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होटल आकर हम ससुर बहू ने जल्दी-जल्दी कुछ खाया और कमरे में पहुंच गये। मैं निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी।
ससुर जी ने मुझे मोहिनी की कुंवारी गांड का उदघाटन करने देने के लिये शुक्रिया किया।
बस मुझे नींद आ रही थी, हमारे पास कम से कम 6-7 घंटे का समय गाड़ी पकड़ने के लिये था, मैं फ्रेश हो जाना चाह रही थी। मेरे ससुर जी मेरी बगल में लेटे हुए थे, मैं उनसे चिपक कर लेट गई।
करीब चार घंटे के बाद हम दोनों की नींद खुली, मैं अपने आपको तरोताजा महसूस कर रही थी। मेरी ओर देखते हुए ससुर जी बोले- क्या तुम मेरी मालिश कर दोगी?
अभी भी हमारे पास दो-तीन घंटे थे, मैं चाहती थी कि घर पहुँचने तक 14-15 घंटे जो मेरे पास थे मैं ससुर जी को और देना चाहती थी। क्योंकि मुझे पता नहीं था कि घर पहुँचने के बाद मैं उनके करीब रह पाऊँगी या नहीं। इसलिये घर पहुँचने से पहले ससुर जी मेरे साथ जो करना चाहें या मुझसे जो करवाना चाहें, मैं तैयार थी।
मैं उठी, ससुर जी के कपड़े उतारने लगी और उनको नंगा कर दिया, उसके बाद मैं भी अपने कपड़े उतार कर नंगी हो गई। ससुर जी पेट के बल लेट गये और मैंने मालिश की शुरूआत उनके पीठ से करनी शुरू की।
धीरे-धीरे मालिश करते हुए मैं उनके नीचे के हिस्से पर पहुंच गई, मालिश करते हुए मेरी उंगली उनके गांड के अन्दर जाने लगी। ससुर जी भी अपनी सांसो को तेज करने लगे। बड़ी टाईट गांड थी उनकी, लेकिन तेल लगाने से उनकी गांड ने मेरी उंगली को जाने का रास्ता देना शुरू कर दिया था और थोड़े प्रयास से मेरी पूरी उंगली उनकी गांड के अन्दर जाने लगी।
थोड़ी देर तक उंगली करने के बाद ससुर जी सीधे हुए, मैं उंगली को सूंघते हुए उसे अपने मुंह से भर ली और फिर ससुर जी के सीने पर चढ़ गई और वही उंगली को उनके मुंह में घुसा दी। ससुर जी ने भी बड़े प्यार से मेरी उंगली को चाटा।
फिर मैंने उनकी छाती वगैरह की मालिश की, उनके निप्पल और लंड पर तो मेरा हाथ खासा मेहरबान था। मालिश करने के बाद एक बार फिर मैं ससुर जी की छाती पर चढ़ कर बैठ गई और उनके हाथों को पकड़कर अपने मम्मे के ऊपर रख दिया।
ससुर जी के हाथों ने अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर अपने मम्मों को दबवाने के बाद मैंने अपनी चूत को उनके मुंह से सटा दिया। मेरा पानी निकलने वाला था इसलिये चूत को उनके मुंह से सटा दिया ताकि मेरे निकलते हुए पानी का मजा मेरे ससुर जी लें।
जैसे ही उनकी जीभ ने मेरी पुतिया को टच किया, मेरी चूत ने धैर्य छोड़ दिया और बहने लगी। ससुर जी ने भी बड़े इत्मीनान के साथ मेरे से निकलते हुए रस को चाट-चाट कर साफ किया। उनके थूक से मेरी चूत काफी गीली हो चुकी थी और चुनचुनाहट भी हो रही थी।
मैं वापस लंड की तरफ आई, उनके तने हुए लंड को हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के मुंह से सेट करके हल्के से जोर के साथ लंड को अपने अन्दर ले लिया।
मैं ससुर जी के ऊपर उछल रही थी और ससुर जी मेरे साथ मेरी उछलती हुई चूची को पकड़ पकड़ कर दबाते जा रहे थे। मेरी स्पीड और बढ़ गई। इधर ससुर जी भी अपने लंड को मेरे अन्दर पूरा घुसेड़ने के लिये जोर लगा रहे थे। सिसकारते हुए ससुर जी बोले- मेरी बहू रानी, मेरा पानी भी छूटने वाला है, अपने अन्दर लोगी या फिर मुंह से इसका मजा लोगी?
उनकी बात सुनकर मैं उनके ऊपर से हट गई क्योंकि एक बार फिर मेरा पानी निकलने वाला था। मैं तुरन्त ही 69 की अवस्था में आ गई, मैंने उनके लंड को मुंह में ले लिया और ससुर जी मेरी चूत को अपनी जीभ से चाट रहे थे।
इधर उनका पानी मेरे मुंह के अन्दर गिर रहा था और उधर मेरा पानी भी उनकी जीभ को टच कर रहा था। दस मिनट के बाद हम दोनों अलग हुये और जब हमारी घड़ी पर नजर गई तो दोनों जल्दी जल्दी उठे और नंगी हालत में ही अपने कपड़े समेट कर अटैची को लॉक किया और फिर सुबह पहने हुए कपड़े पहन लिये।
मैंने भी सुबह की पहनी हुई साड़ी पहनी ही थी कि ससुर जी ने मेरी तरफ डोरीनुमा पैन्टी और ब्रा उछाल दी। पैन्टी तो मैंने साड़ी को ऊपर करके ही पहन लिया था, पर ब्रा के लिये मुझे एक बार फिर अपने ब्लाउज को उतारना पड़ा।
खैर फिर हम दोनों तैयार होकर नीचे आये, मैं होटल से बाहर आ गई थी और ससुर जी होटल का बिल भरने चले गये। मैं बाहर आई तो देखा कि मोहिनी और जीवन दोनों हम दोनों का इंतजार कर रहे थे।
उन दोनों को देखकर मैं उनकी तरफ बढ़ने लगी तो जीवन ने जल्दी से मेरे पास पहुंच कर मेरे से लगेज ले लिया और बोला- तुमने अपना वादा मेरे साथ पूरा किया और जब तुम कल ऑफिस पहुंचोगी तो मेरा वादा भी पूरा पाओगी। ‘सो स्वीट…’ मैं उसके गालों को नोचते हुए बोली और साथ ही कहा- अगर मेरे पास और वक्त होता तो मैं तुम्हें और मजा देती।
जीवन ने लगेज को गाड़ी के अन्दर रखा, तब तक ससुर जी भी हिसाब करके बाहर आ चुके थे, हम सभी को देखकर वो हमारी तरफ आ गए। फिर हम सभी स्टेशन की तरफ चल दिये।
रास्ते में हम सभी ने एक दूसरे के नम्बर और ऐड्रेस को एक्चेंज किया और जीवन द्वारा सुनाये गये हल्के-फुल्के नॉनवेज चुटकुले का आनन्द लिया। जब तक हमारी ट्रेन स्टेशन से रवाना न हो गई तब तक दोनों ही हमारे साथ रहे।
स्टेशन छोड़ने के कुछ ही देर बाद टी॰टी॰ई॰ हमारी केबिन में आया, हम दोनों ही अलग सीट पर बैठे हुए थे, टिकट चेक करने के बाद वो चला गया और साथ ही यह बोलना न भूला कि यदि कोई परेशानी हो तो उसे जरूर बताएँ।
उसके जाने के बाद ससुर जी ने तुरन्त ही दरवाजा बन्द किया, केबिन के अन्दर जलते हुए दो बल्ब में से एक को बन्द कर दिया और फिर मुझसे बोले- मेरी प्यारी बहू डार्लिंग, आज तुम मेरे लिये मॉडलिंग करो। कहकर उन्होंने बैग से कम से कम 5-7 ब्रा पैन्टी, पार्दर्शी स्लैक्स, उसके ऊपर पहनने के लिये पार्दर्शी टी-शर्ट, हॉफ जींस के साथ छोटी फ्रॉक निकाल ली और सब बहुत ही मंहगी और सेक्सी!
पैन्टी दिखाते हुए बोले- जाओ पेशाब वगैरह कर आओ जिससे बार बार केबिन न खोलनी पड़े। हम दोनों का सब लिहाज खत्म हो चुका था सो मैंने थोड़ा अदा दिखाते हुए कहा- चिन्ता मत कीजिए पापाजी, अब हम लोग केबिन नहीं खोलेंगे, जब पेशाब लगेगी तो हम दोनों एक दूसरे के मुंह में करके मजा लेंगे।
मेरी बात सुन कर ससुर जी बोले- तो ठीक है, आओ हम लोग खूब पानी पी लें ताकि जल्दी से पेशाब लगे और हम लोग एक दूसरे का मूत पीकर आनन्द लें।
हम दोनों ने थोड़ी थोड़ी देर में जम कर पानी पिया। पानी पीने के साथ साथ वो मुझे सभी लाये हुए कपड़े पहनने के लिये बोले। सबसे पहले उन्होंने ने मुझे मेरी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज उतारने के लिये कहा क्योंकि मुझे वो उस डोरी वाली पैन्टी और ब्रा में देखना चाह रहे थे।
मैंने तुरन्त ही अपनी साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज उतार दिया, पैन्टी की डोरी मेरे दोनों दरारो के बीच में फंसी हुई थी और ब्रा में सिर्फ दो बिन्दुनुमा ही कैप बने हुए थे जो बमुश्किल मेरे निप्पल को ढके हुए थे और बाकी डोरी मेरी पीठ से बंधी हुई थी, जो होटल में मेरे ससुर ने बांधी थी।
मैं अपने कपड़े उतार कर ससुर जी के पास सट कर खड़ी हो गई, वो मेरी चूत और गांड पर अपने हाथ फिराने लगे, मेरे कूल्हे को दबाते हुए बोले- इसमें तुम बहुत सेक्सी लग रही हो।
फिर उन्होंने अपनी उंगली को डोरी को ऊपर फंसाया और उस उंगली को मेरी बुर पर चलाने लगे, अपनी उंगली चलाते हुए बोले- वास्तव में तुमने जो मुझे सुख दिया है, मैं बता नहीं सकता।
अब वो मुझे एक-एक करके पहनने के लिये कपड़े देते और फिर मेरे जिस्म से बड़ी ही मदकता के साथ खेलते। जो फ्रॉक उन्होंने मुझे पहनने के लिये दी, वो मेरी कमर से थोड़ी ही नीचे थी, उसको पहने के बाद मेरे चूतड़ भी नहीं छिप रहे थे। मुझसे खेलते खेलते उनका लंड टाईट होने लगा।
मेरे से बोले- बहू, अब मुझे मूत आ रही है। ‘आ तो मुझे भी रही है!’ ‘तो ठीक है, पहले तुम मेरे मुंह में मूतो, उसके बाद मैं!’ इतना कहने के साथ वो सीट से उतर कर फ्लोर पर बैठ गये और अपने सिर को सीट से टिका कर अपना मुंह खोल दिया।
मैं लगभग सभी कपड़े पहन कर अपने खूबसूरत जिस्म की नुमाईश उनके सामने कर चुकी थी और जो इस समय स्लैक्स पहने हुये थी, मैं उसको उतारने जा रही थी कि ससुर जी ने स्लैक्स का वह हिस्सा जो मेरी चूत के ऊपर था, फाड़ दिया और बोले- आओ मेरी जान, अब मेरी प्यास अपनी चूत से निकलने वाले पानी से बुझाओ।
मैं भी जवाब देते हुए बोली- लो मेरे चोदू ससुर, लो मेरी चूत के पानी का मजा लो, कह कर मैंने अपनी उंगलियों से अपनी बुर की फांकों को फैलाया और एक धार से मूतने लगी। जब उनका मुंह मेरी मूत से भर जाता तो मैं रूक जाती और जब वो मेरी मूत को गटक लेते तो फिर मैं पेशाब करना शुरू कर देती। जब मैं पेशाब कर चुकी तो मेरी चूत की फांकों को फैला कर चाटने लगे और बोले- वास्तव में तेरा पानी मजेदार है और यह जो कसैलापन है यह मुझे तुम्हारी चूत चाटने के लिये और उत्तेजित कर रहा है। इतना कहने के साथ वो मेरी बुर को चाटने लगे।
थोड़ी देर मेरी बुर चाटने के बाद उन्होंने वो जगह छोड़ी तो मैंने वो जगह पकड़ ली, लेकिन मेरे ससुर ने मुझे सीट पर बैठाया और मेरे मुंह के पास अपने लंड को लगा दिया।
लेकिन यह क्या, वो पेशाब करना चाह रहे थे पर कर नहीं पा रहे थे। मैंने भी कोशिश की, लेकिन पेशाब निकलने का नाम ही नहीं ले रही थी। ससुर जी थक कर मेरे बगल में बैठ गये और अपनी आँखें बन्द कर ली।
दो मिनट में ही उनका लंड ढीला पड़ने लगा, फिर वो उठे और मेरे मुंह में उन्होंने मूतना शुरू कर दिया। उनके लंड से निकलती हुई पेशाब की गर्म धार मुझे एक अलग सा आनन्द दे रही थी। वो भी अपनी पेशाब उसी तरह रोक रहे थे, जैसे मैं उनको अपनी मूत पिलाते हुए करती थी।
इस तरह से हम दोनों ने एक दूसरे के मूत को पीकर आनन्द लिया।
उसके बाद ससुर जी ने मुझे खड़ा किया और अपने से चिपकाते हुए मेरे कूल्हे को कस कर दबाने लगे। फिर वो मेरी पीठ की तरफ आये और मेरे मम्मे भी उसी तरह कस कर दबाने लगे जैसे वो मेरे कूल्हे को दबा रहे थे।
मम्मे दबाते दबाते हुए वो नीचे बैठ गये और मेरे कूल्हों को पकड़ कर चौड़ा कर दिया, अपनी जीभ की टो को मेरे गांड के छेद से टच कर दिया और मेरी गांड को मस्ती से चाटने लगे।
उसके बाद अपने लंड को एक बार फिर मेरे मुंह के सामने कर दिया, मैंने उनके लंड को चूसने लगी, उत्तेजना बढ़ने के साथ साथ वो मेरे मुंह को चोदने लगे।
फिर पापा ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरे गांड में अपने लंड को धीरे-धीरे डालने लगे, उनके लंड मेरी गांड के छेद से टच होते ही मुझे एक अजीब सी खुजली सी होने लगी, मैंने ससुर जी से कहा- पापा जी, प्लीज जल्दी से लंड को मेरे गांड में डालकर उसकी खुजली मिटा दीजिए।
मेरी बात सुनते ही उन्होंने अपने लंड का जोर मेरी गांड के छेद पर लगाया और उनका पूरा का पूरा लंड मेरी गांड के अन्दर धंस चुका था। उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरी गांड में अपना लंड पेबस्त करने के बाद वो मेरे मम्मे को और जोर-जोर से दबाने लगे, मैं अपने होंठों को दबाये हुए सिसकारी मारने लगी।
थोड़ी देर तक मेरे मम्मे दबाने के बाद ससुर जी ने मेरी गांड चोदना शुरू कर दिया, वो बारी-बारी से मेरे छेदो में अपने लंड को डालकर चोद रहे थे, पहले गांड, फिर चूत का भर्ता बनाते और फिर मेरे मुंह को चोदते।
करीब 20 मिनट तक वो मुझे इसी तरह चोदते रहे, फिर खुद सीट पर बैठ गये और मुझे अपने ऊपर बैठा लिया और मेरे मम्मे को एक बार फिर अपेन मुंह में भर कर चूसने लगे। मुझे ऐसा लगने लगा था कि वो मेरे दूध को निचोड़कर पीने की कोशिश कर रहे हों।
जब उन्होंने मेरी चूची चूसना बंद कर दिया तो मैं उनके लंड की सवारी करने लगी।
मैं पानी छोड़ चुकी थी, लेकिन ससुर जी तो अभी भी मेरी चूत का भुर्ता बनाने में लगे थे। जब उनके अपने लंड पर गीलेपन का अहसास हुआ तो उन्होंने मुझे अपनी गोद से उतारा, मुझे सीट पर लेटा कर मेरी चूत पर अपने मुंह को रख दिया और मेरे चूत से निकलते हुए रस को चाटने लगे।
मेरे हाथ उनके सर पर थे और मैं उनके सर को थोड़ा ताकत दे रही थी ताकि वो मेरी चूत से और चिपक जाये।
खैर मेरी चूत चाटने के बाद उसी अवस्था में उन्होंने मेरी चूत के अन्दर एक बार फिर अपना लंड पेल दिया और धकाधक चोदने लगे। अब वो भी थकने पर आ गये थे, वो हांफते हुए मेरे ऊपर गिर गये और उनका वीर्य मेरे अन्दर जाने लगा।
दोस्तो, इस तरह से मेरी चुदाई ससुर से भी हो गई, उन्होंने मुझे चलती हुई ट्रेन में तीन बार चोदा।
सुबह मैं जब घर पहुंची तो मेरे और मेरे परिवार के बीच एक नया रिश्ता जन्म ले चुका था, जो जब चाहता मुझे अपनी बीवी बना कर चोदता। हाँ एक बात थी कि अगर मेरी इच्छा न हो तो मुझे कोई छूता भी नहीं था और मैं बिन्दास अपने घर में सभी मर्दों के साथ रहती थी। ऑफिस में जीवन के वजह से मुझे मेरे बॉस के बराबर पोजिशन मिल गई। इस तरह दोस्तो, मैं अपने पति की वजह से अलग अलग लंड का सुख पा सकी।
अभी तो फिलहाल उस घर में मैं एक अकेली औरत हूँ जो सभी मर्दों को सन्तुष्ट कर रही हूँ। अब मेरे छोटे देवर की शादी होने वाली है। देखो आने वाली बहू क्या करती है? अगर कोई नई कहानी का जन्म होगा तो मैं आपके साथ जरूर शेयर करूंगी, यह मेरा वादा है।
कहानी कैसी लगी, कमेंट कीजियेगा। सक्सेना जी के माध्यम से वो कमेंट मेरे पास तक पहुंचेगा। धन्यवाद
तो दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी। मुझे नीचे दिये ई-मेल पर अपनी प्रतिक्रिया भेजें और कहानी के नीचे भी कमेंट करें। आपका अपना शरद॰॰॰॰ [email protected]
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