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स्वीटी और राज गर्मागर्म सेक्स के बाद नहा धो कर तैयार होकर 8 बजे होटल पहुँच गए। संजीव का फोन आ गया था वो 8.30 तक पहुँच जायेगा। स्वीटी ने पोनिटेल बना रखी थी और वो बिलकुल कॉलेज गर्ल लग रही थी।
संजीव 8.45 तक आ गया, तीनों ने डिनर लिया और 10 बजे करीब राज ने संजीव स्वीटी को उनके घर छोड़ दिया। पंद्रह मिनट बाद स्वीटी का फोन राज के पास आया कि वो अपने अंडरगारमेंट्स वाशरूम में भूल आई है।
राज ने कहा- चिंता मत करो.. जब मैं ऑफिस जाऊँगा तो घर के बाहर से ही तुम ले लेना! क्योंकि संजीव तो पहले ही चला जाता है।
रात को स्वीटी की पैंटी को अपने लंड पर लपेट कर राज ने दो बार मुठ मारी…
अगले दो-तीन दिन इसे ही निकल गए… अपने चैम्बर से राज स्वीटी से खूब देर तक बात करता, बाहर बैठा संजीव उसे ये सोच कर डिस्टर्ब नहीं करता कि बॉस किसी पार्टी से बात कर रहे हैं।
राज को गुरूग्राम प्रीति को लेने जाना था और एक पार्टी से भी मिलना था, तो उसने सुबह जल्दी जाने के लिए ड्राईवर को बोल दिया। रात को 9 बजे उसके चेयरमन का फोन आया कि एक जरूरी क्लाइंट चेन्नई से आ रहा है इसलिए वो गुरूग्राम न जाए।
अब गुरूग्राम वाली पार्टी से भी मिलना जरूरी था, तो उसने संजीव को फोन किया कि वो गाड़ी से गुरूग्राम चला जाए और रात को वहीं होटल में पार्टी से मीटिंग कर ले और अगले दिन प्रीति को लेकर वापस आ जाए।
राज ने उससे यह भी कहा कि अगर वो चाहे तो स्वीटी को भी ले जाए, पर स्वीटी ने मना कर दिया।
संजीव अगले दिन सुबह 10 बजे करीब चला गया क्योंकि जिस पार्टी से मिलना था वो शाम तक दिल्ली पहुँच रही थी। संजीव 2 बजे तक गुरूग्राम पहुँच गया।
राज ने संजीव से कहा कि प्रीति को कुछ शॉपिंग करनी होगी तो वो साथ चला जाए। राज ने प्रीति को बोल दिया था कि वो संजीव से फ्रेंडली ट्रीटमेंट करे।
प्रीति ने संजीव को अपने घर ही बुला लिया और लंच दोनों ने साथ लिया। संजीव संकोच कर रहा था पर प्रीति के उन्मुक्त व्यव्हार ने जल्दी ही उसका संकोच खत्म कर दिया।
प्रीति और संजीव मार्किट चले गए, प्रीति ने कुछ छोटा मोटा सामान खरीदा और एक शार्ट नाइटी स्वीटी के लिए भी ली। उसने संजीव को भी जबरदस्ती एक शर्ट दिलाई, राज के लिए एक व्हिस्की की बोतल ली।
शाम को संजीव ने प्रीति के घर छोड़ा और पार्टी से मिलने होटल चला गया।
प्रीति ने डिनर के लिए कहा तो संजीव बोला- पता नहीं मीटिंग कब ख़त्म हो…
खैर संजीव मीटिंग से 8 बजे फारिग हो गया… मीटिंग कामयाब थी, संजीव बहुत खुश था, उसने राज को बताया। राज बहुत खुश हुआ बोला- चलो कल आओगे तो सेलिब्रेट करेंगे। पर अभी तुम प्रीति के साथ डिनर करो, वो तुम्हारा इन्तजार कर रही है।
संजीव ने प्रीति को फोन किया- मैं आ रहा हूँ, आप तैयार हो जाइए, डिनर बाहर करेंगे। प्रीति ने हाँ कह दी।
प्रीति और संजीव ने होटल में डिनर लिया। प्रीति को क्रिस के चुम्बन की याद आ रही थी, वो सोच रही थी कि काश संजीव उसे चूम ले, पर एक तो गाड़ी में ड्राईवर और वैसे भी वो उसके बॉस की बीवी! संजीव की हिम्मत कहाँ थी।
डिनर के बाद दोनों गाड़ी से वापस फ्लैट आये। संजीव के सोने का इंतजाम प्रीति ने ऊपर किया था और ड्राईवर तो गेराज में ही सो गया।
संजीव अपना बैग लेकर ऊपर जाने लगा तो प्रीति बोली- आज तुमने कंपनी के लिए बहुत बढ़िया काम किया है, इससे कंपनी को जो फायदा होगा, वो तो होगा पर तुम्हारी और राज की कंपनी में पोजीशन बहुत अच्छी हो जाएगी और मेरी तरफ से तुम्हें गिफ्ट देना तो बनता ही है।
ऐसा कह कर उसने संजीव के पास जाकर उसे एक किस दिया। चूंकि संजीव लम्बा था, हटते समय प्रीति के होठ से संजीव के कंधे पर लिपस्टिक लग गई।
प्रीति बोली- लाओ, मैं शर्ट साफ कर दूं! पर संजीव बोला- कोई बात नहीं, मुझे अच्छा लगेगा और इसे मैं खुद साफ़ करूँगा।
प्रीति हंस कर बोली- तुम कपड़े बदल कर ऊपर चले जाओ, बैग का क्या करना है ऊपर? उसने संजीव से कॉफ़ी के लिए पूछा तो उसने हाँ कह दी।
प्रीति बोली- तुम कपड़े चेंज करो, मैं भी चेंज कर लूं, फिर बनाती हूँ।
प्रीति ने एक सारा सामान तो पैक कर लिया था तो वाशरूम में कपड़े उतारने के बाद उसे पहनने को कुछ खास नहीं दिखा। उसे ध्यान आया कि वार्डरोब में एक नाइटी लटक रही है, वो सिर्फ टॉवल में ही अपने रूम में आ गई, उसे ध्यान ही नहीं रहा कि वहाँ तो संजीव है।
अब संजीव भी टॉवल में खड़ा था और प्रीति भी.. दोनों एक दूसरे को देख कर सकुचा गए और फिर जोर से हंस पड़े। अब देख लिया तो क्या पर्दा!
संजीव बोला- आज तो अपने बॉस से पहले ही मुझे गिफ्ट दे दिया। प्रीति गर्म हो रही थी, बोली- तो मेरा रिटर्न गिफ्ट? संजीव बोला- बताइए क्या दूं?
प्रीति ने उसे पास बुलाया और एक लिप लॉक किया। संजीव भी आखिर इंसान था, कब तक बर्दाशत करता, उसका तम्बू खड़ा हो गया था, बस वो हिम्मत नहीं कर पर रहा था।
प्रीति ने वार्डरोब से नाइटी निकाली और जाने लगी। वो जैसे ही संजीव के पास से निकली तो उसे संजीव उसके क्लीवेज घूरता हुआ मिला। आग तो प्रीति के भी लगी हुई थी, वो रुकी और बोली- क्या देख रहे हो?
संजीव घबरा गया, बोला- कुछ भी तो नहीं! प्रीति ने अपना टॉवल खोल दिया, बोली- लो ठीक से देख लो।
प्रीति एकदम नंगी खड़ी थी, उसने हाथ बढाकर संजीव का टॉवल भी खींच दिया। अब दोनों निपट नंगे थे।
प्रीति ने संजीव को खींच लिया, दोनों के होंठ मिल गए। बेड रूम था और बेड भी था तो देर किस बात की… प्रीति ने संजीव को बेड पर धक्का दिया और उसके लंड को पकड़ लिया।
प्रीति तो लंड चूसने में पक्की थी, उसने पांच मिनट में ही संजीव को पागल कर दिया और अब संजीव ने उसे बिस्तर पर लिटाया और अपना मुँह उसकी चूत में दे दिया।
प्रीति ने शायद आज सुबह ही चूत साफ़ की थी, चिकनी नर्म गुलाबी चूत, जो पहले से ही पानी छोड़ चुकी थी, अब संजीव की जीभ के काबू में थी। प्रीति उछल रही थी।
संजीव ने उसकी टांगों को चौड़ाया और अपना लंड घुसा दिया उसकी चूत में! उम्म्ह… अहह… हय… याह… संजीव का लंड राज के लंड जितना मोटा नहीं था पर लम्बा था। संजीव ने पूरा लंड एक झटके में ही पेल दिया जो प्रीति की चूत के अंदर तक पहुँच गया।
अब संजीव ने पूरी स्पीड से धक्के देने शुरू किये, प्रीति मस्ती से चीख रही थी, वो सातवें आसमान पर थी। चुदाई का ऐसा आनन्द उसे न तो राज से मिला था ना क्रिस से… वो भी अपनी चुदाई का पूरा मजा ले रही थी और संजीव का साथ दे रही थी।
पंद्रह मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनों का पानी छूट गया। संजीव ने उससे पूछ लिया था कि कहाँ निकालूँ तो प्रीति ने अंदर ही निकलवाया क्योंकि वो गर्भ निरोध की गोली लेती थी।
कुछ देर दोनों शांत होकर पड़े रहे।
प्रीति ने उठकर टॉवल से खुद को साफ़ किया और संजीव को भी टॉवल दिया, संजीव टॉवल लपेट कर ऊपर चला गया।
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