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मैं आप सबकी प्यारी सी रंजना अपनी आगे की सेक्स कहानी लेकर फिर से हाज़िर हूँ। आप सबको काफी इंतज़ार करवाया.. उसके लिए आँख मारते हुए ‘सॉरी’ बोलती हूँ और खुली चूत और गांड से सबका अपनी महफ़िल में स्वागत करती हूँ।
अभी तक आप सबने मैं रंजना राण्ड नए नए लंडों की दीवानी में पढ़ा कि किस तरह सुमेर और गुप्ता जी ने मेरा भोग लगाया।
आखिर में जब सुमेर ने मुझे चोदने से पहले रोक दिया और कहा कि थोड़ा रुको मेरी जान..
हम तीनों दारू के घूँट मार-मार के एक-दूसरे से गंदे इशारों के साथ बात किए जा रहे थे। थोड़ी देर में सुमेर के मोबाइल पर किसी की काल आई, सुमेर ने बोला- हाँ मेरी दोस्त आई हुई है.. आ जाओ। अब ये कुछ दिन तक मेरे साथ ही मस्ती करेगी। साली बड़ी चुदक्कड़ कुतिया है।
मैंने उसको देखा और मुस्कुरा कर उससे फ़ोन छीन लिया और बोली- कौन? उधर से एक बड़ी भारी सी आवाज़ कानों में आई। मैंने सोचा कमीने की आवाज़ में इतना दम है, तो लण्ड कितना दमदार होगा।
मैंने बोला- हैलो.. तो उसने कहा- और मेरी जान तेरी बड़ी तारीफ़ सुनी है.. अब बस चोदने की इच्छा है तुझे। मैंने कहा- आप कौन? उसने बोला- तेरा आशिक़.. रंडी साली आऊँ क्या तेरी माँ चोदने?
मैंने भी उसको दो-चार गन्दी गालियां दे डालीं। फिर क्या था.. उसने फ़ोन काट दिया।
मैंने सुमेर से पूछा- ये कौन था? तो वो बोला- मेरा एक दोस्त है.. बहुत बड़ा व्यापारी है.. और तेरी जैसी छिनाल रांडों का आशिक़ भी और मालिक भी है। मैंने कहा- उसको भी बुला ले।
खैर हम तीनों तो पीने-खाने में जुटे थे कि एक घंटे बाद कोई आया और घन्टी बजी। सुमेर ने जाकर दरवाज़ा खोला और मुझे आगे कमरे में आवाज़ देकर बुलाया।
मैंने देखा एक बड़ा ही मस्त आदमी था उसकी उम्र यही कोई 45 साल की होगी। गोरा.. मूछों वाला आदमी था.. पठानी सूट पहने था। उसका थोड़ा पेट निकला था.. लेकिन सीने पर काफी बाल दिख रहे थे।
मैंने अपने कपड़े सही किए और आगे बढ़ी, पीछे से गुप्ता भी आया गया। फिर उसने हाथ मिलाने को हाथ आगे किया मैंने जानबूझ कर हाथ नहीं बढ़ाया।
मैंने सुमेर से पूछा- ये कौन है? तो उसने बोला- वही फ़ोन वाला.. तेरा आशिक़।
मैंने हल्की मुस्कान देते हुए पूछा- तो जनाब आप आ ही गए? उसने कहा- कैसे ना आते मेरी रंजना रांड.. जब से तेरी तारीफ़ इस मादरचोद ने की है, मेरा लण्ड तेरे नाम की माला जपे जा रहा है, आज मस्ती करा दे जानेमन।
मैंने थोड़ा नखरा दिखाते हुए कहा- कैसी मस्ती? और आँख मार दी उसको।
उसने लपक कर मुझे गोदी में उठा लिया और बोला- चल मेरे साथ.. मैंने कहा- कहाँ? तो बोला- आज फुल मस्ती कराऊँगा अपनी जान को.. और अगर खुश किया तूने तो तुझे पर्सनल रखैल बना लूंगा।
मैंने कहा- ऐसा क्या.. मैं किसी की पर्सनल नहीं हूँ.. ये तो बस मुझे चुदाई का ऐसा शौक है कि लण्ड बदल कर मजे करती हूँ। उसने कहा- ये तो और भी अच्छा है.. जान तुझे नए-नए लंडों की सैर करवा सकता हूँ मैं।
सुमेर को उसने कहा- चल भाई गाड़ी में तू और गुप्ता आज दोनों आज इस रांड को खुले में चोदेंगे। हम तीनों चल दिए।
रास्ते में सुमेर ने गाड़ी रुकवा कर विदेशी ब्रांड की दारू, कुछ खाने का सामान ले लिया और हम सब चल दिए शहर के बाहर.. रात को लगभग 12 बजे होंगे।
मैं पीछे वाली सीट पर सुमेर और उस बन्दे के बीच में थी.. वो मुझे चूम रहा था।
वो बोला- मेरी जान कुछ जलवा दिखाओ अपना.. मुझे खुले में सेक्सी रांड को नंगे देखना बड़ा अच्छा लगता है। मैंने कहा- क्या करूँ?
बोला- उतर बाहर और गाड़ी के सामने कहीं साइड पर जा कर सिगरेट जला कर नंगी गांड और चूत दिखा.. माँ की लौड़ी। ‘ओह्ह.. जे बात..!’ ‘हम्म.. चल..’ मैंने कहा- पर पहले कुछ पिला तो.. थोड़ा नशा तो हो।
उसने 4 पैग बनाए और हम तीनों ने पी लिए।
मैंने गाड़ी से उतर के साइड में जाकर कुरती उठाई और सलवार नीचे कर के मूतने के पोज़ में बैठ गई। अब मैंने गांड उठा-उठा कर अपना जलवा दिखाया। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
तभी देखा कि अचानक कोई गाड़ी आ रही थी.. तो मैं भाग कर अन्दर पेड़ों के बीच में जाकर बैठ गई। वो तीनों उतर कर वहीं आ गए।
फिर वो बोला- पूरे कपड़े उतार रांड।
मैंने एक-एक करके उतार दिए.. वो तीनों भी एकदम नंगे हो गए और बारी-बारी से लण्ड चुसवाने लगे।
वाओ… कितना बड़ा लण्ड था उसका और उस पर झांटों की महक मुझे पागल बना रही थी। तभी किसी ने मुझे घोड़ी बना दिया और एक ने पीछे से मेरी गांड चाटनी शुरू कर दी, एक ने आगे से लण्ड मेरे मुँह में दे दिया। मैं मजे लेने लगी.. ‘आअह्ह उह्ह्ह्ह..’ करने लगी।
मैंने कहा- मादरचोदों आज मेरी चूत और गांड की प्यास बुझा दो मेरे यारों आअह्ह्ह.. तभी उस बन्दे ने कहा- तू मस्त रांड है साली.. तेरी माँ की चूत।
तभी सुमेर ने मेरे मुँह पर मूतना शुरू कर दिया। ‘आह्ह्ह..’ मैंने कहा- कमीने मुझे भी मूतना है अभी।
उस बन्दे ने मुझे उठाया और अपने मुँह पर बैठा लिया और बोला- जी भरके मूत रानी.. आज तेरा एक-एक अमृत निचोड़ दूँगा।
उफ्फ्फ… क्या मस्ती भरा आलम था… उन तीनों ने मुझे जी भर के चोद दिया। रात भर खूब जम कर चुदाई करवाई मैंने.. तीनों का माल पिया। फिर भोर में सुमेर ने जल्दी ही बुलाने का वादा करके मेरी बताई हुई जगह पर मुझे छोड़ दिया।
आशा करती हूँ मेरी यह नई हिंदी सेक्स कहानी पसंद आई होगी। अगर आप सबके मेल मिलते रहते हैं, तो बड़ा अच्छा लगता है कि मेरे कितने आशिक़ हैं। मुझे मेल भेजते रहिए, शायद आपके भी लण्ड की किस्मत में इस रंजना रांड की चूत और गांड दोनों लिखी हो। इसीलिए तो कहती हूँ अपनी इस प्यारी रांड को मेल करते रहिए।
खुली चूत और गांड से सबको ढेर सारा चुम्मा..मुआहहह.. आँख मारते हुए। आपके सुझावों का भी इंतज़ार रहेगा।
आप सबके दिलों की रानी रंजना [email protected]
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