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संजीव के जाने के बाद उसने लियो फोर्ट होटल जालंधर को फोन किया और पूछा कि क्या मिस्टर राज मल्होत्रा के नाम से कोई बुकिंग है तो वहाँ से कन्फर्म हुआ कि ‘हाँ मिस्टर एंड मिसेज राज मल्होत्रा के नाम से बुकिंग है और उन लोगों ने अभी चेक इन किया है रूम नम्बर 108 में!
प्रीति ने रिसेप्शन से उसकी कॉल रूम नंबर 108 से कनेक्ट करने को कहा तो उधर से फोन पर लेडीज आवाज आई… प्रीति पहचान गई वो स्वीटी थी।
प्रीति ने फोन काट दिया… वह परेशान हो उठी… वो क्या कहे… क्या शिकायत करे… राज और स्वीटी जो जालंधर में कर रहे हैं वो और संजीव भी तो वही सब यहाँ कर रहे हैं। वाह रे इंसान… खुद करे तो हवन दूसरे करे तो प्रदूषण! अपने लिए सारे खून माफ़ और दूसरे के लिए फांसी की फ़रियाद!
प्रीति ने संजीव को फोन मिलाया और उससे कहा कि वो शाम को ऑफिस से सीधा उसके पास आ जाए। प्रीति ने सोचा कि अब राज को वहाँ कुछ भी कहना बेकार है, इससे तो अच्छा है प्रीति और संजीव यहाँ मौज करें और राज और स्वीटी को वहीं मौज करने दी जाए और बाद में उनको रंगे हाथ पकड़ कर जलील किया जाए और फिर चारों एक साथ मौज करें! यह तय किया जाए पर इन सबका ठीकरा राज और स्वीटी के सर फोड़ा जाए।
प्रीति ब्यूटी पार्लर चली गई और फेशियल और बॉडी टोनिंग करा कर 5 बजे तक घर आई और संजीव को फोन किया। संजीव बोला- पंद्रह मिनट में आता हूँ।
प्रीति ने बाथ टब में पानी भरा और गेट का लॉक खोल कर बाथ टब में घुस गई… झाग इतनी बना लिये थे कि बाहर से कुछ नहीं दीखता था पानी के अंदर का।
संजीव आया और गेट खुला होने से अंदर आ गया। प्रीति ने आवाज दी और गेट बंद करने को कहा, संजीव ने गेट बंद किया और बाथरूम में झाँका… प्रीति ने उससे कहा- कपड़े उतार कर आ जाओ!
संजीव कुछ समझा नहीं… पर मौका ऐसा फिर कहाँ मिलता, फटाफट नंगा होकर वो बाथ टब में घुस गया और प्रीति ने उसका लंड पकड़ कर उसे चिपटा लिया। उसने उसे डीप किस किया और कहा- हम दोनों जो कुछ यहाँ कर रहे हैं, तुम्हारी बीवी और मेरा मियां वो वहाँ कर रहे हैं।
संजीव का मुंह खुला रह गया…
प्रीति ने उसे सारा किस्सा बताया और अपना प्लान भी बताया और कहा कि अब सब कुछ भूल कर बस दो दिन सिर्फ चुदाई की सोचो, परसों राज के यहाँ आने के बाद होटल से बिल की डुप्लीकेट कॉपी मंगा लेंगे और उसे राज और स्वीटी के सामने रख कर उन्हें नंगा करेंगे। संजीव भी ये सब सुनकर उत्तेजित हुआ और प्रीति के मम्मों पर पिल गया।
समय बहुत था और करना सिर्फ एक ही काम था। बाथ टब के पूरे मजे लेकर, दोनों खड़े हुए और शावर लेकर बाहर आये। बाहर डिनर और मूवी का प्रोग्राम बना।
संजीव के पास कपड़े नहीं थे बदलने के लिए… तो उसने तो राज की टीशर्ट और जीन्स पहनी और प्रीति ने भी जीन्स टॉप डाला। दोनों मस्ती के मूड में पूरे थे और क्यों ना हों!
गाड़ी में संजीव बार बार प्रीति को चूम रहा था, उसके मम्मे दबा रहा था। प्रीति भी हाथ का दबाव उसके लंड पर बना रही थी। मूवी में भी प्रीति ने संजीव का लंड उसकी जीन्स से बाहर निकाल लिया था और उसको हाथ से निचोड़ भी चुकी थी।
डिनर लेकर दोनों 11 बजे तक घर वापिस आये, प्रीति बोली- अपने घर क्या जाओगे, यहीं रुक जाओ, सुबह चले जाना। संजीव बोला- कपड़े? प्रीति बोली- पागल हो गए हो क्या? रात को क्या कपड़े पहने जाते हैं!
हंस कर दोनों ने कपड़े उतार लिए और बिस्तर में घुस गये। वैसे तो कोई भी जोड़ा सेक्स के बाद बिना कपड़ों के ही सो जाता होगा पर बिना कपड़ों के बेड में घुसने का रोमांच अलग ही होता है।
प्रीति के मम्मों की तो शामत आई हुई थी सुबह से… वो चाहती थी कि संजीव उसकी चूत चाटे और वो संजीव का लंड! इसलिए उसने संजीव का सर अपनी चूत की ओर धकेला। संजीव समझ गया और दोनों 69 पोजीशन में आ गये, संजीव ऊपर था प्रीति नीचे! जब चूसने से बेताबी चुदास की ओर बढ़ गई तो संजीव पलटा और प्रीति से बोला- तुम घोड़ी बनो, मैं आज तुम्हारी गांड मारूंगा।
वो स्वीटी की गांड मारता था इसलिए उसका मन था कि आज प्रीति की भी गांड मारी जाये! पर प्रीति ने उसे प्यार से मना किया और घोड़ी बन कर अपने हाथों से उसका लंड अपनी चूत में ले लिया। संजीव ने आगे झुककर धक्के देने शुरू किये और अपने हाथों से प्रीति के मम्मे दबाने लगा।
प्रीति के दोनों हाथ और घुटने बिस्तर पर थे, उसने अपनी गर्दन घुमाई और अपने होंठ संजीव के होंठों से मिलाने की कोशिश करने लगी। संजीव की स्पीड बढ़ रही थी और प्रीति की चुदास!
अब प्रीति ने संजीव को जबरदस्ती नीचे किया और चढ़ गई संजीव के ऊपर और लगी उसे चोदने! पांच मिनट की पहलवानी के बाद दोनों निढाल हो गए और बिस्तर पर उनकी पूरी प्रेम कहानी के किस्से वीर्य के रूप में छिटक कर पड़े थे।
प्रीति उठी और टॉवल से अपने को साफ़ किया और टॉवल संजीव को दी। उसने संजीव से कॉफ़ी या कोल्ड ड्रिंक के लिए पूछा तो संजीव बोला- कोल्ड ड्रिंक ले आओ! वो नंगी ही किचन में जाकर कोल्ड ड्रिंक ले आई, तभी डोर बेल बजी।
प्रीति और संजीव के चेहरे का रंग उतर गया, कौन हो सकता है इस समय?
संजीव ने फटाफट अपने कपड़े समेटे और बाथरूम में घुस गया, प्रीति ने नाइटी डाली और गेट खोला, सामने राज और स्वीटी थे।
असल में राज और स्वीटी ने अपना प्रोग्राम ऐसे ही सेट किया था कि राज जालंधर आ जायेगा और स्वीटी उसे वहाँ होटल में ज्वाइन कर लेगी और उन्होंने ऐसा किया भी!
होटल में रूम में पहुंच कर राज ने स्वीटी को डीप किस किया और स्वीटी का टॉप और ब्रा उतार दी… इससे पहले वो आगे बढ़ते, फोन बज उठा। स्वीटी ने फोन रिसीव किया पर उधर से कोई आवाज नहीं आने से उसने सोचा कि गलती से मिल गया होगा। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
इस बीच में राज ने अपने कपड़े उतार लिए थे, स्वीटी ने भी अपनी जीन्स और पैंटी उतार ली। अब दोनों निपट नंगे थे, दोनों बिस्तर में घुस गये। राज तो स्वीटी के मोटे मम्मों का दीवाना था, वो स्वीटी के ऊपर चढ़ गया और दोनों हाथों से उसके मम्मे आपस में मिला कर उन्हें चूसने की नाकाम कोशिश करने लगा।
वो तो कामयाब नहीं हुआ पर हाँ स्वीटी उसका लंड अपनी चूत में करने में कामयाब हो गई। उम्म्ह… अहह… हय… याह… अब राज ऊपर घमासान मचाने लगा, स्वीटी की गांड के नीचे उसने तकिया लगा दिया… स्वीटी भी उछल उछल कर राज को मजे देने लगी।
राज का लंड हार मानने को तैयार नहीं थी और स्वीटी आज उसका लंड निचोड़ने के मूड में थी। स्वीटी ने राज को धक्का देकर उसका लंड अपनी चूत से निकाला और 69 पोजीशन में आ गई।
अब दोनों एक दूसरे को चाट रहे थे। राज के लिए पहला मौका था कि लब लब हो रही चूत चाटने का… अब राज ने दोबारा स्वीटी की चूत पर धावा बोला और अबकी बार किला फतह कर ही लिया। स्वीटी की चूत उसके वीर्य से भर गई थी।
दोनों उठ कर बाथरूम में नहाने चले गए। नहाकर राज और स्वीटी बिना कपड़ों के ही चिपक कर सो गए।
शाम 6 बजे उनकी आँख खुली तो चाय की इच्छा हुई। राज ने चाय के साथ पनीर पकोड़े और फ्रेंच फ्राइज का आर्डर दिया।
नाश्ते से निबटकर राज ने देखा की उसका मोबाइल स्विच ऑफ हो गया है… शायद चार्ज नहीं था। उसने फोन चार्ज पर लगाया और रिसेप्शन से पूछा कि उसका कोई मेसेज या कॉल तो नहीं आया? वहाँ से उसे मालूम पड़ा कि चंडीगढ़ से फलाने मोबाइल नम्बर से उसकी बुकिंग कन्फर्म की गई थी।
अब तो राज और स्वीटी के तोते उड़ गए… इसका मतलब वो फोन प्रीति का था और इसका मतलब प्रीति को मालूम है कि राज और स्वीटी वहाँ क्या कर रहे हैं।
स्वीटी तो रोने लगी… वो अपने को कोसने लगी कि क्यों उसने ऐसा किया। उसे डर था कि अगर प्रीति ने संजीव को बता दिया तो संजीव तो उसे छोड़ देगा। राज ने उसे समझाया कि अब जो होना था, वो तो हो गया और राज अब संजीव को कैसे भी मना लेगा, पर अब उन दोनों को तुरंत वापिस जाना चाहिए।
7 बजे तक दोनों जालंधर छोड़ चुके थे। चंडीगढ़ पहुँचने पर सीधे स्वीटी के घर गए, स्वीटी अब भी रो रही थी…पर घर का ताला बंद था और संजीव की कार भी नहीं थी।
गार्ड ने बताया कि वो जब शाम को 7 बजे आया था तब भी गाड़ी नहीं थी। राज ऑफिस की ओर गया तो वहाँ कोई नहीं था, कुछ समझ नहीं आ रहा था।
राज अब स्वीटी को लेकर अपने फ्लैट पर आया, वहाँ संजीव की गाड़ी खड़ी थी। राज ने वाचमैन से पूछा कि यह गाड़ी किसकी है तो उसने बताया कि कोई साहब मेम साहब के साथ शाम को 6 बजे करीब गए थे और अभी लौटे हैं।
अब सारा मामला राज और स्वीटी के समझ में आ गया क्योंकि जालंधर से आते में स्वीटी ने गुरूग्राम से लौटने पर संजीव की शर्ट पर प्रीति के बाल और उसकी शर्ट पर लिपस्टिक के निशान की कहानी राज को बता दी थी।
अब राज और स्वीटी समझ गए कि ऊपर क्या हो रहा है या होने वाला है। राज ने स्वीटी से कहा- अब ऊपर थोड़ी देर बाद चलेंगे, चलो कुछ खा लेते हैं।
दोनों मैक डोनाल्डस में जाकर बर्गर खाकर आधे घंटे में आये और सीधे ऊपर पहुंचे। ऊपर प्रीति के दरवाजा खोलने पर दोनों अंदर घुसे। राज ने दरवाजा बंद किया, संजीव कहीं दिखाई नहीं दे रहा था।
राज ने प्रीति से कहा- संजीव को बुलाओ? अब कोई चारा नहीं था, चारों ड्राइंग रूम में बैठे, स्वीटी राज के पास ही बैठी, प्रीति और संजीव चोरों की तरह अलग अलग बैठे।
राज ने पूछा- क्या चल रहा है?
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