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वाइफ एक्सचेंज सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरे पति के दोस्त की बीवी प्रेगनेन्ट नहीं हो पा रही थी. मैंने अपने पति को उसकी चुदाई करके उसे बच्चा देने को कहा.
यह कहानी सुनें.
दोस्तो, मेरा नाम अरिश्का है, मैं दिल्ली में रहती हूँ. मैं एक खुले विचारों वाली महिला हूँ. मेरी उम्र 37 साल है और मेरा फिगर 34-30-38 का है यानि मेरे बूब्स काफी बड़े हैं. गांड कुछ हल्की सी बाहर निकली हुई है. मैं एक सेक्सी औरत हूँ.
मैंने मेरे दोनों पतियों के अलावा किसी गैर मर्द से नहीं चुदवाई हूँ. दो पति को सुनकर आप कुछ चौंक गए होंगे.
मगर आज मैं आपको मेरी वाइफ एक्सचेंज सेक्स कहानी बताने जा रही हूँ जिसे सुनकर आप लोगों में से बहुत से लोग मेरी बात को समझने की कोशिश करेगें. हो सकता है कि बहुत से लोग मुझे रंडी कह दें.
लेकिन क्या दो पति रखना गलत है.
भारत में आजकल बहुत तेजी से वाइफ स्वैपिंग का प्रचलन बढ़ गया है. लोग तो अपने मजे के अपनी पत्नियों को दूसरे लोगों के साथ शेयर करते हैं.
हालांकि हमने विधिवत विवाह करने के बाद पति पत्नी बनकर एक दूसरे को मजे दिए हैं. मेरी सेक्स कहानी थोड़ी सी अलग है. जिसमें प्यार है, त्याग और अपनापन एवं पवित्रता है.
ये बात उन दिनों की है, जब गोविन्द की पोस्टिंग बैंगलोर में थी. गोविंद मेरे पहले पति हैं. मैं गोविन्द के साथ ही 3 बीएचके फ्लैट में रहती थी. उस समय मैं 24 साल की थी. उस समय मेरा फिगर थोड़ा कम था. क्योंकि मुझे बच्चे नहीं हुए थे. लेकिन फिर भी मैं उस समय बड़ी आकर्षक माल थी … एक सेक्स बम्ब से कम नहीं थी.
उन्हीं दिनों गोविन्द का दोस्त राजेश और उसकी ब्याहता पत्नि बिंदु बैंगलोर घूमने के लिए आए. आज राजेश ही मेरे दूसरे पति हैं.
बिंदु का साइज 36-30-38 का था. गोविन्द ने उन दोनों को घर पर रुकने और साथ घूमने के लिए भी कह दिया था.
गोविन्द ने मुझे बताया कि हम बहुत गहरे दोस्त है. राजेश मेरा लंगोटिया यार है. हम दोनों शुरू से ही हर चीज आपस में शेयर करते थे. वो दोनों सुबह नौ बजे पहुंच जाएंगे. उनका बहुत ख्याल रखना है.
अगले दिन सुबह राजेश और उसकी पत्नी बिंदु बैंगलोर आ गए. गोविंद दोनों को घर ले आए.
मैंने दोनों को नमस्कार किया और बैठने के लिए कहा. फिर चाय पीने के बाद हम सब साथ साथ घूमने निकल पड़े. खाना मैंने पहले ही बना लिया था … इसलिए साथ में पैक करके ले गए थे. दिन भर हम साथ साथ घूमे, हंसी मजाक में समय का पता ही नहीं चला.
अब रात हो चुकी थी, इसलिए रात का खाना हमने होटल में खाया और घर आ गए.
हम सब थक चुके थे. हम आपस इतना घुल मिल गए थे कि जैसे हम सब एक परिवार हों. इसलिए हम सब साथ साथ हॉल में ही टीवी देखते देखते ही एक जगह ही लेट गए. पता ही नहीं चला कि कब नींद आ गई. गोविन्द मेरे बाजू में लेटे थे.
सुबह जब मैं उठी, तो मेरा गाउन मेरी जांघों पर चढ़ा हुआ था और गाउन के ऊपर के बटन खुले होने से मेरी चूचियां आजाद कबूतरों की भांति खुली हुई थीं.
मैं गाउन को ठीक करने लगी तो अचानक मेरी नजर राजेश पर पड़ी.
राजेश मुझसे पहले ही उठ गया था. रात में गोविन्द के हाथ से मेरा गाउन मेरी पैंटी तक हो गया था.
सुबह राजेश ने जल्दी उठ कर शायद मुझे इस हालत में देखा होगा. यही सच था कि उसने पहले उठने से मेरे नंगे बदन को देख लिया था. इसलिए राजेश की चोर नजरें मेरे जिस्म को और मुझे घूरने लगी थीं.
राजेश ने मुझे गुडमॉर्निंग कहा, तो मैंने भी शर्माते हुए राजेश को गुड मॉर्निंग की.
फिर मैं सबके लिए चाय बनाने किचन में चली गई. मैं किचन में यही सोच रही थी कि राजेश ने मेरी नग्न चूचियों और जांघों को देख लिया है.
खैर … मैं चाय बनाकर लाई, तब तक सब उठ गए थे.
चाय पीते पीते मैंने बिंदु से पूछा- यार बिंदु फैमिली प्लानिंग के लिए क्या सोचा है?
यह सुनते ही बिंदु उदास हो गई और कुछ नहीं बोली.
मैंने जोर देकर पूछा- बिंदु क्या बात है? तभी राजेश बोला- यार यह सब किस्मत का खेल है. जब भगवान चाहेंगे, तभी कुछ होगा. हम कोशिश कर रहे हैं.
फिर सब लोग तैयार होने लगे. बिंदु और मैं किचन में खाना बनाने लगी.
मैंने बिंदु से पूछा- यार क्या राजेश में कोई कमी है या तुम अभी मां बनना नहीं चाहती हो?
बिंदु खुल कर बोली- यार राजेश तो एकदम परफेक्ट हैं … मैं भी मां बनना चाहती हूँ. राजेश में कोई कमी नहीं है. बल्कि राजेश का लंड तो बिल्कुल घोड़े जैसा है. इनका लंड तो बिल्कुल अफ्रीकन नीग्रो लोगों से कम नहीं है. शुक्राणु भी खूब हैं. वो तो मेरी बच्चेदानी में अंडाणु की नली टेढ़ी होने से शुक्राणु और अंडाणु का मिलन नहीं हो पाता है. डाक्टर ने कहा है कि मैं प्रेगनेन्ट हो भी सकती हूँ और नहीं भी. हमारा इसी बात का ट्रीटमेंट भी चल रहा है.
यह कहते हुए बिंदु रोने लगी. मैंने बिंदु को जैसे-तैसे चुप किया. फिर हमने खाना और खाने के बाद हम सब घूमने निकल पड़े.
आज हम सभी वाटर पार्क में नहाने पहुंच गए.
मैंने और बिंदु ने नहाने के लिए मना कर दिया था. लेकिन राजेश ने और गोविन्द ने हमें कहा कि यार हमसे क्या शर्माना … कैसी शर्म. यहां देखो सब लड़कियों को, वो कितनी बिन्दास हैं.
अब बिंदु और मैंने भी स्वीमिंग कॉस्टयूम पहन लिया. मुझे गोविन्द ने स्वीमिंग पूल में धक्का दे दिया, मैं सीधा राजेश के ऊपर जा गिरी. राजेश मुझे थाम लिया मुझे राजेश की बांहों में अजीब सा लगा पर अच्छा लगा.
खैर … इस तरह कई बार मैं राजेश की बांहों में और बिंदु गोविन्द की बांहों में गई. हम दोनों को ही दूसरे मर्द के साथ अच्छा लग रहा था और दोनों दोस्त एक दूसरे की पत्नियों को एक दूसरे के साथ बदलते हुए हमको मजा दे रहे थे.
हमारे बूब्स, गांड पर बार बार राजेश ओर गोविन्द के हाथ टच हो रहे थे.
कभी कभी यह लोग हमारे बूब्स और गांड को दबा भी रहे थे. हम दोनों भी मजे में राजेश ओर गोविन्द के लंड को पकड़ लेते थे. यानि हम सब फुल मस्ती के मूड में आ चुके थे.
काफी देर मस्ती करने के बाद हम लोग पूल से बाहर आए और खाना पीना किया.
फिर हम एक दो जगह घूमने के बाद घर आ गए.
रात को हम सब फिल्म देखने लगे. आज की फिल्म थी ‘चोरी चोरी चुपके चुपके.’
फिल्म देखते देखते ही मेरे दिमाग में बिंदु को मां का सुख दिलाने का आइडिया मिल गया.
मैंने गोविन्द से कहा- क्या बिंदु को चोरी चोरी चुपके चुपके फिल्म की तरह का मां का सुख नहीं दिलाया जा सकता है? गोविन्द ने तुरंत ही यह बात राजेश से कही.
राजेश ने कहा- यार बात तो सही है, पर कोई शरीफ घर की औरत इसके लिए कहां से लाएंगे.
कुछ देर सोच कर गोविन्द ने कहा- यार अरिश्का है ना, क्यों अरिश्का बिंदु के लिए इतना तो कर ही सकती हो तुम! मैंने भी कह दिया- ठीक है. पर बिंदु से तो पूछ लो.
बिंदु ने कहा- अरिश्का , मैं तेरा यह उपकार हमेशा याद रखूंगी. बदले में तू मेरी जान भी मांगेगी तो मैं दे दूंगी. राजेश बोला- ठीक है, कल अरिश्का को डाक्टर के पास लेकर चलते हैं.
मैंने कहा- डाक्टर क्यों राजेश … तुम ही सीधा ही मुझे प्रेगनेन्ट कर दो ना! राजेश तुम्हारा बीज मेरी कोख में डाक्टर डाले या तुम डालो … वीर्य तो मुझे अन्दर लेना ही पड़ेगा. आजकल तो दोस्तों में वाईफ स्वैपिंग का चलन भी है. गोविंद और तुम जिगरी दोस्त हो, हर चीज शेयर करते हो तो क्या अपनी पत्नियों को शेयर नहीं कर सकते हो.
राजेश ने गोविन्द से पूछा- गोविन्द, क्या कहते हो? वो बिंदु की तरफ देख रहा था.
बिंदु बोली- राजेश मुझे कोई आपत्ति नहीं है, तुम अरिश्का को चोदकर प्रेगनेन्ट कर दो. पर गोविंद से तो पूछो, क्या वो अरिश्का को ऐसे मां बनने देगा.
तभी गोविंद बोला- राजेश तुम अरिश्का को चोदकर मां बना दो. राजेश ने बिंदु से बोला- यार बिंदु क्या तुम गोविंद से चुदवा सकती हो?
बिंदु बोली- राजेश मुझे कोई आपत्ति नहीं है … तुम को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. लेकिन ये सब ऐसे नहीं, हम लोग पहले शादी करेंगे … फिर एक दूसरे के बनेंगे.
अगले दिन राजेश और गोविन्द ने हम दोनों के लिए दुल्हन का लिबास लिया और हमें ब्यूटी पार्लर में सजने संवरने के लिए छोड़ गए. वो दोनों मन्दिर में पण्डित जी से बात करने चले गए.
हम दोनों ने चुत, हाथ, पैर सब जगह की वैक्सिंग करवाई और हम दोनों नई नवेली दुल्हनें बन गईं.
उधर राजेश ओर गोविन्द भी दूल्हा बनकर तैयार थे. हम चारों तैयार होकर मन्दिर पहुंच गए. वहां पण्डित जी ने विवाह की रस्म शुरू की.
पहले लड़कियों को लड़कों को वरमाला पहनानी थी. अब पता नहीं क्यों, मुझे बहुत शर्म आ रही थी. खैर शर्माते हुए ही मैंने राजेश को और बिंदु ने गोविन्द को वर माला पहना दी. फिर राजेश ने मुझे … और गोविन्द ने बिंदु को वरमाला पहना दी.
कुछ देर बाद हमने विधिवत फेरे ले लिए. विवाह के बाद गरीब लोगों को हमने खाना खिलाया और घर आ गए.
घर में प्रवेश कराने के लिए पण्डित जी ने रस्म करवायी. हमने पण्डित जी का आशीर्वाद लिया ओर उनको अच्छी दक्षिणा देकर विदा कर दिया.
अब हमारे दूल्हे यानि मुझे राजेश ओर बिंदु को गोविन्द हाथ पकड़ कर बेडरूम में ले जाने लगे.
मैं गोविन्द को देख रही थी. गोविन्द ने कहा- अरिश्का अपने दूल्हे को देख … मुझे नहीं. मैं मुस्कुराते हुए कहा- गोविन्द, तुम बिंदु को ज्यादा तंग मत करना. बिंदु मुस्कुरा रही थी.
राजेश ने मुझे गोद में उठा लिया और बेडरूम में ले आया. बेडरूम भी दुल्हन की तरह सजा कर रखा था. राजेश ने मुझे गोद से बेड पर उतारा और मुझे चूमने लगा.
मैं मादक सिसकारियां लेने लगी- अआह आह!
थोड़ी ही देर में राजेश ने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया था. राजेश मेरे मम्मों को दबाने लगा और चूसने लगा. आज मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे पहली बार ही किसी मर्द से चुदाई करा रही थी. सेक्स की मदभरी आवाजों से कमरा गूंजने लगा.
धीरे-धीरे मैंने राजेश को भी नंगा कर दिया.
राजेश का लंड सच में बिल्कुल घोड़े जैसा था. गोविन्द का लंड मोटा तो राजेश जैसा ही है, किन्तु लंड टेढ़ा होने से चूत में लंड थोड़ा कम जाता है. थोड़ा बाहर ही रखना पड़ता है, क्योंकि चुदने वाली की चुत में दर्द होने लग जाता है.
गोविन्द का लंड अन्दर जाने के बाद जैसे जैसे चुदाई करते हैं, वैसा है. मतलब आगे से कुत्तों के लंड की तरह फूल जाता है.
राजेश ने मेरी चूत को पीना शुरू किया तो मेरी आवाजें और तेज हो गईं ‘ओओ … ऊह ऊम्म ..’
मैंने भी राजेश का लंड मुँह में ले लिया और उसे फैंटते हुए लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. राजेश भी सिसकारियां लेने लगा. इस दौरान मैं एक बार झड़ चुकी थी.
कुछ ही देर में राजेश भी बोला- अरिश्का यार, अब रहने दे … मेरा होने वाला है. एक महीने से मैंने वीर्य नहीं निकाला है. अब मुझे चुदाई करने दे … मुझे बेटा चाहिये. मैंने राजेश का लंड मुँह से निकाल लिया और बोली- यार, आज तक मेरी चूत ने वीर्य नहीं चखा है. आज चूत को इतना वीर्य पिलाओ कि मुझे बेटा पैदा हो जाए.
अब तक मेरी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी.
राजेश का लंड काले नाग की तरह फनफनाने लगा था. आज सही मायनों में मेरी सुहागरात थी क्योंकि गोविन्द ने आज तक कंडोम लगाकर मेरी चुदाई की थी. आज राजेश का अंग मेरे अंग से मिलने वाला था.
कुछ देर राजेश ने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा और मुझे चूमने लगा. मेरे होंठों पर राजेश ने अपना मुँह रखा, दोनों हाथों की उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसा दीं और मुझे प्यार करते हुए मेरी चूत अपना लंड डाल दिया.
मैं दर्द से बचने के लिए छटपटाने लगी थी. लेकिन राजेश ने मुझे इतनी जोर से जकड़ लिया था कि मैं छुड़ा ही नहीं पा रही थी. थोड़ी ही देर में मेरा दर्द कम हुआ और मुझे मजा आने लगा.
अब दर्द मीठा मीठा होने लगा था. कुछ ही देर में मैं राजेश का साथ देने लगी.
गांड उछाल उछाल कर मैं चुदवाने लगी. राजेश मेरे बूब्स को दबाने मसलने लगा.
मैं ‘आआह … ऑऑ मां मर गई आह ..’ करने लगी.
इस तरह से मैं करीब आधा घंटा तक चुदवाती रही. उधर गोविन्द और बिंदु की कामुक आवाजों से पूरा फ्लैट गूंज उठा था.
इधर अचानक राजेश ने रफ़्तार पकड़ ली. मैं समझ गई कि अब राजेश झड़ने वाला है. मैं राजेश का साथ देती हुई उससे लग गई और मैंने राजेश को जकड़ लिया. मैंने राजेश के लंड को मेरी चूत में गहराई तक ले लिया.
तभी राजेश की पिचकारी चूत में इतनी तेजी छूटी कि जैसे किसी मशीन ने प्रेशर से चूत में धार छोड़ी हो.
करीब एक मिनट तक रुक रुक कर राजेश के लंड से निकलती पिचकारियां गर्म गर्म वीर्य छोड़ रही थीं. मुझे आज ही लगा कि आज मैं पूरी औरत बन गई थी.
इस तरह उस रात राजेश ने मुझे बार बार चोदा और हर बार मेरी चूत में लंड की पिचकारी से गर्म गर्म वीर्य छोड़ा. मेरी चूत भी राजेश का सारा वीर्य चट कर गई थी.
अगले दिन मैं करीब दिन में ग्यारह बजे उठी, तब तक कोई नहीं उठा था.
मैं उठ कर चाय बनाकर गोविन्द और बिंदु को देने उनके बेडरूम में गई, तो दोनों नंगे पड़े थे. गोविन्द ने बिंदु के बूब्स ओर जांघों पर गले पर शरीर पर जगह जगह काट कर निशान कर रखे थे. बिंदु ने भी गोविन्द को जगह जगह से काट लिया था.
यानि गोविन्द ओर बिंदु ने भी जमकर चुदाई के मजे लिए थे.
मैंने दोनों को जगाकर चाय दी, तो दोनों नंगे होने से शर्माने लगे.
मैंने बिंदु को छेडते हुए पूछा- कैसी रही सुहागरात?
बिंदु ने शर्माते हुए मेरे गले लग कर मुझे थैंक्स कहा. गोविन्द ने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और मुझे बिंदु के सामने ही प्यार करते हुए मेरे बूब्स दबाने लगा.
मैंने गोविन्द से कहा- यार, मैं राजेश की पत्नी हूँ, मुझे छोड़ो.
इस तरह से मैं हंसते हुए गोविन्द से छूट कर उन दोनों को बाय बाय करते हुए कमरे से निकल गई.
कुछ दिन बाद राजेश मुझे अपने साथ लन्दन ले गया. राजेश मुझे रोज चोदता रहा और मैं रोज चूत में पिचकारी छुड़वाती रही.
एक महीने बाद राजेश मुझे डाक्टर के पास लेकर गया. डॉक्टर ने प्रेगनेन्सी टेस्ट किया तो मैं प्रेगनेन्ट हो गई थी.
भगवान की भी अजीब माया है, उधर बिंदु भी गोविन्द से प्रेगनेन्ट हो गई थी.
गोविन्द बिंदु को चेकअप के लिए डाक्टर के पास लेकर गया. डॉक्टर ने पुरानी रिपोर्ट्स को देखा ओर नई रिपोर्ट को देख कर कहा कि यह भगवान का ही चमत्कार है, क्योंकि अंडाणु और शुक्राणु का मिलन हो ही नहीं सकता था. यह कैसे संभव हुआ … भगवान जाने. बिंदु केवल उस स्थिति में प्रेगनेन्ट हो सकती थी कि कोई टेढ़े लंड वाला मर्द बिंदु की चुदाई करे.
गोविन्द को राजेश समझ कर डाक्टर बोला- हो सकता है राजेश कि बिंदु को किसी और ने यानि किसी टेढ़े लंड वाले मर्द ने चोदा हो.
गोविन्द ने डाक्टर को सारी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा- डाक्टर मैं राजेश नहीं हूँ. मैं गोविन्द हूँ और बिंदु ने अब मुझसे शादी कर ली है. मेरा लंड टेढ़ा है, तभी बिंदु प्रेगनेन्ट हुई है. डाक्टर ने हैरानी से देखा.
तभी बिंदु ने आगे बढ़ कर बोला- हम दोनों हमारे दूसरे पतियों से प्रेगनेन्ट हो चुकी हैं.
फिर उधर से हम सब घर आ गए.
राजेश ने अपने माता-पिता को कहा- आप लोग दादा दादी बनने वाले हैं. यह खबर सुनकर वो लोग बहुत खुश हुए.
इधर गोविन्द के माता-पिता भी अपनी बहु के प्रेगनेन्ट होने से खुश थे.
मेरे पेट में राजेश का बच्चा था और बिंदु के पेट में गोविन्द का बच्चा था. मैं और बिंदु दोनों ही खुश थे.
हंसी ख़ुशी कब नौ महीने बीत गए, पता ही नहीं चला. नौ महीने होते ही मुझे दो लड़के पैदा हुए और बिंदु ने एक लड़की ओर एक लड़के को जन्म दिया.
उधर बच्चों के दादा दादी अपने पोते पोतियों को देखने के लिए आतुर थे. इसलिए मुझे और राजेश को लन्दन से तुरंत आना पड़ा.
राजेश के माता-पिता और गोविन्द के माता-पिता बैंगलोर आने वाले थे. दो दिन बाद ही गोविन्द और राजेश के माता-पिता बंगलोर पहुंच गए थे.
राजेश के माता-पिता बिंदु के बच्चों से प्यार कर रहे थे, जो कि राजेश के ना होकर गोविन्द के थे. मेरे बच्चों को गोविन्द के माता-पिता प्यार कर रहे थे. राजेश और बिंदु अपने माता-पिता के साथ अम्बाला चले गए. मैं गोविन्द के माता-पिता के साथ दिल्ली आ गई थी.
चार वर्ष पहले गोविन्द के माता-पिता चल बसे थे. राजेश के माता-पिता भी कुछ महीने पहले ही स्वर्गवासी हो गए थे.
आज ग्यारह वर्षों बाद बच्चे अपने अपने पिता से मिलने वाले थे. राजेश और बिंदु भी हमेशा के लिए दिल्ली आने वाले थे. आज मैं अपने बच्चों के पिता से मिलने के लिए तड़प रही थी.
राजेश ने मुझे आते ही अपनी बांहों में भर लिया. बिंदु गोविन्द से जा लिपटी. इन ग्यारह वर्षो में बिंदु ओर मैं कैसे तड़पती रही थीं ये साफ़ दिख रहा था.
अब मैं रोज राजेश के साथ चुदवाती हूँ और बिंदु गोविन्द से चुदाई करवाती है. महीने में एक दिन मैं राजेश ओर गोविन्द से एक साथ चुदवाती हूँ. बिंदु भी गोविन्द से और राजेश दोनों से खूब चुदवाती है.
दोस्तो, आज मैंने अपने वास्तविक जीवन की कहानी को एक वाइफ एक्सचेंज सेक्स कहानी में लिख कर कही है. आजकल भारत में हमारे जैसे लोग बहुत हैं … लेकिन बहुत कम लोग अपनी फीलिंग बता पाते हैं. मैंने भी मेरी जीवन की यह बात आप लोगों को बताई है. आप लोग मेरी इस सेक्स कहानी पर मेल जरूर करें. [email protected]
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