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आप सब की प्यारी चुलबुली सविता भाभी का एक और किस्सा पेश है।
एक दिन सुबह के समय सविता भाभी अपने घर पर अपने पति के साथ थीं, उनके पति अशोक अखबार पढ़ रहे थे। तभी सविता भाभी को बगल के अपार्टमेंट से कुछ आवाजें सी आईं तो उन्होंने अशोक से कहा- अशोक मुझे लगता है कि बगल में कोई नए पड़ोसी आए हैं.. मुझे जाकर उनका स्वागत करना चाहिए।
सविता भाभी पड़ोस में गईं तो वहाँ एक महिला थीं जिनसे सविता भाभी ने संबोधित करते हुए कहा- नमस्कार.. मैं श्रीमती पटेल.. मेरा घर आपके पड़ोस में है।
‘नमस्कार.. मैं श्रीमती वर्मा हूँ.. इस मकान में मेरे लड़के रहने आए हैं.. मैं उन्हें व्यवस्थित करने में मदद करने आई हूँ। उन दोनों ने अभी कॉलेज जाना शुरू किया है और वे बजाए हॉस्टल के यहाँ रह कर अपनी पढ़ाई करना चाहते हैं। ‘ओह्ह.. तो ये आपके लड़के हैं।’
श्रीमती वर्मा ने अपने दोनों लड़कों को बुला कर सविता भाभी से परिचय कराया- ये तरुण है और ये वरुण है.. ये दोनों जुड़वां हैं। ‘हैलो भाभी..’ तरुण और वरुण ने सविता भाभी से नमस्ते की।
श्रीमती वर्मा से बातचीत होने लगी और उन्होंने सविता भाभी से कहा- ये दोनों पहली बार अकेले रहेंगे तो आप प्लीज़ इन दोनों का ज़रा ख्याल रखना।
सविता भाभी ने उन दोनों जवान और गठीले जिस्म वाले लड़कों को देखा तो उनकी वासना भरी सोच ने अंगड़ाई ली और वे सोचने लगीं कि इनका ख्याल तो मैं जरूर रखूंगी.. मुझे अपनी अकेली दोपहर तो कॉलेज के लड़कों के साथ बांटना बेहद पसंद है। इनसे तो मैं अपने मम्मों की चुसाई करवाऊँगी और मेरी चूत की खुजली भी इन जवान लौंडों के लौड़ों से खूब मिटेगी।
कुछ देर यूं ही बातचीत के बाद सविता भाभी अपने घर चली गईं।
अगले दिन..
तरुण और वरुण के घर की घंटी बजी तो मिसेज वर्मा ने कहा- तरुण जरा देखो.. दरवाजे पर कौन है। तरुण ने दरवाजा खोला तो सविता भाभी अपने भरे हुए मम्मों की झलक दिखाते और मुस्कुराते हुए सामने दिखीं- हैलो ब्वॉय्स.. गरम ढोकले खाओगे?
उन दोनों ने भाभी का स्वागत किया और जल्दी ही बैठ कर ढोकले का आनन्द लेने लगे। सविता भाभी ने पूछा- हाँ तो बताओ.. ढोकले कैसे लगे.. पसन्द आए? ‘मम्म.. ये तो कमाल के बने हैं भाभी..’ ‘तो तू एक और ले न..’ सविता भाभी ने अपने मम्मों को दिखाते हुए कहा। ‘हाँ जरूर भाभी..’
‘मुझे खाना बनाने का बहुत शौक है तुम कभी भी मेरे घर नाश्ते के लिए आ सकते हो।’ वरुण ने मन में सोचा कि भाभी मैं तो खुद आपको अपने लौड़े का नाश्ता आपको करवाना चाहता हूँ। ये सब सोचते समय वरुण के मन में था कि वो और सविता भाभी एकदम नंगे हैं और उसका एक हाथ भाभी के दूध को मसक रहा था। साथ ही सविता भाभी अपनी जीभ से उसके लौड़े का स्वाद ले रही थीं।
वरुण की बुद्धि एकदम से कामुकता भरी हो गई और वो सोचने लगा कि सविता भाभी जी कितनी गर्म माल हैं.. मुझे हर हालत में इनके रसीले आमों को चूसना ही है। वो ये सब सोचते हुए अपनी कल्पना में सविता भाभी के कड़क निप्पलों को अपनी जीभ से चुभलाने लगा था।
तभी सविता भाभी ने अपनी घड़ी की तरफ देखते हुए कहा- ओह्ह.. मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है मुझे चलना चाहिए। ‘अरे भाभी जी थोड़ा तो और रुकिए.. मुझे अच्छा लगेगा।’
सविता भाभी को याद आ गया था कि अभी उन्हें ऑफिस जाकर मिश्रा जी का लौड़ा भी चूसना पड़ेगा जो कि उनके रोज के कार्यों में से एक था। इसलिए भाभी ने कहा- अरे नहीं सुबह से मुझे अपने रोज के जरूरी काम निबटाने होते हैं तभी मेरा मैनेजर किसी काम को शुरू कर पाता है।
अब सविता भाभी ऑफिस चली गईं और शाम को ऑफिस से निकल कर घर पहुँचते हुए सोच रही थीं कि आज तो मिश्रा जी ने मुझे देर तक चोदा है और अब ये बारिश शुरू हो गई।
अभी सविता भाभी घर पहुँची ही थीं की वरुण दरवाजे पर मिल गया- माफ़ करना भाभी जी मैं घर की चाभी लाना भूल गया हूँ.. क्या मैं आपके घर तरुण के आने तक रुक सकता हूँ?
सविता भाभी ने अपने गदराए हुए मम्मों का प्रदर्शन करते हुए कहा- कोई बात नहीं बेटा.. अन्दर आ जाओ।
वरुण का लौड़ा खड़ा हो गया। वो सविता भाभी के मम्मों को देख कर एक आह भरता हुआ सोचने लगा कि आह्ह.. भाभी का क्या मस्त जिस्म है? सविता भाभी ने कहा- वरुण मैं नहाने जा रही हूँ.. तू भी अपने गीले कपड़े बदल ले.. मेरे बेडरूम की अल्मारी में से अशोक के एक जोड़ी कपड़े निकाल ले।
वरुण तो सविता भाभी का मस्त जिस्म देख कर एकदम से मदहोश हो गया था और वो सोच रहा था कि भाभी का पति इसको पक्के में रोज जबरदस्त तरीके से चोदता होगा।
अब तक भाभी बाथरूम में जा चुकी थीं।
इधर बाहर वरुण सोच रहा था कि भाभी अन्दर पक्के में नंगी हो कर नहा रही होंगी और पानी उनके मदमस्त जिस्म पर गिर रहा होगा। काश ये नजारा एक बार दिख जाए.. मैं इसके लिए कुछ भी कर सकता हूँ।
तभी वरुण ने देखा कि बाथरूम का दरवाजा ठीक से बन्द नहीं था.. उसके दिमाग में आया कि क्यों न एक बार झाँक कर देख लूँ।
वरुण ने अपनी आँख दरवाजे की झिरी में लगा दीं। उसने अन्दर का नजारा देखा तो उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं।
अन्दर सविता भाभी एकदम नंगी हो कर फव्वारे के नीचे खड़ी थीं।
उनका कामुक जिस्म देख कर वरुण गनगना गया और अपने लौड़े को सहलाते हुए सोचने लगा कि काश मैं भी इनके साथ अन्दर होता तो मैं इनकी चूत को चाट कर साफ़ कर देता।
अभी भाभी अन्दर नहा ही रही थीं कि बाहर खड़े वरुण का पैर एक स्टूल से टकराया और स्टूल गिरने की आवाज आई।
‘अरे कौन है वहाँ..?’ सविता भाभी ने अन्दर से आवाज दी.. और एक छोटी सी तौलिया से अपने मम्मों और चूत को ढकते हुए वे बाहर आईं तो देखा कि वरुण फर्श पर गिरा पड़ा था। ‘यहाँ क्या हो रहा है तुम इधर कैसे?’ वरुण- मैं..मैं.. तो बस कपड़े लेने आया था.. मैं जाता हूँ मुझे माफ़ कीजिएगा।
अब भाभी ने मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचा कि अच्छा तो ये बात है.. ये ताक झांक प्रेमी है.. इसका इलाज मुझे पता है। सविता भाभी ने वरुण को रोकते हुए कहा- ठहरो वरुण.. बाथरूम में गरम पानी नहीं आ रहा है.. तुम ज़रा देख दोगे?
वरुण सविता भाभी के मदमस्त और हसीन नग्न जिस्म को देख कर थूक गुटकता हुआ बोला- ह..ह..ह..हाँ.. जरूर भाभी.. मैं अभी देखता हूँ।
अब वरुण बाथरूम में अन्दर आ गया था उसने नल को चला कर देखा तो नल सही था और उसने पानी बदस्तूर आ रहा था।
वरुण- इसमें तो कोई खराबी नहीं है.. पानी ठीक आ रहा है। सविता भाभी- ओह्ह.. हो सकता है मैंने नल उल्टा घुमाया हो। वरुण थोड़ा भीगा हुआ था.. तो सविता भाभी ने उससे कहा- अरे तू तो पूरा भीगा हुआ है.. तू भी अपने कपड़े उतार कर नहा ही ले.. मैं बाहर चली जाती हूँ।
सविता भाभी बाहर को चल दीं और वरुण ने अपने कपड़े उतार कर मुठ्ठ मारनी शुरू कर दी। उसके मुँह से सविता भाभी के जिस्म को लेकर ही आह्ह.. निकल रही थीं।
‘आह्ह.. भाभी कितना गरम जिस्म है आपका.. अब मुझसे रहा नहीं जाता.. मुझे अपना माल झाड़ना ही होगा.. आह्ह..’
उधर सविता भाभी दरवाजे से झाँक कर देखने लगीं- अयं.. ये तो मेरे नाम की मुठ्ठ मार रहा है.. वो भी मेरे ही बाथरूम में खामखाँ अपने कीमती माल का नुकसान कर रहा है। मुझे इसकी मदद करनी चाहिए।
सविता भाभी बाथरूम में अन्दर आ गईं और बोलीं- वरुण बेटा.. क्या मैं अपने हाथ से रगड़ दूँ? ‘भ..भाभी.. व..वो.. तो मैं बस यूं ही.. जरा..’ ‘मैं सोच रही थी कि अपने हाथ से तेरी पीठ रगड़ कर साफ़ कर दूँ।’
अब वरुण चुप हो गया और बाथरूम में एक स्टूल पर बैठ गया और सविता भाभी ने उसकी पीठ पर अपने कोमल हाथों से जलवा दिखाना शुरू कर दिया।
अभी सविता भाभी वरुण की पीठ रगड़ ही रही थीं की धीरे से उन्होंने अपना हाथ आगे ले जाते हुए वरुण की तौलिया में खड़े लण्ड को पकड़ लिया।
वरुण की वासना की आग भड़क उठी।
सविता भाभी ने उसकी पीठ से अपनी चूचियों को चिपकता हुए उसके लौड़े को मुठियाया और कहा- ओह.. वरुण मेरे ख्याल से तुम्हें यहाँ नीचे से धुलाई की जबरदस्त जरूरत है।
अब भाभी ने उसके लौड़े को तौलिया से बाहर निकाल लिया था और उसकी मुठ्ठ मारना शुरू कर दी थी।
तभी वरुण ने अपने जिस्म को कड़क करना शुरू कर दिया था जिससे सविता भाभी को समझ में आ गया था कि वरुण का माल छूटने ही वाला है और ये सच था। अगले ही पल वरुण का माल छूट गया।
सविता भाभी ने उसके लौड़े को आगे-पीछे करते हुए उसका पूरा माल निकाल दिया। भाभी- देख तूने मुझे गन्दा कर दिया.. अब मुझे फिर से नहाना पड़ेगा।
इतना कहते हुए भाभी ने अपना तौलिया हटा दिया और एकदम नंगी होकर वरुण के सामने आ गईं- अब मुझे देख कर ललचाना छोड़ और आ जा.. मल-मल कर नहला दे मुझे..
इसके बाद बाथरूम में जो कामलीला हुई उसमें सविता भाभी ने जवान उम्र के लौंडे वरुण की जवानी का रस खींच कर चूसा और जबरदस्त धकापेल हुई। वरुण ने सविता भाभी के निप्पलों को किस बेदर्दी से मींजा और उनके ठोस मम्मों को निचोड़-निचोड़ कर चूसा.. उनकी चूत में ‘फिंगर-फक’ किया। फिर सविता भाभी को घोड़ी बना कर उनकी चूत में लौड़ा पेल कर सवारी गांठी।
इस सब का सचित्र वर्णन इतना कामुक है कि इसको शब्दों में बयान करना नामुमकिन है। जिस तरह से सविता भी के निप्पलों को मींजने का सीन है.. वो आप एक बार देख लोगे तो मेरा दावा है कि बिना मुठ्ठ मारे आप रह नहीं सकते।
और तो और.. इस चुदाई के बाद वरुण के जुड़वां भाई तरुण से सविता भाभी की भूलवश चुदाई किस रंगीन अंदाज में हुई.. इसका पूरा सचित्र विवरण देखने के लिए आपका सविता भाभी की अपनी साईट पर स्वागत है।
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