This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
दोस्तो.. मैं अरुण कुमार.. मेरा नाम तो पिछली कहानियों में पढ़ा ही होगा और मेरे बारे में बहुत कुछ जान भी लिया होगा। इस बार फिर से एक दोस्त विक्की की आपबीती के साथ आपके सामने चूत चुदाई की कहानी पेश करने जा रहा हूँ। आशा करता हूँ कि बाकी सेक्स कहानियों की तरह मेरी इस चुदाई की कहानी पर भी आपका प्यार बना रहेगा।
इसके साथ-साथ यह भी जरूर बताएं कि मैं लिखता कैसा हूँ।
आप विक्की की कहानी का मजा उसकी जुबानी लीजिए।
नमस्कार दोस्तो.. मेरा नाम विक्की है, मैं जमशेदपुर का रहने वाला हूँ। दिखने में मैं स्मार्ट हूँ.. ऐसा लोग कहते हैं।
आज मैं आपको अपनी वो कहानी सुनाने जा रहा हूँ.. जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। दरअसल बात आज से पांच साल पहले की है, मैं भुवनेश्वर के एक कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था।
हमें कंप्यूटर पढ़ाने के लिए एक टीचर आती थीं.. उन नाम शिप्रा था। मैं शिप्रा के बारे में क्या कहूँ.. वो 24 साल की एक अप्सरा सी दिखने वाली टीचर थी। पतली कमर.. गोरा बदन.. बहुत सुन्दर थी वो। उसके रंग-रूप को देख कर कोई भी पागल हो जाए। उसकी अदा बड़ी ही कातिलाना अदा थी।
वो ज्यादातर साड़ी पहन कर आती थी। साड़ी में उसका पूरा फिगर एकदम मस्त दिखता था। उसकी लचीली गांड और उसके तने हुए मम्मे देख कर तो सब परेशान ही रहते थे। जो भी उसको देखता.. उसको चोदने के बारे में ही सोचता रहता, पूरा कॉलेज उसके पीछे पागल था।
जब मैंने पहली बार उसे देखा तो मुझे उससे प्यार हो गया.. पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। अब तक मैं बहुत शरीफ था.. पढ़ाई में भी बहुत अच्छा था। मेरी पढ़ाई और अच्छा प्रदर्शन से मैं उसकी निगाह में आने लगा, उसे लगा कि ये अच्छा लड़का है। इसलिए वो मुझ पर अधिक ध्यान देने लगी।
धीरे धीरे क्लास में हम दोनों की बातें शुरू हो गईं। बात होते-होते हमारी मुलाकात क्लास के बाहर भी होने लगी, मेरी पूरी क्लास इस बात से वाकिफ थी।
फिर हमारी बातें इंटरनेट पर भी होने लगीं। बात होती रहीं और धीरे-धीरे हम दोनों एक-दूसरे के बारे में बहुत ज्यादा जान चुके थे। ये बातें तब की हैं.. जब मैं फर्स्ट सेमेस्टर में था। देखते ही देखते हम दोनों बहुत अच्छे से घुल-मिल गए और एक-दूसरे से फ्रैंक हो गए।
अब तो क्लास में भी मेरी और उसकी हँसी-मज़ाक होने लगा। ये सब मेरे दोस्तों के लिए थोड़ा अजीब था.. पर क्या करें.. जो था, सो था।
एक दिन मैं फेसबुक पर रहा था.. तो मैंने देखा कि मैडम की पोस्ट पर किसी ने कुछ गंदा सा कमेंट किया है। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उस लड़के को पोस्ट पर ही गरिया दिया। इसके बाद जो कभी सोचा न था.. वो हुआ! मैडम मुझे ही खरी-खोटी सुनाई और डांट भी दिया।
मुझे बहुत ख़राब लगा तो मैंने उससे बात करना ही छोड़ दिया। दिन बीतने लगे और मैंने उसे नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दिया। कुछ दिन बाद मेरे एग्जाम शुरू हो गए। पहला पेपर बहुत हार्ड था और मुझे डर लग रहा था।
मैं क्लास में गया तो देखा शिप्रा मैडम एग्जामिनर बन कर आई है, मेरा तो जैसे खून खौल उठा, मैं चुपचाप गया और अपनी सीट पे जाकर सो गया.. क्योंकि मैंने पढ़ाई नहीं की थी।
जब एग्जाम ख़त्म होने में आधा घंटा ही बचा हुआ था तो मेरी नींद खुली, मैंने अपने पेपर में कुछ भी नहीं लिखा था। तभी मैंने देखा, शिप्रा मैडम मेरे पास आई और उसने कहा- जाओ, अपने आगे वाले से देख कर लिख लो।
फिर क्या था.. मैंने अपने आगे वाले के बगल जा बैठ कर छापना शुरू कर दिया। आधे घंटे में उतना ही लिख पाया जितने में मैं पास हो सकूँ।
तभी बेल बजी और सभी तुरंत क्लास से चले गए। अब क्लास में सिर्फ़ मैँ और शिप्रा रह गए थे। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि उससे क्या बोलूँ और क्या करूँ।
इतने में वो खुद मेरे पास आ गई और मेरे सामने खड़ी होकर मुझसे मेरा पेपर मांगने लगी, मैंने अपना पेपर दे दिया। फिर मैंने अपने प्रश्नपत्र के पीछे ‘सॉरी’ लिख कर उसके हाथ में दे दिया।
उसने पहले तो मुझे देखा फिर नोट पढ़ कर मुझसे कहा- कोई बात नहीं.. आगे से ध्यान रखना। उसके बाद मैं वहाँ से निकल गया।
दिन बीतते गए.. पर मैं उससे बातचीत नहीं करता था। एक दिन ऐसा आया.. जिसने मेरी ज़िन्दगी बदल दी।
एक दिन शिप्रा पढ़ाने आई तो मेरे क्लास के एक लड़के ने पता नहीं अनजाने में या जानबूझ कर मैडम के पिछवाड़े में कागज़ की बॉल से मार दिया, मैडम को इस बात से बहुत तकलीफ हुई, वो रोते-रोते अपने केबिन में चली गई। मैं भी अनदेखा करके वहाँ से चला गया।
मैं कैंटीन जाकर लंच करने लगा। मेरी क्लास के कुछ लड़के दौड़ते हुए मेरे पास आए और कहा- पूरी क्लास मैडम के चैम्बर में उन्हें मनाने के लिए गया है.. पर वो मान नहीं रही हैं।
मैं अपना खाना खत्म करके शिप्रा की केबिन की तरफ गया, मैंने देखा तो सब बाहर खड़े थे, मैंने सबको बोला- तुम सब लोग जाओ.. मैं मना लूंगा। सब कहने लगे- मैडम बोल रही हैं.. वो कल से क्लास में नहीं आएंगी। मैंने उन लोगों से कहा- जाओ और मुझे सँभालने दो।
सब चले गए और फिर मैं केबिन में गया। मैंने देखा.. वो रो रही थी। मैंने जाकर उसे चुप कराया और शांत होने को कहा। वो ऐसे मान गई.. जैसे उसे मेरे आने का ही इंतज़ार था।
फिर उसने एक डेरी मिल्क चॉकलेट निकाली.. आधी मुझे खिलाई और आधी खुद ने खाई। मुझे उस पर प्यार आ रहा था.. पर बेबस था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ, मैंने सीधे-सीधे कह डाला- मुझे आपसे कुछ कहना है। उसने कहा- जो बोलना है बोलो।
हिम्मत तो नहीं थी.. इसलिए मैंने बोला- मैं अपने रूम जा कर मैसेज कर दूँगा। उसने कहा- ठीक है।
फिर मैं अपने रूम पर चला गया। वहाँ जाकर नहाने के बाद अपने बिस्तर पर सो गया। इतने में मुझे याद आया कि मैसेज करना है। फिर मैंने फेसबुक में मैसेज कर दिया.. वो कुछ इस तरह था।
‘मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे कहूँ.. पर मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.. जब से तुम्हें देखा है, तब से तुम्हें पसंद करता हूँ। तुम मेरे लिए बहुत ख़ास हो। मुझे तुम्हारी जरूरत है। तुम्हारे बिना ज़िन्दगी जीने के बारे में सोच भी नहीं सकता.. प्लीज मेरी बन जाओ।
कुछ ही पलों बाद उसने जबाव मैसेज कर के कहा- तुम पागल हो क्या। मैं तम्हारी टीचर हूँ और तुमसे बड़ी भी। ये सब ठीक नहीं। मैं ये सब नहीं कर सकती। तुम बचकानी हरकत करोगे तो क्या मैं भी करती रहूँ। मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी।
उसके बाद न मैंने कुछ बात की.. न उसने, मैं सब कुछ भूल कर अपनी ज़िन्दगी में मस्त हो गया। दो से तीन दिन बाद शाम को उसका कॉल आया, मैंने कॉल काट दी। फिर कॉल आया तो मज़बूरन उठाना पड़ा, मैंने कहा- हेल्लो। उसने कहा- मुझे तुमसे कुछ कहना है।
मैंने भाव खाते हुए कहा- जो बोलना है जल्दी बोलो? उसने कहा- आई लव यू टू। मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ अभी!
उसने मुझे कॉलेज के लॉन में बुलाया.. जो कि मेरे हॉस्टल के बगल में था। मैं वहाँ पहुँचा.. तो मैंने देखा वो बहुत बेसब्री से मेरा इंतज़ार कर रही थी और उसके चेहरे पर अजीब भाव प्रकट हो रहे थे। मैंने जाते ही पूछ लिया- क्या प्रॉब्लम है.. कभी कुछ बोलती हो कभी कुछ?
इतने में वो मेरे करीब आकर बैठ गई और बोली- मुझे तुम्हें कुछ बताना है। मैंने बोला- जो भी है जल्दी बोलो। मुझे और भी काम है।
उसके बाद उसने अपनी स्टोरी सुनाई, कहने लगी- मेरा एक बॉयफ्रेंड है.. पर मैं उसके साथ खुश नहीं हूँ। वो मुझे नहीं छोड़ता है और मैं भी नहीं छोड़ पा रही हूँ। शादी की बात चल रही है.. क्योंकि दोनों के घर वालों को हम दोनों के बारे में पता है। इसी वजह से मैंने तुम्हें मना कर दिया। वैसे मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ और प्यार करने लगी हूँ। पर मुझे अब प्यार के नाम से डर लगता है.. क्योंकि मेरा बॉयफ्रेंड ऐसा निकल गया।
मुझे गुस्सा आ रहा था.. पर मैंने कुछ न कहा। मैंने कहा- तुम मुझसे क्या चाहती हो? उसने कहा- मुझे प्यार चाहिए.. बहुत सारा प्यार! जैसा हर लड़की की ख्वाइश होती है।
मैंने कहा- मुझे क्या मिलेगा फिर? उसने कहा- क्या चाहिए तुम्हें? मैंने कहा- मुझे तुम चाहिए। उसने पूछा- प्यार करोगे? मैंने जवाब दिया- आज़मा के देख लो।
फिर क्या था, उसने मुझे ‘आई लव यू..’ बोला और मेरा हाथ पकड़ लिया। उस दिन पूरी शाम 3 घंटे वो मेरे साथ बात करती रही, उसने मुझे किस भी किया।
अब रात हो गई और फिर खाना खा कर मैं सोने चला गया। आधे घंटे के बाद उसका फ़ोन आया। मैंने फ़ोन उठाया तो देखा उसका कॉल है.. मैंने बात की। प्यार का सिलसिला शुरू जो हुआ था, प्यार की खुमारी जो छाई हुई थी, बातों में ही रात कब बीत गई पता ही नहीं चला।
सुबह जब मैं क्लास में गया, तो देखा आज मैडम की अदा कुछ अलग ही थी, नया सूट पहन कर पूरी खुश मिज़ाज़ लड़की क्लास में आई थी।
उसका यह अवतार हम लोगों के लिए नया था, उसकी नज़र बोर्ड पर कम और मुझ पर ज्यादा थी और ध्यान पढ़ाई में तो बिल्कुल भी न था। क्लास के सारे लड़के भांप गए थे कि मैडम कर क्या रही हैं।
गर्मियों का मौसम था, दो बजे क्लास खत्म होने के बाद किसी में भी इतनी हिम्मत नहीं होती थी कि कुछ और किया जा सके। सब लोग लंच करके किसी तरह अपने कमरे की तरफ भागते थे।
लंच करके मुझे उससे मिलने का मन हुआ। मैंने देखा पूरा कॉलेज खाली हो गया है। एक परिंदा भी नहीं दिख रहा है। पर मेरा मन नहीं माना। मैं उसके केबिन में गया तो देखा शिप्रा अपने काम में इतनी बिजी थी कि उसे मेरे आने तक का पता नहीं चला।
मैं जाकर उसके सामने बैठ गया। उसने मुझे देखा तो हँसने लगी.. जैसे गलत काम करने के बाद कोई पकड़ा जाता हो। मैंने कहा- क्लास में क्या कर रही थी? उसने कहा- तुम्हें जैसे कुछ पता ही नहीं है।
मैंने कहा- क्लास में ऐसा क्यों करती हो.. जो करना है उसे कहीं और भी तो करो। पता नहीं उसे क्या हुआ, उसने तुरंत अपने लॉकर से चाभी निकाली और अपने डिपार्टमेंट का मेन दरवाज़ा अन्दर से लॉक कर दिया। मैंने पूछा- यह क्या कर रही हो?
इससे पहले कि मैं कुछ बोल पाता.. उसने मेरे होंठों पर अपने होंठों को चिपका दिया। मैंने उसकी आँखों में देखा। उसकी आँखों में मुझे पाने की लालसा दिख रही थी।
मैंने कुछ नहीं किया। उसने मुझे चूमना शुरू किया। होंठों को चूमते हुए गालों तक आ पहुँची। फिर कान पे काटते हुए गले में किस करने लगी।
धीरे धीरे उसका हाथ मेरी शर्ट के बटनों को खोलने लगे, उसकी हरकतों को देख कर लग रहा था कि जाने कब से प्यासी है। मेरी शर्ट को खोलने में उसने टाइम ज्यादा वक्त बर्बाद नहीं किया, फिर पागलों की तरह मुझे चूमने लगी।
मेरा तो यह पहली बार था.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे अब तक कभी ऐसा एहसास नहीं मिला था.. इसलिए मैं पूरा आनन्द ले रहा था, मैं भूल गया था कि मुझे भी कुछ करना है। मैंने सोचा पहले ये एहसास तो अच्छे से ले लूँ.. फिर देखता हूँ।
अब उसका हाथ धीरे-धीरे मेरी पैंट की तरफ जा रहे थे। मुझे जब तक कुछ समझ आता.. तब तक मेरा लौड़ा उसके हाथ में आ गया था और वो मेरे लौड़े को चड्डी के ऊपर से ही मदहोशी में दबाए जा रही थी, मुझे किस किए जा रही थी। एक हाथ से मेरे पूरे शरीर को सहला रही रही थी और दूसरे हाथ से मेरा लौड़ा दबा रही थी।
केबिन का दरवाज़ा अन्दर से बंद था और सबको लग रहा था कि वो बाहर से किसी ने बंद किया होगा इसलिए मैं निश्चिन्त था।
उसके बाद मैंने उसको उसकी टेबल पर लिटाया और उसकी चुन्नी को उसके शरीर से अलग कर दिया। फिर मैं उसके ऊपर लेट गया। मैंने जी भरके उसे किस किया, होंठों पर गालों पर.. गर्दन और गले पर भी खूब चूमा।
वो बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी, मैंने उसके कपड़े उतारने चाहे.. पर उसने मना कर दिया तो मैं उसके एक मम्मे को सूट के ऊपरी हिस्से से निकाल कर चूसने लगा। उसका चूचा पूरा बाहर नहीं निकलने के कारण पता नहीं चल पा रहा था कितना बड़ा है, मैंने जितना हो सकता था.. बाहर निकाल कर निप्पल चूसता रहा।
फिर अपना हाथ उसकी सलवार में डाला तो उसकी चूत भट्टी की तरह गर्म थी और कुछ चिपचिपा सा निकल रहा था।
मैं अपनी उंगली चूत में डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा। उम्म्ह… अहह… हय… याह… वो पागल होने लगी थी और मेरा सर अपने मम्मों पर दबाने लगी। मैंने बारी-बारी से उसके दोनों चूचों को बाहर निकाल कर उसके निप्पलों को दम भर चूसा और चूत उंगली करता रहा। पर इतने से मुझे संतुष्टि नहीं मिली, जिस तरह चुदाई हुआ करती है.. मुझे वैसा अनुभव नहीं हुआ।
मैंने उससे कहा- देखो करना है तो अच्छे से पूरा करो.. नहीं तो यूँ थोड़ा-मोड़ा करके कोई फायदा नहीं। उसने कहा- ठीक है.. आज रहने देते हैं। मुझे तो कब का चले जाना था.. कोई बुलाने न आ जाए।
उसकी इस बात के बाद मैं अपने कपड़े ठीक करने लगा और वो अपने कपड़े ठीक करने लगी, मैं उसे किस करके चला गया क्योंकि एक साथ निकलने से फंसने का डर था।
फिर वो अपने रूम पर चली गई।
आगे की कहानी जानने के लिए थोड़ा इंतज़ार कीजिए। मेरी कहानी 3 साल की है। इन तीन सालों में बहुत कुछ हुआ है। जानने के लिए पढ़ते रहिए। मैं जल्दी ही वापस आता हूँ। कहानी अच्छी लगी हो तो मेल कीजिएगा। धन्यवाद। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000