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यह एक सत्य घटना है।
मैं अरुण साउथ दिल्ली से हूँ.. मेरी फैमिली में हम एक भाई और तीन बहनें हैं, सबसे बड़ा मैं हूँ.. जो मुझसे छोटी बहन है, उसको मैं अकेले में डार्लिंग कहकर बुलाता हूँ। वैसे तो सेक्स सम्बन्धी हरकतों की शुरूआत तो हमने बचपन से ही कर दी थी.. क्योंकि मेरे मम्मी-पापा हमारे पास ही सोते थे।
हमने उनको कभी सेक्स करते हुए तो नहीं देखा.. पर कमरा एक होने के वजह से हमें उनकी बातें सुनाई देती थीं क्योंकि वो लाइट बंद कर देते थे.. तो कुछ दिखता नहीं था.. पर उनकी सेक्सी आवाजें हमें सुनाई देती थीं।
मेरी मम्मी कहती थीं- आराम से पेलो आह्ह.. मार दिया.. आराम से.. आह्ह.. आराम से.. ऊह.. आहह.. यह सुनकर मेरे अन्दर सेक्स की भावना जाग जाती थी। ये तो मैं सही तरीके से नहीं बता सकता कि मैंने कब से शुरुआत की.. पर मैं अपनी बहन के साथ सेक्स जैसा कुछ करता था.. पर उन दिनों हमें पता नहीं था कि सेक्स करते कैसे हैं।
मुझे तो ये भी नहीं पता था कि असल में लड़की के आगे चूत में ही लंड घुसाया जाता है। मैं तो अपनी बहन की गाण्ड में ही अपना लंड घुसाता था.. पर सही में तो घुसता भी नहीं था.. बस ऊपर से लगता था, उसकी चूत पर हाथ लगाता था। उसकी चूची तो समझो थी ही नहीं.. पर मैं उसको अपना लंड पकड़ा देता था, वो भी आराम से पकड़ लेती थी। ये सब चलता रहता था..
पर पहली बार जब मैंने उसको सचमुच में चोदा.. उस घटना को आज मैं बताने जा रहा हूँ। ज़रा आराम से सुनना और मुझे रिप्लाई ज़रूर करना।
उस समय मैं स्कूल में स्टडी करता था। मेरी बहन ने स्कूल जाना छोड़ दिया था। वो घर पर ही रहती और घर का काम करती थी। हमारे घर में दो कमरे थे।
कुछ दिनों के लिए मेरे मामा और मामी हमारे घर आए हुए थे, उनकी अभी नई-नई शादी हुई थी इसलिए वो अलग कमरे में सोते थे और एक में हम सब यानि पूरा परिवार सोता था।
उस दिन रात को मैं पेशाब करने के लिए उठा तो मामा के कमरे की लाइट जल रही थी। मैंने झाँक कर देखा तो मैं देखता रह गया। मामा बिल्कुल नंगे हो कर मामी के ऊपर चढ़कर मामी को चोद रहे थे। उनका मोटा लंड मैंने साफ देखा। यह देख कर मैं उत्तेजित हो गया।
वो किसी 5 स्टार होटल में काम करते थे.. इसलिए वो सेक्स मैगजीन लाते रहते थे। एक दिन वो किसी काम से मामी के घर गए और रात को वहीं रुक गए।
मैंने पापा को बोला- मुझे रात को पढ़ना है इसलिए मैं मामा के कमरे में सोने जा रहा हूँ। तो मेरी दोनों छोटी बहनें भी बोलीं- हम भी वहीं सोएंगी। तब पापा बोले- ठीक है।
दोनों बहनें एक चारपाई पर.. और मैं अपनी बहन के साथ वाली एक चारपाई पर लेट गया। इसी चारपाई पर मैंने मामा-मामी की चुदाई की रासलीला देखी थी।
मैं लैम्प जलाकर पढ़ने लगा.. पर उस दिन पढ़ाई कहाँ होनी थी, उस दिन तो मुझे अपनी बहन की चुदाई का ध्यान बार-बार आ रहा था। मैंने एक दिन पहले मामा की अलमारी में एक सेक्स मैगजीन देखी थी.. उसमें एक लड़का और लड़की आपस में बिल्कुल नंगे चिपके हुए थे, ऐसा लगता था कि लड़के का लंड लड़की की चूत में पूरा घुसा हुआ था।
मैंने चुपके से वो मैगजीन निकाली और अपनी बहन को दिखाई, तब तक मेरी छोटी बहन सो चुकी थीं।
फिर क्या था.. नंगी फोटो देख कर मेरी बहन भी उत्तेजित हो गई। मैंने कुछ देर बाद लैम्प बंद कर दिया। तो पापा की आवाज आई- क्या हुआ अरुण.. तुम पढ़ नहीं रहे हो? तो मैंने पापा से कहा- सवेरे 4 बजे उठ कर पढूंगा। पापा बोले- ठीक है।
फिर मैंने अपनी बहन की चारपाई पर हाथ घुमाने लगा क्योंकि दोनों चारपाई आपस मैं सटी हुई थीं। इसलिए मेरे हाथ मेरे बहन के बदन तक आसानी जा रहे थे।
मैंने उसकी चूची को दबाया और उससे कहा- मेरे पास आ जा। वो आसानी से मेरे पास आ गई, मैंने उसको चूमना-चाटना शुरू कर दिया उन दिनों तक हम लगभग पूरे जवान हो चुके थे यानि कि मेरा वीर्य भी निकलने लगा था और मेरी बहन को माहवारी यानि पीरियड आते थे, उसकी चूत में झांटें यानि बाल भी खूब ज्यादा और काले घने थे।
मैंने जल्दी से उसकी सलवार खोल दी, उसने आसानी से उसे नीचे कर दिया और मैंने अपना अंडरवियर भी निकाल दिया।
मैंने अपना लंड उसको पकड़ा दिया उसका हाथ लगते ही वो एकदम खड़ा हो गया।
फिर क्या था.. मैं उसके ऊपर चढ़ गया। वो कुछ नहीं बोली तो मैं अपना लंड उसकी चूत पर रख कर अन्दर घुसाने लगा। पर लौड़ा घुस नहीं रहा था क्योंकि उसकी चूत काफ़ी टाइट थी।
उसकी चूत एकदम टाइट क्योंकि उसकी सील भी नहीं टूटी थी। किसी तरह लौड़ा पेला उसको दर्द हुआ.. पर वो होंठों को भींच कर दर्द सहती रही। मैं धीरे-धीरे उसको ऊपर से चोद रहा था.. क्योंकि ज़्यादा घुसते ही वो चिल्ला सकती थी।
उसने कहा- धीरे-धीरे कर.. दर्द हो रहा है।
मेरा लंड कोई एक इंच या दो इंच ही उसकी चूत में गया होगा कि वो रोने लगी और कहने लगी- बस करो.. अब दर्द हो रहा है।
मैं भी डर गया कि कहीं साथ के कमरे में मम्मी-पापा तक आवाज़ ना चली जाए। इसलिए मैं उसे धीरे-धीरे जितना लौड़ा चूत में घुसा चुका था.. उसी से चोदने लगा।
कोई 5 मिनट के बाद मेरा पानी निकल गया और मैं अपनी बहन के ऊपर ही लेट गया। वो भी काफ़ी खुश थी मेरा सारा पानी उसकी चूत में भर गया था। माल चूत की जड़ तक अन्दर तो गया ही नहीं था.. क्योंकि पूरा लंड तो अन्दर घुसा ही नहीं था और ना ही उसकी सील टूटी थी।
इसलिए सारा पानी मतलब मेरा वाइट कलर का गाढ़ा वीर्य उसकी चूत के ऊपर और झाँटों में पूरा गिर गया था। काफ़ी सारा निकला था.. शायद पहली बार ही इतना अधिक निकला होगा। असल में रात को नाइट फॉल तो कई बार हो चुका था.. पर किसी लड़की की चूत में लौड़ा रगड़ने से पहली बार ही निकला था।
वो कुछ नहीं बोली और सलवार से पोंछ कर उसने सलवार पहन ली। फिर वो अपने बिस्तर पर मेरी छोटी बहन के साथ जाकर सो गई। उसके बाद जब भी हमें समय मिलता.. तो हम चुदाई करते थे.. पर मैंने कभी भी उसकी सील नहीं तोड़ी.. बस इतना ही लंड घुसड़ेता था.. जिससे कि उसको दर्द ज़्यादा ना हो और सही तो ये था कि हमें पूरी तरह से पता भी नहीं था कि लंड पूरा घुसाया जाता है और उसके पानी से बच्चा होता है। मेरा भी पानी जल्दी ही निकल जाता था।
इस तरह मैंने अपनी बहन को कई बार आधा अधूरा चोदा।
उसकी दूसरी चुदाई की दास्तान मैं अगली कहानी में बताऊँगा।
अब मेरी शादी हो चुकी और मेरे दो बच्चे भी है.. दोनों बेटे हैं। मेरी वाइफ भी काफ़ी सुंदर है। मैं उसे डेली चोदता हूँ.. लेकिन एक कमी है जो शायद वो कभी पूरा नहीं कर सकती। इसलिए मैं कामुक कहानियां पढ़ता और लिखता रहता हूँ।
मेरी वाइफ गाँव की रहने वाली है.. वो लंड चूसना और चूत चटवाना पसंद नहीं करती है। मैं तो तब भी कभी-कभी उसकी चूत चाट लेता हूँ.. पर उसने मेरा लंड एक बार भी नहीं चूसा है।
इसलिए मैं चाहता हूँ कि कोई लड़की कुंवारी हो.. शादीशुदा हो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.. बस मुझे तो चुदाई से मतलब है। वो मेरा लंड चूस ले और मैं उसकी चूत को पहले चाटूं और फिर जमकर चुदाई करूँ। बस यही मेरी ख्वाहिश है। देखो कब पूरी होती है.. जब भी होगी आप सभी को जरूर लिखूंगा।
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