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हाय.. मेरा नाम विनोद है.. पर मैं अपनी नेट फ्रेन्ड्स और हॉट गर्ल्स से फ़ोन सेक्स, सेक्स चैट करता हूँ। वो अपनी चुदाई की स्टोरी मुझे ब्रीफ में बताती हैं.. फिर मैं उस चुदाई पर एक स्टोरी लिखता हूँ। मेरी सारी हिन्दी सेक्स स्टोरीज सच हैं.. आप इसे मानें या ना मानें.. आप की मर्जी!
आप सभी से अपील है कि कहानी पढ़ने तक कितनी बार चूत या लंड झड़ा जो लोग मुझको या इस स्टोरी की चुदक्कड़ हीरोइन को बताएंगे.. उन सब को मेरे द्वारा लिखा हुआ ‘सत्य चुदाई कथा संग्रह’ मेल किया ज़ाएगा।
मेरी अभी एक नई नेट फ़्रेंड बनी है उसका नाम मीनल है, यह हिन्दी सेक्स कहानी मीनल के सेक्सी शब्दों में ही प्रस्तुत है।
हाय.. मैं मीनल दिल्ली से हूँ। मैं एक आईटी क्वालिफाइड इंजीनियर हूँ, गुड़गाँव में एक बड़ी कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ। मेरी उम्र 24 साल की है। मेरा रंग गोरा.. बदन लंबा.. और फिगर 34-28-36 का है। मेरी टिट्स नुकीली हैं। जब मैं चलती हूँ.. तो मेरे लंबे बाल मेरे चूतड़ों पर एक सांप की तरह लहराते हैं तो ऐसा लगता है कि एक काला नाग मेरी गरम गांड में घुस जाना चाहता हो। झील की गहराई की तरह मदहोश आँखें हैं। मेरे बदन में सेक्स अपील बहुत ज़्यादा है। मेरा नाम कुछ भी हो.. पर मेरे कॉलेज टाइम से ही मज़नूँ टाइप के छोकरों ने मेरा नाम ‘चुदक्कड़ माल’ रखा हुआ था।
मेरा नेटिव प्लेस आगरा है, जहाँ पापा बिजनेस करते हैं। मेरा एक बड़ा भाई है.. निशान्त.. वो दिल्ली में पिछले 7 सालों से रह रहा है। पांच साल पहले मैं भी स्टडी करने दिल्ली आ गई और भैया के साथ जनकपुरी, दिल्ली में रहने लगी।
मैं बहुत कामुक स्वाभाव की हूँ। मेरी पहली चुदाई मेरे एक बहुत नज़दीकी रिश्तेदार ने आज़ से 4 साल पहले की थी। पिछले 4 सालों में मैं सैकड़ों बार डिफरेंट वेराइटी के 12 लंडों से चुद चुकी हूँ। उसमें इन्सेस्ट चुदाई(परिवार में चूत चुदाई), फ्रेंड्स द्वारा चुदाई, फ्रेंड्स के फ्रेंड्स द्वारा चुदाई तक हुई है। बहुत तरह के लंड.. जिनका साइज़ 6 से 9 इंच लंबा और 2-3 इंच मोटा तक रहा है.. उनको मैं अपने ‘लव होल’ में कम से कम 500 से 600 बार ले चुकी हूँ। मैंने काले लंड.. एकदम गोरे चिट्टे लंड.. सीधे लंड और केलेनुमा लंडों की काफी वैराइटीज अपनी चूत में ली हुई है।
मैं विनोद जी की अपील को ठुकरा नहीं सकती थी.. इसलिए मैं पूरी नंगी बैठकर स्टोरी लिख रही हूँ। मेरे दो उंगलियां चूत में हैं। मैं स्टोरी की अंत में बताऊँगी कि स्टोरी लिखते हुए मैंने कितनी बार ‘फिंगर-फक’ किया है। आप भी शरमाए नहीं.. सच-सच खुल कर लिखना कि स्टोरी पढ़ते हुए कितनी बार आपका लंड या चूत झड़ी थी या था।
यह बात.. शनिवार 21 अप्रैल 2012 की है। मैं मम्मी पापा से मिलने आगरा गई हुई थी। हमारा घर पुराना दो मंजिला बना हुआ है, मम्मी पापा का कमरा नीचे ग्राउंड फ्लोर पर है और मेरा कमरा ऊपर फर्स्ट फ्लोर पर है। घर में कोई 8 फीट की उँचाई पर पुराने डिज़ाइन के रोशनदान बने हुए हैं।
मैंने अपने मॉम-डैड की चूत चुदाई आज़ से लगभग 3 साल पहले अनायास ही देख ली थी। उस वक्त मेरे पापा.. मम्मी को बड़े ही ‘हाहाकारी’ अंदाज में चोद रहे थे.. जैसे कि एक घोड़ा घोड़ी को चोद रहा हो।
तब मैं नई नई चुदक्कड़ लौंडिया थी.. इसलिए शर्म के मारे ज्यादा देर तक उनकी चुदाई नहीं देख पाई थी।
आज़ फिर मेरे मन में उनकी चुदाई देखने की लालसा थी, मैंने 10 बजे खाना खाकर मम्मी और पापा को ‘गुड नाइट’ बोला और ऊपर अपने रूम में चली गई। थोड़ी देर में ग्राउंड फ्लोर की सारी लाइट्स बुझ गईं.. तो मुझे लगा कि अब मम्मी पापा का चुदाई का कार्यक्रम शुरू होने वाला है।
मैं बिस्तर पर लेटे हुए सोच रही थी कि आज़ फिर उनकी चुदाई देखना चाहिए। मैं उठ कर फर्स्ट फ्लोर की खुली छत पर टहलने लगी।
थोड़ी देर में मुझे उनके रूम में से कुछ धीमी आवाजें सुनाई देने लगीं तो मैं दबे पाँव सीढ़ियों में आ गई और ग्राउंड फ्लोर के रोशनदान जो कि सीढ़ियों के बिल्कुल पास बना है.. उसमें से अन्दर झाँकने लगी। मैंने देखा कि मम्मी नंगधड़ंग नीचे थीं और पापा उनके ऊपर चढ़ कर धक्का लगा रहे थे।
पापा का गधे के समान लंबा और मोटा काला लौड़ा मम्मी की चूत के अन्दर-बाहर आ-ज़ा रहा था। पापा पूरे जोश से एक नौजवान से भी बढ़कर बहुत तेज़ी से लंड को मम्मी की चूत में एक पिस्टन की तरह अन्दर-बाहर कर रहे थे।
मैं पिछले 4 सालों में लगभग 600 बार चुद चुकी हूँ.. पर ऐसी घनघोर चुदाई नहीं देखी थी।
मेरी उंगलियाँ ना ज़ाने कब मेरे गाउन के अन्दर मेरी चूत तक पहुँच गई थीं और दो उंगलियां तो अब मेरी चूत में अन्दर-बाहर चल रही थीं।
उधर मम्मी चिल्ला रही थीं- पारस, तुम्हें कितनी बार कहा है कि आराम से चुदाई किया करो.. पर तुम उल्टा और ज्यादा तेज़ी से चुदाई शुरू कर देते हो, मुझे बिल्कुल एक कुतिया की तरह चोद देते हो।
यह सुनते ही पापा का जोश दुगुना हो गया और बोले- ले कुतिया ले.. अब कुत्ते का लम्बा लंड संभाल.. अब वे दुगनी गति से लंड को मम्मी की चूत में अन्दर-बाहर करने लगे।
मम्मी को देख कर लग रहा था कि जैसे उन्हें चुदाई में कोई इंटेरस्ट नहीं था। वो तो बुझे मन से कभी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कभी ‘ऊहह..’ कभी ‘हाय.. मार डाला..’ आदि बोल रही थीं।
मेरी चूत में अब 3 उंगलियां अन्दर-बाहर हो रही थीं। मैं सोच रही थी कि काश मैं मम्मी की जगह चुद रही होती.. तो कितने मजे से चुदवाती। शायद मम्मी पिछले 28 साल से पापा से चुद कर अब ऊब चुकी थीं और सिर्फ़ पत्नी धर्म निभाने के लिए चुदवा रही थीं।
उधर पापा ने अपनी गति और तेज कर दी थीं आवाजें इतनी कि मुझे सीढ़ियों से पापा का लंड और टट्टों के मम्मी की चूत पर टकराती हुई आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी ‘ठप.. ठप्प.. ठाप्प.. छप.. छड़ाप्प..’
इस तरह की आवाज़ मुझे पागल सा किए दे रही थी। अब मेरी चार उंगलियां मेरी चूत में अन्दर-बाहर हो रही थीं। मेरे मुँह से भी दबी आवाज में ‘अया.. ऊओ.. ऊओंम्म्मह..’ की आवाजें आ रही थीं।
मुझे लग रहा था कि अब मेरी चूत का लावा निकलने वाला है। मैं अपने मुँह से निकलती हुई आवाजों को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी, इसलिए मैं सीढ़ियों को छोड़कर दबे पांव छत पर आ गई।
अब मैंने चूत में पूरा हाथ डाल लिया और बहुत तेज़ी से घर्षण करते हुए बहुत ज़ोर की सीत्कार कर रही थी। लगभग 5 मिनट की पूरे हाथ की चुदाई के बाद मैं चीख मार कर झड़ गई।
मेरी चूत से बहुत ज्यादा रस निकला होगा, शायद यह मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा स्खलन था। मैं अपने पूरे हाथ को चूत में डालती.. फिर बाहर निकालती और पूरे हाथ को अपने मुँह में दिए जा रही थी। इस तरह मैंने वो चूत का मेरा नमकीन रस पूरा चाट लिया।
मैं अब अपने आपको बहुत हल्का महसूस कर रही थी.. पर नीचे के कमरे से आती चुदाई की आवाजों ने फिर मुझे सीढ़ियों के पास वाले रोशनदान के पास ला खड़ा किया। मेरे मन में कोई भी डर या संकोच नहीं था कि मैं अपने मॉम डैड की चुदाई का मजा ले रही हूँ।
तभी मुझे पापा की आवाज़ सुनाई दी ‘सोनल रानी.. अब कुतिया बन ज़ाओ.. मैं अब पीछे से अपना लोहे जैसा कड़क लंबा लंड तेरी चूत में पेलूँगा।’
सोनल रानी का ज़वाब तो बिल्कुल निराशाजनक था ‘मैं दो बार झड़ चुकी हूँ.. अब ज़ल्दी मेरी इस चूत में मुझे चोद कर झड़ जाओ। अब मुझसे तुम्हारा ये मूसल सहन नहीं होता।’
फिर मम्मी किसी रोबोट की तरह बिस्तर से उठीं और बिस्तर के साइड में अपने हाथों से पकड़ कर घोड़ी बन गईं। मुझे उनकी चूत से निकलता हुआ रस उनकी जाँघों पर बहता हुआ दिखाई दिया। पापा का लंड मम्मी की चूत के रस से बिल्कुल तर था। पापा का लंड एक काला मूसल जैसा लग रहा था। पापा ने अपने हाथों से मम्मी की जाँघों का रस समेट लिया और फटाफ़ट उस रस को अपने मुँह के हवाले किया और चटखारे लेकर चाट गए।
फिर बोले- ले कुतिया की औलाद.. मेरे इस खम्बे जैसे लंड को संभाल। उन्होंने इतना कह कर अपना लंड ‘फच्च..’ की आवाज़ के साथ मम्मी की चूत में घुसेड़ दिया।
मम्मी ने ज़ोर की कराह के साथ उस डंडे जैसे काले हलब्बी लंड को अपने ‘लव होल’ यानि चूत में ले लिया। अब पापा फिर से अपने गधे जैसे लंड को बहुत तेज़ी सी मम्मी की चूत में अन्दर-बाहर करने लगे। साथ ही साथ थोड़ी देर बाद पापा ने मम्मी की 44 इंच मोटे चूतड़ों पर ज़ोर के थप्पड़ मारते हुए बोले- आह.. अब बता मेरी जान.. अब क्या हाल है मेरी सोनल रानी का?
मम्मी कोई जवाब नहीं दे रही थीं.. पर वो किसी पत्थर की मूरत की तरह चुद रही थीं। मुझे मम्मी का इस तरह का व्यवहार बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था। मुझे तो बाद में पता चला कि मम्मी की अब सेक्स और चुदाई में कोई रूचि नहीं है, वो तो अब धार्मिक जीवन जीना चाहती हैं। जबकि पापा को इन सब बातों से बहुत चिढ़ थी, वो जिंदगी को घनघोर सेक्स करके ही आगे जीना चाहते थे।
मेरी चूत फिर से गीली होने लगी। मेरा दिल कर रहा था कि मम्मी की जगह मैं जाकर कुतिया बन ज़ाऊँ और पापा के लंड से घनघोर चुदाई करवाऊँ। मेरे मन में पता नहीं कहाँ से ख्याल आया और मैं तुरंत सीढ़ियों के गोल पाइप की बनी हुए काली रेलिंग पर पर बैठ गई और उस रेलिंग को पापा का लंड समझ कर उस पर अपनी चूत और गांड रगड़ने लगी। मेरी चूत के रस ने उस रेलिंग को ऐसे चमका दिया जैसे उस पर नया पेंट हुआ हो।
उधर पापा लगातार मम्मी की चूत में तेजी से धक्के मार रहे थे। उनका लंड ‘ठप्प.. ठाप्प्प.. तडापप्प.. सड़ाप्प्प..’ की आवाजें निकालता हुआ मम्मी की चूत में अन्दर-बाहर आ-ज़ा रहा था। बीच-बीच में पापा बड़ी बेरहमी से मम्मी के 40 साइज़ के दोनों खरबूजों को भी दबा देते थे और मम्मी सिर्फ़ गुस्से से पापा को देखकर रह ज़ाती थीं। वो हर आवाज़ के साथ में और ज्यादा गरम हो रही थीं।
मेरी बुर का रस रेलिंग के पाइप को गीला करता हुआ नीचे भी गिर रहा था। मैं हैरान थी कि पापा के अन्दर वो कौन सी ताक़त है.. जो अब तक लगभग 35 मिनट की घमासान चुदाई के बावजूद नहीं झड़े थे। मैं अब तक सैकड़ों बार चुद चुकी हूँ.. पर मैंने इतना ताकतवर लंड इस उम्र वाले व्यक्ति में नहीं देखा था।
मुझे बाद में पता लगा कि पापा योगा करके अपनी सेक्स पावर को मेंटेन रखते हैं।
मेरी माँ नीचे पापा के लोहे जैसे लंड से चुद रही थीं और ऊपर उनकी बेटी लोहे के काले पाइप को लंड बनाकर चुद रही थी। मैं अपनी चूत और गांड को बहुत तेज़ी से पाइपनुमा लंड पर बहुत तेजी से रगड़ रही थी। मेरे मुँह से अब सीत्कारों की आवाजें आने लगी थीं। इसलिए मैंने तुरंत अपने गाउन को उतारा और अपने मुँह पर बाँध लिया ताकि मेरे कामुक चीख मम्मी या पापा ना सुन सकें। फिर अगले 4-5 मिनट में मैं एक ज़ोर की चीख मारकर पाइप के ऊपर ही झड़ गई।
मेरा ये डिसचार्ज पिछले डिसचार्ज से भी बहुत अधिक था। मेरी चूत कोई 3-4 मिनट तक फव्वारे की तरह पानी छोड़ती रही। सच में इतना पानी निकला था कि सारा पाइप तो गीला हो ही गया था.. कुछ पानी पाइप से नीचे भी टपक गया था। मैं उस माल को फटाफ़ट चाट गई।
इस बीच मैं शायद अपनी चूत को झड़ते हुए महसूस करने में इतनी मगन थी कि मुझे पता ही नहीं लगा कि कब पापा-मम्मी ने चुदाई का पोज़ बदल लिया था। अब पापा बिस्तर पर सीधे लेटे हुए थे और मम्मी पापा के ऊपर चढ़ी हुई थीं। पापा नीचे से अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल कर उनकी चूत को फाड़ने की कोशिश कर रहे थे।
मम्मी तो एक रोबोट की तरह बस उनके ऊपर चढ़ी हुई आहें और कराहें भर रही थीं।
पापा का मुस्टंड लंड उनकी चूत में सटासट अन्दर-बाहर हो रहा था। मैं पिछले कई मिनट में दो बार झड़ चुकी थी। मेरी टांगों में अब खड़े रहने की शक्ति नहीं बची थी। मैं वहीं सीढ़ियों पर यूं ही नंगधड़ंग बैठ गई और अन्दर कमरे में चल रही उस घनघोर चुदाई को देखती रही।
मम्मी बोलीं- अब निकालो भी अपने लंड से रबड़ी.. मैं तो अब तीसरी बार झड़ रही हूँ।
तभी मम्मी के जिस्म में जैसे किसी ने बिजली का करेंट लगा दिया हो। उनके जिस्म में ऐंठन सी हुई और वो चीख मारकर झड़ गईं। मैं सोच रही थी कि काश मुझे ऐसा लंड मिल ज़ाए तो मैं अपने आपको बहुत भाग्यवती समझूँगी।
शायद पापा को अब मम्मी पर तरस आ गया था। वे बोले- सोनल रानी.. तेरी 3 पोज़ में चुदाई के बावजूद मेरा मन नहीं भरा.. पर मैं अब झड़ जाता हूँ।
इतना कह कर पापा ने मम्मी की चूत में जबरदस्त दस-बारह धक्के मारे और जल्दी से उनको अलग कर दिया। अगले ही पल उनके काले मोटे लौड़े से बहुत तेजी से सफेद रबड़ी निकल कर मम्मी के मुँह मम्मों और पेट पर गिरने लगी।
मैं हैरानी से देख रही थी कि पापा के लौड़े से देर तक बहुत तेजी से सफेद वीर्य की धार निकलती रही। मम्मी पास पड़े हुए गाउन को उठाने के लिए बढ़ ही रही थीं कि पापा ने उन्हें अपने पास खींच लिया और अपने दोनों हाथों से उस रबड़ी को उठा कर मम्मी मुँह के हवाले कर रहे थे।
मैंने ऐसा दृश्य ना आज़ तक देखा था और ना ही कभी आगे देखने की उम्मीद थी।
अब चूत चुदाई खत्म हो चुकी थी, मम्मी अपने जिस्म को साफ करने के लिए टॉयलेट में चली गई थीं, पापा नंग धड़ंग बिस्तर पर लेटे हुए घनघोर चुदाई के बाद आराम कर रहे थे।
मैंने भी वहां से खिसकने में भलाई समझी और दबे पाँव अपने कमरे में आ गई। मैं बहुत देर तक ऐसे कोई तरकीब सोचती रही.. जिससे पापा का लंड मेरी चूत को शांत कर सके।
मैं बहुत थक गई थी.. इसलिए ज़ल्दी ही नंगधड़ंग हालत में ही सो गई।
तो दोस्तो, यह थी मेरी रसीली कहानी। स्टोरी की शुरूआत में मैंने लिखा था कि मैं चूत में दो उंगलियां डाल कर स्टोरी लिख रही हूँ और मुझे ये बताते हुए बिल्कुल भी शरम नहीं है कि मैं स्टोरी लिखते हुए 3 बार अपनी टपकती हुई चूत को झाड़ चुकी हूँ।
डियर फ्रेंड्स मुझे आपके मस्त कमेंट्स का इन्तजार है। प्लीज़ आप सब अपने कमेंट्स नीचे लिखिये और लेखक की मेल पर भेजिए। [email protected]
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