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अब तक आपने पढ़ा.. सुहाना मैम की चुदाई का ये राउंड अपने अंतिम दौर में था। अब आगे..
करीब बीस-पच्चीस धक्कों के बाद मैं झड़ने लगा.. पर मैंने धक्के लगाने चालू रखा.. क्योंकि सुहाना भी बस चन्द ठाप की मेहमान थी, सुहाना भी अगले पांच-दस ठाप में झड़ने लगी ‘हाअय्य.. अम्म्मी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं.. गई.. इस्स्स.. ओह्ह..’ सुहाना बिना किसी शर्म के जोर से चिल्लाते हुए झड़ने लगी, अगर सुहाना के घर पर कोई होता.. तो ये चीख साफ़ सुन लेता।
मैंने लंड को बाहर नहीं निकाला और सुहाना के ऊपर ही लेट गया। सुहाना ने मुझे बड़े सुकून भरी नजर से देखा और मेरे लब चूम लिए। मैंने कहा- कैसा लगा सोहा.. अब तो खुश हो? सुहाना ने मुँह बनाते हुए कहा- इतनी बेदर्दी से भी कोई प्यार करता है क्या.. मेरी तो साँसें ही अटक गई थीं। फ़िर वो खिलखिला कर हँस पड़ी, सुहाना के चेहरे पे एक सुकून था।
लगभग दस मिनट हम आपस में जीभ-लड़ाई यानि ‘फ़्रेन्च-किस’ करते रहे। ‘अब उठो भी.. मुझे जोर की सूसू आई है..’ सुहाना ने मुझे हल्का धकेलते हुए कहा। उठ कर सुहाना बाथरूम में गई और मैं भी पीछे-पीछे चल पड़ा।
मेरे अनुभवी दोस्त जानते होंगे कि औरत जब पूरी खुल जाती है.. तो फ़िर वो पूरी आपकी होती है।
सुहाना बोली- क्या हुआ.. तुम्हें भी सूसू आई है? मैंने कहा- नहीं, मुझे तुम्हें देखना है।
वो अब मेरे वश में थी.. सो बस मुसकुराई और मूतने बैठ गई।
‘नहीं.. खड़े हो कर करो..’ मैंने थोड़ा रौब दिखाते हुए कहा। सुहाना बोली- नहीं यार.. सब पैरों पर छिटक जाएगा.. प्लीज ऐसे ही करने दो।
मैंने तो सुहाना को पूरा खोलने की ठान ली थी.. सो मैंने उसे पकड़ कर खड़ा कर दिया। वो बेचारी वैसे ही छरछरा के मूतने लगी, वो मेरी ओर शर्म से देख भी नहीं रही थी।
मैंने उससे कहा- तुम तो मेरी सोहा बन गई हो.. पर मुझे शौहर कब मानोगी? वो कुछ ना बोली।
मैंने शावर चालू किया और सुहाना को लिए शावर के नीचे आ गया। हमारे उबलते जिस्मों पर ठन्डा पानी पड़ रहा था और हम दोनों को फ़िर से गर्म कर रहा था।
सुहाना फ़िर से मुझसे लिपट कर मेरे होंठ चूसने लगी थी। मैं सुहाना के गद्देदार चूतड़ों मसल रहा था और उसकी गांड को उंगली से कुरेद रहा था। सुहाना जान गई कि अब उसकी गांड की बारी है।
सुहाना ने कहा- आज जो चाहो कर लो आकाश.. मैं अब तुम्हारी हूँ।
एक बार माल गिरने के बाद मैं किसी जल्दबाजी में नहीं था, मैंने सुहाना को पलट कर उसको दीवार पर लगा हैंडल पकड़ा कर झुका दिया।
पानी की फ़ुहार सुहाना की गोरी कमर से फ़िसलते हुए चूतड़ों से जांघों पर बह रही थी। बड़ा ही सेक्सी सीन था। मैं नीचे बैठ गया और दोनों हाथ से सुहाना के चूतड़ों मसलने लगा।
फ़िर मैंने चूतड़ों को चीर कर अपनी जीभ सुहाना की गांड पर रख दी, सुहाना फ़िर से मादक आवाजें निकालने लगी ‘आअह्ह.. इस्स्स.. आआअ..’
मैं सुहाना की गांड को उंगलियों से फ़ैला कर जीभ को गांड में घुसेड़ कर चूस रहा था। जैसे ही मैं जीभ को अन्दर ठेलता.. तो सुहाना गांड को और उभार लेती और मैं जीभ अन्दर तक डाल देता। सुहाना जोर-जोर से सीत्कारते हुए मेरी जीभ के मज़े ले रही थी।
अब मैंने एक उंगली को थूक से गीला करके अन्दर डालने की कोशिश की.. पर पानी की फ़ुहार चिकनाई ठहरने नहीं दे रही थी। मैंने पास रखी ऑलिव ऑयल की शीशी उठाई और खूब सारा तेल सुहाना के चूतड़ों में मलने लगा। सुहाना के चूतड़ अब और ज्यादा चमक रहे थे। मैंने एक उंगली को सुहाना की गांड में डाल दिया। ‘ओह्ह्हा.. आह.. उफ़्फ़..’ सुहाना चीख उठी।
मैं जीभ से गांड के आस-पास चाटने लगा और उंगली को अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद सुहाना भी गांड हिला-हिला कर मेरी उंगली और जीभ के मजे लूटने लगी।
फ़िर मैंने दो उंगली सुहाना की गांड में डाल दीं, इस बार सुहाना चीखी नहीं.. बस एक ‘आअह्ह्ह..’ करके फ़िर से गांड हिलाने लगी। मैंने अपनी उंगली तेजी से चलानी शुरू कर दी और सुहाना की गांड को खोलने लगा।
‘स्स्स्स.. ओह्ह्ह.. उफ़्फ़्फ़..’ सुहाना पूरा खुल के मजे ले रही थी.. जैसे किसी ब्लू-फ़िल्म की अदाकारा लेती है।
करीब तीन-चार मिनट तक मैं सुहाना की गांड को उंगली से चोदता रहा। फ़िर मैं खड़ा हो गया और ढेर सारा तेल अपने लंड पर लगाया.. जो कि लोहे जैसा सख्त और गर्म हो चुका था।
मैंने अपना लंड सुहाना की गांड पर लगाया और हल्का सा दबाव डाला। चिकनाई के कारण मेरे लंड का सुपारा सुहाना की गांड में ‘फ़क्क’ से घुस गया।
‘आआ.. आआआह.. अम्म्म्म्मीई..’ सुहाना चीखती हुई आगे को होकर लंड से बचना चाह रही थी.. पर मैंने जोर से सुहाना की कमर को पकड़ रखा था।
सुहाना की गांड फ़टी नहीं थी.. पर मेरा लंड बहुत मोटा है.. तो उसे दर्द तो होना ही था। कुछ पल रुक कर मैं सुहाना के कान मुँह में ले कर चूसने लगा और धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी गांड में सरका रहा था।
‘हाय्य्य.. ऊफ़्फ़.. इस्स्स..’ सुहाना दर्द सहते हुए मेरा लंड अपनी गांड में ले रही थी। कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड सुहाना की गांड के अन्दर था।
दोस्तो। गांड मारने का पहला नियम ही है कि गांड को पहले आराम दो और जब लंड अपनी जगह बना ले.. तो फ़िर ग़ान्ड मारना शुरू करो। खैर.. आप लोगों को ये बताने की जरूरत नहीं है.. आप तो अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पढ़ते हैं, सब जानते हैं।
अब मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर को चलाना शुरू किया और मैं लगातार एक हाथ से सुहाना के मम्मे दबाए जा रहा था और दूसरे हाथ से सुहाना की बुर सहला रहा था।
कुछ देर बाद सुहाना अपनी गांड हिला-हिला कर मेरा लंड बड़े मजे से ले रही थी। मैंने अब अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और सुहाना के लबों से आनन्द से भरी सीत्कार निकल पड़ी ‘हाआआअ.. ऊफ़्फ़्फ़.. जान.. इस्स्स..’
मेरी हर ठाप पर सुहाना के मांसल चूतड़ थिरक रहे थे और सुहाना तो जैसे आज सारे जमाने से बेखबर जोर-जोर से सीत्कार रही थी और अपनी जवानी लुटा रही थी ‘आह्ह्ह.. आआई लव यूऊ.. आअ.. स्स्स्स.. अह्ह्ह..’
मैंने अब अपने बेजोड़ बेरहम धक्के लगाने शुरू किए और सुहाना की आवाज बढ़ने लगी। बाथरूम में धप-धप छप-छप की आवाज गूँज रही थी। साथ ही सुहाना जोर-जोर से ‘आह्ह्ह.. आआह्ह्ह.. अम्मीई.. हाय.. उफ़्फ़..’ चीखे जा रही थी।
मैं अब चरम पर पहुँच रहा था, मैं अब सुहाना के चूतड़ों पर जोर-जोर से थप्पड़ लगा रहा था। चट-चट और बड़ी बेरहमी से सुहाना की गांड की नसें ढीली कर रहा था। करीब तीन मिनट के बाद मैंने ऐसे धक्के मारने शुरू किए कि सुहाना के पैर फ़र्श से उखड़े जा रहे थे।
अचानक सुहाना जोर से चीखी ‘आह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह.. उ..फ़्फ़..’ और उसका बदन ढीला पड़ गया।
सुहाना की बुर भी गांड चुदाई से झड़ गई थी और सुहाना का जिस्म फ़ड़क रहा था। अगर मेरा लंड सुहाना की गांड में ना फंसा होता.. और मैंने उसे पकड़ा ना होता तो वो फ़र्श पर निश्चित ही गिर पड़ती।
मैंने सुहाना की गांड में जड़ तक लंड डाल कर उसे जोर से पकड़ लिया। सुहाना के पैर हवा में थे। मैं जोर-जोर से झड़ने लगा और अपना गर्मागर्म गाढ़ा माल सुहाना की गांड में डालने लगा।
करीब दो मिनट तक मैं झड़ता रहा। कुछ देर वैसे ही खड़े रहने के बाद मैंने सुहाना की गांड से लंड जैसे ही बाहर निकाला ‘फ़क्क..’ की मधुर आवाज हुई.. जैसे बियर की बोतल खुलने पे आवाज होती है.. और मेरा माल सुहाना की गांड से बहने लगा।
सुहाना कुछ बोल नहीं रही थी.. मैंने देखा तो वो लगभग बेहोश हो गई थी। मैंने उसे गोद में उठा कर बेडरूम में सुला दिया और सुहाना की बुर में मेरा लंड जो कि अभी भी आधा खड़ा था.. पूरा डाल कर उसके जिस्म को चूमने लगा।
फ़िर कुछ देर में सुहाना होश में आ गई, वो बोली- क्या हुआ था आकाश? मैंने कहा- तुम होश खो बैठी थी जान..
वो मुझसे और चिपक गई, मैं उसके बगल में लेट गया और उसके नंगे जिस्म को सहलाते हुए उसके होंठ चूसने लगा। सुहाना बोली- आज तुमने मुझे बहुत खुशी दी है मेरे राजा.. आज से आप मेरे शौहर हो.. आई लव यू आकाश। हम दोनों अगले दस मिनट तक वैसे ही लेटे रहे.. एक-दूसरे को चूमते चाटते रहे।
सुहाना ठीक से चल भी नहीं पा रही थी.. सो मैं उसके घर पर शाम तक रुका रहा और सुहाना की चाल को चोद-चोद कर ठीक करता रहा।
दिन भर हम दोनों नंगे ही घर में घूम-घूम कर चुदाई करते रहे। सुहाना ने नंगे ही खाना बनाया और नंगे ही मेरी गोद में बैठ कर मुझे खाना खिलाया.. और खुद भी खाया।
उस दिन शाम के आठ बजे तक मैंने सुहाना को और चार बार चोदा.. सुहाना अब मेरी दासी बन चुकी थी। मैंने पूरी गर्मी छुट्टी में हर रोज कम से कम एक बार जरूर से सुहाना को चोदा।
हम आज भी एक-दूसरे से मिलते हैं.. हाँ अब रोज नहीं मिल पाते हैं। मेरी नौकरी ने और सुहाना को ‘हमारे बच्चे’ ने व्यस्त कर रखा है। पर जब भी मिलते हैं.. जबर्दस्त चुदाई करते हैं।
वैसे आप लोगों को बता दूँ कि यह अनुभव हिन्दी सेक्स स्टोरी के रूप में आप लोगों से बांटने का सुझाव मुझे सुहाना ने ही दिया है।
फ़िर मैंने कैसे सुहाना को कॉलेज में चोदा.. कैसे सुहाना को अपने बच्चे की माँ और अपनी रखैल बनाया.. वो अनुभव मैं अगली बार आपको बताऊँगा।
दोस्तो, यह अनुभव मेरे लिए बहुत खास है.. और आपके सुझाव और शुभकामनाओं का मैं बेसब्री से इन्तजार करूंगा। प्लीज.. मुझे मेल करके अपने विचार साझा करने का कष्ट करें। [email protected]
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