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मेरा नाम नवलया है, मैं 26 साल की हूँ, गुजरात में रहती हूँ। आज आपको मैं अपनी एक हिंदी सेक्स कहानी सुनाने जा रही हूँ। इस से पहले मैंने बहुत सी हिंदी कहानियाँ अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ी हैं।
मैं एक शादीशुदा लड़की हूँ, पिछले साल ही मेरी शादी हुई है, अभी कोई बच्चा नहीं है, ना ही हम अभी एक दो साल और बच्चा चाहते हैं। मगर मेरी कहानी यह नहीं है, बात कुछ और है, वो आपको बताती हूँ।
मेरे मायके में घर का माहौल बहुत सख्त था, अभी भी है, इस लिए किसी किस्म का फैशन करना, ऊंचा हँसना, नाचना गाना, ऐसा कोई काम नहीं होता था। घर में घुसे तो समझो सब खुशियाँ उड़ान छू!
मैंने अपने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान कभी किसी लड़के से बात नहीं की। बाबूजी और बड़े भाई का डर ही इतना लगता था कि पूछो मत!
तो कोई दोस्त भी नहीं था, बॉय फ्रेंड का तो मतलब ही नहीं था। मन में कभी कभी विचार आते थे, मगर जवान होकर भी कभी मेरे मन में सेक्स की फीलिंग नहीं आई, बस ज़्यादा से ज़्यादा किस कर लो, मेरे लिए यही प्रेम का अंतिम पड़ाव था।
शादी हुई, सुहागरात को पति ने जो कुछ किया, वो सब कुछ तो बिल्कुल नया था मेरे लिए… मुझे तो पता ही नहीं था कि इतना कुछ होता है। बस भाभी ने एक बात बता कर भेजी थी, पति जो भी कहे, जो भी करे, मना मत करना, उसको जो करना होगा वो खुद कर लेगा। मगर मुझे नहीं पता था कि इसका अंजाम बेडशीट पर खून का एक बड़ा धब्बा होगा।
मगर मैंने सब सहन कर लिया।
उसके बाद तो ये रूटीन हो गया, हर रोज़ रात को पति के साथ खूब नंगा नाच होता। और ये सब मेरे दिमाग में इतना घुस गया कि मुझे से सेक्स के बिना रहना मुश्किल लगने लगा।
शादी के तीन महीने बाद मुझे अपने मायके जाना पड़ा। पहली रात ही मैं बहुत परेशान हुई, मैं चाहती थी कि मेरे पति आयें और मेरे साथ वही सब करें, मगर वो तो मेरे पास नहीं थे।
मेरी भाभी मेरे साथ सो रही थी। मैंने अंधेरे में देखा, भाभी का पल्लू उनके सीने से हटा था और सफ़ेद ब्लाउज़ में से उनकी छातियाँ आधे के करीब बाहर दिख रही थी और वो बेफिक्र सो रही थी।
मेरे मन में न जाने क्या आया, मैंने उनकी छाती को हाथ लगा कर देखा, मगर वो तो गहरी नींद में थी। मैंने उनके ब्लाउज़ का एक एक करके सभी बटन खोल दिये, और उनके ब्लाउज़ को हटा कर उनका सीना अनावृत कर दिया।
काफी बड़े स्तन हैं भाभी के तो! मैंने अपना ब्लाउज़ भी खोला और उठ कर ब्लाउज़ और ब्रा दोनों ही उतार दिये। मेरे स्तन भी भारी हैं, मगर भाभी के ज़्यादा बड़े हैं। पहले तो मैं अपने स्तन दबाती रही, मगर मन न भरा तो साड़ी ऊपर उठा ली, और अपनी चूत में उंगली करने लगी, मगर मुझे इसमें भी कोई मज़ा नहीं आ रहा था, मैंने आज तक खुद उंगली नहीं की थी।
तभी भाभी बोली- नींद नहीं आ रही है क्या? मैं एकदम चौंकी, देखा भाभी जाग गई थी, उठ बैठी थी, और उन्होंने भी अपना ब्लाउज़ उतार दिया था। पेटीकोट का नाड़ा खोला और वो भी उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई।
मैं कुछ कहती इस से पहले ही भाभी किसी मर्द की तरह आ कर मेरे ऊपर लेट गई और बोली- मेरी हालत भी खराब है, बहुत दिन हो गए, क्या दो खराब मिल कर एक ठीक बन सकते हैं?
मैंने कहा- कोशिश तो कर सकते हैं।
भाभी ने मेरे होंठों पे अपने होंठ रखे, मैंने भाभी को अपनी बाहों में कस लिया और हम दोनों एक दूसरी को चूमने लगी, एक दूसरे को चूमा, फिर एक दूसरे के दूध पिये।
उसके बाद भाभी ने खुद मेरी साड़ी और पेटीकोट खोल कर मुझे भी नंगी कर दिया। मैं अभी सोच ही रही थी कि भाभी अब किस तरह मुझे शांत करेंगी, इतने में ही भाभी ने अपना मुंह मेरी चूत से लगा दिया और मेरी चूत को चाटने लगी।
सच में मुझे अपने पति बहुत याद आए, वो भी ऐसे ही चाट जाते हैं।
भाभी की चटाई से मेरे बदन आग और भड़क गई, मुझे नहीं पता चला कब भाभी ने अपनी चूत ला कर मेरे मुंह पर रख दी और मैं भी भाभी की चूत चाटने लगी।
दोनों की सुलगती हुई चूतें, एक दूसरे की जीभ से चटवा का शांत हुई।
मगर अभी भी मेरे मन में सेक्स की इच्छा हो रही थी, मैंने भाभी से कहा भी- भाभी, बेशक मैं स्खलित हो चुकी हूँ, पर मेरी आग अभी भी नहीं बुझी, मुझे अभी भी अपने पति की ज़रूरत महसूस हो रही है।
भाभी बोली- जो आनन्द पुरुष के लंड में है, वो दुनिया की किसी भी और वस्तु में नहीं है। मुझे भी ज़रूरत महसूस होती है, तो मैं भी कोई इंतजाम कर लेती हूँ।
‘कैसा इंतजाम?’ मैंने पूछा। भाभी बोली- कल बताऊँगी, आज सो जा! हम दोनों एक दूसरे को बाहों में भर के सो गई।
सुबह भाभी ने जगाया- नवलया, उठ और उठ कर कपड़े पहन ले, कोई आ न जाए! मैंने एकदम से उठ कर अपनी साड़ी पहनी, उसके बाद बाथरूम में चली गई।
सारा दिन घर के और काम काज में बीत गया। दोपहर के बाद भाभी ने मुझे बुलाया और पूछा- अपने पति से कितना प्यार करती हो? मैंने कहा- बहुत! ‘अच्छी बात है।’ भाभी बोली- मान लो तुम्हारे पति पास न हो तो कितने दिन तक अपनी कामाग्नि को दबा के रख सकती हो? मैंने कहा- भाभी, दबाना तो बहुत ही मुश्किल है।
तो भाभी बोली- अगर कोई और तुम्हारी इस कामाग्नि को शांत करना चाहे तो उसे करने दोगी? मैंने कहा- भाभी यह कैसे संभव है, ये तो धोखा है, मैं ऐसा नहीं कर सकती! ‘तो ठीक है, जलती रहना रात को… मैं तो जा रही हूँ खेत में अपनी आग को ठंडा करने!’ भाभी ने कहा।
मैंने पूछा- कहाँ जा रही हो? और भैया? भाभी बोली- उनको तो अपने काम से ही फुर्सत नहीं है, तुम्हें चलना है तो बोलो, तुम्हारा भी इंतजाम कर दूँगी, नहीं जाना है तो तुम्हारी मर्ज़ी!
मैं बहुत हैरान हुई कि ऐसे कैसे कोई औरत अपने पति को धोखा दे सकती है।रात को हम फिर एक साथ सोई, मगर भाभी ने आज मेरे साथ कोई हरकत नहीं करने दी। हालांकि मैंने एक दो बार भाभी को अपनी बाहों में लिया, मगर भाभी ने मुझे परे कर दिया।
रात के करीब डेढ़ दो बजे का समय होगा, भाभी उठी और उन्होंने अपने सभी गहने, चाबी का गुच्छा, सब उतार कर रख दिये, और चुपके से दरवाजा खोल कर बाहर निकल गई।
पहले तो मैं लेटी सोचती रही कि भाभी कितनी गंदी है, चरित्रहीन, जो मेरे देवता जैसे भाई को धोखा देकर किसी और से अपनी आग शांत करने जा रही है। मगर मेरे तो अपने आग लगी थी। कुछ देर सोचने के बाद मैंने भी अपने सारे गहने उतारे और मैं भी चुपके से निकल पड़ी।
खेत हमारे घर के पीछे से ही शुरू हो जाते थे। मैंने देखा भाभी मुझसे काफी आगे थी, मैं छुप छुप कर उनका पीछा करती रही।
4-5 एकड़ चलने के बाद, मोटर के पास बने कमरे पे भाभी ने दरवाजा खटखटाया, दरवाजा खुला और भाभी अंदर चली गई। मैं भी धीरे धीरे वहीं जा पहुंची, दरवाजे के पास जाकर मैं कान लगा कर सुनने लगी मगर अंदर से कोई आवाज़ नहीं आ रही थी।
मैं सोच रही थी कि भाभी अंदर कर क्या रही है और अंदर है कौन? तभी एकदम दरवाजा खुला और एक मजबूत हाथ मुझे खींच के अंदर ले गया।
मेरी तो चीख ही निकल गई।
अंदर देखा, छोटे से बिस्तर पे भाभी अपनी कपड़े उतार रही थी। मिट्टी के दिये की हल्की सी रोशनी में मैंने देखा! ‘अरे ये तो माधो है, हमारा नौकर!’ मैंने कहा।
‘तो क्या?’ भाभी अपना पेटीकोट उतारते हुये बोली- तुझे चुदना है तो साड़ी उतार, और शोर मत मचाना, चुपचाप चूत मरवा और घर जा कर सो जा! मुझे बड़ी हैरानी हुई के भाभी ऐसे कैसे इतनी गंदी भाषा बोल रही है।
मैं अभी सोच ही रही थी, भाभी नीचे लेट गई और माधो से बोली- अब तू क्या देख रहा है, चल उतार कच्छा और आ जा! माधो शायद मुझे देख कर थोड़ा हिचकिचा रहा था मगर भाभी बोली- ओए, तुझ से कह रही हूँ, ज़्यादा शोर मत मचवा, और आ जा, ये भी आएगी, यहाँ तक आ गई है तो चुदवा कर ही जाएगी। ‘उसे छोड़ और अपने काम पे लग!’ भाभी ने कहा तो माधो ने अपना कच्छा खोल दिया।
रोशनी बहुत कम थी, मगर मैंने देखा उसका तो मेरे पति से बड़ा था जैसे लोहे का काला मूसल।
वो भाभी के ऊपर लेटा तो भाभी ने खुद उसका लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रख लिया। और उसके बाद तो उसने वो पेला भाभी को के मैं खुद पानी पानी हो गई।
मेरे पति ने मुझे हमेशा बड़े प्यार से किया, कभी कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं। मगर यह तो जैसे कोई गुस्सा निकाल रहा हो। 2 मिनट में ही भाभी और माधो दोनों बदन पसीने से भीग गए।
मेरे लिए तो ये सब देखना भी बहुत मुश्किल हो रहा था, मेरे तो हाथ पैर काँपने लगे, दिल बहुत ज़ोर से धडक रहा था। मैं सोच रही थी, अगर ये सब मेरे साथ हुआ, तो माधो तो मेरी जान ही निकाल देगा।
मगर भाभी तो उसका पूरा साथ दे रही थी, नीचे लेटी लेटी भी अपनी कमर उठा उठा कर, और ‘हाय, उम्म्ह… अहह… हय… याह… सी’ करके माधो का जोश बढ़ा रही थी।माधो ने अपने दोनों काले हाथों से भाभी के गोरे गोरे स्तन पकड़ रखे थे, पकड़े क्या थे, निचोड़ रखे थे।
मुझे नहीं पता कि कब मैंने एक तरफ बैठे बैठे अपनी साड़ी ऊपर उठा ली और मेरा एक हाथ मेरी अपनी चूत तक जा पहुंचा। पूरी तरह गीली हो चुकी मेरी चूत को मैं बैठे बैठे सहला रही थी।
संभोग का ऐसा नंगा नाच मैंने पहले कभी नहीं देखा था। ब्लू फिल्म में तो हमे पता होता है कि ये किरदार हैं। पैसे ले कर दवाई खा कर इतना ज़बरदस्त सेक्स कर रहे हैं। मगर सच में ज़बरदस्त सेक्स तो आज मैं अपने सामने पहली बार देख रही थी।
10 मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ गई, तो उसने माधो के कंधे को थपथपा कर उसे रोक दिया।
माधो ने अपना लंड भाभी की चूत से बाहर निकाल लिया और पीछे हट कर बैठ गया। भाभी ने मुझे पूछा- ए सुन, तू करेगी क्या?
मैं तो सुन्न हुई बैठी थी तो भाभी ही बोली- ए माधो, उठा इसे और डाल इसके भी! माधो उठ कर मेरे पास आया और मुझे बाजू पकड़ कर खड़ा किया। मैं कुछ भी न बोल सकी।
उसने और भाभी ने मिल कर मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगी किया और नीचे लेटा दिया, माधो ने मेरी टाँगें खोली और अपना लंड मेरी चूत पे रखा और फिर एक बार में ही अंदर ठेल दिया।
जब उसका पूरा लंड मेरे अंदर घुस गया, तब मुझे लगा, सच में लंबाई में और मोटाई में दोनों तरह से इसका लंड मेरे पति के लंड से बड़ा था, पूरा टाइट और बिलकुल अंदर तक गया।
उसके बाद माधो ने मेरे दोनों बूब्स पकड़े और फिर से पेलने लगा। पहले तो थोड़ा आराम से था, मगर बाद में तो उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
मेरे लिए तो यह बिल्कुल मेरी दुनिया से अलग ही नज़ारा था… इतनी तेज़ और इतनी गहराई तक जाकर वो मेरे चोट कर रहा था। मुझे ऐसे लग रहा था, जैसे मैं किसी शिकंजे में फंस गई हूँ, और कोई मशीन मुझे चोद रही है।
2 या 3 मिनट में ही मैं स्खलित हो गई मगर माधो रुकने का नाम नहीं ले रहा था। मैंने उसका कंधा थपथपाया मगर वो नहीं रुका- नहीं छोटी बीबी, अभी नहीं रुकूँगा, अब तो झाड़ कर ही रुकूँगा।
मेरे दोनों बूब्स में उसकी उंगलियाँ जैसे गड़ गई थी, दोनों बूब्स दुखने लगे। नीचे से इतनी सख्त रगड़ाई… उसके बदन का पसीना मेरे बदन पर टपक रहा था।
मैं जैसे यहाँ से छुट कर भाग जाना चाहती थी मगर मैं तो हिल भी नहीं पा रही थी।
लगातार चुदाई से मेरे बदन में फिर से मस्ती जाग गई, अब मैं भी भाभी की तरह माधो के नीचे पड़ी पड़ी तड़प रही थी और खुद अपनी कमर उठा उठा कर माधो का लंड अपने अंदर ले रही थी। मेरे कमर उचकाने से मुझे भी गर्मी आने लगी, मैं खुद भी पसीने से भीग गई।
अगले 5 मिनट बाद मैं दोबारा झड़ी, मैंने अपने दोनों हाथों के नाखून, माधो के कंधो में गड़ा दिये। फिर माधो भी ‘छोटी बीबी, छोटी बीबी’ कहता हुआ मेरे अंदर ही झड़ गया।
झड़ने के बाद वो एक तरफ को गिर गया। मैंने देखा उसका लंड अब भी पूरा तना हुआ था, और उस में से वीर्य की बूंदें धीरे धीरे निकल रही थी।
भाभी ने मुझसे पूछा- क्यों बिन्नो, मज़ा आया? मैंने कहा- बहुत भाभी, बहुत मज़ा आया। ऐसा मज़ा तो आज तक नहीं आया।
भाभी बोली- तो अगर कभी कभार ऐसा मज़ा मिल जाये तो लेने में कोई हर्ज़ है क्या? मैंने कहा- नहीं बिल्कुल नहीं, पहले मैं सोचती थी कि यह धोखा है, फरेब है, मगर ये नहीं पता था कि ये फरेब इतना मीठा होगा।
तभी माधो बोला- छोटी बीबी याद है, जब मैं आपको साइकिल पर स्कूल छोड़ने जाता था, तब सोचता था जब ये लड़की बड़ी होगी, तब एक बार इसको जरूर चोदूँगा। देखो मेरी ये इच्छा आज पूरी हुई, आपकी शादी के बाद।
तभी भाभी बोली- अच्छा चल चल ज़्यादा बातें न बना। ए सुन बिन्नो, एक बार और करेगी क्या? मैंने कहा- नहीं, मेरा तो 2 बार हो चुका है। भाभी बोली- मैं तो एक बार और करूंगी। चल रे माधो आ इधर को।
मैं देख कर हैरान रह गई, भाभी ने माधो का काला कलूटा लंड पकड़ा और चूस गई जबकि उस पर भाभी की चूत, फिर मेरी चूत और माधो के अपने लंड का पानी लगा था। मगर भाभी ऐसे चूस गई, जैसे उसे ये सब स्वाद लगता हो।
थोड़ी सी चुसाई से ही माधो फिर से कायम हो गया। उसके बाद एक बार भाभी की और भी ज़बरदस्त चुदाई हुई क्योंकि माधो एक बार झड़ चुका था सो इस बार उसे बहुत टाइम लगा।
भाभी को चोदते चोदते माधो ने बीच में मुझे भी घोड़ी बना कर थोड़ा सा और चोदा और उसके बाद फिर से भाभी को चोदने लगा। मैंने देखा, भाभी को मसल के रख दिया उसने, दबा दबा कर भाभी के स्तन लाल कर दिये उसने।
फिर भाभी खूब शोर मचा कर झड़ी और उसके बाद माधो!
भाभी का पेट छाती सब माधो के वीर्य से भीग गया मगर भाभी ने उसे साफ नहीं किया, बल्कि वैसे ही अपनी साड़ी बांध ली। मैंने भी अपनी साड़ी पहनी और हम दोनों चुपचाप वापिस अपने कमरे में आ कर लेट गई।
सुबह उठ कर जब मैं नहाने गई तो देखा, मेरे दोनों बूब्स पर यहाँ वहाँ निशान ही निशान थे। मैं डर गई, मैंने भाभी को दिखाया तो भाभी ने अपना ब्लाउज़ उठा कर मुझे अपनी छातियाँ दिखाई, उनके बूब्स पे भी माधो की सख्त उँगलियों से निशान पड़े थे।
वो बोली- चिंता मत कर, दो एक दिन सब मिट जाएंगे। बस आज रात उसे कह देंगे के चूत मार ले, मगर चूचे मत दबा’ कह कर हम दोनों खिसियानी हंसी हंस दी।
दोनों इस काम में पार्टनर जो बन गई थी।
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