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हैलो फ्रेन्ड्स.. इन्सेस्ट यानि पारिवारिक सेक्स स्टोरी पसंद करने वाले पाठकों ख़ास आपके लिए मैं यह कहानी लिख रहा हूँ।
मेरा नाम डी एस है, घर में मुझे अक्की कहते हैं। लखनऊ का रहने वाला हूँ। मैं 21 साल का हूँ.. मेरे घर में मम्मी-पापा और मेरी बड़ी दी रहती हैं। मेरी दी जॉब करती हैं और पापा बैंक में जॉब करते हैं। मैं दिल्ली में दिल्ली यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग कर रहा हूँ।
यह कहानी मेरी और मेरी बहन के बीच की है, मेरी बहन से आशय मौसी की बेटी से है। मेरी मौसी की लड़की 18 साल की है, वो देखने में एक मस्त माल है, उसका नाम स्नेहा है, वो अभी 12 वीं में पढ़ रही है और कॉम्पिटीटिव एग्जाम की तैयारी भी कर रही है। मेरी मौसी की फैमिली बनारस में रहती है।
मेरा एक सेमस्टर खत्म हुआ और मैं घर जाने वाला था। जैसे ही मैं लखनऊ में अपने घर पहुँचा और माँ-पापा और दी से मिला.. सब बहुत खुश हुए, हम सबने साथ में बैठ कर खूब बातें की।
शाम को मेरी माँ के पास मेरी मौसी का फोन आया, वो बोलने लगीं- अक्की आया हुआ है क्या? अक्की मेरे घर का नाम है। तो माँ बोलीं- हाँ..
मौसी ने मुझे उनके घर भेजने को बोला क्योंकि वो अपनी बेटी को मुझसे पढ़वाना चाहती थीं और स्नेहा भी इंजीनियरिंग करने के लिए बोल रही थी। इस तरह मौसी ने मुझे अपने घर बुलवा लिया और में अगले दिन बनारस पहुँच गया।
मैं मौसी के घर पहुँचा तो सबसे मिला और सबने अच्छे से मेरा स्वागत किया। हम सभी ने साथ में खाना खाया।
शाम को स्नेहा स्कूल से घर आई तो मैं उसे देखता रह गया। वो भरपूर जवान हो गई थी। उसका बदन काफी भर गया था। उसको मैं लगभग 4 साल बाद देख रहा था।
वो आई और मेरे गले से लग गई। जैसे ही वो मेरे सीने से लगी.. मेरा दिमाग़ खराब हो गया और मेरे लंड राजा को कुछ होने लगा ओर वो उछलने लगे।
जब मैंने 4 साल पहले उसे देखा था.. तब उसका फिगर कुछ ख़ास नहीं था लेकिन अब वो जवान हो गई थी.. उसका फिगर गदराया हुआ हो गया था।
अब वो 34डी-28-32 की पूरी चलती-फिरती आयशा टकिया जैसी माल लगने लगी थी। हम सब साथ में बैठे और बातें करने लगे।
फिर रात हो गई, हम सभी ने खाना खा लिया और सब सोने चले गए। मैं छत पर चला गया क्योंकि मुझे ख़ाने के बाद सिगरेट पीने की आदत थी।
मैंने ध्यान नहीं दिया कि स्नेहा भी मेरे पीछे-पीछे छत पर आ गई है। जैसे ही मैंने सिगरेट जलाई वो पीछे से आगे आ गई और गुस्सा करने लगी।
मैंने उसको शांत किया और हम बैठ कर बातें करने लगे। हम बातें करते-करते बचपन की यादों में पहुँच गए।
हम बचपन से ही साथ खेलते थे और खेल-खेल में मैं उसकी चूत में उंगली कर देता था.. तो कभी उसकी गांड के छेद में उंगली कर देता था।
इन सबसे उसको भी मज़ा आता था.. कभी-कभी वो मेरा लंड भी चूसती थी।
एक बार मैंने उसकी चड्डी उतार कर अपना छोटा सा लंड उसकी चूत में डालने की भी बहुत कोशिश की थी लेकिन अन्दर नहीं गया था।
इन सब बातों को याद करते हुए मैंने उससे पूछा- याद है कि हम क्या खेल खेलते थे? तो वो शर्मा गई और बोलने लगी- भैया तब हम बच्चे थे और वो सब ग़लत था।
मैंने उससे पूछा- वही खेल फिर से खेलना चाहोगी? वो मना करने लगी और बोलने लगी- नो.. अब करोगे तो मम्मी को बता दूँगी।
मैं डर गया और चुप हो गया। वो पूछने लगी- क्या हुआ? तो मैंने कहा- मैं कल ही वापस चला जाऊँगा।
अब वो मुझे मनाने लगी। मैंने उससे बोला- मैं एक ही शर्त पर रुकूँगा। वो मान गई तो मैं झट से उठा ओर मैंने अपना लंबा और काफी मोटा फनफनाता हुआ खड़ा लंड निकाल कर खड़ा हो गया।
उसने मुँह फेर लिया और बोलने लगी- पहले इसको अन्दर करो। मैंने बोला- तुमने प्रॉमिस किया है। अब वो कुछ नहीं बोल सकी।
मैंने झट से अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और लंड डालते ही मुझे जन्नत हासिल हो गई।
अब मैं अपने लंड को उसके गले के अन्दर तक उतार कर उसके मुँह को चोदने लगा। ‘उघह.. उघह..’ की आवाजें आने लगीं। उसके मुँह से उसका थूक निकल रहा था पर मैं रुका नहीं और मैं उसके मुँह को चोदता रहा।
उससे सांस नहीं ली जा रही थी और वो मुझे धक्का मार रही थी, पर मैंने उसका सर जोर से पकड़ा हुआ था। वो कुछ नहीं कर पा रही थी। कुछ मिनट चोदने के बाद उसको थोड़ा मजा आने लगा।
अब उसने मुझे धकेलना बंद कर दिया था और खुद मजे से लौड़ा चूसने लगी थी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. मैं झड़ने वाला था.. पर मैंने उसको बताया नहीं और उसका सर ज़ोर से पकड़ के दबाने लगा।
अगले कुछ पलों में मैंने जोर से पिचकारी मारी और उसके गले के अन्दर झड़ गया। उसको उल्टी आने वाली थी.. पर मैंने उसको पीने को बोला।
वो बड़ी मुश्किल से माल को पी पाई.. और अब मैं उसके साइड में बैठ गया। फिर कुछ पल बाद वो वहाँ से भाग गई और मैं छत पर ही सो गया।
घर में गर्मी बहुत थी.. इसलिए जब मैं सुबह उठ कर नीचे गया तो मुझे डर था कि कहीं स्नेहा ने सब बता ना दिया हो, पर थोड़ी देर घर का माहौल देख कर मैं समझ गया कि उसने नहीं बताया है।
अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया कि उसको मैं अब चोद भी सकता हूँ.. पर कैसे.. ये अभी मुझे देखना था। मुझे कोई मौका ही नहीं मिल रहा था।
मुझे अब घर पर रहते हुए 6 दिन हो गए थे और रोज़ मैं छत पर उसका अपना लंड चुसाता और उसको अपना माल पिलाता था।
एक दिन जब वो रात को मेरा लंड चूस रही थी.. तो मैंने उसको बोला- मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ। वो मना करने लगी.. मैंने उसको बहुत मनाया पर वो नहीं मानी।
अगले दिन सुबह जब मैं उठा तो देखा कि मौसी-मौसा तैयार हो रहे थे, वे कहीं जाने की बात कर रहे थे। मैंने मौसी से पूछा- आप कहाँ जा रही हो? तो वो बोलीं- मैं और तेरे मौसा कहीं काम से जा रहे हैं.. हम लोग कल आ जाएँगे।
यह सुनते ही मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैं पागलों की तरह खुश होने लगा।
वो बोलीं- बेटा स्नेहा के एग्जाम पास आ रहे हैं.. उसका अच्छे से पढ़ाना। मैंने बोला- जी.. आज सब कुछ अच्छे से पढ़ाऊँगा।
थोड़ी देर बाद वो लोग चले गए और मैं नहाने चला गया। जब मैं बाहर आया तो स्नेहा ने ब्रेकफास्ट तैयार करके रखा था और वो मेरा इंतज़ार कर रही थी। मैं गया और खाने लगा।
मैं सोचने लगा बेटा अक्की.. इससे अच्छा चान्स नहीं मिलेगा.. अपनी बहन को चोदने का.. चोद दे आज.. कर डाल अपनी दिल की तमन्ना पूरी.. और बस मैं प्लान बनाने लगा।
मैंने उससे पूछा- जब मैं तुमको अपना लंड चुसाता हूँ.. तो तुमको कैसा लगता है?
वो कुछ नहीं बोली.. मैंने उससे फिर पूछा.. पर इस बार वो उठी और अपने कमरे में चली गई। मैं उसके पीछे-पीछे वहाँ पहुँच गया, वो बिस्तर पर उल्टी लेटी थी.. उसकी 32 साइज़ की उभरी हुई गांड देख कर मेरा लंड फनफनाने लगा।
मुझसे रुका नहीं गया.. मैंने जाते ही उसकी गांड पकड़ ली और सहलाने लगा। वो चौंक गई और उसने पीछे देखा। वो बोली- भैया.. यह ग़लत है, मैं आपको राखी बांधती हूँ.. आप मेरे भाई हैं।
तो मैं झट से बोला- मैं तुझे मंगलसूत्र बाँध देता हूँ.. तो तू मेरी बीवी बन जाएगी.. तब तो मुझे चोदने देगी?
वो इस पर कुछ नहीं बोली और चुपचाप लेटी रही। उसका इशारा सीधा था.. उसको भी मज़ा आ रहा था।
मैंने देर ना करते हुए एक हाथ उसकी गांड दबाता रहा और दूसरे हाथ से उसके 34डी के चूचे दबाने लगा तो उसके मुँह से आवाज़ें निकलने लगीं ‘अहह आहहहह.. अहह अहह.. उम्म्म्म उम्म्म्म..’
मैं रूका नहीं.. मैंने उसको सीधा किया और उसके होंठों पर अपने होंठों को रख कर चूसने लगा। पहले तो वो मेरा साथ नहीं दे रही थी.. पर थोड़ी देर बाद वो भी साथ देनी लगी।
मैं उसके होंठों के साथ उसकी गर्दन को भी चूम रहा था.. जो उससे और अधिक मदहोश कर रहा था।
मैंने चुपके से अपना पैन्ट उतार दिया और चड्डी में आ गया। अब मैंने उसके हाथ में अपना लंड थमा दिया। उसने झट से पकड़ लिया और हिलाने लगी। मेरा लंड बहुत टाइट हो गया था और पूरा खड़ा हो गया था।
मैंने उसको खड़ा किया और उसकी सलवार उतार दी। वो ब्लैक पैन्टी में क्या मस्त लग रही थी.. उसकी फूली हुई चूत बहुत सुंदर लग रही थी और उसकी गांड का तो क्या कहना।
मैंने उसकी चूत को जैसे ही छुआ वो उछल पड़ी और उसके मुँह से ‘उउइ.. माँआ..’ की आवाज़ निकली।
मैंने उसका कुरता भी उतार दिया, वो सिर्फ़ ब्लैक पैन्टी और पिंक ब्रा में मेरे सामने खड़ी शर्मा रही थी, मैं पागलों की तरह उसको चूम और चाट रहा था।
मैंने उसको अपना लंड चूसने को कहा.. वो बिना कुछ बोले नीचे बैठ गई और मेरा लंड चूसने लगी, कुछ ही पलों में वो मेरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।
वो बिल्कुल एक एक्सपर्ट रंडी की तरह लौड़ा चूस रही थी, मैंने उससे पूछा- इससे पहले मेरे अलावा किसी और का भी चूसा है? तो वो कुछ नहीं बोली और चूसती रही।
फिर मैंने उसकी पैन्टी उतारी और हम 69 की पोज़िशन में आ गए। अब मैं उसकी चूत चाट रहा था। हाय.. क्या महक थी यार.. मजा आ गया। उसकी चूत में से नमकीन पानी निकलने लगा, मैं वो चाट गया।
फिर मैंने उसको सीधा लेटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया। उसकी गांड उठ गई.. और बिल्कुल मेरे सामने आ गई थी। मैंने उससे फिर पूछा- आज तक किसी से चुदवाया है? तो उसने अपना मुँह नीचे कर लिया।
मैंने सोचा कि मुझे क्या.. मुझे तो चूत मिल रही थी.. जिसको मैंने बचपन में नहीं चोद पाया था। मैंने हल्का सा थूक अपने लंड पर लगाया और उसकी चूत पर भी हल्का सा थूका, मेरे थूक से उसकी चूत चमकने लगी।
अब मैंने देर ना करते हुए अपना लंड उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा। वो मदहोश होने लगी और झट से बोली- अब डाल भी दो.. मत तड़पाओ।
मैंने हल्का सा धक्का मारा.. उसकी तो मानो जान निकल गई, वो चिल्लाने लगी बोली- निकाल लो भैया.. बहुत मोटा है।
मैंने कुछ नहीं सुना.. बस वैसे ही लेटा रहा.. थोड़ा दर्द कम होते ही वो शांत हुई तो मैंने एक जोरदार झटका फिर से मारा और इस बार मेरा आधा लंड अन्दर चला गया। उसकी चूत से पानी गिरने लगा। वो डर गई और रोने लगी।
बोली- भैया आपने मेरी चूत फाड़ दी.. अब क्या होगा? मैंने उसको बोला- कुछ नहीं होगा.. पहली बार जब चुदाई करते हैं तब ऐसा होता है।
वो वो शांत हुई और मैं धीरे-धीरे उसको चोदने लगा।
कुछ धक्कों के बाद वो भी गांड उठा-उठा कर चूत चुदवाने लगी और ‘आआहह.. आह्ह्ह्ह उम्म्म्म.. ओह यस..’ करने लगी।
उसकी चुदाई से ‘ठाप.. ठप..’ की आवाज़ें कमरे में गूँजने लगीं, वो मस्त होकर चुदवा रही थी.. पर मैं मौके के इंतज़ार में था कि कब मैं अगला धक्का दूँ।
मैंने हल्का सा रुक कर पूरी जोर से धक्का मार दिया, वो पगला गई और ज़ोर से रोने लगी। मेरा लंबा और मोटा लंड उसकी पूरी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर जड़ तक घुस चुका था।
वो दर्द से काँपने लगी और बेहोश हो गई। मैं उसको चोदता रहा.. रुका ही नहीं।
मेरे अन्दर चुदाई का भूत घुस चुका था, उसकी चूत का भोसड़ा बनाने का कम चालू था, मैं लगातार उसे चोद रहा था।
कुछ पलों के बाद जब उसको होश आया वो फिर रोने लगी.. पर मैंने एक नहीं सुनी और मैं लगातार चोदता रहा। मुझे उसको चोदते हुए काफी देर हो गई थी। वो इस बीच झड़ चुकी थी, अब शायद मैं भी झड़ने वाला था, मैंने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसके मुँह में घुसा दिया।
अगले ही पल मैं झड़ गया और उसने बिना कुछ बोले मेरा स्पर्म पी लिया। अब मैं थक कर उसके बगल में लेट गया और उसके मम्मों से खेलने लगा।
वो बोली- भैया एक बात बताऊँ? मैंने बोला- हाँ बोलो। वो बोली- भैया आप बहुत अच्छा चोदते हो।
मैंने उससे पूछा- बहुत अच्छा मतलब.. तुम किसी और से भी चुदवा चुकी हो? वो बोली- हाँ भैया मैं एक दिन घर में अकेली थी.. मम्मी नहीं थीं और पापा ऑफिस गए थे। दोपहर को वो लंच करने घर आए। पापा जब भी आते हैं.. तो मम्मी को चोद कर वापस जाते हैं। उस दिन मम्मी नहीं थी उनकी नज़र मुझ पर पड़ी और उन्होंने मुझे ज़बरदस्ती चोद दिया और बोला- मम्मी को बताया तो जान से मार दूँगा। फिर जब भी उनका मन करता है.. तो वो मुझे चोद देते हैं और मैं कुछ नहीं बोल पाती हूँ। लेकिन उनका बहुत पतला और छोटा सा है।
मैं उसको देखता ही रह गया।
मैंने अपनी बहन की रात को भी चोदा पूरी रात चोदा.. तेल लगा कर चोदा। मैंने उसकी चूत को 11 बजे से चोदना स्टार्ट किया और सुबह 6 बजे तक चोदा।
सुबह 7 बजे मौसी लोग आ गए।
दोस्तो, यह थी मेरी और मेरी बहन की चुदाई की कहानी।
कैसी लगी आपको.. प्लीज़ कमेंट्स में ज़रूर बताएं.. मैं फिर आऊँगा अपनी नई कहानी के साथ कि कैसे मैंने स्नेहा की गांड मारी और कैसे मैंने और मौसा ने मिलकर उसकी चुदाई की।
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