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रात के करीब 12 बजे के आस पास मुझे नीलू का अपने जिस्म पर अहसास हुआ। चूंकि मैं घर पर नंगा सोता हूँ और उस समय में पेट के बल सोया हुआ था कि मुझे ऐसा लगा कि मेरे कूल्हे को फैलाया गया और फिर उसको शायद थूक से गीला करके नीलू उसमें जीभ चला रही थी। एक बहुत मजेदार सुरसुराहट हो रही थी।
थोड़ी देर तक जीभ चलता रहना महसूस हुआ, उसके बाद मुझे कुछ मुलायम मुलायम सा महसूस होने लगा, तो मैंने नीलू से पूछा तो वो बोली- जीजू, आपकी गांड अपनी चूची से मार रही हूँ। उसकी बात सुनकर मैं बोला- अच्छा! ‘गांड मरवाना अच्छा लगा?’ ‘बहुत मजा आया!’
‘और अभी भी यही सोच कर ही मेरी गांड में सुरसुराहट हो रही है कि कब आपका लंड मेरी गांड मारेगा?’ ‘मतलब अभी भी खुजली मिटी नहीं?’ नहीं जीजू, तभी तो आई हूँ। सोच कर ही चूत की खुजली और गांड में सुरसुराहट बढ़ गई है।’
मैं सीधा होकर बैठ गया, नीलू मेरे ऊपर बैठ गई और मेरे मुंह के अन्दर अपनी जीभ डाल दी, मैं उसकी जीभ को सक करके उसके गीलेपन को पीने लगा। कभी वो मेरी जीभ अपने मुंह के अन्दर लेती तो कभी मैं लेता… मेरा एक हाथ उसकी चूची को मसलने में लगा हुआ था।
फिर नीलू थोड़ा खड़ी हुई और मेरे मुंह में अपनी चूची को भरकर बारी बारी से चुसवाने लगी। इस क्रिया को करने के बाद वो खड़ी हो गई और चूत को मेरे सामने करके अपनी फांकों को फैला कर मुझे चाटने के लिये आमंत्रित करने लगी।
फोर प्ले में मेरी सलहज बहुत ही माहिर हो चुकी थी, खूब मजे लेकर वो अपनी चूत चटवा रही थी। भरपूर इच्छा के साथ वो सेक्स का मजा ले रही थी।
उसके बाद वो घूमी, झुकते हुए उसने मेरा लंड अपने मुंह के अन्दर ले लिया और मेरे सामने अपने दोनों छेद को चाटने का ऑफर दिया।
थोड़ी देर इस क्रिया को करने के बाद मैंने नीलू को सेन्डिल पहनने के लिये कहा, उसने उतर कर सेन्डिल पहन ली, मैंने उसकी पीठ को अपने से चिपका लिया और उसकी चूचियों को मसलने लगा और फिर नीलू को थोड़ा झुका कर उसकी गांड में लंड को पेलने लगा। हालाँकि अभी भी उसकी गांड टाईट थी, इसलिये इस बार भी मुझे क्रीम का यूज करना पड़ा। धीरे धीरे ही सही, नीलू की गांड भी खुलने लगी थी।
गांड और चूत दोनों की चुदाई एक साथ हो रही थी और नीलू के मुंह से आह ओह की आवाज लगातार आती जा रही थी। मैं थोड़ा थकने लगा था तो मैंने चुदाई करना रोक दिया, पर नीलू नहीं रूकी और अपनी गांड हिला-हिला कर चुदाई पूरी कर रही थी।
अब मैंने नीलू को सीधा खड़ा कर दिया, हील वाली सेन्डिल पहनने का एक फायदा यह हुआ कि नीलू की लम्बाई मेरे बराबर हो गई और उसे सीधा खड़े होने में कोई दिक्कत नहीं हुई।
अब मैं उसकी गर्दन को चाट रहा था और उसकी चूची को मसल रहा था। मेरा बायां हाथ उसकी दोनों कठोर हो चुकी चूची को मसल रहे थे, जबकि मेरे दहिने हाथ को नीलू पकड़कर अपनी चूत को सहला रही थी। नीलू की चूत से निकलने वाला गीलापन को मैं उसकी चूची पर मसल देता था।
उसके बाद मैं बिस्तर पर सीधा लेट गया था और नीलू मेरे ऊपर आ गई। पहली बार तो उसने मेरा लंड अपनी चूत के ऊपर लिया और मेरे लंड की चुदाई करने लगी, उसके बाद मेरे कहने पर लंड को गांड के अन्दर भी ले लिया। कभी वो मेरी तरफ पीठ करके लंड को अपने अन्दर लेती तो कभी उसका चेहरा मेरे सामने होता।
जब वो मेरे सामने होती और और उसकी चूचियां उछाले मार रही होती, तो मैं उसको पकड़ने का प्रयास करता। जब वो मेरे पकड़ में नहीं आती तो और उछल कर मुझे चिढ़ाती और जब मेरे हाथ में आ जाती तो फिर लाल होकर ही बाहर निकलती।
मुझे ऐसा लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ और शायद नीलू के उछलने की स्पीड बता रही थी कि वो भी झड़ने वाली है। फिर अचानक वो मुझसे चिपक गई और मेरा पानी भी उसी समय छूटने लगा, मैंने उसको कस कर पकड़ लिया। थोड़ी देर बाद हम दोनों एक दूसरे से अलग हुये, पहले नीलू नीचे उतर कर आई और फिर मैं!
ऑफिस से वापस आने का समय भी हो रहा था तो मैंने एक बार फिर कपड़े पहने और चुपचाप बाहर आ गया और तय समय से घर आ गया।
नीलू के मेरे घर में आने से दो फायदे एक साथ हुए, पहला मेरे लंड में जो जंग लगी थी, वो उसकी चूत की वजह से छूटने लगी थी, दूसरा मेरी बीवी की तबीयत में धीरे धीरे सुधार आने लगा था।
बीवी की तबियत में सुधार होने के कारण अब हमारा मिलन नहीं हो पा रहा था और वैसे भी मैं नहीं चाहता था कि नीलू की वजह से हमारे सम्बन्ध में कोई कमी आये और नीलू भी इस बात को जानती थी। नीलू को 15 दिन हो भी रहे थे आए हुए।
मेरी बीवी के ठीक होने पर एक दिन नीलू मुझसे अपने घर वापस जाने के लिये बोली।
मैंने ऑफिस से चार दिन की छुट्टी ले ली और उसे उसके घर छोड़ने के लिये स्टेशन गाड़ी पकड़ने के लिये पहुंचे। स्टेशन पर नीलू मुझसे एक दिन पूरा मेरे साथ बिताने के लिये बोली और साथ ही यह भी कहा कि वो होटल में मेरे साथ बिताना चाहती है।
मैंने भी उसको सहमति दे दी। उसके शहर आने के दो स्टेशन पहले ही हम लोगों ने ट्रेन छोड़ दी और उस शहर एक बढ़िया होटल में चले गये।
रूम मिल गया, रूम थोड़ा महंगा था पर इतने दिन नीलू ने जो मेरे लंड के जंग को छुड़ाया था, उसको देखते हुए यह कुछ भी नहीं था। होटल के कमरे में पहुँच कर हम दोनों ने बिस्तर पकड़ लिया, वो मेरे से चिपक गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी।
मैंने उसे अपने ऊपर से थोड़ा हटाना चाहा तो बोली- जीजू, पता नहीं आज के बाद फिर कब मिलन होगा, मुझे मत रोको। मैं तुम्हें अपने में समा लेना चाहती हूँ। कहते हुए वो मुझे फिर चूमने लगी और मेरे जिस्म पर पड़ा हुआ एक-एक कपड़े को उसने मुझसे अलग कर दिया और मैं पूर्ण रूप से नंगा हो चुका था।
वो मेरे सीने पर लेट कर मेरे निप्पल को चूस रही थी तो कभी मेरे होंठ को अपने दाँतों के बीच लेकर चबाने लगती तो कभी अपनी जीभ मेरे मुंह के अन्दर डाल देती।
फिर धीरे धीरे वो नीचे की तरफ सरकने लगी, मेरी नाभि पर अपनी गीली जीभ चलाते हुए वो मुझे नशीली नजरों से देखते हुए नीचे की तरफ बढ़ी और लंड को गप्प से अपने मुंह के अन्दर ले लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे आईसक्रीम हो।
वो मेरे लंड को चूसते हुए चटकारे ले रही थी, सुपारे के ऊपर अपने होंठों को फेरती और फिर दांतों से सुपारे को इस तरह रगड़ती जैसे वो सन्तरा छीलने का प्रयास कर रही हो।
उसके बाद वो मेरे लंड को जोर से काटते हुए बोली- मादरचोद… अकड़ मत! नहीं तो मेरी चूत में घुसेड़कर तेरी सारी अकड़ निकाल लूंगी। उसके मुंह से निकलती हुई गाली के शब्द मुझे अचम्भित कर रहे थे लेकिन वो बेपरवाह एक बार फिर मेरे लंड को काटने लगी।
मेरे मुंह से आह निकल गया और नीलू से बोलना पड़ा- लंड को क्यों काट रही हो? लेकिन उसने मेरे शब्दों को नहीं सुना और बड़बड़ाने लगी- नहीं मान रहा है मादरचोद, ले अब दिखा अपनी अकड़, इतना कहने के साथ उसने मेरे लंड को अपनी चूत के मुहाने पर सेट किया और एक झटके में गप्प से मेरे लंड को अपने अन्दर ले लिया और उछालें भरने लगी। ‘उंह… उंह… मजा आ रहा है! आ चल मादरचोद, आ मुकाबला कर मेरी चूत से! देखूं कितनी देर तक मेरे सामने तेरी अकड़ बनी रहेगी?’ वो लगातार बढ़बढ़ाये जा रही थी और मैं अपने दोनों हाथों को अपने सर के नीचे किये उसके उन्मादों से निकले हुए शब्दों को सुनकर मजा ले रहा था।
नीलू लगातार बड़बड़ाये जा रही थी- आह मजा आ गया, आ मेरे राजा, तेरे में बहुत अकड़ है। हुम्म… आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… हूं आह, मैं गई। मान गई, मेरे राजा, तेरे में ताकत है, तूने मेरी चूत का पानी निकलवा दिया!
वो और तेज-तेज उछलने लगी, उसकी आंखें बन्द थी और वो अपनी चूचियों को अपने दोनों हाथों से दबाये जा रही थी। फिर एक दो झटके के बाद वो मेरे ऊपर धड़ाम से गिर पड़ी।
उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थी… मैं उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोला- ये मादरचोद लंड है, तुम्हारी चूत का पानी तो निकाल दिया, लेकिन इस मादरचोद की भी तो औकात बताओ मेरी रानी!
मेरी इस बात को सुनकर एक बार नीलू ने मेरी तरफ देखा फिर शर्मा कर मेरे सीने पर अपने चेहरे को छिपा लिया। उसको इस तरह अपना चेहरा छिपाते हुए देखकर मैं बोला- लेकिन नीलू, तुम्हारा यह खुलापन मुझे बहुत पसन्द आया। अब तो इस लंड का पानी निकाल दो।
एक बार फिर नीलू ने नशीली नजरों से मेरी तरफ देखा और बोली- जीजू आपके लंड का पानी तो मैं निकाल दूंगी पर आज आप भी मेरी चूत से निकलते हुए पानी का मजा लो। इतना कहने के साथ ही वो घूम गई और हम दोनों 69 की अवस्था में आ गये।
मैं उसकी गीली चूत पर अपनी जीभ लगा चुका था और उसके कसैले पानी का स्वाद ले रहा था और उधर नीलू भी मेरे लंड को अपने मुंह में ले चुकी थी।
मेरे लंड उसके मुंह के अन्दर जाते ही अपने हथियार डाल चुका था और पानी छोड़ने लगा था, नीलू मेरे पानी का मजा ले रही थी और मैं नीलू के पानी का मजा ले रहा था।
उसके बाद नीलू मुझसे चिपक कर लेट गई और अपनी एक टांग को मेरे ऊपर चढ़ा दिया। मेरे हाथ उसके चूतड़ को सहला रहे थे और बीच बीच में उंगली उसकी गांड के छेद के अन्दर जा रही थी। इधर नीलू मुझसे कस कर चिपकी हुई थी और अपनी जीभ मेरे निप्पल के दाने पर चला रही थी। मेरे हाथ भी उसके कूल्हे को कस कस कर दबा रहे थे।
थोड़ी ही देर में उसकी चूत की गर्मी से मेरे मुरझाये लंड में एक बार फिर से नई उर्जा का संचार होने लगा और लंड फड़फड़ाते हुए उसकी चूत को छूने की कोशिश कर रहा था। शायद यही हाल नीलू की चूत का भी हो रहा था इसीलिये वो और मुझसे कस कर चिपकी जा रही थी।
मेरे लंड से निकलती हुई आग जो उसकी चूत को छू रही थी वो आग नीलू की चूत बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी इसलिये नीलू मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत से रगड़ने लगी, फिर उसने एक बार मुझे चित किया और मेरे लंड पर सवारी करने लगी।
वह बहुत देर तक उछलने कूदने में लगी… मैं चाह रहा था कि मैं उसके साथ कुछ करूँ और मैंने उससे बोला भी, मगर नीलू बोली- ना जीजू, आज जी भर कर मुझे मेरे मन की कर लेने दो। मैंने भी कुछ नहीं कहा।
वो जब मेरे लंड पर उछलते कूदते थक जाती तो मेरे ऊपर लेट जाती और मेरे निप्पल को चूसने लगती और फिर जब उसकी चूत को चुन्ना काटता तो वो फिर उछलने लगती।
अचानक पता नहीं क्या हुआ नीलू को कि वो मेरे लंड से उतर गई और सीधा टॉयलेट की तरफ भागी। मुझे समझ में कुछ नहीं आया, बदहवास सी होती हुई वो सीधा बाथरूम के अन्दर घुस गई और बिना दरवाजे के पास ही जा कर बैठ गई।
उसके इस तरह भागते देखकर मैंने करवट बदली और उसे कुछ हुआ तो नहीं जानने के लिये उठने ही वाला था कि शूऊऊऊऊऊऊ की आवाज आने लगी।
मैं समझ गया कि उसे पेशाब बहुत तेज आई थी, जब तक वो अपनी चुदाई के दरम्यान अपनी पेशाब को रोक सकती थी, रोके रखा और जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो भागते हुए पेशाब करने के लिये चली गई।
पेशाब करने के बाद जब वो उठी और वापस पलंग की तरफ आने लगी तो उसकी चाल बता रही थी कि वो अपने आपको कितना रिलेक्स महसूस कर रही थी।
नीलू मेरे पास आकर खड़ी हो गई, फूली हुई पाव रोटी की तरह उसकी चूत लग रही थी, मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और उसकी चूत पर अपने नथुने को सेट कर दिया और उसकी चूत से आती हुई खूशबू को सूंघने लगा। यह हिंदी सेक्स स्टोरी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
खूशबू सूंघते हुए पता नहीं कब मेरी जीभ उसकी चूत की फांकों के बीच चलने लगी। मुझे अहसास तब हुआ जब वो मेरे सिर को हटाते हुए बोली- जीजू ऐसा मत करो, अभी-अभी पेशाब करके आई हूँ, जरा अपनी चूत रानी को पौंछ लूँ, तब आप चाट लेना!
मैंने उसकी चूची को कस कर दबाते हुए नीलू को देखते हुए बोला- नीलू मेरी जान! जब मेरी जीभ ने तुम्हारी इस गीली चूत को चाट ही लिया है तो अब मत रोको, बड़ा मजा आ रहा है! अभी तक तुमने अपने मन की की है, अब मुझे भी तुम्हारे जिस्म का मजा लेने दो। कहते हुए मैंने फिर से नीलू की चूत पर अपने होंठों को रख दिया।
नीलू मेरे बालों को सहलाते हुए बोली- जीजू, मेरी चूत को अपने दांतों से चबा लो। मेरी बुर की फांकों को अपने दांतों के बीच में लेकर चबाओ।
मैं उसकी बात को सुन रहा था और बुर की फांकों को खोल कर बीचों बीच में जीभ चला रहा था, उसकी चूत की मलाई भी लगी हुई थी, वो मलाई भी मेरी जीभ का स्वाद बढ़ा रही थी। मेरी जीभ उसकी चूत को चाट रही थी और मेरे हाथ उसके कूल्हे को कस कस कर दबा रहे थे।
नीलू सिसकार रही थी, सिसकारते हुए बोली- जीजू, मेरी गांड में खुजली हो रही है, अपनी उंगली गांड के अन्दर चलाओ। उसकी बात सुनकर मैंने उसकी गांड को खुजियाना शुरू कर दिया।
इधर मेरा लंड भी काफी तन चुका था, मैं खड़ा हुआ और नीलू को झुकाते हुए उसकी गीली चूत पर लंड को सेट किया और एक कस कर धक्का लगाया। ‘आह जीजू… मजा आ गया! क्या जोर से पेला है अपने लंड को मेरी चूत में! इस मादरचोद चूत को फाड़ दो, कस कस कर पेलो।’
‘हाँ मेरी रानी, कस कस कर पेलूंगा, जब तक कि चूत का रेशा रेशा ढीला न जो जाये। नीलू की चूत को चोदते चोदते मैंने उसकी गांड पर लंड सेट किया और उसी ताकत से एक झटके में लंड को नीलू की गांड में पेवस्त कर दिया।
‘मर गई ईई ईईईई जीजू… चूत साली मादरचोद ढीली थी, पर मेरी गांड इतनी ढीली नहीं है।’
मैं बिना कुछ बोले उसकी गांड को चोदे जा रहा था, मेरे लंड के निशाने पर नीलू के दोनों छेद थे और बारी-बारी से दोनों छेदों की चुदाई हो रही थी। नीलू भी खुलकर चुदाई का मजा ले रही थी, फच-फच की आवाज लंड, चूत और गांड के मिलन से हो रही थी।
थोड़ी देर चुदाई के बाद लंड के मुहाने में एक बार फिर से खुजली होने लगी थी, मुझे अहसास होने लगा था कि लंड कभी भी पानी छोड़ सकता है, लेकिन मैं शॉट पर शॉट मारे जा रहा था, नीलू को मैं बताना नहीं चाह रहा था कि मैं छूटने वाला हूँ।
नीलू अपने हाथ से अपने चूतड़ को थपथपा रही थी और मुझे उत्साहित करने के लिये बोली जा रही थी- आह जीजू, इस चूत को नानी याद दिला दो।
बस दो चार धक्के के बाद मेरा पानी छूटने लगा और नीलू की चूत और गांड को गीला करने लगा। इसके बाद हम दोनों करीब आधे घण्टे तक एक दूसरे से चिपके रहे और एक दूसरे से मिलने का वादा किया।
फिर हमने होटल छोड़ दिया और नीलू को उसके घर! नीलू का घर देखने के बाद बात समझ में आ चुकी थी कि क्यों मियाँ बीवी खुलकर अपने जीवन का मजा नहीं ले पा रहे थे। क्योंकि घर के साईज के अनुसार परिवार के सदस्य ज्यादा थे और सभी को उसी घर में ही रहना था।
तो दोस्तो, मेरी हिंदी सेक्स स्टोरी कैसी लगी? मुझे नीचे दिये ई-मेल पर अपनी प्रतिक्रिया मेरे मेल पर भेजें। आपका अपना शरद॰॰॰ [email protected]
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