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अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार, इस प्यारी साईट को एक नए मुकाम तक लाने में आप सभी का बहुत सारा योगदान रहा। मैंने इस साईट की काफी सारी कहानी पढ़ी हैं जो काफी रोचक और गुदगुदाने वाली होती हैं।
मेरा नाम राहुल अग्निहोत्री है, मेरा घर सागर में है।
यह एक घटना है उस रात की जब मैं जबलपुर से सागर जा रहा था। थोड़ा थोड़ा पानी बरस रहा था तो मैंने अपनी सफारी के चारों शीशे बंद कर रखे थे और जगजीत साहब की गजलों में खोया हुआ अपनी गाड़ी चला रहा था।
जबलपुर शहर पीछे छूटता जा रहा था, अचानक मुझे लगा जैसे सामने से कोई हाथ देकर रोक रहा है। जब गाड़ी थोड़ी पास आई तो देखा वो एक लड़की थी जो लगभग बाइस साल की थी, उसने सफ़ेद सलवार सूट पहना हुआ था और अपनी सफ़ेद चुनरी को बार बार सलीके से ओढ़ने में उसका हसीन सा पानी में भीगा हुआ बदन क़यामत ढा रहा था।
पानी से बचने उसने जो छतरी लगा रखी थी, उसका नीला रंग पानी में भीगे हुए सूट के साथ उसे बहुत कामुक बना रहा था खैर उसके हाथ का इशारा समझकर मैंने गाड़ी रोकी और शीशा खोलकर उसको पास बुलाया तो उसने बताया उसकी बस छूट गई है और उसको उस बस तक कैसे भी जाना है।
मैंने उसे दरवाजा खोलकर अंदर बैठाया और दरवाजा बंद करके उससे पूछा कि उसको कहा जाना है तो उसने बताया कि उसको सागर जाना है और यह आखिरी बस थी।
मैंने उससे कहा- आपकी बस तो बहुत आगे पहुँच गई होगी, वैसे मैं भी सागर जा रहा हूँ, अगर आपको कोई एतराज ना हो तो आप सागर तक मेरे साथ चल सकती हैं। शायद उसके पास भी और कोई चारा नहीं था तो उसे मजबूरन मेरे साथ चलने तैयार होना पड़ा।
बातों बातों में जब मैंने उसका नाम पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम नताशा है, वो जबलपुर मैं साइंस कालेज में पढ़ती है और भाई की शादी में घर जा रही है।
हम बातों बातों में काफी आगे आ गए थे, आगे सारी सड़क सुनसान थी, मैंने गाड़ी के अन्दर की लाइट बंद कर दी, ऐसा करने से उसे शायद थोड़ा अजीब सा महसूस हुआ। मैंने कहा- डरो मत, सड़क सुनसान है ऐसा करना सही रहता है।
वो कुछ नहीं बोली, उसको शायद भीग जाने की वजह से काफी ठंड लग रही थी, मैंने कहा- ये कपड़े गीले हो गए हैं अगर चाहो तो मेरे कपड़े पहन लो कुछ देर, जब तक ये सूख जायेंगे! अगर तुम चाहो तो पीछे जाकर कपड़े बदल सकती हो, मेरा बैग पीछे ही है।
वो पीछे चली गई और एक एक करके अपने कपड़े उतारने लगी।
अब मेरा गाड़ी चलाने में मन नहीं लग रहा था, वो कपड़े उतार कर आगे वाली सीट पर रखती जा रही थी पहले सलवार उसके बाद शर्ट, उसके बाद अपनी समीज और अंडर गारमेंट इसका मतलब अब उसके तन पर कोई कपड़ा नहीं था।
तभी पीछे से कोई गाड़ी आ रही थी, उसकी लाईट जब पीछे वाले शीशे को चीरती हुई अंदर आई तो मैंने हल्के से पीछे पलट कर जो देखा, वो ब्यान करने वाला नजारा नहीं था, एकदम जैसे कोई हूर जैसे मलाई में कोई एक चुटकी गुलाल डाल दे ऐसा रंग उसका और जांघे जैसे केले का तना हो इतनी मुलायम और उसके माखन से उरोजों के उभार और उनके आगे गुलाबी चूचुक… यारो वो एकदम नंगी मेरी गाड़ी में थी। उसके खुले बाल जो उसके चेहरे पर आ रहे थे!
मैंने ना जाने कब अपनी गाड़ी रोक दी और एकटक उसको देखने लगा, वो मेरे बैग मैं से अपने नाप के कपड़े देख रही थी। अचानक उसकी नज़र मुझ पर गई तो जैसे वो सहम सी गई।
मुझे भी लगा जैसे कोई चोरी पकड़ी गई हो, मैंने थोड़े हौसले से काम लेते हुए कहा- अरे, मैं तो यह देख रहा था आपको बैग में से कपड़े पसंद आये या नहीं। उसने शरमा कर हंसते हुए कहा- पता है। मैंने कहा- अगर ऐतराज ना हो तो मैं पीछे आकर कपड़े बताऊँ? उसने कहा- अब इतना देख ही चुके हो तो आ कर कपड़े भी बता दो कि कौन से पहनने हैं।
मैं पीछे आया तो उसको बैग में से हाफ पेंट और टी-शर्ट दी बैग में हाथ डालते समय मेरी कोहनी उसके उरोजों को छू रही थे मगर उसने कुछ नहीं कहा तो मैंने अपनी कोहनी से उसके उरोजों को सहलाना आरंभ कर दिया।
उसका चेहरा उस समय देखने लायक था, एकदम लाल… मैं समझ गया कि अब मौक़ा है, मैंने उससे कहा- आप बहुत सुंदर हो! कहते कहते मैंने उसके कंधे पे हाथ रख दिया।
वो कुछ नहीं बोली तो मैं उसकी पीठ सहलाने लगा और उसके और करीब आकर अपने ओठों से उसकी गर्दन को चूमने लगा। वो गर्म होती जा रही थी।
मैंने अब उसको आराम से पीछे की सीट पर पूरा लेटा दिया और उसको हर जगह चूमने लगा, उसके गालों पर, उसके होठों को चुमते समय उसने अपनी गुलाबी जीभ बाहर की तो मैंने उसकी पूरी जीभ अपने मुंह में ले ली और उसकी जीभ को अपने दाँतों से कुतरना चालू कर दिया।
वो छटपटा रही थी।
मैंने एक हाथ उसकी जांघों पर सहलाना चालू किया। क्या मांसल जांघें थीं! अब मैं उसके उरोजों को दबाता हुआ उसके बाएं चूचुक को अपने मुंह से चूस रहा था और उसके मुंह से उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाजें सुनाई दे रहीं थीं।
मेरा एक हाथ उसकी दोनों जांघों के बीच से सरकता हुआ उसकी योनि तक आ चुका था जहाँ थोड़े थोड़े से बाल थे। मैंने जैसे ही एक उंगली उसकी योनि में डाली, वह अजीब तरीके से अकड़ गई और मुझे बहुत जोर से जकड़ लिया। अब उसके नाख़ून मेरी पीठ पर खरोंचें बना रहे थे।
मैंने उसका एक हाथ पकड़कर अपनी पैंट के अंदर डाल दिया तो उसने धीरे से मेरे लंड की खाल ऊपर करके मेरे लंड के सुपारे पर अपनी एक उंगली फेरनी चालू कर दी।
अब मैंने भी देर ना करते हुए अपने सारे कपड़े उतार कर उससे कहा- इसको अपने मुंह से चूसो ना! पहले तो वो मना करने लगी मगर मेरे जोर देने पर उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपनी जीभ से ऐसे चाटने लगी जैसे कोई लोलीपोप चाट रही हो।
मैंने उससे पूरा अंदर लेने को कहा तो उसने अपना मुंह उपर नीचे करते हुए पूरा लंड इतना चूसा कि मेरा पानी आने लगा। वह उस पानी को चाट रही थी। मैं एक हाथ से उसकी गांड सहला रहा था, एकदम मुलायम और गोरी गांड जो अँधेरे में भी चमक रही थी।
मैंने उसकी गांड सहलाते सहलाते अचानक उसकी गुदा के छेद पर अपनी उंगली लगाई तो वो कसमसा उठी। मैं धीरे से उसके गांड के छेद को कुरेद रहा था।
अब मैंने उसको उलटा लेटाकर अपना मुंह उसकी गांड की तरफ कर के उसके उभरे हुए चूतड़ों को चाटने लगा और चूमने लगा। बहुत ही कामुक बदन था उस हसीना का… उधर वो मेरा लंड चूस रही थी।
अब मैंने उसको घोड़ी बनने को बोला और उसके पीछे आ गया। जैसे ही मैं अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धीमा सा जोर लगाया तो लगभग आधा लंड उसकी चूत में समा गया और वह कराह उठी।
मैंने देर ना करते हुए एक और जोरदार शाट मारा तो पूरा लंड उसकी चूत में समा गया, अब मैं धीमे धीमे से उस जवान लड़की की चूत की चुदाई करने लगा तो उसको मजा आने लगा।
मैं उसके बाल पकड़े था उसको घोड़ी बनाए था और उस हसीना को चोद रहा था। काफ़ी देर तक मैं उसको ऐसे ही चोदता रहा, पूरी गाड़ी में फच फच की आवाज़ आ रही थी और पूरी गाड़ी का वातावरण कामुक हो गया था।
और अंत में जब मेरा छूटने वाला था तो मैंने उससे पूछा- कहाँ छोडूँ? तो वो बोली- अब अंदर ही डाल दो सारा माल! और जैसे मैंने अपना माल उसकी चूत के अंदर छोड़ा, उसने अपनी चूत को बहुत जोर से कस लिया, ऐसा लगा कि मेरा लंड उसकी चूत मैं बंद हो गया हो।
वो पसीना पसीना हो गई थी और मैं भी!
अब उसने मेरे लंड पर लगा हुआ सारा माल अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर दिया अब हम दोनों ने कपड़े पहने और सामने की सीट पर आ गए। मैंने गाड़ी चालू की और बढ़ा दी।
आगे एक ढाबे पर हमने खाना खाया और सुबह चार बजे सागर पहुँच गये उसको काकगंज पर छोड़ा तो कहने लगी- यह मुलाक़ात कभी नहीं भूलूंगी।उसने मेरा नंबर मांगा और अपने फ़ोन मैं सेव करते हुए कहा- फ़िर मुलाक़ात होगी! आज भी मुझे उस नीली छतरी वाली के फोन आते हैं।
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