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मेरा नाम राघव है, जयपुर से हूँ। मैं पॉलिटेक्निक कर रहा हूँ। मेरा कद 5 फुट 5 इंच का है। मैं दिखने में कुछ खास नहीं हूँ.. बस लड़कियों की चुदाई की प्यास बुझाता हूँ।
मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। यह मेरी और मेरी मामा की लड़की की चुदाई की कहानी है।
बात उन दिनों की है। जब मैं अपने मामा के यहाँ रह कर स्कूल में पढ़ता था। मेरे मामा की एक लड़की है.. जिसका नाम नीलम (बदला हुआ नाम) है। वो भी स्कूल में पढ़ती है। वो दिखने में एकदम कयामत है। उसकी लम्बाई 5 फुट 4 इंच है। उसका फिगर 36-30-36 का है.. उसके बाहर निकलते चूचे, किसी को भी चोदने के लिए बेकरार कर सकते हैं।
मैं हमेशा उसको घूरा करता था।
एक दिन वो कमरे में झाड़ू लगा रही थी तो उसके चूचे मुझे साफ बाहर निकलते दिखाई दे रहे थे। मैं हर रोज उसके चूचे देखता रहता और बाथरूम में जाकर उसके नाम से मुठ मारा करता था।
मेरा एक साल इसी तरह मुठ मारते हुए गुजरा लेकिन मैं जब स्कूल के आखिरी साल में आया तब तक वो और भी मस्त हो गई थी।
लेकिन दोस्तो, मरता क्या ना करता, सिर्फ मुठ मार कर ही काम चलता रहा।
कुछ दिनों बाद होली आ गई.. मैं जयपुर नहीं गया। मैंने अपनी होली मामा के यहाँ मनाना ही सही समझा।
मैं अपने दोस्तों के साथ होली मनाने लग गया और मेरे दोस्तों ने उस दिन मुझे कुछ ड्रिंक करवा दी।
पीने से मेरा दिमाग घूम गया और मैंने अपने दोस्तों से कहा- अब मैं जा रहा हूँ.. मुझे चढ़ गई है।
मैं वहाँ से अपने मामा के यहाँ आ गया। घर आकर देखा तो सिवाए नीलम के और कोई नहीं था।
मैंने नीलम से पूछा- मामा मामी कहाँ गए? तो उसने कहा- पापा और मम्मी चाचा के यहाँ गए हैं।
यह कहानी आप अन्तर्वासना पर पढ़ रहे हैं।
मैं नशे में था। मैं सोचने लगा आज तो नीलम को चोद ही डालूंगा।
नीलम अपने कमरे में सोने चली गई। कुछ देर बाद मैं भी नहा कर नीलम के कमरे में गया.. तो देखा नीलम सोई हुई है।
मैं उसके बगल में जाकर लेट गया, मैंने धीरे से उसकी चूचे पर हाथ रखा और धीरे-धीरे दबाने लगा।
मुझे उसकी तरफ से कोई विरोध होता नहीं दिखाई दे रहा था। इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैं उसके चूचों से अपने हाथ को नीचे लाता गया और उसके पजामे में डाल दिया।
कुछ पल चूत का जायजा लिया.. फिर उसकी चूत को सहलाने लगा। कुछ मिनट उसकी चूत सहलाने के बाद मैंने उसका नाड़ा खोल दिया और कुरते को भी उतार दिया।
फिर भी वो कुछ भी नहीं बोली। मैंने खुलकर उसको पूरा नंगा कर दिया और मैं भी पूरा नंगा हो गया। अब मैं उसकी चूत को फैला कर चाटने लगा।
क्या स्वाद था यारों उसकी चूत का.. नमकीन लस्सी की तरह…
पांच मिनट तक उसकी चूत चाटने के बाद मैं खड़ा होकर उसके मुँह की तरफ गया और अपने लंड को उसके मुँह में घुसाने लगा.. लेकिन वो मेरे लंड को मुँह में नहीं ले रही थी।
फिर मैंने अपने हाथों से उसके मुँह को दबाया और लंड को उसके मुँह में घुसेड़ दिया और आगे-पीछे करने लगा।
कुछ मिनट के बाद मैं उसके पैरों की तरफ आया और उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा और उसके कूल्हों के नीचे तकिया रख दिया। अब उसकी चूत बिलकुल मेरे लंड के सामने थी।
मुझे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने देर ना करते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर थोड़ा रगड़ा और घुसाने लगा.. लेकिन लंड अन्दर नहीं जा रहा था।
मैंने अपने लंड पर अपना थूक लगाया और धीरे-धीरे घुसाने लगा। अभी आधा लंड ही घुसा था कि वो दर्द से चिल्लाने लगी। मैंने झट से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.. जिससे उसकी आवाज दब गई और मैंने दूसरे ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
अब मैं उसका मुँह दबाए हुए धीरे-धीरे लौड़े को चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
करीब पांच मिनट बाद वो ठीक महसूस करने लगी। अब मैंने स्पीड बढ़ा दी और उसकी कराह भरी आवाजें कामुक सिसकारियों में बदलने लगीं।
कुछ मिनट की धकापेल चुदाई के बाद उसके झड़ जाने के बाद मैं झड़ने को हुआ और मैंने अपना पूरा माल उसकी चूत में निकाल दिया।
उसकी दोबारा की अकड़न से मालूम हुआ कि शायद वो दोबारा भी झड़ गई थी।
मैं कुछ देर उसके ऊपर लेटा रहा.. फिर मैं उठ कर बाहर वाले बाथरूम में गया और लंड धोकर वापस आ गया।
जब मैं वापस नीलम के कमरे में आया.. तो देखा कि नीलम उठ कर कपड़े पहन रही थी।
मैंने उससे पूछा- तुम सोने का नाटक क्यों कर रही थीं। वो शर्मा गई और तुरंत मेरी बांहों में आकर कहने लगी- वो तो मैं देख रही थी कि तुम क्या करते हो.. सच में तुमने मुझे वो मज़ा दिया है.. जो मैं किसी के साथ नहीं ले सकती थी।
तो दोस्तो.. कैसी लगी मेरी सच्ची घटना.. यदि अच्छी लगी हो तो मुझे मेल जरूर करें.. मुझे आपके मेल का इंतजार रहेगा। [email protected]
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