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प्रिय अन्तर्वासना पाठको नवम्बर महीने में प्रकाशित कहानियों में से पाठकों की पसंद की पांच कहानियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत हैं…
मैं मल्लिका राय… वही कैनेडा में मस्ती वाली…
बात तब की है जब मैं और मेरी एक घनिष्ठ सहेली उर्वशी (बदला नाम) के साथ लेस्बियन सेक्स का दिल से मजे ले रहे थे, तब हमें ये सब करते हुए हमें 4-5 माह ही हुए थे।
हम दोनों सहेलियाँ एक दिन बाजार गई हुई थी, अचानक उर्वशी की नजर हमारी एक और सहेली कविता (बदला नाम) जिसके साथ कहानी सहेली संग मेरी लेस्बियन रासलीला अन्तर्वासना पर आ चुकी है, पर पढ़ी!
वह अपने बच्चे और पति के साथ कुछ सामान खरीद रही थी, उसने मुझे कविता के पास चलने की लिये कहा और हम दोनों उसके पास चल दी।
वह हमें देखकर बहुत खुश हुई। मैंने कविता के बच्चे को गोद में ले लिया और उसके पति की नमस्कार करके बातें करने लगी।
थोड़ी देर बात करने के बाद उर्वशी ने मेरी तरफ एक कामुक नजर देखकर मुझे आँख मारी पर मैं उसका मतलब समझ नहीं पाई, पर 2-3 इशारों के बाद मैं उसका इरादा समझ गई, और मेरे मन में भी हवस जाग उठी थी, मैंने भी उसे आँख मार दी, पर कविता ये सब नहीं समझ पाई।
बात करने के बाद उर्वशी ने कुछ दिन बाद उसके घर पर हम दोनों को बुलाया, वो अकेली ही थी, उसके घर पर आज कोई नहीं था। मैं पतिदेव से अनुमति लेकर सुबह जल्दी उर्वशी के घर पर पहुंच गई।
जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो देखा कि वो पूरी नंगी ही थी।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
जुलाई का महीना था… उस दिन बारिश हो रही थी।
बहुत इच्छा हो रही थी कि अपनी चूत को थोड़ी राहत दूँ.. पर ना जाने कहाँ छुप कर बैठा था मेरी चूत का राजा।
मैं अन्दर कमरे में सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर ब्रा और पैन्टी में लेटी हुई थी और धीरे-धीरे खुद ही अपने बोबे दबा रही थी। मैं अपने दोनों पैरों को फैला कर पड़ी हुई थी, मेरा दूसरा हाथ मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरी भीगी हुई चूत के छेद को सहला रहा था
कि तभी किसी ने मेरा दरवाज़ा ठोका।
मैं अपनी वासना भरी कल्पनाओं से बाहर आकर बिस्तर पर उठ कर बैठ गई।
मैं आवाज़ देकर पूछने ही वाली थी कि कौन है? इतने में वो अन्दर आ गया। ये मेरी बुआ के बड़े बेटे निशांत भैया थे।
मैंने झट से चुन्नी लेकर अपने नंगे बदन को ढक लिया.. पर ना जाने कैसे चुन्नी मेरे 36 इंच के एक रसीले बोबे से गिरकर नीचे आ गई।
भैया मेरे उस बोबे को ही घूरे जा रहे थे। उनकी आँखों में मेरी चूचियों को चूसने की एक तड़प साफ दिख रही थी।
मैंने चुन्नी ठीक की और जैसे-तैसे अपनी नजरें हटाईं.. जो कि उनके खड़े लंड को अपने बड़े बोबे के बीच घिसना चाहती थी।
मैंने चौंकते हुए कहा- भैया आप..? दरवाज़ा ठीक से नहीं लगा होगा शायद। आप बताइए.. आपका कैसे आना हुआ?
भैया मेरे बोबों को ही घूरते हुए बोले- लवली, मेरे दोस्त रमेश ने नया फ्लैट लिया है.. उसका गृहप्रवेश है.. तुम मेरे साथ राजगढ़ चलना
चाहोगी? मैंने तुम्हारी मम्मी से पूछ लिया है।
मैंने भी उनकी नज़रों को थोड़ा सुकून देने के लिए मेरी चुन्नी बूबस पर से पूरी तरह से सरका दी और कहा- हाँ भैया मैं चलूंगी।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
सब मुझे प्यार से अर्श कहते हैं। मैं पंजाब के फिरोजपुर जिले के एक गांव की रहने वाली हूँ और एम.कॉम पहले साल की छात्रा हूँ।
मेरी आयु 23 साल और कद 5 फीट 7 इंच है। मेरा रंग बहुत गोरा और फिगर 34डी-26-35 है। मेरे बूब्ज़ और चूतड़ बड़े-बड़े और गोल हैं, बाहर को उभरे हुए हैं और मेरे बूब्ज़ के निप्पल हलके भूरे हैं। मेरा बदन भरा हुआ व कसा हुआ है और पेट बिल्कुल समतल है। मेरे बालों और आंखों का रंग गहरा काला है। मेरे होंठ पतले और लाल हैं।
मैं घर से बाहर ज्यादातर तंग जींस के साथ तंग टॉप या बॉडी फिट शर्ट और साथ में ऊंची एड़ी के सैंडिल पहनती हूँ। जब मैं चलती हूँ तो मेरे उभरे हुए बड़े-बड़े गोल बूब्ज़, लचकीली पतली कमर और मटकती हुई मोटी गांड देखकर लड़कों से लेकर बूढ़ों के लंड खड़े हो जाते हैं और वो मुझे चोदने के सपने देखते हैं।
कुल मिलाकर मैं एक बहुत ही सेक्सी, गर्म और चिकनी लड़की हूँ जिसको हर मर्द अपने बिस्तर की रानी बना कर चोदने की इच्छा करेगा। मैं भी बहुत चुदक्कड़ लड़की हूँ, मैंने अभी तक 9 लड़कों, 10 शादीशुदा मर्दों और 5 बूढ़ों से चुदाई का मज़ा लूटा है।
यह बात तीन महीने पुरानी है। मैंने नौकरी के लिए अप्लाई किया था और उसका पेपर देने मुझे चंडीगढ़ जाना पड़ा। मैंने उस दिन नीली जींस और सफेद शर्ट पहन रखी थी और काले रंग के ऊंची एड़ी के सैंडिल पहने थे।
जब मैं वहाँ से वापिस आ रही थी तो बस में बहुत भीड़ थी। मुझे सीट नहीं मिली और लोग एक दूसरे से सट कर खड़े थे।
मेरे पीछे एक 45-50 साल का आदमी सट कर खड़ा था। बस चलने लगी और कुछ देर बाद मुझे अपनी जींस के ऊपर से गांड पर कुछ चुभने का आभास हुआ।
मुझे उसी समय समझ आ गई कि यह उस आदमी का लंड है। मैंने इधर-उधर देखा, सब लोग अपने आप में मस्त थे।
जब बस को झटका लगता, वो अपना लंड मेरी गांड पर दबा देता।
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बात उन दिनों की है.. जब मैं इंटर पास करके बीसीए की पढ़ाई के लिए अपने ननिहाल आ गया था।
वहाँ मेरे मामा की एक लड़की थी.. उसका नाम समीष्ठा था। वो इतनी खूबसूरत थी कि परी भी उसके आगे फीकी पड़ जाए।
मैं वहाँ कई साल बाद गया था.. इसलिए मुझे ज़्यादातर लोग पहचान नहीं पा रहे थे।
यहाँ आकर मैं पढ़ाई में पूरी तरह से लग गया था। मुझे क्या पता था कि यहाँ मेरे साथ वो सब कुछ होने वाला है, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं है।
मुझे समीष्ठा मन ही मन चाहने लगी थी.. पर मुझे कुछ भी पता नहीं था। वो हमेशा मुझसे बात करती और मेरे हाथ पकड़ लेती थी।
मुझे लगता था कि वो ऐसे ही पकड़ती है.. पर उसकी दीदी को शक हो गया था और उसने मेरे कॉलेज जाने के बाद उसे जम के डांट लगाई।
कॉलेज से जब मैं वापस आया तो देखा कि समीष्ठा रो रही है। मैंने पूछा- क्या हुआ? तो उसने सब कुछ बताया और आंगन में ही मुझसे लिपट कर रोने लगी।
मैंने पूछा- क्या तुम सच में मुझसे प्यार करती हो? तो उसने हामी में सर हिलाया। मैंने उससे कहा- तुम हमारा रिश्ता कैसे भूल सकती हो.. और मैं भी किसी और से प्यार करता हूँ।
पर उसे कुछ भी समझ में नहीं आया। वो अब मुझे सीधे-सीधे परेशान करने लगी।
मुझे ये सब ठीक नहीं लग रहा था.. पर मैं वहाँ से पढ़ाई छोड़ कर भाग भी नहीं सकता।
एक दिन जब मामा घर पर नहीं थे और मैं रात में अकेले सो रहा था.. तभी कुछ आवाज़ सी आई।
मैंने दरवाजा खोला तो समीष्ठा खड़ी थी। दरवाजा खुलते ही वो जल्दी से अन्दर घुस आई और मुझे किस करने की कोशिश करने लगी।
मैंने उसे धक्का दे दिया और ये सब करने से मना किया।
वो मुझे कहने लगी- तुम कैसे लड़के हो.. कि तुम्हारा मन ही नहीं करता? मैंने कहा- करता है.. पर तेरे साथ नहीं करता।
मैं उसे भगाना चाहता था.. पर वो जा ही नहीं रही थी। फिर वो बोली- आज तो मुझे बस यहीं सोना है।
वो यह कहते हुए मेरे पास लेट गई और बात करने लगी। मुझे नींद नहीं आ रही थी.. तो मैं भी बात करने लगा।
बात करते-करते वो मेरे ऊपर चढ़ जाती थी। उस जैसी खूबसूरत लड़की मेरे ऊपर बार-बार आ रही थी तो अब मैं शायद बदल रहा था।
पूरी कहानी यहाँ पढ़िए…
मैं फ़ेहमिना इक़बाल 26 साल की हूँ, फिगर 32-27-34 है, लम्बे बाल, हल्की नीली आँखें, होंठों के नीचे एक तिल है जो मेरी खूबसूरती को और भी ज्यादा बढ़ा देता है।
जैसा आप सबने मेरी पिछली कहानी में पढ़ा की आएशा और मैंने गोवा में बहुत मज़े किये। उसके बाद बहुत दिन तक आएशा मेरे पास रही और हम दोनों ने आपस में लेस्बीयन सेक्स से एक दूसरी की प्यास बुझाई। बीच में साहिल भी कभी कभी आकर हमें मज़े दे देता था।
फिर कुछ दिन बाद अचानक आएशा को उसके कॉलेज कुछ जरूरी काम से जाना पड़ा, वो लगभग दस दिन के लिए गई थी, जब से वह गई थी, मैं बहुत अकेला महसूस कर रही थी क्योंकि साहिल भी कभी कभी आता था।
कुछ दिन बाद साहिल मेरे पास आया, उसने उस रात मुझे जमकर चोदा, उस रात उसने मेरी गांड भी मारी।
फिर मुझे चोदने के बाद वो मेरी बगल में लेट गया और बात करने लगा, उसने बताया कि उसके ऑफिस में एक पार्टी है और वो चाहता है कि मैं वहाँ उसकी गर्ल फ्रेंड बनकर चलूँ।
पहले तो मेरा कोई मूड नहीं था किसी पार्टी में जाने का… मगर थोड़ी देर बाद उसके बहुत कहने पर मैं मान गई। साहिल ने मुझे किस किया और हम सो गए।
अगले दिन साहिल मुझे बोला- चलो आज थोड़ी शॉपिंग करने चलते हैं। मैंने बिना बाजु वाली काली टीशर्ट पहन ली और नीचे एक सफ़ेद रंग का शॉर्ट्स पहन लिया। उस ड्रेस में मैं सच में बहुत सेक्सी लग रही थी।
फिर हम एक मॉल के लिए निकल गए। हम दोनों एक दूसरे के हाथ में हाथ डालकर घूम रहे थे, हर कोई हमें एक कपल समझ रहा था।
फिर हम लोग एक ड्रेस स्टोर में गए, वहां उसने एक बहुत ही सेक्सी ड्रेस मेरे लिए पसंद की, वो ड्रेस मुझे भी बहुत पसंद आई। फिर मेरे लिए कुछ सेक्सी सी ब्रा पैंटी भी ली और हम घर आ गए।
घर आकर सबसे पहले साहिल ने मुझे नंगी किया और मेरी चूत चाटने लगा। पहले मैंने उसे रोका तो वो बोला- एक राउंड करके खाना खाएंगे।
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