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अब तक आपने पढ़ा.. भावना मेरे साथ प्यार करने लगी और जैसे ही मैंने उसे अपने अतीत के बारे में बताया.. वो मुझसे दूर होकर खड़ी हो गई। अब आगे..
‘क्या हुआ भावना तुमको मेरा सच बुरा लगा क्या?’ उसने कहा- कुछ नहीं.. मैं सोच रही हूँ कि मेरा सच जानने के बाद क्या होगा। मेरा दिमाग घूमा.. मैंने कहा- तुम्हारा मतलब? ‘हाँ.. मैंने भी दो बार चुदाई की है पर वो सिर्फ मेरा अतीत था। क्या तुम मेरे लिए ये बातें भूल सकते हो?’ यह कह कर वो रोने लगी।
मैंने उसे चुप कराया और बिस्तर पे ले गया। अब यार, उसकी चुदाई से मुझे क्या फर्क पड़ना था.. तो मैं मुस्कुरा दिया और बात वहीं खत्म हो गई।
मैंने भावना से कहा- फिर लंड के बारे में अनजान क्यों बन रही थी? उसने कहा- ताकि तुम्हें मुझ पर शक ना हो। ‘ओह ऐसा क्या..!’ ये कहते हुए मैंने अपनी उंगली उसकी पहले से गीली हो चुकी चूत में डाल दी।
भावना चिहुंक उठी और आँखें बंद करके आनन्द के सागर में डूब गई।
अब मैं उसके निप्पल को चूसने लगा। उसका एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से वो अपने उरोजों को मसलने लगी। भावना की आँखें हवस के मारे लाल हो रही थीं।
मेरा लंड भी बेहाल हो रहा था। अब मैंने तुरंत ही अपनी दिशा बदली और उसके पैरों को मोड़ कर उसकी चूत का दीदार किया। फिर उसकी मखमली चूत को छूते हुए उस नजारे को अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहा।
हल्के भूरे रोंए.. गुलाबी फांकें और शबनम की चमकती बूंदों के साथ स्वत: ही सांस लेती उसकी मनमोहनी चूत ने मुझे पागल बना दिया।
मैं झुका और मैंने एक ही बार में अपनी जीभ उसकी चूत के नीचे से ऊपर तक फिराई। फिर आँखें बंद करके जीभ को मुँह के अन्दर करके चटखारा लिया.. जैसे बहुत स्वादिष्ट चीज खाई हो।
मैंने भावना को देखा वो अपने उरोजों को गूँथे जा रही थी। जैसे ही उससे मेरी नजरें मिलीं.. उसने मेरा लंड चूसने की मंशा इशारों में ही जाहिर कर दी।
मैंने 69 की पोजिशन सैट करके लौड़ा उसके मुँह में दे दिया और मैं पुनः चूत चाटने लगा। हम दोनों ही पागलों की तरह लंड और चूत का रसास्वादन कर रहे थे।
अब मैंने अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए चूत को चांटा मारा.. इससे भावना की चुदने की भूख और बढ़ गई, उसने मेरा लंड चूसना छोड़ दिया और चूत चोदने के लिए कहने लगी।
पर मैं तो उसका रस जीभ से ही निकालना चाहता था, इसलिए मैंने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। तो उसने खुद मुझे धकेल दिया और मैं बिस्तर में ही चित लेट गया। अब वो खुद मेरे ऊपर आ गई और लंड पकड़ कर अपनी चूत पर टिकवा लिया।
अगले ही उसने अपने शरीर का पूरा भार मेरे लंड पर धर दिया। एक ‘ऊओंह..’ की आवाज उसके मुँह से भी निकली और मेरे मुँह से भी निकल गई।
उसने लंड को अपनी चूत में जड़ तक घुसवा लिया और कुछ पल ऐसे ही आँखें मूँदें शांत बैठे रही। दूसरे ही पल उसने अपना स्तन हाथों से पकड़ा और झुक कर मेरे मुँह में दे दिया।
अब उसने कमर उचका कर चुदाई शुरू कर दी, मैंने भी ताल मिला कर नीचे से झटके देने शुरू कर दिए। वो बदहवास होकर चुदे जा रही थी, ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें अब मादक सीत्कारों में बदल गई थीं। वो अपने होंठों को दांतों से काट रही थी और मैं भी उसके इस रूप को देख के पागल हुआ जा रहा था।
मैंने उसके उरोजों को चूसने काटने मसलने के अलावा उसे भड़काने के लिए चांटे भी मारे और हम दोनों ही बहुत तेज चुदाई का आनन्द लेने लगे।
अचानक ही उसने मेरे सीने के बालों को नोचते हुए चुदाई की गति बढ़ा दी। मैंने भी उसकी कमर पकड़ी और झटके तेज कर दिए। शायद ये शांति के पहले का तूफान था- ओहहह संदीप.. आई लव यू मेरे राजा.. मेरे सब कुछ.. आह्ह.. वो यह कहते हुए मुझ पर झुक गई।
मैंने उसके पीठ पर हाथ रखते हुए ‘ओहह.. मेरी रानी.. मेरी भावना..’ कहते हुए लंड का लावा उसकी चूत में ही निकाल दिया। दोनों का स्खलन लगभग एक साथ हुआ था और दोनों ऐसे ही चिपक कर लंबे समय तक पड़े रहे।
कुछ समय बाद वैभव ने दरवाजा खटखटाया तो उसे दो मिनट रुकने को कह कर हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहने। चूंकि रात के 9 बज रहे थे, मैंने भावना को छोड़ना चाहा.. पर भावना ने मना कर दिया और अपनी स्कूटी से चली गई।
उस दिन के बाद हमारे मिलन का सिलसिला शुरू हो गया। भावना मेरे दोस्तों को और मैं उसकी सहेलियों को जानने लगा। उनसे हमारी मेलजोल भी अच्छी हो गई थी।
एक दिन मैं कॉलेज के बाहर अकेले बैठा था, तभी भावना की सहेली काव्या आई और उसने मुझे एक चिट्ठी थमाई, चिट्ठी देते समय वह बहुत शरमा रही थी, उसने कहा- अकेले में पढ़ना। कहते हुए वो चली गई।
काव्या बहुत गोरी 5’5″ हाईट की सुंदर लड़की थी.. पर भगवान ने उसे शरीर के नाम पर कंगाल रखा था अर्थात काव्या के उरोज और कूल्हे एकदम ना के बराबर थे।
मैं चिट्ठी खोलने ही वाला था कि भावना आ गई और मैंने चिट्ठी उसके देखने से पहले ही जेब में रख ली।
हम लोग मेरे रूम में आए.. हमेशा की तरह चुदाई की और भावना अपने घर चली गई।
भावना इसी शहर की लड़की थी.. जबकि काव्या बाहर से आई थी। इसलिए वो और उसकी एक सहेली हमारी तरह ही रूम लेकर रहती थीं।
भावना के जाने के बाद मैंने चिट्ठी खोली चिट्ठी जो आपके सामने पेश है। ‘हाय संदीप.. मैं भावना की पक्की सहेली हूँ, इसलिए भावना ने मुझे तुम्हारे बारे में सारी बातें बताई हैं कि तुमको लड़कियों की सोच और शारीरिक तकलीफों के बारे में भी अच्छी जानकारी है। मुझे लगता है तुम मेरी एक समस्या का हल कर सकते हो। सभी लड़कियों की तरह मुझे भी खूबसूरत सुडौल और आकर्षक दिखने का शौक है। पर तुम तो जानते ही हो की भगवान ने मुझे शक्ल तो अच्छी दी, पर सुडौल नहीं बनाया है। मुझे अपने उरोजों और कूल्हों को उभारने के लिए क्या करना चाहिए? अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो मुझे @@@@@ इस नम्बर पर कॉल करना। तुम्हारी दोस्त- काव्या’
मैं चिट्ठी पढ़ कर चौंक गया और मेरे मन में लड्डू फूटा कि एक नई लड़की चोदने को मिलेगी, मैंने तुरंत ही काव्या को कॉल किया।
काव्या ने एक ही घंटी में फोन उठाया.. पर कोई आवाज नहीं आई। मैं एक-दो बार ‘हैलो.. हैलो..’ बोलने के बाद समझ गया कि काव्या शरमा रही है।
मैंने कहा- देखो काव्या, जब तुमने हिम्मत करके मुझे ये चिट्ठी दी है, तो अब शरमा क्यों रही हो.. और ऐसे भी इसमें शरमाने वाली कोई बात नहीं है। उतने में उधर से आवाज आई- दो मिनट रुको.. मैं काव्या को फोन दे रही हूँ।
मेरी खोपड़ी सटक गई- अरररे तेरी.. तो मैं बातें किस से कर रहा था? बेटा मन में दूसरा लड्डू फूटा.. एक और चोदने को मिलेगी। तभी उधर से काव्या की आवाज आई- हैलो संदीप? मैंने तुरंत कहा- यार अपना नम्बर किसी को क्यों उठाने देती हो?
उसने पूछा- तुमने उसे कुछ कह दिया क्या? ‘नहीं.. कहा तो कुछ नहीं.. पर वो है कौन?’ उसने बताया- वो मेरी रूम मेट निशा है और ये नम्बर उसी का है। मेरा फोन अभी बनने गया है। आपने मेरी चिट्ठी पढ़ी क्या.. मुझे आपको कहते हुए अच्छा नहीं लग रहा था.. पर मुझे कुछ और नहीं सूझा। मैंने कहा- कोई बात नहीं.. मुझे खुशी है आपने मुझ पर भरोसा करके मुझे अपनी तकलीफ बताई।
मैंने उसे स्तन सुडौल करने वाली एक क्रीम बताई और उसे लगाने के उपाय बताए। तभी वैभव चिल्लाने लगा और मैंने फोन रख दिया।
मैं इन दिनों खुश था, लेकिन मेरे रूम पार्टनर का व्यवहार अब अजीब रहने लगा था। हम सारे काम बांट कर किया करते थे.. पर अब वो हर बात में झगड़ने लगा।
एक दिन भावना मेरे घर आई तो वैभव ने बाहर जाने से मना कर दिया। फिर मैं और भावना अनमने मन से पार्क में जाकर बैठ गए और थोड़ी बहुत चूमा-चाटी करके घर आ गए।
मैंने घर आकर वैभव से रूम ना छोड़ने का कारण पूछा, वैभव ने साफ कहा- तू अकेले ही मजे लेता है.. अब अगर भावना इस घर में आई.. तो मैं भी चोदूँगा। यह सुन कर मेरी गांड फट गई, मैंने उसे समझाने की कोशिश की। मगर उसने साफ कह दिया- तू चाहे गांड मरा.. लेकिन मैं अपनी शर्त नहीं बदलूँगा।
अब मैंने भी कुछ नहीं कहा और भावना से अब पार्क में ही मिलने लगा।
मैं भावना को ठेस नहीं पहुंचाना चाहता था.. इसलिए मैंने भावना को आधी बात बताई कि वैभव को हमारा रूम में मिलना पसंद नहीं है। भावना ने मुस्कुरा कर मुझे गले लगा लिया और कहा- कोई बात नहीं संदीप.. मैं तुम्हारी बांहों में हूँ.. मेरे लिए यही बहुत है। पर कोई और जुगाड़ हो तो देखो ना.. तुमसे चुदवाए बिना रातों को नींद नहीं आती।
उसकी ये बातें मेरे कानों में गूँज रही थीं। अभी मैं कोई उपाय सोच ही रहा था कि मेरे दिमाग में काव्या का ख्याल आया, मैंने काव्या को फोन करके उसकी समस्या के बारे में बात की तो उसने बताया कि क्रीम का कोई असर नहीं हो रहा है।
तो मैंने उसे तरीका दुबारा बताया कि उसे निप्पल और पूरे उरोजों पर बहुत सारी क्रीम लगा कर लंबे समय तक मालिश करना चाहिए।
तो उसने कहा- मैं मालिश करती तो हूँ.. पर थक जाती हूँ और खुद से करते भी नहीं बनता। मैंने तपाक से कह दिया- तो हमें बुला लिया करो। उसने भी शरारत में जवाब दिया- आए..हाय.. ऐसी किस्मत हमारी कहाँ.. मैंने कहा- इशारा तो करो तुम्हारी भी किस्मत बना देंगे।
अब दोस्तो, मुझे लगने लगा कि काव्या भी चुदने के लिए मचल रही है।
इसकी चूत चोदने की कथा अगले भाग में लिखूँगा। आप मुझे प्यारे मेल करके बताते रहिएगा कि कहानी कैसी लग रही है। मुझे मेल जरूर करें। [email protected] कॉलेज गर्ल की चूत की चुदाई की कहानी जारी रहेगी।
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