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नमस्कार दोस्तो.. मेरा नाम गोलू है। आज पहली बार मैं अपनी कहानी लिखने जा रहा हूँ।
बात उस समय की है जब मैं 22 साल का था। मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं, उनका एक स्कूल था, मेरी उन आंटी के साथ हँसी-मजाक होता रहता था।
एक दिन मैंने उनसे कहा- आंटी आपके स्कूल में इतनी सारी टीचर हैं.. आप मेरी किसी से फ्रेंड्शिप करा दो। उन्होंने कहा- ठीक है।
काफ़ी समय ऐसे ही बीत गया। फिर एक दिन भगवान ने मेरी सुन ली।
होली से कुछ दिन पहले एक लड़की उन आन्टी के घर के बगल में किराए पर रहने के लिए आई, वो किसी ऑफिस में जॉब करती थी। धीरे-धीरे उस लड़की के आन्टी के साथ अच्छे सम्बन्ध हो गए।
कुछ दिन बाद होली थी.. वो लड़की आंटी के साथ हमारे घर होली खेलने के लिए आई। वो मेरी भाभी के साथ होली खेल रही थी, भाभी ने उसे पानी में इतना भिगो दिया था कि उसकी ब्रा साफ नज़र आ रही थी।
उसे घर से बाहर जाने में शर्म आ रही थी.. तो कुछ समय कपड़े सूख जाने तक वो हमारे घर में ही रही।
मैं तो बस बार-बार उसे ही देख रहा था.. और वो शर्मा रही थी। फिर वो अपने घर चली गई। कुछ दिन बाद मेरे पास एक लड़की का फोन आया।
उसने कहा- तुमने मेरे फोन पर मिस काल क्यों की? मैंने कहा- आप कौन बोल रही हो? तो उसने कहा- मैं आपको जानती हूँ।
और इतना कह कर उसने फोन काट दिया। मैंने सोचा कि आन्टी ने किसी लड़की को मेरा नम्बर दिया होगा तो मैं सीधा आन्टी के घर गया।
वहाँ पर वो लड़की भी बैठी हुई थी, मुझे शक हुआ कि शायद इसी लड़की ने फोन किया होगा। लेकिन बिना सबूत के में कुछ नहीं बोल सकता था, मैंने दुबारा उस नम्बर पर फोन मिलाया तो फोन बंद था।
इसके बाद काफी दिन हमारी सिर्फ फोन पर ही बात होती रही। लेकिन उसने अपने बारे में नहीं बताया।
जब मैंने उसको कसम दी.. तो उसने बताया- मैं वही लड़की हूँ जो होली पर तुम्हारे घर आई थी। मैंने उससे मिलने को कहा.. तो उसने कहा- घर आ जाओ।
शाम के 7 बजे थे, मैं उसके घर गया और जाते ही गेट बंद करके उसे बांहों में भर लिया, उसको चूमते हुए ऊपर से उसकी चूचियों को दबाने लगा।
उसने मुझे धक्का दिया और कहा- ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा- होली वाले दिन से मैं तुम्हें बांहों में भरने के लिए तड़फ रहा हूँ।
तो वो मुस्कुराई और मैं कुछ देर बाद उसके घर से आ गया। घर आकर मैंने उसके पास फोन किया तो उसने कहा- आज रात के लिए तुम मेरे घर आ जाओ।
मुझे लगा आज तो भगवान मेरे साथ हैं। मैंने अपने घर खाना खाया और रात को उसके घर रुकने का बहाना ढूँढने लगा।
मैंने अपनी मम्मी से कहा- मैं अपने दोस्त आज़ाद के घर जा रहा हूँ और रात को वहीं रुकूँगा.. क्योंकि उसके घर पर आज कोई भी नहीं है.. और उसकी तबियत भी ठीक नहीं है। मम्मी ने कहा- ठीक है।
मैं रात को दस बजे उस लड़की के घर के पीछे वाले गेट से अन्दर कूद गया। अन्दर जाते ही मैंने अभी उसे अपनी बांहों में भरा ही था कि किसी ने बाहर से आवाज लगाई- सोनिया..
मैं आपको लड़की के बारे में बताना भूल गया। उसका नाम सोनिया है.. उम्र 24 साल के लगभग है और उसका फिगर वही मस्त जवान लौंडियों वाला। उसकी मस्त गदराए यौवन को देख कर मुझे बहुत आग लगती थी।
वो अपने घर वालों से अलग रहती थी.. क्योंकि उसके घर वाले उसकी शादी उसके जीजा के साथ करवाना चाहते थे, उसकी बड़ी बहन मर चुकी थी और उसके जीजा की उम्र बहुत ज्यादा थी।इसलिए वो अपने घर से दूर रहती थी।
हाँ.. तो बाहर से जब किसी ने आवाज लगाई। ‘सोनिया..’ मेरी ओर उसकी दोनों की हवा टाइट हो गई.. मैं तुरन्त उसके बिस्तर के नीचे घुस गया। आवाज लगाने वाली उसकी पड़ोसन थी.. वो उससे कुछ सामान लेने आई थी। वो तुरंत ही वापिस भी चली गई।
उसके बाद वो कमरे में आई.. उसने लाइट ऑफ की और बोली- अब बताओ.. क्या इरादा है? मैंने कहा- लाइट ऑन करो। उसने कहा- नहीं.. जो करना है लाइट बंद करके करो.. मुझे शरम आती है। मैंने कहा- क्या कराने का इरादा है? उसने कहा- जो मर्जी करो.. आज तुम्हारी हूँ। मैंने कहा- तो पहले क्या किसी और की थी?
वो हँसने लगी.. मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था.. पर दोस्तो वो मेरा फर्स्ट टाइम सेक्स था और उसका भी। हम दोनों ही नए खिलाड़ी थे.. दोनों पसीने में पूरे भीगे हुए थे।
मैंने उसे ऊपर से जी भरकर कर चूमा। फिर उसके गाउन में अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबाया.. उसे बड़ा मजा आया। मेरा तो बस हाल खराब ही हो गया था। उसके मुँह से आवाज निकलने लगी।
फिर मैंने धीरे से नीचे चूत पर हाथ लगाया.. तो वो बिल्कुल मदहोश सी हो गई.. और कहने लगी- गोलू तुम अब तक कहाँ थे यार.. बड़ा मजा आ रहा है।
फिर मैंने उसके कपड़े निकालने शुरू किए। उसके गाउन के नीचे सिर्फ ब्रा और पैन्टी थी। ब्रा खोलने के लिए पहले मैंने उसे बांहों में भरा फिर कमर पर हाथ फिराया और पीछे से ब्रा खोल दी। फिर पैंटी भी नीचे खींच दी। अपने कपड़े उतरवाने के बाद वो मेरे कपड़े उतारने लगी।
जब उसका हाथ मेरे लन्ड पर लगा तो वो डर गई और बोलने लगी- हाय.. इतना बड़ा.. मेरे अन्दर कैसे जाएगा? मैंने कहा- पहले इसे हाथ से पकड़ कर सहला दे.. फ़िर प्यार से अन्दर जाएगा।
उसके हाथ लगाते ही लंड और बड़ा हो गया.. वो और डर गई, बोलने लगी- मुझे ना करना कुछ भी.. तुम ऐसे ही सो जाओ। मैंने कहा- मैं तो सो जाऊँगा.. पर इसको कौन सुलाएगा? वो बोली- यार मुझे डर लग रहा है।
मैंने उसको लिटाया.. धीरे से उसकी चूत को सहलाया और चाटने लगा। अब उसको भी धीरे-धीरे मजा आ रहा था। जब वो अन्दर लंड लेने को तैयार हो गई.. तो मैंने कहा- तेल लगा ले चूत पर और मेरे लंड में भी थोड़ा लगा दे। तो बोली- नहीं.. मुझे घिन आती है तेल से सारा चिपचिपा हो जाएगा..
‘दर्द होगा.. तो?’ बोलने लगी- ऐसे ही अन्दर डाल दो।
मैंने जब चूत पे अपना लंड लगा कर जो धीरे-धीरे रगड़ा.. तो कसम से उसे इतना मजा आया.. कि चुदास से भर के बोलने लगी- बस जल्दी अन्दर डाल दे। मैंने कहा- दर्द होगा। बोलने लगी- कुछ नहीं होगा.. बस तुम डाल दो।
मैंने उंगली से उसकी चूत चौड़ी करके हल्का सा धक्का मारा तो उसके मुँह से चीख निकल गई.. वो और मुझसे दूर हो गई.. उसका सारा मजा गायब हो गया। फिर मैंने उसे समझाया कि थोड़ा दर्द होगा.. लेकिन बाद में बहुत मजा आएगा। कहने लगी- ठीक है।
मैंने उसे दुबारा गर्म किया.. चूचियां पीं.. चूत को सहलाया और वो गर्म हो गई। अब वो बोलने लगी- मैं चाहे कितना भी चिल्लाऊँ… तुम लंड को अन्दर डाल ही देना। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मैंने फ़िर लन्ड घुसाने की कोशिश की.. तो वो दुबारा इतनी तेज चिल्लाई कि साली की बाहर तक आवाज चली गई होगी। मैंने उसको छोड़ दिया।
रात के दो बज रहे थे.. मेरा दिमाग खराब हो चुका था। लंड तो बेचारा मन मार कर सो ही गया था। सोनिया की आंख से आंसू आ रहे थे, वो अपनी चूत को सहला रही थी, उसकी चूत में दर्द हो रहा था। मैं उसको धीरे से बांहों में लेकर सहलाने लगा।
सुबह के 5 बज गए थे.. तो मैं धीरे से उसका गेट खोल कर अपने घर आ गया। मम्मी ने कहा- इतनी सुबह क्यों आ गया.. रात को सोया नहीं था क्या?
मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और चुपचाप अपने कमरे में आकर मुठ मारकर सो गया।
सुबह दस बजे उसका फिर फोन आया.. और वो कहने लगी- भगवान भी पता नहीं कैसे मर्दों को लंड दे देते हैं.. चूत सामने थी.. फिर भी कुछ नहीं कर पाया। मैंने कहा- बिना मारे तेरी चूत फट गई.. अगर लंड घुसा देता तो पता नहीं क्या होता। वो बोली- मर्द बनने का इतना ही शौक है तो एक बार और आ जाओ। मैंने कहा- ठीक है..
इस बार अपने साथ मैं तेल ले ही गया। उसने अपना दरवाजा खोला हुआ था। मैं धीरे से अन्दर गया। अन्दर जाते ही मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया और बिस्तर पर पटक दिया। उसके कपड़े फाड़ कर निकाल दिए.. अपने कपड़े भी निकाले।
मैंने तेल उसकी चूत पर लगाया और उसकी चूत पर लंड को धीरे-धीरे सहलाया। उसकी चूचियों को अपने हाथ से पकड़ा उसके होंठों को अपने होंठ से दबा लिए ताकि चीख न निकल सके। कसम खुदा की एक ही झटका ऐसा मारा कि चीख तो निकलनी दूर की बात है.. वो बहन की लौड़ी बेहोश हो गई।
मैंने अपना लन्ड बाहर निकाला.. और उसके मुँह पर पानी डाला। उसे होश आया और वो एकदम से रोने लगी। उसकी चूत से भी खून बह रहा था। मैंने उसका खून साफ़ किया.. दुबारा अपने लंड पर तेल लगाया.. तो वो फ़िर से डर गई।
कहने लगी- अब नहीं करूँगी। मैंने कहा- जानेमन अब तुम्हारी सील टूट चुकी है.. अब तुम्हें दर्द नहीं होगा।
मैंने उसे बांहों में लेकर उसकी चूत में लंड दुबारा घुसाया तो उसे इतना दर्द नहीं हुआ.. और धीरे-धीरे बाद में उसे मज़ा भी आने लगा, वो बोलने लगी- थोड़े तेज धक्के लगा मेरे गोलू।
मैंने उसकी चुदाई की स्पीड तेज कर दी, वो चूत को उछाल कर मेरा लंड अन्दर तक ले रही थी, मैं उसकी चूचियों की पी रहा था.. तो उसे और मजा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद हम दोनों का पानी छूट गया.. और मैं अपना लन्ड उसकी चूत में ही डाले हुए ही सो गया।
कुछ देर बाद मैं अपने घर आ गया और दुबारा सो गया। अगले दिन उसने मुझे फोन किया और बोली- गोलू मुझसे उठा नहीं जा रहा है.. मेरी चूत सूज गई है। मुझे डाक्टर के पास ले चलो। मैंने कहा- डाक्टर को क्या बताओगी.. चूत मरवाई थी.. इसलिए सूज गई? वो कहने लगी- तो क्या करूँ? मैंने कहा- मैं दवाई लेकर आ रहा हूँ।
मैं उसके घर दवा लेकर गया.. और कहा- दिखा अपनी चूत। उसकी चूत बहुत मोटी हो गई थी। मैंने उसकी चूत में थोड़ी क्रीम लगाई। चूत पर हाथ लगाने से उसे मजा आ रहा था और मेरा भी लंड खड़ा हो गया था।
मैंने उससे कहा- मेरी दवा लगाने की फ़ीस कहाँ है? उसने कहा- फ़ीस तो तुम्हारे सामने है.. ले लो.. मैंने पूछा- दर्द होगा? वो बोली- दर्द में ही तो मजा है।
मैंने फ़िर एक बार उसकी चूत में लंड घुसा दिया। इस बार उसे दर्द से ज्यादा मजा आ रहा था। उस दिन मैं पूरे दिन उसी के घर रहा और 3 बार उसकी चूत मारी।
चार दिन बाद उसके साथ एक घटना घटी। उस घटना के साथ ही स्कूल वाली आन्टी को मैंने कैसे चोदा.. ये मैं अगली कहानी में बताऊँगा।
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