एक अनोखा सेक्सी समझौता-3

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चारों ड्राइंग रूम में बैठे, राज ने पूछा- क्या चल रहा है? प्रीति ने आखिरी कोशिश करते हुए कहा- वही जो तुम जालंधर में कर रहे थे।

राज हंस कर बोला- हम तो तुम दोनों को रंगे हाथ पकड़ना चाह रहे थे इसलिए हमने यह नाटक किया था, वर्ना हम यहाँ इस समय क्यों होते। हम भी मौज करते और बाद में आते।

सब चुप थे, सबको अपनी अपनी गलती मालूम थी पर पकड़े केवल प्रीति और संजीव गए थे।

अब प्रीति बोली- देखो राज, हम सबने गलती की है, और यह हम सबको मालूम है। तुम और स्वीटी कितनी भी होशियारी कर लो, हम सब असलियत जानते हैं। बेहतर होगा हम सब कन्फेस करें या अब मैं पत्ते खोलूंगी और सब शर्मसार होने को तैयार हो जाएँ।

राज और स्वीटी ने एक दूसरे की ओर देखा, स्वीटी बोली- मुझसे कोई गलती नहीं हुई है, मैं क्यों शर्मसार होऊँगी? प्रीति हंसी और बोली- तुम लोग ऐसे नहीं मनोगे… क्यों राज? राज चुप था।

प्रीति बहुत जोर से हंसी और बोली- चलो अब सब नंगे होएँगे… मैं मानती हूँ कि मैं और संजीव अनजाने में एक दूसरे के करीब आ गए और फिजीकल हो गए। वैसे मैं और राज एक दूसरे को बहुत प्यार करते हैं और सेक्स में खूब एन्जॉय करते हैं। और सबसे बड़ी बात आपस में खुले हुए हैं। संजीव गुरूग्राम में कैसे मेरे नजदीक आ गया, हमें खुद नहीं मालूम… इसमें संजीव की कोई गलती नहीं है… पर हमसे पहले तुम राज और तुम्हारी ये सहेली जो ज्यादा होशियार बन रही है, रिलेशनशिप में आ चुके थे। मेरे गुरूग्राम रहने पर तुम हम बिस्तर भी हुए और बाथटब में भी नहाये.. बोलो हाँ या नहीं?

राज और स्वीटी को तो काटो तो खून नहीं… दोनों चुप थे और संजीव भौंचक्का! प्रीति स्वीटी के पास गई और उसको बहुत प्यार से उठाया और किस करके बोली- मेरा राज है ही ऐसा कि हर किसी का दिल आ जाता! और तेरा संजीव भी ऐसा ही है… चल अब बता, मजा आया राज के साथ या नहीं?

अब किसी के पास छुपाने को कुछ नहीं था, सब मुस्कुरा दिए… फिर प्रीति ने सबको कसम देकर कहा- आज हमें यह वादा करना होगा कि या तो भविष्य ऐसा नहीं होगा… या होगा तो सब साथ साथ करेंगे और कभी अपने पार्टनर से कुछ नहीं छिपाएंगे।

बात तो ख़त्म करनी ही थी, स्वीटी दौड़ कर संजीव से चिपट गई और सॉरी बोली। संजीव बोला- गलती तो मुझसे भी हुई है! यही बात राज और प्रीति के बीच रही।

12 बज चुके थे, संजीव और स्वीटी अपने घर चले गए… राज बेड में घुस गया और प्रीति संकोच में इधर उधर घूम रही थी, राज ने उसे बडे प्यार से बुलाया और बेड पर खींच लिया, बोला- अब सब बात खत्म… चल मौज कर लें! कहकर राज ने अपने और उसके कपड़े उतार दिए… वो रात उन दोनों की यादगार रात थी, क्योंकि दो परिवार टूटते टूटते बचे थे।

अगले दिन राज के ऑफिस जाने के बाद प्रीति ने स्वीटी को घर पर बुलाया, दोनों ने बड़े प्यार से सब बातें साफ़ करी… गलती सबसे हुई थी पर बात साफ़ होनी जरूरी थी। प्रीति ने स्वीटी को विश्वास दिलाया कि अब वे दोनों दोस्त की तरह रहेंगी। प्रीति ने स्वीटी के गाल अपने हाथ में लिए और उसके होठों पर एक डीप किस दिया और पूछा- सच बता मजा आया ना ऐसी रिलेशनशिप में? स्वीटी बोली- मजा तो बहुत आया पर अब डर लग रहा है कि कहीं यह विश्वास ख़त्म न हो जाए।

प्रीति बोली- कुछ नहीं होगा, अगर हम बिना छिपाए एन्जॉय करेंगे। प्रीति ने स्वीटी को बढ़िया खाना खिला कर बातों बातों में पूछा कि क्या वो और संजीव इस रिलेशनशिप को ग्रुप में कंटिन्यू करना चाहेंगे? स्वीटी कंफ्यूज थी। प्रीति बोली- हम तैयार हैं बशर्ते वो और संजीव दोनों तैयार हों?

स्वीटी बोली- कहीं राज को बुरा लग गया तो? या कभी इससे संजीव के जॉब पर तो कोई दिक्कत नहीं आयेगी? इस पर प्रीति ने स्वीटी को बताया- तुम संजीव को अभी मत बताना, राज ने संजीव के टूरिंग पैकेज में खासी बढ़ोतरी करवा दी है। चूंकि संजीव टूर पर काफी रहता है तो इसका फायदा उसे मिलेगा और राज तो वैसे ही तुम दोनों का बहुत ख्याल रखता है, इसलिए इस बात को सोचने की कोई गुंजाइश नहीं है।

स्वीटी अब बहुत खुश थी और वो प्रीति से चिपट गई, पर वो बोली- संजीव अभी तैयार शायद नहीं होगा क्योंकि कुछ भी हो, आखिर राज उसका बॉस है और उन्हें लम्बा व्यापार करना है, अतः उनके बीच कुछ लिहाज होना जरूरी है। बात सही थी।

हाँ एक रास्ता था जो दोनों लड़कियों ने निकाला कि अगर एन्जॉय करना है तो छिप के ही होगा कुछ पर्दा जरूरी है। पर स्वीटी और प्रीति आपस में कुछ नहीं छिपायेंगी। क्या होगा… यह किसी को नहीं मालूम था, पर फिलहाल कुछ नहीं होगा।

रात को बेड पर स्वीटी और संजीव ने तय किया कि अब इस रिलेशनशिप को यहीं रोकना बेहतर होगा… हाँ संजीव को स्वीटी की प्रीति से नजदीकी से कोई एतराज नहीं था संजीव ने बल्कि स्वीटी को राज से अलग से नजदीकी बनाये रखने को कहा जिसका पता प्रीति को न चले क्योंकि इसका उसे अपने कैरीयर में लाभ पहुँचता दिख रहा था।

स्वीटी समझी नहीं कि आखिर संजीव क्या चाहता है। संजीव ने उसे समझाया कि अब जो होना था वो हो चुका, उसे हालाँकि प्रीति के साथ मजा पूरा आया पर वो कैरियर के आगे मजे को नहीं रखना चाहता… हाँ कभी प्रीति उसे मौका देगी तो उसे कोई एतराज नहीं होगा।

स्वीटी समझ गई कि संजीव उसका इस्तेमाल एक सीढ़ी बनाकर करना चाहता है… और इसमें हर्ज भी क्या है!

5-6 दिन ऐसे ही निकल गए, संजीव को चेन्नई टूर पर जाना था, उसकी फ्लाइट दिल्ली से सुबह की थी, वो रात को ही दिल्ली चला गया, उसके साथ राज भी दिल्ली आया… उसको एक क्लाइंट से मिलना था… रात को स्वीटी और प्रीति अकेली रहती तो प्रीति ने स्वीटी को अपने पास ही बुला लिया रात के लिए!

राज और संजीव कार से शाम को निकल गए।

स्वीटी 7 बजे तक प्रीति के पास आ गई, प्रीति ने स्वीटी का बड़े प्यार से स्वागत किया। प्रीति ने इडली डोसा बनाया था, दोनों ने डिनर लिया… स्वीटी बहुत खुश थी और लग ही नहीं रहा था कि कोई टेंशन हुई हो!

प्रीति को मस्ती सूझ रही थी, उसने एक फ्रॉक डाली और स्वीटी के मना करने पर भी उसे फ्रॉक दी पहनने को! अंदर न उसने कुछ पहना, न स्वीटी ने!

टीवी देखकर दोनों 9 बजे करीब बेड पर लेट कर ही बात करने लगीं। प्रीति ने स्वीटी को नजदीक कर लिया और एक बार उसको किस किया और चिपटा लिया अपने से, बोली- मुझे आदत नहीं है अकेली सोने की तो तू आज मेरी राज बन जा!

इस पर स्वीटी हंसी तो फिर तो मुझे ऊपर भी आना पड़ेगा और नीचे भी चूसना पड़ेगा और आप क्या चूसोगी? प्रीति हंस पड़ी, बोली- अभी बताती हूँ कि क्या चूसूँगी। उसने अपनी फ्रॉक उतार दी और स्वीटी की भी… अब जब दो नंगे जिस्म चिपटें तो आग तो लग ही जानी है। दोनों के पहले तो होंठ मिले, फिर दोनों ने आपस में चूत रगड़नी शुरू कर दी।

प्रीति ने स्वीटी की गीली हो चुकी चूत में अपनी उंगली कर दी और मालिश करने लगी। स्वीटी की सीत्कारें शुरू हो गईं, उम्म्ह… अहह… हय… याह… वो अपने हाथों से अपने मम्मे मसलने लगी। प्रीति किचन में गई और एक लम्बा सा खीरा ले आई। स्वीटी समझ गई कि वो क्या करने वाली है। प्रीति नीचे लेटी तो स्वीटी ने उसकी चूत में जीभ कर दी।

प्रीति की चूत तो पहले ही चिकनी हो रही थी, स्वीटी ने आग में घी का काम किया। अब स्वीटी प्रीति के ऊपर लेट गई और खीरे का एक सिरा अपनी चूत में और दूसरा सिरा प्रीति की चूत में कर दिया और बगल में लेट गई। अब दोनों ने एक दूसरी को धीरे धीरे धक्के देकर चोदना शुरू किया… दोनों के मुख से आवाज निकल रही थी और दोनों ही एक दूसरे को चूम रही थीं।

स्वीटी के मम्मे तो प्रीति ने मसल मसल कर लाल कर दिए थे। खीरे और उंगलियों की मालिश से दोनों ने अपनी कामाग्नि शांत की और थक कर 11 बजे तक नंगी ही चिपट कर सो गई।

अगले दिन सुबह स्वीटी अपने घर चली गई… शाम तक राज भी वापस आ गया। प्रीति ने स्वीटी को फोन करके कहा कि वो चाहे तो यहीं आकर सो जाए.. खाना भी यहीं खा ले। संकोच में स्वीटी ने मना कर दिया, पर जब प्रीति ने कहा कि लगता है अभी नार्मल नहीं हुई हो तुम तो स्वीटी ने आने की हाँ कह दी। शाम को राज 7 बजे करीब ऑफिस से निकला तो प्रीति का फोन आया कि स्वीटी को लेते आना!

राज ने स्वीटी को लिया और गाड़ी में बैठते ही उसे किस किया, स्वीटी ने किस तो किया पर ठंडापन था। राज ने गाड़ी एक सुनसान जगह पर रोकी और पूछा- क्या बात है? मैं कोई जबरदस्ती नहीं चाहता, अगर तुमको अच्छा नहीं लग रहा है तो ये सब बंद… और अगर मेरे साथ नहीं चलना चाहती तो वो तुमको वापिस भी छोड़ सकता हूँ, प्रीति को मैं समझा देगा।

इस पर स्वीटी मुस्कुराई और कस के चिपट गई राज से और एक डीप किस दिया उसे, बोली- नहीं सब ठीक है पर संजीव से छिपाना होगा। राज इसके लिए तैयार नहीं था तो स्वीटी बोली- मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूँ पर संजीव को बताने से वो मना तो नहीं करेगा पर हर्ट होगा। राज तैयार हो गया पर प्रीति से छिपाया नहीं जा सकता था क्योंकि प्रीति को कोई एतराज भी नहीं था।

दोनों घर पहुंचे। प्रीति उनका इन्तजार कर रही थी, उसने बढ़िया सा नाश्ता बना रखा था। नाश्ता करके सब लोग लेक पर घूमने गए… प्रीति और स्वीटी ने स्कर्ट और टॉप पहने… दोनों कॉलेज गर्ल्स लग रही थीं। यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

लौटते में फ़ास्ट फ़ूड खाते हुए 9 बजे तक घर पहुंचे। रास्ते में स्वीटी बोली- मुझे घर ही छोड़ दो! तो प्रीति ने उसे डांट दिया, बोली- मैं और तुम अलग सोयेंगे और राज अलग, मत घबरा!

प्रीति ने राज का बिस्तर ड्राइंग रूम में लगा दिया और अपना और स्वीटी का अपने बेड रूम में! राज चुपचाप कपड़े बदलकर लेट गया और दोनों लड़कियां ठहाके लगाती बेड पर गप्पें मारती रहीं। प्रीति ने तो बरमूडा और टॉप डाला पर स्वीटी ने शर्मा कर फ्रॉक ही डाली। पर उससे फायदा क्या, प्रीति ने बेड पर चादर के अंदर पहुंचते ही स्वीटी के मम्मे दबाने शुरू कर दिये तो स्वीटी बोली- दरवाजा बंद करो पहले!

प्रीति उठी और गेट बंद कर दिया और बेड पर आते ही अपने और स्वीटी के कपड़े उतार दिए। कल की तरह ही दोनों अपनी गर्मी शांत कर रही थीं पर कल और आज मैं फर्क यह था कि कल तो खीरा था, और आज न तो खीरा लाने के लिए किचन में जाया जा सकता था और फिर दूसरे कमरे मैं मोटा लंड मौजूद था।

स्वीटी बोली- आप राज के पास चली जाओ और अपनी चूत को मजे दिलवा दो! प्रीति बोली- चलेंगी तो दोनों चलेंगी, वर्ना मैं नहीं जा रही! स्वीटी ने शरमा कर मन कर दिया।

दोनों करवटें बदलने लगी… नींद तो आ नहीं रही थी। अचानक प्रीति उठी और स्वीटी से बोली- मैं तो जा रही हूँ और तू भी पीछे पीछे आ जाना और अगर नहीं आई तो अच्छी बात नहीं होगी…

दरवाजा खोलकर प्रीति नंगी ही राज के कमरे में चली गई… राज सोया नहीं था… प्रीति जाते ही उससे चिपट गई और राज के भी कपड़े उतार दिए। प्रीति की एक निगाहें गेट पर थीं जहाँ स्वीटी खड़ी थी, उसने ओढ़ने की चादर से अपना बदन ढक रखा था।

कमरे में अँधेरा था पर दूसरे कमरे से हल्की सी रोशनी आ रही थी। प्रीति ने स्वीटी को अन्दर आने का इशारा किया और राज के लंड को चूसने के लिए नीचे झुक गई। स्वीटी ने हल्के से दरवाजा बन्द किया जिससे रोशनी आनी बंद हो गई और वो उन दोनों के नजदीक आ गई और अपनी टांगें फ़ैला कर राज के मुँह पर अपनी चूत रख दी।

राज भौंचक्का हो गया, चूत की महक से वो पागल हो गया और उसने स्वीटी के मम्मे पकड़ कर उसको अपने मुंह की ओर खींच लिया और जीभ उसकी चूत में कर दी। अब प्रीति तो उसका लंड चूस रही थी और वो स्वीटी की चूत!

स्वीटी सीत्कारें लेने लगी… प्रीति भी अब उठ कर बैठ गई और राज का लंड अपनी चूत में कर लिया नीचे से राज धक्के दे रहा था, ऊपर से प्रीति उछल उछल कर राज को चोद रही थी… स्वीटी भी आगे झुकी और अपने होंठ प्रीति के होंठों से मिला दिए।

अब दोनों के मम्मे राज मसल रहा था, स्वीटी की चूत ने राज के मुँह पर फव्वारा छोड़ दिया था। अब राज ने दोनों से अपने को छुड़ाया और स्वीटी के ऊपर चढ़ गया। उसने स्वीटी की दोनों टांगों को फ़ैलाया और घुसेड़ दिया अपना लंड उसकी चिकनी चूत में! प्रीति ने अपनी चूत स्वीटी के मुंह पर कर दी थी और राज ने उसके मम्मे मसलने शुरू कर दिए थे। राज इतनी जोर और जंगलीपन से आज चुदाई कर रहा था कि स्वीटी की चीख निकल रही थीं।

उसको चीखती देख कर अब प्रीति से रहा नहीं गया, वो राज से बोली कि एक बार वो उसे भी ऐसे ही चोदे।

स्वीटी को जैसे ही लगा कि राज अपना लंड उसकी चूत से निकाल लेगा तो उसने अपनी बाहें राज के गले में डाल दी और उसे जकड़ लिया… मतलब साफ़ था बिना चुदाई का पूरा मजा लिए, स्वीटी राज को छोड़ना नहीं चाहती थी।

राज के सामने बड़ी मुश्किल थी लंड एक चूत दो और दोनों भूखीं… खैर राज ने अब जम कर स्वीटी को चोदना शुरू किया और पेलमपेल के इस दौर में उसने अपनी उंगलियों से प्रीति की चूत की मालिश भी करनी जारी रखी।

जब स्पीड बहुत बढ़ गई तो स्वीटी की आवाजें बहुत बढ़ गईं- राज, मैं आने वाली हूँ… प्लीज तुम बाहर मत करना… डाल दो सारा माल मेरी चूत में ही! राज ने एक झटके में स्वीटी की चूत को गरमागरम माल से भर दिया… स्वीटी ऐसे ही लेटी रही… प्रीति ने अपने होंठ स्वीटी के होंठ से मिला दिए थे। राज उठा और बाथरूम जाकर अपने को साफ़ किया… वो लौटते में किचन से पानी पीकर आया्।

उसे अब प्रीति के लिए अपने लंड को खड़ा करना था… ड्राइंग रूम में अब केवल प्रीति थी, स्वीटी बेड रूम में जा चुकी थी… प्रीति राज को देखकर मुस्कुराई… राज के लेटते ही वो दोनों चिपक गए, चूमा चाटी और बदन की गर्मी ने राज का लंड जल्दी ही खड़ा कर दिया और उसने ऊपर आकर प्रीति की चूत को भी जम कर पेला… इस बार समय ज्यादा लगा पर प्रीति की चूत की मालिश जम कर हो गई… निबटकर दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए।

उधर स्वीटी को नींद नहीं आ रही थी, वो भी इधर ही आ गई और प्रीति से चिपक कर सो गई। सोते सोते उसके हाथ कब राज का लंड पकड़ लिया इसका उसे तो पता नहीं चला पर राज की आँख खुल गई… उसका लंड फिर खड़ा था और स्वीटी उसे देख कर मुस्कुरा रही थी।

प्रीति तो थक कर खराटे ले रही रही थी। स्वीटी ने राज को आने का इशारा किया और बेड पैर चली गई… पीछे पीछे राज भी पहुँच गया और एक बाद फिर दोनों गुत्थम गुत्था हो गए। सुबह तक स्वीटी की चूत फट जाएगी, चुदाई की स्पीड से यह तो तय था। इस चुदाई का प्रीति को पता ही नहीं चला।

स्वीटी ने चुदाई के बाद राज से कहा- अब हमारी चुदाई के बारे में संजीव को पता नहीं चलना चाहिए! इसके बाद तो जब भी मौका मिलता, राज और स्वीटी संजीव के बाहर जाने पर स्वीटी के घर में चुदाई करते, और प्रीति को राज ने कह दिया- बस अब और नहीं! क्योंकि उसे भी डर था कि अगर प्रीति उसे स्वीटी से करने देगी तो वो भी संजीव के साथ करेगी जो राज को नहीं सूट कर रहा था… शायद केवल इसलिए कि वो संजीव का बॉस था।

उधर स्वीटी ने भी संजीव को सिर्फ इतना बता रखा था कि अब उसके और राज के बीच दोस्ती अच्छी है और इससे ज्यादा कुछ नहीं, पर राज उसको फायदा करता रहेगा, मसलन अब संजीव का टी ए बिल बढ़ कर पास होने लगा और स्वीटी को भी महँगी ड्रेस गिफ्ट में मिलनें लगीं।

संजीव भी कम नटवरलाल नहीं था, जिस दिन भी राज जालंधर या कहीं और टूर पर होता, उस दिन संजीव और प्रीति चुपचाप ऐश करते और इसकी भनक स्वीटी और राज दोनों को नहीं होती थी। चारों खुश थे…

कैसी लगी यह चुदाई की कहानी, मुझे लिखियेगा! [email protected]

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