This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
मैंने जीवन के लंड को उसकी पैन्ट से बाहर निकाला, उसका सुपारा और मेरी जीभ दोनों एक दूसरे से मिल रहे थे।
उधर मोहिनी ने अपनी स्कर्ट ऊपर की और अपनी जांघें फैलाते हुए बोली- आपने मैम की चूत का तो मजा ले लिया है आईये अब इस चूत को मजा दीजिये। मोहिनी के इन शब्दों को सुनकर ससुर जी शायद उसकी चूत को चाटने के साथ-साथ काटने लगे थे, तभी वो सिसयाते हुए बोली- हाँ मेरे राजा, काटो और तेज से काटो बहुत मजा आ रहा है।
मैं अपने काम में मस्त हो गई और केवल मेरे कान ही उनकी आवाज सुनकर यह पता लगा रहे थे कि दोनों बारी-बारी से एक दूसरे को मजा दे रहे हैं।
इधर मैं जीवन का लंड चूस रही थी और अपनी चूत की कामाग्नि को शांत करने के लिये अपनी उंगली का सहारा ले रही थी कि मोहिनी की आवाज आई- खूब बढ़िया मेरे शेर, बहुत मजा आ रहा है।
मैं थोड़ा रूक गई और जीवन ने गाड़ी को साईड में लगा दिया और पीछे घूम कर देखा तो मोहिनी ससुर जी के लंड के ऊपर उछल रही थी और बड़बड़ा रही थी, ससुर जी उसकी चूचियों को तेज-तेज दबा रहे थे।
कुछ देर उछलने के बाद मोहिनी चिल्लाने लगी- आई कम… आई कम… मेरा निकलने वाला है, मेरा निकलने वाला है। उधर मेरे ससुर जी भी बोले- मेरा भी निकलने वाला है।
मोहिनी ससुर जी से अलग हो गई और फिर ससुर जी के लंड को अपने मुंह में भर लिया, ससुर जी उसके सर को हिलाते हुए अपना पानी पिलाने लगे। उसके बाद मोहिनी ने अपनी पीठ ससुर जी की तरफ की और अपने जिस्म को आधा आगे की सीट पर कपड़े की तरह लटका दिया और एक बार फिर अपनी टांग फैला दिया, ससुर जी की जीभ मोहिनी की चूत के आस-पास और उसके ऊपर चलने लगी।
कुछ देर ऐसे ही देखते रहने के बाद जीवन बोला- मोहिनी अब तुम दोनों आगे आ जाओ और तुम आकर गाड़ी ड्राइव करो, अब मेरी और आकांक्षा पीछे जायेगे। मेरा भी लंड पानी छोड़ने के लिये बैचेन हो रहा है। हम चारों ने अपने सीट की अदला-बदली की।
अब मैं जीवन के लंड की सवारी कर रही थी या फिर यूं कहे की जीवन का लंड मेरी चूत नुमा गुफा के अन्दर टहलने चला गया। मोहिनी के घर आते आते मैं भी जीवन से चुद चुकी थी।
उसके बाद हम सभी मोहिनी के घर के अन्दर थे, चुदाई का एक दौर खत्म हो चुका था।
मोहिनी ने सबसे पहले हम सबको वाईन पिलाई और फिर मैं और जीवन बाकी का बचा काम निपटाने में लग गये, उधर मोहिनी मेरे ससुर की गोद में बैठ गई और मुझसे बोली- तुम्हारे इस दोस्त का भी स्टेमना बहुत है।
मैं ससुर जी को इशारा करने की नियत से बोली- इनमें स्टेमना तो बहुत है, पर इनकी पहली पसंद गांड है, चूत तो दूसरी पसंद है। ये मेरी गांड बहुत मारते हैं।
‘लेकिन मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई है।’
जीवन बोल उठा- यार, गांड मारना तो मुझे भी बहुत पसंद है, और मैं भी कल गांड मारने का मजा लेना चाहता था लेकिन चलो आज ले लूंगा। चलो, जब तक मैं और आकाक्षा इस काम को निपटा रहे हैं, तब तक तुम आज पवन से गांड मरवाने का मजा लो।
ससुर जी भी मोहिनी की तरफ मुखातिब होते हुए बोले- हाँ-हाँ, जाओ थोड़ा सा तेल या फिर कोई क्रीम ले आओ। चूत से ज्यादा मजा गांड में मिलेगा। थोड़ा नकुर के बाद मोहिनी एक क्रीम की टयूब ले आई।
ससुर जी ने टयूब लेकर एक किनारे रख दिया और फिर मोहिनी को झुकाते हुए उसकी गांड और चूत दोनों ही चाटने लगे। मोहिनी पर नशा सवार हो रहा था, वो अपने हाथों से गांड को और फैलाकर ससुर जी को अपनी जीभ उसके छेद के और अन्दर ले जाने की दावत दे रही थी। ससुर जी भी उसकी गांड चाटने के साथ-साथ एक उंगली उसकी गांड के अन्दर डालने की कोशिश कर रहे थे।
फिर वो क्रीम उंगली में लेकर गांड के अन्दर लगाने लगे, ऐसा करते रहने से उनकी एक उंगली पूरी तरह से मोहिनी की गांड के अन्दर जा चुकी थी। इसी तरह वे अपनी दो-दो उंगली मोहिनी की गांड में आसानी से डालकर अन्दर बाहर कर रहे थे।
इधर हम दोनों भी काम के बीच में एक दूसरे से छेड़खानी कर ले रहे थे। मेरी नजर काम के साथ साथ मोहिनी और मेरे ससुर जी दोनों में थी।
जब उंगली आसानी से जाने लगी तो ससुर जी ने अपना लंड मोहिनी के मुंह में डाल दिया, कुछ देर लंड चुसवाने के बाद एक बार फिर मोहिनी को पहले वाली पोजिशन में खड़ा कर दिया और अपने लंड से उसकी गांड को सहलाने लगे और फिर लंड को गांड के छेद में दबानए लगे।
लंड का सुपाड़ा गांड में घुस चुका था। ‘उइईई ईईईईई माँ, निकाल लीजिए!’ वो अपने को ससुर जी से अलग करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन ससुर जी ने उसकी कमर को कस कर पकड़ा हुआ था।
मैं तुरन्त मोहिनी के पास पहुंची और उसकी चूची को दबाने के साथ साथ चूसने लगी। धीरे धीरे उसका दर्द शायद कम होने लगा था, क्योंकि उसके मुंह से निकलती हुई आवाज कम होने लगी थी। ससुर जी भी उसको सहला रहे थे, जीवन ने उसकी दूसरी चूची को अपने मुंह में भर लिया।
मोहिनी के स्तन को छोड़कर मैंने ससुर जी के लंड पर क्रीम लगाई और मोहिनी की गांड के अन्दर भर दी और ससुर जी को हल्का सा इशारा किया। एक बार फिर ससुर जी ने उसकी गांड सहलानी शुरू की, मैंने ध्यान दिया जब ससुर जी अपना लंड उसकी गांड से दूर करते तो उसकी गांड का छेद बन्द हो जाता और जैसे ही लंड छेद के पास आता तो छेद खुल जाता।
गांड सहलाते सहलाते हुए इस बार फिर एक तेज का झटका और इस बार आधा लंड गांड के अन्दर घुस चुका था। ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… उईई मां… मैं मर गई।’ लेकिन मेरे और जीवन के लगातार उसे सहलाने से और उसे प्रोत्साहित करते रहने से वो फिर धीरे-धीरे रंगत पर लौटने लगी थी।
अब ससुर जी भी अपना काम शुरू कर चुके थे, वो धीरे धीरे उसकी गांड की चुदाई करना शुरू कर चुके थे।
मैं और जीवन एक बार फिर अपना काम निपटाने में लग गये, हालाँकि जीवन का मन काम में नहीं लग रहा था, लेकिन प्रोजेक्ट सबमिट करने का समय भी पास आ रहा था।
अब मोहिनी और ससुर जी की आवाज कमरे में गूंज रही थी। हम दोनों भी गांड ठुकाई का सीन देखने के साथ-साथ प्रोजेक्ट भी कम्पलीट कर रहे थे। हालाँकि अभी तक हम दोनों के जिस्म से कपड़े अलग नहीं हुये थे।
इधर ससुर जी की स्पीड बढ़ती जा रही थी और उधर हम लोगों की स्पीड अपने प्रोजेक्ट को निपटाने में बढ़ती जा रही थी।
और मोहिनी की आवाज ‘मेरे राजा फाड़ दो इसे, मजा आ रहा है…’ और न जाने क्या-क्या वो बोले जा रही थी, ससुर जी का उत्साह बढ़ता ही जा रहा था कि अचानक ससुर जी धड़ाम से मोहिनी के पीठ से चिपक गये, उनका माल निकल कर मोहिनी की गांड के गलियारे में घूम रहा था। फिर मुरझाया हुआ लंड अपने आप बाहर आ गया और साथ ही ससुर जी का वीर्य, जिसे अब वो खुद ही अपनी उंगली में लेकर उसकी गांड में वापस डाल रहे थे।
फिर वो सोफे पर बैठ गये और अपने टांग को फैला दिया, जिसका मतलब वो मोहिनी को इशारा कर रहे थे कि आओ और मेरा लंड साफ करो।
मोहिनी भी उनकी टांगों के बीच बैठ गई और उनके लंड को चूस कर साफ करने लगी। मैं काम के बीच-बीच में जीवन के लंड को टच कर रही थी, उसका लंड भी काफी अकड़ चुका था। वैसे भी अब हम लोगों का भी काम खत्म हो चुका था।
लैपटॉप बन्द करते हुए मैंने जीवन के हाथ को पकड़ा और बोली- आओ, अब तुम भी अपना ईनाम ले लो।
मेरी बात सुनकर जीवन ने तुरन्त ही अपने सारे कपड़े उतार दिये और मेरे पीछे आ गया। मैंने अपनी साड़ी को कमर के ऊपर उठाया और अपना मुंह ससुर जी की तरफ कर दिया।
जीवन अपने हाथों से मेरी गांड फैलाकर मेरी गांड चाटने लगा, मैंने अपने दोनों हाथों को ससुर जी की जांघों से टिका दिया और अपनी लटकी हुई चूची का प्रदर्शन करने लगी।
काफी देर तक तो उन्होंने हाथ नहीं लगाया लेकिन फिर उनके दोनों हाथ मेरे मम्मे को मसलने लगे। इधर जीवन मेरी गांड चाटे जा रहा था।
मोहिनी ससुर जी के बगल में बैठी हुई थी, उनके निप्पल को अपने मुंह में भर ली। मोहिनी ससुर जी की जांघ को सहलाते हुए उनके निप्पल को चूसने के साथ-साथ उनको अपनी उंगलियों के बीच दबा लेती और मसलने लगती।
ससुर जी और मेरे मुंह से निकलती हुई आह-उह-आह की आवाजों के बीच जंग चल रही थी।
जीवन काफी देर तक गांड चाटने के बाद मेरे पास आया और मेरे मुंह में लंड पेल दिया। जीवन का लंड चूसने की वजह से उनका हाथ मेरी चूचियों से हट चुका था, मेरे सामने ससुर जी का लंड भी तना हुआ नजर आ रहा था।
अब मैं बारी-बारी से दोनों के लंड चूस रही थी और यही मोहिनी भी कर रही थी। लंड चुसाई करवाने के बाद जीवन मेरे पीछे आया और मेरी गांड में अपने लंड को डालने लगा, मैं भी उसका सहयोग करते हुए अपने गांड को हिला डुला कर उसके लंड को अपने अंदर लेने लगी।
अब भला मोहिनी क्यों पीछे रहती, वो ससुर जी का हाथ पकड़े हुए बोली- आओ मेरे शेर, मैं झुक रही हूँ, आओ मेरी गांड को उसकी औकात दिखा दो। मैंने अपने हाथ ससुर जी के जांघ से हटा लिया और ससुर जी ने मोहिनी के पीछे आकर उसकी गांड पर धावा बोल दिया।
अब फच-फच की आवाज आने लगी और साथ में हम दोनों के मुंह से भी आवाज आ रही थी। तभी जीवन का लंड निकला और ससुर जी का लंड मेरी गांड के अन्दर में पहुंच गया और उन्होंने मेरी गांड चुदाई चालू कर दी, केवल गांड चुदाई ही नहीं वो बीच-बीच में मेरी चूत को भी औकात दिखाने लगे जो कुछ ज्यादा ही लप लप कर रही थी।
अब ये खेल शुरू हो चुका था कि कभी जीवन चढ़ाई करता तो कभी ससुर जी, हां ससुर जी चूत भी साथ में चोद देते थे। दोनों मर्द दोनों लड़कियों की गांद बदल बदल कर मार रहे थे।
तभी मुझे ससुर जी की आवाज आई, वो जीवन से पूछ रहे थे कि जीवन के लंड ने माल छोड़ा या नहीं, ससुर जी का लंड मेरी चूत से बाहर आ चुका था, मैं उनकी बात सुनकर खड़ी हो गई और उनकी तरफ देखने लगी। मोहिनी भी सीधी खड़ी हो गई।
जीवन बोला- अभी भी चार पांच मिनट तक मेरा शेर इनकी गांड के अन्दर धमाल मचा सकता है।
बस इतना सुनना था कि ससुर जी हम दोनों से पैन्टी पहनने के लिये बोले। लेकिन मैंने तो पैन्टी आज पहनी ही नहीं थी, मोहिनी ने पैन्टी पहन ली, पर जब मैं अपनी जगह से नहीं हिली तो बोले- ओह, इसका मतलब तुमने अपनी पैन्टी नहीं पहनी? मैं बोली- कोई बात नहीं, आपको जो करना हो वो बिना पैन्टी के ही कर लीजिए।
तभी मोहिनी बोली- तुम मेरी पैन्टी पहन सकती हो!
इतना कहकर वो तुरन्त अपनी अलमारी से दो-तीन पैन्टी ले आई।
ससुर जी ने ही एक पैन्टी, जो शायद डेली यूज की थी, वो लेकर मुझे दे दी। हम दोनों ने पैन्टी पहन ली। फिर हम दोनों को झुकने के लिये कहा गया।
हम दोनों के झुकने के बाद पैन्टी को केवल चूतड़ के नीचे सरका दिया। उसके बाद जीवन ने मेरी गांड में अपने लंड को पेबस्त कर दिया। उधर ससुर जी भी चोदते हुए बोले- जीवन जब तुम्हारा लंड माल छोड़ने लगे तो माल गांड में डाल कर पैन्टी ठीक से पहना देना। जीवन बोले- अरे पवन जी, आपने मेरे मुंह की बात छीन ली, मैं भी यही चाहता था कि कुछ देर तक हमारा माल इनकी गांड में रहे। फिर दो तीन मिनट तक चुदाई का खेल चलता रहा, जीवन का माल मेरे अन्दर गिरता हुआ महसूस होने लगा, फिर जीवन ने पैन्टी को मेरी कमर तक चढ़ा दिया। यह तीसरी बार था कि जब मुझे वीर्य से लगी हुई पैन्टी को पहनना पड़ रहा था।
ठुकाई होने के बाद इस बार मैं वास्तव में लस्त हो चुकी थी और अब मेरा भी मन नहीं कर रहा था, मैंने अपनी बात ससुर जी को बताई तो तुरन्त मेरी बात मान गये।
फिर मोहिनी के गालों को चूमते हुए बोले- तुम भी बहुत मजेदार हो, फिर कभी मौका मिलेगा तो तुम्हारी चूत का और मजा लूंगा। कह कर मोहिनी की चूत रगड़ने लगे।
जीवन ने औपचारिकतावश हम लोगों को होटल छोड़ने के लिये बोला लेकिन ससुर जी ने मना कर दिया और हम दोनों ऑटो लेकर होटल तक आ गये।
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000