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मेरा नाम देवराज है.. घर में सभी मुझे प्यार से मुझे अंश कहते हैं। मैं हरियाणा के यमुनानगर जिले का रहने वाला हूँ। मैं बी.टेक. के दूसरे वर्ष का छात्र हूँ। मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ।
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है जो मेरे और मेरी चाची के सेक्स पर आधारित है। अगर लिखने में कुछ गलती हो जाए तो माफ़ करना।
मेरे चाचा का नाम सतेन्द्र है और चाची का नाम रीना है। उनके दो बच्चे हैं।
मेरे चाचा एक प्राइवेट कंपनी में काम करते थे और एक एक्सीडेंट की वजह से उनको वो कंपनी छोड़नी पड़ी थी।
यह उस वक्त की कहानी है जब चाचा अपनी नौकरी के लिए गाँव छोड़ कर जाते थे।
मेरी चाची देखने में ज्यादा ख़ूबसूरत नहीं है। जब मेरे चाचा की शादी हुई.. तब हम गाँव में रहते थे और मैं उस वक्त छोटा था, मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था।
जब चाचा चाची को दोपहर में चोदते थे तो मैं चुपके से देखता था और मेरा भी चाची को चोदने का मन करता था। उनकी शादी कुछ साल बाद हम यमुना नगर में आकर रहने लग गए थे।
पर मैं जब भी गाँव में जाता था तो रात को चाचा-चाची के साथ उनके कमरे में ही सोता था।
मेरे चाचा शनिवार और इतवार की छुट्टी पर घर आते थे और रात को चाची की खूब चुदाई करते थे।
सोने के बहाने मैं चाचा चाची की चुदाई देखता और चाची के कराहने की आवाज़ सुनता। उनकी मदभरी आवाजों को सुन कर मैं चाची को चोदने के बारे में सोचता था.. पर कुछ नहीं कर पाता था क्योंकि उस वक़्त मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ पता भी नहीं था और डर भी लगता था।
धीरे-धीरे टाइम बीतता गया और मेरी परीक्षाएँ खत्म हो गईं। अब मैं फ्री हो गया था तो मैं अपने गाँव चला गया।
एक रात मैंने सोचा कि आज इनको चुदाई नहीं करने दूंगा.. इसलिए रात को मैं चाचा और चाची के बीच में उनके बिस्तर पर सो गया। अब मेरी एक तरफ चाचा और दूसरी तरफ चाची सोई हुई थीं।
लेकिन रात को चाची उठकर चाचा के पास गईं और जाकर उनसे चुदाई करवाने लगीं। थोड़ी देर बाद आकर मेरे बगल में सो गईं।
फिर रात को लगभग एक बजे के आसपास मेरी नींद खुली, मैंने देखा चाची चादर ओढ़कर आराम से सोई हुई हैं।
मैंने हिम्मत करके चाची की चादर में हाथ डाल दिया और उनके कपड़ों के ऊपर से उनकी चूचियों पर हाथ फेरने लगा।
मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं चाची जाग न जाएं और मुझे डांट न दें। लेकिन वो गहरी नींद में होने की वजह से जगी नहीं.. जिससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
अब तो मैं उनके सूट के अन्दर हाथ डालकर उनके पेट पर हाथ फिराने लगा।
धीरे-धीरे मैंने उनकी ब्रा में हाथ डाल दिया और उनकी चूचियों पर हाथ फेरने लगा।
लगभग दस मिनट हाथ फेरने के बाद मैंने वहाँ से हाथ हटा लिया और उनकी सलवार में हाथ डालने लगा। लेकिन उनकी सलवार के नाड़ा टाइट होने की वजह से मैं वह हाथ नहीं डाल पाया। उस रात मैं इतना ही करके सो गया।
अगले दिन जब सोकर उठा तब तक चाचा कंपनी जा चुके थे और मुझे चाची के सामने जाने में बहुत डर लग रहा था।
कुछ देर बाद चाची मेरे कमरे में आईं और मुझे उठने को बोल कर चली गईं। मैं उठ कर फ्रेश होने गया.. उसके बाद मैंने नहा कर नाश्ता किया।
फिर दोपहर को जब मैं टीवी देख रहा था तो चाची मेरे कमरे में आईं और बाजू में बैठ कर टीवी देखने लगीं।
मैं वहाँ से उठकर जाने लगा तो चाची ने पूछा- क्या हुआ? मैंने बोला- कुछ नहीं। चाची बोलीं- तो फिर बाहर क्यों जा रहे हो? मैंने बोला- ऐसे ही.. चाची बोली- बाहर मत जाओ धूप बहुत तेज़ है.. यहीं बैठ जाओ।
उनके कहने पर मैं वहीं बैठकर टीवी देखने लगा।
कुछ देर बाद चाची मुझसे नार्मल बातें करने लगीं.. जैसे कि जो कुछ रात को हुआ, उसका उन्हें कुछ पता ही न हो। फिर मैं भी उनके साथ नार्मल होकर बात करने लगा और डर के कारण मैंने भी रात वाली कोई बात नहीं की।
ऐसे ही दिन ढल गया और फिर से रात हुई। आज रात को चाचा तो थे नहीं.. वो तो कम्पनी गए हुए थे।
जैसा कि मैंने बताया था कि वो हफ्ते में एक बार ही गाँव आते थे। अब रात को घर में मैं और चाची थे।
रात को मैं खाना खाकर बिस्तर पर लेट गया और चाची के आने का इंतजार करने लगा। इंतजार करते-करते मुझे कब नींद आ गई, मुझे पता ही नहीं चला।
रात को जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा चाची बिस्तर पर नहीं सोई थीं.. वो पास में एक पलंग लगा कर, उस पर सोई हुई थीं।
मैं उठा और हिम्मत करके उनके पलंग के पास गया और जाकर उनकी चूचियों पर हाथ फेर कर मैंने उनको जगाया।
चाची बोलीं- अंश क्या हुआ? मैं- चाची मुझे अकेले बिस्तर पर सोने में डर लग रहा है। चाची- अरे मैं यहीं तुम्हारे पास तो सो रही हूँ.. फिर डर कैसा? मैं- नहीं चाची.. फिर भी मुझे पता नहीं क्यों डर लग रहा है। प्लीज आप मेरे साथ यहीं बिस्तर पर सो जाओ।
मेरे जिद करने पर चाची मान गईं और बिस्तर पर आकर लेट गईं।
फिर कुछ देर लेटने के बाद मैं चाची से चिपक गया और उनकी चूचियों को कपड़ों के ऊपर से सहलाने लगा।
चाची बोलीं- अंश ये तुम क्या कर रहे हो.. अच्छा अब मुझे समझ आया तुम्हें डर क्यों लग रहा था। इसलिए तुम मुझे बिस्तर पर बुलाना चाहते थे। वो एकदम से उठ कर खड़ी हो गईं।
उनके इस बर्ताव से मैं भी डर गया और चाची से माफी मांगने लगा।
मैंने बोला- चाची प्लीज मुझे माफ़ कर दो.. मुझसे गलती हो गई है। अब कभी ऐसी गलती नहीं करूँगा। प्लीज चाची एक बार माफ़ कर दो।
मेरे काफी रिक्वेस्ट करने पर चाची ने मुझे माफ़ कर दिया।
फिर हम दोनों उसी बिस्तर पर अलग-अलग होकर लेट गए। रात काफी हो चुकी थी और अब मुझे नींद भी नहीं आ रही थी। मैंने देखा चाची भी जगी हुई हैं शायद उनको भी नींद नहीं आ रही थी।
फिर कुछ देर बाद मैं उठकर वहाँ से जाने लगा। चाची- अंश इतनी रात को कहाँ जा रहे हो? मैं- मुझे यहाँ नींद नहीं आएगी.. मैं दूसरे कमरे में सोने जा रहा हूँ।
चाची- दूसरे कमरे में बहुत अँधेरा है.. वहाँ लाइट भी नहीं है। ज्यादा ड्रामा मत करो.. चुपचाप आकर यहाँ लेट जाओ।
उनके इस तरह बोलने की वजह से मैं डर गया और वहीं बिस्तर पर दूसरी साइड में होकर लेट गया।
फिर कुछ देर बाद चाची बोलीं- इतनी दूर क्यों लेटे हो.. थोड़ा पास आकर लेट जाओ। मैं थोड़ा पास होकर लेट गया।
चाची बोलीं- और पास आ जाओ। मैंने बोला- और कितना पास आऊँ? चाची बोलीं- जितना पास पहले लेटे थे।
तब मैं समझ गया कि अब चाची की तरफ से ‘हाँ’ है। मैं दोबारा जाकर उनसे चिपक गया और उनकी चूचियों पर हाथ फिराने लगा।
तब चाची मादक स्वर में बोलीं- अंश, तुम कब से इन सब चक्करों में पड़ गए? मैं- चाची मैंने जब से आपको और चाचा को सेक्स करते हुए देखा है, तब से ही मैं भी आपके साथ सेक्स करना चाहता था।
चाची- लेकिन तुम अभी बहुत छोटे हो, तुम्हारी उम्र अभी ये सब काम करने की नहीं है। मैं- ठीक है चाची मैं आपके साथ सेक्स नहीं करूँगा, पर मैं आपकी चूचियां तो चूस सकता हूँ।
इस पर चाची कुछ नहीं बोलीं और मैं उनका कुरता ऊपर उठा कर उनकी चूचियां चूसने लगा.. पहले एक फिर दूसरी।
धीरे-धीरे चाची गर्म होने लगीं।
फिर कुछ देर बाद मैंने अपना हाथ चाची की सलवार में डाल दिया। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
क्योंकि इससे पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था.. तो मुझे एकदम से करंट सा लगा और मैं चाची की चूत पर हाथ फिराने लगा। मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया।
फिर मैंने चाची से कहा- सलवार उतार दो। चाची बोलीं- क्यों? मैं- मुझे करना है। चाची- अरे यार जो करना है.. ऐसे ही कर लो। मैं- ऐसे कैसे होगा। चाची- हो जाएगा। मैं- अच्छा मैं आगे नहीं करूँगा पीछे से करूँगा।
मेरे जिद करने के बाद चाची ने सलवार का नाड़ा खोकर सलवार उतार दी।
जैसा कि मैंने कहा है कि मुझे सेक्स के बारे में कुछ नहीं पता था और ये मेरा पहला सेक्स था। मुझे यह भी नहीं पता था कि लंड को चूत में कहाँ डालते हैं।
अब मैं चाची के पीछे लेट गया और लंड को उनकी गाण्ड में डालने लगा। जैसे ही मैं लंड को उनकी गाण्ड के छेद पर रखकर धक्का लगाता.. चाची आगे को हो जातीं।
ऐसा 2-3 बार हुआ तो चाची बोलीं- वहाँ मत डाल। मैं- तो फिर कहाँ डालूँ? तब चाची सीधा होकर लेट गईं और बोलीं- इधर मेरे ऊपर आ जा।
मैं चाची के ऊपर लेट गया।
तब चाची बोलीं- अब डाल। मैंने पूछा- अब कहाँ डालूँ?
तब चाची ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर सैट करके बोलीं- अब धक्का लगाओ।
जैसे ही मैंने जोश में आकर धक्का लगाया.. मेरा लंड चूत की दीवारों को चीरता हुआ सीधा अन्दर चला गया और मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी जन्नत में आ गया हूँ।
फिर कुछ देर मैं ऐसे ही चाची के ऊपर लेटा रहा। थोड़ी देर बाद मैंने चाची की चूत में धक्के लगाने शुरू किए।
उसके बाद मैंने देर तक चाची की जमकर चुदाई की। फिर कुछ देर बाद मुझे अपने बदन में अजीब सी कसावट महसूस हुई.. और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी निकल पड़ी.. जो कि सीधा चाची की चूत में गिरने लगी।
इसके बाद मैं थक कर चाची के ऊपर ही लेट गया। कुछ देर बाद मैं चाची से अलग हुआ और उनके पास में लेट कर उनकी चूचियों को सहलाने लगा, उन्हें किस करने लगा।
ऐसा करते-करते मुझे कब नींद आ गई.. मुझे पता ही नहीं चला।
जब सुबह सोकर उठा तो मैंने महसूस किया कि मेरे लंड में दर्द हो रहा है।
मैंने ये बात चाची को बताई तो उन्होंने मुझे कहा- तुम अब तक कुंवारे थे और कल रात तुम अपना कौमार्य खो दिया है.. जिसकी वजह से तुम्हें दर्द हो रहा है। तुम टेंशन मत लो.. कुछ टाइम बाद तुम्हारा दर्द अपने आप बंद हो जाएगा।
उसके बाद मैंने बहुत बार चाची की चुदाई की। इसके बाद से मेरी रूचि शादी-शुदा भाभियों को चोदने में ज्यादा होने लगी। फिर एक बार अपने गाँव में एक भाभी को पटा कर उनकी भी चुदाई की। इसके बारे में मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी.. मुझे जरूर बताना। मुझे आपकी मेल का इंतजार रहेगा। [email protected]
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