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मैंने अपनी सलहज की तरफ देखते हुए कहा- चुदाई प्रोग्राम समाप्त करें या और इच्छा है? वह कुछ नहीं बोली, फिर एक बार मुझसे लिपट गई और बोली- गुस्सा तो जरूर हूँ लेकिन अभी आपके साथ मजा खूब आया तो जब तक हूँ तो मेरी बुर आपके लंड की जागीर ही है। जब चाहो मेरी बुर नुमा गुफा में आकर अपने लंड को घूमने के लिये छोड़ सकते हो।
मैंने उसके कूल्हे को सहलाते सहलाते उसकी गांड के अन्दर उंगली करते हुए कहा- और इस गुफा का क्या? लंड अगर इस गुफा में टहलना चाहे तो? मेरी तरफ देखते हुए बोली- मैं अगर आपको मना भी करूंगी तो भी आप मानने वाले नहीं, फिर भी यह गुफा भी आपके लिये अपने द्वार खोल चुकी है। आप अपने लंड से इस गुफा में आकर उधम मचा सकते हो।
‘तब ठीक है! मेरे लंड में पानी लगा हुआ आओ इसको चाटो।’ मेरे लंड सिकुड़ चुका था।
नीलू नीचे बैठी और लंड के बड़े ध्यान से देखने लगी और कुछ सोचने लगी, मैं यही समझा कि अभी भी उसका मन नहीं है वो स्पर्म लगे लंड चाटे, तो मैं एक बार फिर उसके ध्यान को तोड़ते हुए बोला- नीलू नहीं करना है तो कोई बात नहीं! ‘नहीं ऐसे कोई बात नहीं है!’ मेरी बात को रोकते हुए बोली और मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया।
‘मैंने मुंह में लेने को नहीं कहा है, इसको चाटने को कहा है।’ उसने एक नजर मेरी तरफ देखा और फिर लंड के आस-पास लगे माल को साफ करने में जुट गई। मैं तब तक पलंग पर बैठ गया।
लंड चाटने के बाद वो उठी और मेरी गोद में बैठी और बोली- अब मेरे जीजू जान, यह बताओ कि अब तुम्हारे लिये मैं क्या कर सकती हूँ? ‘अच्छा यह बताओ, जब मुकेश तुम्हें अच्छे से चोदता है और तुम्हें संतुष्ट कर सकता है तब तुम्हें मुझसे चुदाई करवाने की क्या जरूरत आ पड़ी?’
बोली- ज़ीजू, ये सब मुकेश का मुझे बी-एफ दिखाने का नतीजा है। मुझे बी-एफ देखना बिल्कुल भी पसंद नहीं था, लेकिन मुझे रोज बी॰एफ॰ वो जबरदस्ती दिखाता था, फिर मुझे भी देखने की आदत पड़ती गई। जब शादी में आपसे मिली तो उसके पहले तक मेरे मन में ऐसा कोई विचार नहीं था, लेकिन जब आपके साथ डांस करने लगी तो पता नहीं आपके जिस्म से आती हुई गंध मेरे नाक में बस गई और वो निकलने का नाम नहीं ले रही थी। बिस्तर में मैं मुकेश के साथ होती, पर मुझे यह महसूस होता कि जैसे आप मेरी चुदाई कर रहे हैं। मेरे दिलो दिमाग में आप घुसते जा रहे थे और मैं आपसे मिलने के लिये बेचैन होने लगी थी, कि दो-तीन दिन पहले मुझे पता लगा कि जीजी दो महीने से बीमार है और आप घर के साथ-साथ अपनी जॉब भी देख रहे हो, मुझे लगा कि आपको दो महीने से चूत नहीं मिली होगी, इसलिये मैंने मुकेश को तैयार किया और यहाँ आ गई।
‘वैसे एक बात बताओ, कल रात और परसों रात जब तुम मुकेश से चुदवा रही थी तो मैंने तुम दोनों की चुदाई देख कर आनन्द लिया।’ ‘ओह ओह… ये भी करते हैं आप?’ वो बोली।
और मैंने कल तुम्हें पूरी नंगी भी देखा, जब तुम नहाके आई थी और तुम्हारी गोल-गोल चूची मुझे बहुत अच्छी लग रही थी, मेरा मन कर रहा था कि दरवाजे को थोड़ा और खोलकर तुम्हारे दूध को पीना शुरू कर दूँ, लेकिन मुकेश सो रहा था तो जब तुम कपड़े पहन चुकी थी, तो मैं यहाँ से हट गया था।’
नीलू तुरन्त मेरे ऊपर से उतरी और मेरे सामने खड़े होकर अपने हाथ पांव फैलाकर बोली- और आपको क्या अच्छा लग रहा है? मेरे मुंह से निकला- अबे, पहले झांट तो बना लो फिर बताऊँ कि और क्या अच्छा लग रहा है।
वो अपने हाथ पांव ढीले करके मेरे पास फिर आई, बोली- कल सुबह उठकर पहला काम अपनी झांट बनाऊँगी और आपको दिखाऊँगी, बस तब आप बताना! ‘अभी बना लो न?’ मैंने बोला। ‘बस अन्तिम बार मेरे झांटों से भरी हुई चूत की चुदाई कर दो, उसके बाद मैं अपनी झांट बना लूंगी।’ वो थोड़ा फ्री होकर शब्दों को नहीं बोल पा रही थी।
नीलू की लम्बाई मेरे कंधे के नीचे थी इसलिये मैंने उसे गोदी में उठाया और उसके होंठ चूसने लगा। वो भी मुझे सपोर्ट करने के लिये मुझसे चिपक गई ताकि मैं उसके बोझ को आसानी से उठा सकूँ। थोड़ी देर तक चुसाई चलती रही फिर मैंने उसको गोदी से उतारा और उसको बीवी वाले कमरे में पड़ी हुई हाई हील सैन्डिल लाने के लिये बोला।
उसने लपक कर अपनी गाउन उठा ली। ‘ये क्या?’ मैंने पूछा तो बोली- दीदी के कमरे में जा रही हूँ, अगर मेरे आहट से जाग गई तो? ‘अरे यार, कुछ भी बहाना बना देना!’
मेरी बात सुनकर मुस्कुराई और फिर भी गाउन लेकर चलने लगी, मैंने फिर रोका, तो बोली- जीजू जान, मैं नंगी ही जाऊँगी और नंगी ही होकर सैन्डिल भी लाऊँगी, अगर थोड़ा बहुत जरूरत पड़ेगी तो ही गाउन का यूज करूंगी। फिर वो अपनी गांड को मटकाते हुए मेरी सोई हुई बीवी के कमरे में जाने लगी। मैं भी उसके पीछे हो लिया, अगर कुछ घटा तो उसका मजा लेने के लिये! पर यह क्या, नीलू चुपचाप कमरे में गई, जहाँ इस समय मेरी बीवी गहरी नींद में सोई हुई थी। सब इत्मीनान होने के बाद नीलू ने वो सैन्डिल उठाई और चली।
चूंकि वो समझ चुकी थी कि मैंने सैन्डिल क्यों मंगवाई हैं, उसने कमरे में आते ही उसने सैन्डिल पहन ली और फिर मेरे से बिल्कुल चिपक गई और अपने दोनों हाथों से मेरे कूल्हे को सहलाने के साथ अपने होंठ एक बार फिर मेरे होंठ से चिपका दिए, मेरे भी हाथ अब उसके कूल्हे को सहला रहे थे। सहला क्या रहे थे, उनको मसल रहे थे और साथ ही में उसके होंठों का रसास्वादन कर रहे थे।
अचानक नीलू ने अपने होंठों को मुझसे अलग किया और मेरे कान में बोली- जीजू मेरे चूत से पानी बहने वाला है, क्या मेरी चूत का पानी॰॰॰? कहकर चुप हो गई।
मैंने तुरन्त ही उसको अपने से अलग किया और फिर मैं घुटने के बल बैठ गया और उसकी बुर की फांकों को चाटने लगा, नीलू ने अपनी जांघों को थोड़ा और फैला लिया, मैंने भी अपनी जीभ के साथ अपने हाथ का भी प्रयोग किया और चूत की फांकों को फैला कर अपनी जीभ अन्दर तक पेल दी। ‘वाह जीजा जी, बस ऐसे ही… मजा आ गया! घर में इतना खुलकर मजा नहीं आता, मेरे मन कर रहा है कि मैं अपनी चूत ऐसे ही आपसे चबवाऊँ।’ मैं उसकी चूत को चाटे जा रहा था और वो मेरे बालों को सहलाते हुए मुझे प्रोत्साहित किये जा रही थी और मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत से और चिपकाये जा रही थी।
उसकी चूत को चाटकर मैं खड़ा हुआ और फिर घोड़े की पोजिशन में खड़ा होकर उसको उसी पोजिशन में खड़ा होने के लिये बोला, उसने मेरी बनाई हुई पोजिशन को देखा और फिर उसी पोज में खड़ी हो गई, मैं पीछे आकर उसकी चिकनी गांड को सहलाता रहा और बीच बीच में एक चपत लगा देता साथ ही उसकी गांड में उंगली भी डालने लगा।
फिर मैंने अपने लंड पर नीलू से थूकने को बोला, नीलू की थूक को लंड पर मल दिया और फिर उसके मुंह में लंड चूसने के लिये डाल दिया। जब लंड अच्छी तरह से गीला हो गया तो लंड से ही उसकी लपलपाती चूत को सहलाने लगा, चूत की गरमी का अहसास लंड को भी हो रहा था।
इधर नीलू भी जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत से टच होता, वो अपनी चूत को सिकोड़ लेती। ज्यादा देर करना मुझे सही नहीं लगा, मैंने एक धक्के में ही आधा लंड उसकी चूत में पेवस्त कर दिया और फिर लंड निकाल कर दूसरा धक्का लगाया, अब लंड पूरी तरह से उसकी चूत में धंस चुका था।
अब मैंने धीरे-धीरे लंड अन्दर बाहर करना शुरू किया, धीरे-धीरे लंड के घर्षण के कारण चूत में जगह बननी शुरू हो गई और फच फच की आवाज आने लगी।
अपने शरीर को थोड़ा आराम देने के लिये मैं नीलू के ऊपर लेट गया और उसकी चूची को मलने लगा। चूची बहुत ही मुलायम थी, ऐसा लग रहा था मानो कम हवा से भरा हुआ गुब्बारे को मल रहा हूँ।
कुछ देर ऐसी पोजिशन में रहने के बाद मैंने फिर से अपने इंजन को चालू कर दिया। नीलू भी भरपूर सहयोग कर रही थी, चुदाई का कार्यक्रम चल रहा था।
मैं अबकी बार पलंग पर पैर लटका कर बैठ गया, नीलू सैन्डिल पहने ही मेरे लंड पर बैठने का प्रयास कर रही थी, लेकिन सफल नहीं हो पाई तो उसने सैन्डिल उतारी और मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी टांगों को पलंग पर फैलाते हुए उसने मेरी कमर को कैंचीनुमा स्टाईल में फंसा लिया।
उसकी छाती और मेरी छाती आपस में मिल चुके थे और उसके वो मुलायम-मुलायम मम्मे मुझसे चिपक गये थे, वो बहुत ही प्यार से मेरे लंड की सवारी कर रही थी और मेरी उंगलियाँ उसकी गांड की छेद में घूमने के लिये मचल रही थी, उंगली भी धीरे धीरे नीलू की गांड को खरोंचते और सहलाते हुए उसकी गांड के अन्दर जाने का रास्ता बना चुकी थी।
मेरे लंड से माल निकलने से पहले उंगली अपनी जगह बना चुकी थी और नीलू मस्ती के साथ उछलती जा रही थी, वो मुझसे बिल्कुल चिपकी हुई थी इसलिये मैं उसके फेस के एक्सप्रेशन को नहीं पढ़ पा रहा था, लेकिन उसके इस तरह चिपकने से मुझे दो महीने का सुकून कुछ ही देर में मिलने लगा।
फिर मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, मैंने तुरन्त ही नीलू को अपने ऊपर से हटाया, उसके पलंग पर लेटा दिया और मैं उसकी छाती के ऊपर चढ़कर अपने लंड को उसके मुंह के पास ले गया।
उसने मेरी तरफ देखा और फिर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी जीभ चलाने लगी, मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया तो नीलू उसको अपना मुंह खोलकर गटकने लगी। मैं भी काफी थक चुका था, मैं उसके बगल में लेट गया, नीलू ने तुरन्त ही अपनी एक टांग मेरे ऊपर चढ़ाई और मेरे सीने पर अपना सर रख कर बोली- जीजू बहुत मजा आया। बहुत मस्त चुदाई की है मेरी!
‘ठीक है, अब तुम जाकर सो जाओ।’ नीलू उठी और अपने गाउन को लिया और मेरी बीवी वाले कमरे की तरफ चल दी। हाँ, जाने से पहले उसने मुझे चूमना नहीं भूला।
मुझे भी नींद आ रही थी, उसके जाते ही मैं भी नींद की आगोश में आ गया।
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