होगा, उसको भी करंट तो जरूर लगा होगा।
अब वो कभी कमर के साइड्स को पकड़ के दबाता तो कभी मेरी कमर के बीचो बीच मालिश करता। उसकी मालिश से मुझे भी मजा आने लगा। बहुत रिलैक्सिंग लग रहा था।
उसने मुझको पूछा कि मुझे कैसा लग रहा हैं।
मैंने कहा कि बहुत अच्छा लग रहा हैं, ऐसा लग रहा हैं कि सो जाऊ।
उसने पूछा “तुम्हारे पास कोई तेल हो तो दे दो, उससे मालिश का ज्यादा प्रभाव पड़ेगा”।
मैंने उसको टेबल की तरफ इशारा किया जहा तेल की छोटी सी शीशी थी। उसने फिर थोड़ी देर तक तेल से मेरी कमर की पूरी मालिश कर दी।
उसने आगे प्रस्ताव रखा कि “तुम कहो तो, तुम्हारे कूल्हों के साइड की हड्डी की भी मालिश कर दूँ। वहां पर जॉइंट हैं तो मसाज से बहुत अच्छा लगेगा”।
अब तक उसने जितनी भी मसाज की थी वो सब बहुत अच्छी थी, तो मुझे यकीन था ये भी अच्छा ही होगा।
मैंने कहा ठीक हैं कर दो।
उसने कहा कि शॉर्ट्स को कूल्हों की हड्डी के नीचे तक थोड़ा खींचना पड़ेगा। मैं घबराई कही ये पूरा ही न खोल दे। मैंने उसको मना बोल दिया कि कूल्हों की मसाज की जरुरत नहीं हैं अभी।
उसने आग्रह किया कि “अरे, कुछ नहीं होगा। तुम एक बहुत अच्छी मसाज मिस कर दोगी, करवा लो।”
वो मेरे शॉर्ट्स के ऊपर कूल्हों की हड्डी पर हाथ रखते हुए बोला “चलो, थोड़ा सा ही तो खिसकाना हैं, यहाँ तक”।
उसके आग्रह के आगे मैंने फिर हार मान ली और उसको बोल दिया ठीक हैं। उसने अपनी दोनों हाथों की दो दो उंगलिया मेरे शॉर्ट्स के साइड में हुक की तरह डाली और नीचे खींचने लगा।
मैंने डर के मारे जान बुझ कर वहा से अपने शरीर को बिस्तर पर दबा दिया ताकि शॉर्ट्स ज्यादा नीचे ना खिसके। इस चक्कर में शॉर्ट्स सिर्फ पीछे की तरफ से थोड़ा खिसका और उसके छोड़ते ही एलास्टिक की वजह से फिर पुरानी जगह पर आ गया।
उसने कहा कि शॉर्ट्स को चारो तरफ से एक साथ नीचे खिसकाना होगा।
उसने इस बार शॉर्ट्स को ओर भी नीचे से पकड़ा ओर अपनी उंगलिया शॉर्ट्स में डाल नीचे खिसकाना शुरू किया, मैंने अभी भी प्रेशर पूरा रिलीज़ नहीं किया था और उसने भी ज्यादा जोर नहीं लगाया तो वो हिला भी नहीं पाया।
ये देख मैंने शरीर को उस भाग से थोड़ा ऊपर उठाया और उसी वक्त उसने भी पिछली बार से ज्यादा जोर लगाया। नतीजा ये निकला कि उसने शॉर्ट्स कुछ ज्यादा ही नीचे खींच दिया और मेरे लगभग आधे नितंब से शॉर्ट्स हट गया।
मैं आईने में देख रही थी और इस हास्यादपद स्तिथि को देख कर हम दोनों की हंसी छूट गयी।
खैर उसने जल्दी से कूल्हों की हड्डी के नीचे तक फिर शॉर्ट्स को ऊपर खींच लिया।
मैंने आईने में देखा, मेरी कमर से लेकर कूल्हों तक का बदन पीछे से नंगा था। वो दृश्य बहुत ही उत्तेजक था। अब मुझे भी थोड़ा डर लगने लगा। कही मैं कोई गलती तो नहीं कर रही।
जल्द ही उसने अपने एक एक हाथ से मेरी दोनों कूल्हों की हड्डी को साइड से दबोचा और दबाने लगा। एक हलके मीठे दर्द के साथ बड़ी राहत सी मिली। थोड़े कपडे नीचे हटाने पड़े पर ये मसाज बहुत ही आनंददायक थी।
अगले कुछ मिनट तक वो ऐसे ही कूल्हे की मसाज करता रहा और बीच बीच में, मैं सुकून भरी आ ह आ ह करने लगी। उसका ओर उत्साहवर्धन हुआ और अच्छे से मसाज करता रहा।
अब वो वापिस कमर के मध्य भाग की मालिश करने लगा। हाथ फेरते हुए वो मेरे नितंब तक ले आया और शॉर्ट्स के थोड़ा अंदर भी उंगलिया मलने लगा।
वो अब अपने हाथ के बीच वाली दो उंगलियों से, वो हड्डी दबाने लगा जहा नितंबो की दरार शुरू होती हैं। उसकी उंगलिया लगभग मेरी दरार को छू रही थी।
हड्डी दबते ही हलके मीठे दर्द के साथ एक मजेदार झौंका लगा और मैंने एक गहरी आह भरी।
वह अब वही हड्डी के ऊपर दरार में ऊँगली दबाए अपना हाथ हिलाने लगा, जिसके कम्पन से एक मसाज सी महसूस हुई और मैं कहने लगी आ हा हा मजा आ गया।
थोड़ी देर इसी तरह वह मुझे उस एरिया में मसाज करता रहा और फिर वापिस कमर के मध्य भाग पर आ गया।
उसने कहा की अब वो पीठ की मसाज करेगा।
अब उसने कमर पर दोनों हाथ रख शुरू किया और हाथ रगड़ते हुए मेरे शर्ट के अंदर होते हुए पीठ तक चला गया, और ऊपर ले जाकर मेरे कंधे की हड्डी पकड़ कर दबाने लगा।
कंधे दबते ही मुझे फिर आराम मिला। उसने अब हाथ फिर खींचते हुए शर्ट के बाहर निकाल कमर तक आ गया। उसने एक बार फिर वही रिपीट किया और कंधे दबते ही मैं आ हा हा की आवाज करने लगी।
कमर पर वापिस हाथ लाने के बाद वो बोला “शर्ट के अंदर हाथ जाने से शर्ट बहुत टाइट हो जाता हैं जिससे हाथ अंदर बाहर करने में परेशानी हो रही हैं। हाथ आसानी से आये जाए इसके लिए एक काम करो, बाकी बचे बटन भी खोल ही दो। मसाज हो रही हैं तो अच्छे से हो जाए”।
इतनी अच्छी मसाज के बाद मैं मना ही नहीं कर पायी। मुझे पता था मेरे मम्मे आगे की ओर से वैसे भी नीचे दबे रहने से उसे नहीं दिखेंगे। मैंने अपना एक हाथ सर के नीचे से हटाया और अपने सीने पर ले जाकर बाकी के दोनों बटन भी खोल दिए।
मैंने अपना शरीर थोड़ा ऊपर उठाया और एक एक करके शर्ट के खुले दोनों पल्लो को शरीर के आगे से सावधानी से हटा दिया।
मेरा शर्ट अब आगे से पूरा खुल चूका था और मेरे मम्मे अब बिना कपड़ो के बिस्तर से नीचे चिपके थे। शर्ट अब काफी ढीला हो चूका था तो राज ने मसाज करना शुरू किया।
कमर से होते हुए वो अपना हाथ आराम से पीठ पर ला पा रहा था और कंधे दबा रहा था। उसके हाथ अब आराम से मेरी पीठ पर घूम पा रहे थे।
अब वो मेरे कंधे से लेकर कूल्हों तक की मसाज कर रहा था और मैं आराम से रिलैक्स अंदाज़ में दोनों हाथ सर के नीचे रख लेटी थी।
उसने मेरा शर्ट पीछे से काफी ऊपर उठा दिया था, मैंने आईने में देखा मेरे हाथ ऊपर होने से मेरे मम्मे नीचे बिस्तर से दबकर साइड से थोड़े दिख रहे हैं। मैं बड़े आराम से लेटी थी तो हाथ नीचे कर कुछ ढकने का मन भी नहीं हो रहा था।
जल्द ही मसाज करते करते उसने मेरी कमर के साइड से होते हुए अपना हाथ ऊपर लाते हुए मेरी कांख के नीचे तक लाया, जिससे उसकी उंगलिया मेरे फुले हुए मम्मे जो बाहर झांक रहे थे उनसे छू गयी।
मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया, पर वो अब उसी हिस्से में ज्यादा मसाज करने लगा और इस बहाने मेरे मम्मो को छू रहा था।
उसके इरादे भांपते ही मैंने कहा “बस, अब हो गयी सारी बॉडी मसाज” । उसने अपने हाथ मेरे शरीर से हटा लिए।
राज बोला, “कोई बात नहीं, पीठ की मसाज वैसे भी ख़त्म होने ही वाली थी। मैं अब पेट की मालिश शुरू करने वाला था”।
मैंने आश्चर्य से पूछा “पेट की मालिश ! मुझे थोड़े ही कोई पेट दर्द हैं “.
उसने कहा “अरे, मेरी इतनी बात मानी, अब बस पेट ही बचा हैं, उसको क्यों छोड़ दे। मेरा यकीन मानो ये आखिरी हैं। चलो अब सीधी लेट जाओ “।
उसने जब तक मेरे मम्मे के साइड में हाथ नहीं लगाया था, तब तक वैसे भी सब सही चल रहा था, तो मैंने सोचा चलो अब एक आखिरी मालिश बची हैं तो मौका दे देते हैं।
क्यों कि मेरा शर्ट आगे से पूरा खुला था तो मैंने अपने शर्ट के दोनों पल्लो को पकड़ा और अपने शरीर के नीचे घुसाना शुरू किया, ताकि फिर से बटन लगा सकू।
उसने मुझे सँभलने का मौका भी नहीं दिया और मेरी कूल्हे की हड्डी से पकड़ मुझे करवट दे सीधा करने लगा। मैंने जल्दी से अपने दोनों हाथों से शर्ट के पल्लो को अपने सीने से चिपका अपना शरीर ढक लिया।
मैंने उससे शिकायत की कि “मुझे शर्ट के बटन तो लगाने देते”।
वो बोला “पेट की मालिश करनी हैं तो वैसे भी बटन नीचे से खुले ही रखने होंगे”।
मैं अब दोनों हाथों से अपना शर्ट पकडे सीने से लगाए लेटी थी। उसने शीशी से थोड़ा तेल मेरी नाभी पर डाल दिया। मुझे ठंडा ठंडा अहसास हुआ। उसने अब शीशी साइड में रखी और अपना एक हाथ मेरी नाभी पर रख दिया।
एक बार फिर उसके हाथ मेरे पेट पर छूते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए। वो अब अपने हाथ की उंगलिया गोल गोल नाभी के चारो तरफ घुमाने लगा।
धीरे धीरे वो घेरा बड़ा करता रहा। मेरा शार्ट अभी भी कुल्हो की हड्डी के नीचे खिसका था, तो उसको हाथ फेरने के लिए नाभी के नीचे भी काफी जगह मिली थी। मेरा शार्ट मेरी नाभी से चार इंच या शायद उससे भी थोड़ा ज्यादा नीचे था।
मुझे शर्म भी आ रही थी और उसके हाथों की मेरे पेट पर ऊपर नीचे होती हलचल से मीठी गुदगुदी भी हो रही थी।
मेरा पेट रह रह कर फड़क रहा था और ऊपर नीचे कूदते हुए धक् धक् कर रहा था। मेरी साँसे और गहरी होती जा रही थी। इस मधुर अहसास से मैं थोड़ा बेचैन सा होने लगी।
मैंने अपना एक हाथ फ्री किया और अपने सर पर रख दिया ताकि शायद इससे मेरी भावनाये थोड़ी काबू हो जाए। दूसरे हाथ से मैंने अब अपने शर्ट के दोनों पल्ले पकड़ रखे थे।
उसकी उंगलियों की अठखेलियों से मेरा शरीर ऊपर से नीचे थोड़ा थोड़ा हिल रहा था। मेरे पाँव थोड़ा बहुत ऊपर नीचे हो बिस्तर को रगड़ रहे थे। मैंने महसूस किया मैं तड़प रही हूँ।
उस वक्त अगर वो अपना हाथ मेरे शॉर्ट्स में डाल देता, तो भी शायद मैं उसको नहीं रोक पाती। मगर मेरी बदनसीबी या खुशनसीबी उसने ऐसा कुछ नहीं किया।
वो मेरी पतली कमर और तड़पते पेट पर हाथ फेराये जा रहा था। वो अब हाथ फेराता फेराता नाभी के ऊपर की तरफ काफी आगे बढ़ आया और मेरे मम्मो के उभार की तलहटी तक आ गया।
आधा इंच भी उसका हाथ आगे होता तो उसकी ऊँगली मेरे उभार को छू जाती।
अब मामला मेरी बर्दाश्त के बाहर होता जा रहा था। मैंने पकडे हुए शर्ट को छोड़ अपने दूसरे हाथ को भी सर पर रख दिया। मेरे शर्ट के पल्ले छूटते ही छाती पर से एक दूसरे से दूर हो गये।
शर्ट के दोनों पल्लो के बीच की बनी दरार से मेरे मम्मो के दोनों उभारो के बीच की घाटी दिखने लगी थी। मैं चाहते हुए भी उनको छिपाने के लिए अपनी सहायता नहीं कर पा रही थी।
मैंने देखा उसकी नजरे अब मेरे सीने पर ही थी और शर्ट के बीच की बनी दरार से वो मेरे अंग को ही निहार रहा था। उसके मसाज करते हुए हाथ अब धीरे धीरे पेट से चलते हुए मेरे मम्मो की तरफ बढ़ने लगे।
मेरे मन के किसी कोने से कोई एक आवाज आयी और मेरी नींद जैसे टूटी और मैंने जल्दी अपना हाथ फिर नीचे करते हुए अपने शर्ट के पल्ले फिर पकड़ के बंद कर दिए।
उसका हाथ जो धीरे धीरे मेरे मम्मो की तरफ बढ़ रहा था वो रुक कर फिर नीचे की तरफ मुड़ गया।
मैंने उसको बोला “अब मुझे मेरे पेट की ओर मालिश नहीं करवानी”।
उसने हाथ रोक दिए और बोला “अभी पूरा नहीं हुआ हैं, क्या हुआ तुम्हे नींद आ रही हैं”।
मैंने बहाना बनाया “नहीं, ऐसे ही गुदगुदी हो रही हैं”।
उसने बोला “सिर्फ पेट पर गुदगुदी हो रही हैं ! तो ठीक हैं मैं कंधो की मालिश कर देता हूँ, पीठ पर मसाज के समय तुमने बीच में रोक दिया था, वहा वैसे भी अधूरा छूट गया था”।
मैं अब ओर क्या बहाना बनाती। वैसे भी पेट के मुकाबले कंधे पर मसाज ज्यादा सुरक्षित थी। मैंने आँखों के इशारे से हां बोला।
मेरी इस हिन्दी चुदाई कहानी में आगे क्या होगा? अब यह तो आगे आने वाले एपिसोडस में ही पता चलेगा।
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