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अब तक आपने पढ़ा.. शालू की चूत गर्म हो उठी थी और वो अब चुदने के लिए मचलने लगी थी। अब आगे..
अब उसे काफी मज़ा आने लगा, नीलू भी आगे से शालू के मम्मे दबाने लगी।
मैं शालू की चूत के अन्दर जीभ डाल कर चूस रहा था और उसकी गांड तक जीभ फिरा रहा था। उसकी चूत और गांड के बीच के रास्ते को भी जीभ से चाट रहा था.. जिससे शालू के जिस्म में थरथराहट हो रही थी और सिसकारियाँ निकल रही थीं- आह उई.. आह सीई.. दीदी आह दीदी.. मज़ा आ रहा है.. सी सी.. वो मादक स्वर में ऐसे ही बोले जा रही थी।
नीलू ने शालू को हौसला देते हुए कहा- रुक बेबी.. अभी तो और मज़ा आएगा.. आज तेरी जवानी का उद्घाटन होने जा रहा है बेबी। मैंने शालू को कहा- शालू मज़ा आ रहा है न? शालू ने अपने दूध मसलते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया और बोली- आह हाँ जी.. जी.. आह..
अब मैंने उसकी चूत को चूसना छोड़ कर उसकी चूत की फांकों को अलग-अलग करके देखा.. तो उसकी चूत बिल्कुल बंद पड़ी थी।
मैंने उसकी चूत की दोनों फांकों को दोनों हाथों से अलग-अलग करके नीलू को भी दिखाया.. तो देखकर नीलू बोली- दिखाते क्या हो यार.. आज मेरी प्यारी शालू की सील खोल दो न..
मैंने नीलू की गांड पर भी एक चपत लगाई और कहा- हाँ साली.. वो तो अभी खोलूँगा ही.. मुझे लगता है शालू से ज्यादा तू ज्यादा उतावली हो रही है अपनी सील खुलवाने के लिए! मैंने मज़ाक किया था।
नीलू बोली- पहले शालू की खोल दो फिर बताती हूँ कौन उतावला है.. आज तेरा दम मैं भी देखती हूँ। इस कच्ची कली की सील खोल कर दिखा तो मानूँ। नीलू ने भी मज़ाक का जवाब मुझे मज़ाक में दिया।
आज मैं अपनी चुदाई के सफर में एक और नया इतहास रचने जा रहा था। मैंने शालू से एक बार फिर पूछा, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि शालू के साथ कोई जबरदस्ती हो।
मैंने शालू से पूछा- शालू बेबी.. सच सच बता.. अब तेरा दिल करता है इस मज़े के खेल में शामिल होने के लिए.. आज सील तुड़वाने के लिए तू सहमत है न बेबी?
तो नीलू ने मेरी तरफ एक बार थोड़ा गुस्से से देखा.. परन्तु शालू ने सिसकते हुए जवाब दिया- उन्ह आह.. हाँ जी.. अब तो जो मर्जी हो जाए.. मैं पूरी तैयार हूँ.. आह उन्ह.. ये जवानी बहुत तड़पाती है। वो सिसकती हुई आवाज़ से बोली..
तो मैंने अब उसकी चूत की खुली फांकों जो एक तरबूज की तरह लाल दिख रही थीं.. में अपना लंड रखा और शालू की चूत के अन्दर अपना विशाल लंड पेल दिया।
मेरे लंड और शालू की चूत को पहले ही नीलू ने क्रीम लगाकर लुब्रिकेट कर दिया था, अब मेरा लंड थोड़ा सा आगे गया और आगे जाकर थोड़ा रुक गया.. जैसे आगे कोई फाटक बंद हो।
मैं समझ गया था कि ये शालू की झिल्ली (सील) है। मैंने अब एक और झटका लगाया और शालू की जीभ को अपने मुँह में ले लिया और उसके मम्मों को अपनी छाती से दबा दिया।
मैंने जैसे ही झटका लगाया तो शालू सिसकने लगी और जिस शालू को अभी मज़ा आ रहा था, वही शालू अब दर्द से तड़प उठी। अगर मैंने उसे अपनी बांहों से पकड़ा न होता तो शायद उठ कर भाग जाती।
मैंने शालू के होंठों और जीभ को मुक्त नहीं किया.. क्योंकि मुझे मालूम था कि अगर इसे छोड़ दिया तो ये चीखने लगेगी।
मैंने नीचे से धक्के लगाने जारी रखे और उसकी मुलायम रेशमी चूत में मेरा विशाल लौड़ा अन्दर तक चला गया और मेरे लंड को गर्म सी धार महसूस हुई जो उसकी चूत से बह रही थी।
इधर ऊपर से शालू ने भी बहुत छटपटाना शुरू कर दिया, नीलू पास खड़ी ये सब देख रही थी, वो बोली- मेरी शालू बर्दाश्त कर थोड़ा.. बस अभी मज़ा आएगा.. बस बेबी।
मैंने समझ लिया कि ये गीलापन शालू के कुंवारापन फूटने की निशानी है, मैंने हल्के-हल्के झटके लगाने जारी रखे और अब मुझे लगा कि उसका दर्द थोड़ा कम हो गया.. तो मैंने उसके होंठों और जीभ को आज़ाद कर दिया।
जैसे ही मैंने शालू के होंठ छोड़े तो वो बोली- उफ़ आह.. छोड़ दो मुझे प्लीज़.. दीदी छुड़वा दो मुझे.. मैंने नहीं करवाना कुछ भी.. मैंने कहा- बेबी बस.. अब तो जो होना था हो गया.. अब बस मज़ा आएगा तुझे।
शालू दर्द से अभी भी थोड़ा कराह रही थी, तो मैंने उसका ध्यान और दर्द बंटाने के लिए कहा- शालू बेबी, तुम सुन्दर तो बहुत हो.. क्या लगाती हो.. अरे तुमने तो अपने आपको बहुत सम्भाल कर रखा हुआ है।
वो थोड़ा मुस्कराते हुए शर्मा गई पर बोली कुछ नहीं। मैंने बातों को जारी रखते हुए फिर कहा- बेबी, तुम्हारे घर में कौन-कौन है?
मैं तो बस उसका ध्यान कुछ देर के लिए उसके दर्द से हटाना चाहता था। वो थोड़ा सिसकते हुए बोली- उन्ह आह.. सी उन्ह.. बाऊ जी.. माताजी.. छोटी बहन और भाई बस उन्ह..’
सिसकते हुए ही उसने ये वाक्य पूरा किया ही था कि मैंने एक हल्का सा झटका और लगा दिया। अब तक शालू का दर्द मजे में बदल चुका था।
मैंने शालू की चूत से एक बार पूरा लंड बाहर निकाल कर दुबारा अन्दर करके एक झटका लगाया, जिससे उसे असीमित आनन्द की अनभूति हुई।
वो मजेदार सिसकी लेकर बोली- उन्ह आह आई.. सी सी.. मज़ा आ गया उई माँ.. अब मुझे यकीन हो गया था कि अब शालू का दर्द खत्म हो चुका है और अब उसे बस मज़ा ही आएगा।
तभी उसके आगे जाकर नीलू ने उसका एक चुम्मा लिया और बोली- देखा मेरी लाडो.. अब आ रहा है न मज़ा.. अब तो इस से भी ज्यादा मज़ा आएगा।
यह कहकर उसने मुझे शालू को बेड पर पूरा लिटाने के लिए कहा।
मैंने शालू को बेड पर लिटा कर उसकी दोनों टाँगें अपने कधों पर रख लीं और उसकी चूत में जोर-जोर से शॉट लगाने लगा। शालू लौड़े के झटकों से मिलने वाले मजे से मादक सिसकियाँ लेती रही।
नीलू आगे से उसके मम्मों को मसल और सहलाती रही, जिससे शालू को और मज़ा आने लगा था। नीलू को भी बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था, मुझे महसूस हुआ कि अब शालू के कुंवारेपन का चश्मा कभी भी फूट सकता है।
मैंने उसके अन्दर अपने लंड के झटके थोड़ा तेज कर दिए ताकि वो अपनी जवानी का पहला कामरस छोड़ कर अपनी जवानी के पहले कामदेव के मज़े को प्राप्त कर ले।
मैंने जैसे ही झटका लगाया तो शालू के मुख से बस सिसकारियां ही निकल रही थीं।
शालू ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और उसके मुख से अस्पष्ट शब्द निकलने लगे।
मैंने अंदाजा लगा लिया कि अब शालू, अपनी जवानी का पहले मर्द का चरमसुख प्राप्त करने वाली है, मैंने भी उसे अपने आगोश में ले लिया और कस कर उसे पकड़ लिया।
अब उसकी जवानी का सैलाब बरस पड़ा और उसकी चूत से कामरस का चश्मा फूट पड़ा जो मेरे लंड को भिगोता हुआ नीचे की तरफ बहने लगा। मैंने शालू को अपने आगोश में पूरी तरह कस रखा था, ताकि वो अपनी जवानी का सुख अच्छी तरह प्राप्त कर ले।
उसके मुँह से अस्पष्ट से शब्द निकल रहे थे.. वो जैसे नीलू का धन्यवाद कर रही थी, वो कह रही थी- उन्ह आह्ह…. सी.. सी उई दीदी आह.. ओह मज़ा… आ रहा है उई दीदी.. पकड़ लो आह… उई मैं गई… आह उई… इस तरह शालू का पहला कामरस बह चुका था।
शालू को आगे बढ़ कर नीलू ने भी पकड़ लिया और बोली- मज़ा आ रहा है न मेरी रानी.. मैंने कहा था न कि तुझे बहुत मज़ा आएगा।
इस तरह कुछ देर और शालू और मैं इसी अवस्था में रहे और कुछ देर बाद मैंने शालू को छोड़ दिया। अब शालू मेरे से अलग हुई तो नीलू ने उसे एक तौलिया दिया.. जिससे शालू ने अपनी चूत को साफ़ किया। हमारी चुदाई देख कर नीलू की चुदास भड़क उठी थी, उसने तुरंत मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे बड़ा करने लगी।
कुछ देर बाद ही, संजय का फ़ोन आ गया, वो शहर में आ चुका था और बस घर का रास्ता पूछ रहा था।
मैंने उसे रास्ता समझाया और हमने सब कुछ छोड़ा और पहले उसे मिलने की तैयारी करने लगे।
अब हम सभी नंगे थे, तो मैंने शालू को कहा- शालू साली.. इधर आओ, आज से तू मेरी साली.. ठीक है? शालू ने मुस्कुरा कर ‘हाँ’ में सर हिलाया, वो अभी भी शर्मा रही थी।
मैंने कहा- देख शालू शर्माना मत, अगर शर्माना है तो फिर हम तुझे अपने पास नहीं बुलाएंगे.. देख हम भी तो खुल कर बोल रहे हैं न.. तू भी खुल कर बोल और बता.. तुझे कितना मज़ा आया है और क्या अब तुझे ऐसा मज़ा दुबारा लेना है?
इस बार शालू थोड़ा शर्माते हुए बोली- हाँ जी मज़ा तो बहुत आया जी.. आपको ‘थैंक्स’ मज़े के लिए। मैंने उससे फिर पूछा- ऐसा मज़ा दुबारा लेना है.. अब साली, शरमाना बंद कर.. और मुझे जीजू कह कर बुला।
इसी बीच नीलू भी बोली- शालू यार आज से तू मेरी छोटी बहन है और तू इन्हें जीजू कह और खुल कर बोल साली.. अब तो तूने खूब मज़ा भी ले लिया है। इसी के साथ ही नीलू ने उसे आँख मार दी।
शालू फिर थोड़ा खुल कर बोली- हाँ जीजाजी.. कभी ले लेंगे फिर। नीलू बोली- अरे फिर क्यों.. आज ही फिर से ले लेंगे.. अभी मैंने भी नहीं लिया, तेरे बहाने आज मैं भी ले लूंगी। शालू शर्मा कर अपने कपड़े पहनने लगी तो मैंने कहा- अरे कपड़े पहनने की क्या जरूरत है?
मैंने उसे फिर से पकड़ लिया और किस करने लगा। हम चाहते थे आज शालू भी अच्छी तरह खुल जाए, तभी शालू ने भी साथ देना शुरू कर दिया।
अब मैंने एक हाथ उसकी गांड के ऊपर फेरना शुरू कर दिया, आगे से नीलू ने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी। मेरा लंड भी फिर से खड़ा होने लगा था।
हालाँकि हमें मालूम था कि संजय यहाँ आने वाला है.. परन्तु मैं उसे संजय के आने तक नंगी ही रखना चाहता था ताकि उसकी शरम अच्छी तरह से उतार दूँ।
मुझे उम्मीद है कि आप सभी को कहानी में मजा आ रहा होगा।
बस अब दोनों छेदों में चुदाई का हश्र होता है इसी को देखना है। मैं आप सभी अगले भाग में इसी रस को लेकर मिलता हूँ।
आपके ईमेल का स्वागत है। [email protected] कहानी जारी है।
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