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मैंने जोरदार चुदाई का मजा लिया अपने नौकर से. उसे मैंने रखा ही था सेक्स के लिए. होटल में मैंने कैसे उसके साथ मस्ती की और क्या क्या धमाल हुआ!
दोस्तो, मैं नगीना तिवारी आपको अपनी चूत की चुदास की कहानी के पिछले भाग मेरी चूत की प्यास कौन बुझाएगा में बता रही थी कि कैसे पति से लंड न मिलने पर मैंने अपने घर में समीर नाम का एक नौकर रखा.
मैंने उसको खाना और रहने की जगह दी और उसको अपने घर में काम के लिए रख लिया. अब मेरी नजर उसके बड़े लंड पर थी.
एक दिन हम मंडी में सामान लेने गये थे तो वहां मेरा पैर डगमगाया और समीर ने मुझे संभालते हुए मेरी चूची को दबा दिया.
अब आगे जोरदार चुदाई का मजा:
उसने मुझे संभाल लिया था लेकिन उसकी इस हरकत से मेरी चूत गीली हो गयी थी। उसके बाद मैंने कुछ और सामान लेकर ऑटो पकड़ी.
शाम के समय वैसे ही बाजार में बहुत भीड़ होती है तो लगभग सभी ऑटो भरी थी. एक ऑटो में किसी तरह समीर घुसा तो उसमें पहले से चार लोग उधर और इधर भी तीन लोग बैठे थे.
समीर चौथा हो गया था. मैं जगह बनाने लगी तो ऑटो वाला बोला कि मैडम जल्दी बैठिये और उसने ऑटो आगे बढ़ा दिया. धक्का लगते ही मैं एकदम से गिरने लगी तो जाकर सीधे समीर की गोद में गिरी.
उसके लन्ड पर सीधा मेरा हाथ पड़ा तो वो एकदम पीछे हो गया और अपना एक पैर दूसरे पैर पर रख कर किसी तरह उसने मुझे ऑटो में घुसाया.
मेरी गांड इतनी चौड़ी थी कि मैं उसमें घुस ही नहीं पा रही थी. फिर मैं समीर की गोद में बैठ गयी. उस ऑटो में पहले से ही एकदम अंधेरा था. बस सड़क की लाइट पड़ रही थी।
अब जब मैं उसकी गोद में बैठी तो एक बार ऑटो वाले ने एकदम से ब्रेक मार दिया तो मैं आगे को चली गयी.
समीर ने कमर से हाथ ले जाते हुए मेरे नंगे पेट पर हाथ रख कर पकड़ लिया. मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गयी।
समीर मुझे किसी बच्चे की तरह अपनी गोद में बिठाकर पकड़े हुए था लेकिन मेरी चूत से पानी रिसने लगा था. उसके लंड का स्पर्श मेरी गांड पर मुझे पागल कर रहा था.
इसी तरह हम घर आ गये।
फिर रात को मैंने इसी सब को याद करके अपनी चूत में उंगली की और सो गई।
इसी तरह दिन बीत गए लेकिन मैं उसको सेक्स के लिए नहीं बोल पाई थी।
वो भी मेरे बदन को अकेले में याद करके मुठ मारता था और अक्सर मुझे मेरी ब्रा और पैंटी पर वीर्य के धब्बे दिखाई देते थे. उसके वीर्य के निशान देखकर मैं भी उनको चाट लेती थी और अपनी चूत में उंगली करती थी.
एक दिन मेरी एक बहुत पुरानी सहेली का फ़ोन मुंबई से आया तो उसने ये बताने के लिए फ़ोन किया था कि अगले हफ्ते उसकी बेटी की शादी थी और हम दोनों को बुलाया था.
शाम को जब हस्बेंड घर आये तो मैंने उनको ये सब बताया और उनसे चलने के लिए पूछा तो उन्होंने साफ मना कर दिया. वो बोले कि उनको किसी काम के चलते दो सप्ताह के लिए भारत से बाहर जाना है. ये किसी बहुत बड़ी बिल्डिंग का ठेका था जिसको वो छोड़ नहीं सकते थे।
फिर वो बोले- मेरी जगह समीर को ले जाओ, वहां वो तुम्हारे साथ कुछ मदद ही कर देगा. वो कहने लगे- वैसे भी मैं भी यहां से चला जाऊंगा और तुम भी तो वो अकेले यहां कैसे रहेगा? तुम अपने साथ उसी को ले जाओ। ये हम दोनों के लिए ही ठीक रहेगा.
अब मैं अंदर ही अंदर खुश भी थी क्योंकि मैं अपने चूतिया पति को अपने साथ शादी में लेकर भी नहीं जाना चाहती थी. मेरे सहेली का पति बहुत स्मार्ट है. पति के होने से शादी में भी मेरा मजाक बन जाता.
जबकि समीर 25 साल का जवान लौंडा था. उसके साथ होने से मेरा भाव बढ़ जाता इसलिए मैंने भी समीर को ही अपने साथ ले जाने का फैसला किया.
दो दिनों बाद मेरे पति चले गए और मेरी अगले दोपहर की ट्रेन थी तो आज शाम को मैं समीर को बाजार के बहाने ले गयी.
पहले उसको पार्लर ले गयी और खूब बढ़िया से उसके बाल बनवाए. फिर मैं मॉल में गयी और वहां पर भी मैंने अपने पहनने के लिए कुछ वेस्टर्न कपड़े लिये. कुछ कपड़े मैंने समीर को भी दिलाये.
उसने मुझसे इस सब की वजह पूछी तो मैंने बता दिया कि मैं वहां अकेली ठीक नहीं लगूंगी.
मैंने उसको कह दिया कि मेरे पति मुझसे प्यार नहीं करते और वहां पर मेरी बेइज्जती भी होती इसलिए मैं उसको अपने साथ अपने पति की जगह लेकर जा रही हूं.
हम दोनों को नाटक करना होगा वहां वर्ना मेरी बहुत बदनामी होगी. इतना कहते हुए मैं हल्का सा दुखी होने का नाटक करने लगी. समीर ने मेरी पीठ पर हाथ रख कर बोला कि मालकिन आप चिंता मत करो, मैं आपका नाम वहां खराब नहीं होने दूंगा.
अब मैंने उसको बोला कि सबसे पहले तुम मुझको मालकिन बोलना बन्द करो वर्ना सब वहां जान जाएंगे कि तुम मेरे नौकर हो. तुम मुझे साहब के सामने ही मालकिन कहा करो लेकिन वहां शादी में मुझे जानू और डार्लिंग ही कहना.
फिर जाने का दिन भी आ गया. हम दोनों मुंबई पहुंच गये.
मेरी फ्रेंड ने समीर को देखा तो उसकी भी चूत ललचा गयी. वो कहने लगी- ये कहां से पटा लिया तूने?
मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश हो रही थी. फ्रेंड ने हमारे लिए एक होटल बुक करवा दिया था. हम उसी में रहे.
दूसरे दिन मेरी फ्रेंड ने मुझे कॉल करके घर बुला लिया और हम उसी के घर में दिन भर रहते और रात को बस सोने होटल में जाते।
होटल में समीर मेरे साथ बेड पर ही सोता था और मैं वहां रोज़ दारू पीती थी. फिर हल्की मदहोशी में मैं उससे चिपक कर सोती जिसका वो भी मज़ा लेता रहा।
शादी में मेरी एक पुरानी दोस्त भी आ गयी. वो बाहर देश में रहती थी.
वो हमारे साथ रही और फिर हमें एक बार में लेकर गयी. बार का नज़ारा अंदर से कुछ अलग ही था.
वहां लड़के लड़कियां एक दूसरे को चूम रहे थे. कोई किसी की चूची दबा रहा था तो कोई किसी का लन्ड दबा रही थी. अंदर बाथरूम में सेक्स भी चल रहा था। मैं उस दिन एक शॉर्ट निक्कर और टॉप में थी.
मेरी फ्रेंड जीन्स और टॉप में थी. समीर भी जीन्स और टीशर्ट में था।
अनामिका ने आज पहली बार समीर को जबरदस्ती दारू पिलायी और हम सब टल्ली हो गए।
अब हम दोनों समीर के साथ मदहोश होकर डांस करने लगीं और अनामिका कुछ ज़्यादा ही मॉडर्न हो गयी थी वो तो समीर को किस भी करने लगी।
उस दिन रात में एक बजे हम अपने होटल के बाहर आये तो कोई टैक्सी नहीं मिली. तो मैंने अनामिका को अपने ही साथ रात में रुक जाने को बोल दिया।
कमरे में आते ही समीर कपड़े उतार कर बस अंडरवियर में बीच में बेड पर लेट गया और अनामिका ने भी अपने कपड़े उतारे और सिर्फ ब्रा और पैंटी में समीर के एक तरफ लेट गयी.
मुझे भी नशे की खुमारी थी तो मैं भी ब्रा और पैंटी में समीर के दूसरी तरफ लेट गयी। अब अनामिका समीर के पूरे बदन को सहला रही थी तो समीर का लन्ड भी खड़ा होता जा रहा था.
मैँ भी उसका फायदा उठाकर उसके लन्ड पर अपना पैर रखकर मसलने लगी और उसके गालों, कान और गले को चाटने लगी और यही काम अब अनामिका भी करने लगी।
अब मैंने अपना हाथ नीचे किया और पहली बार समीर का खड़ा लन्ड अपने हाथ में लेकर मसलने लगी. अनामिका अब उसके होंठों से होंठ मिलाकर उसके होंठों का रस पीने लगी और इसमें समीर भी उसका बहुत अच्छे से साथ दे रहा था।
मैं अब उठ गयी और समीर की निक्कर उतार कर उसका लौड़ा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। क्या स्वाद था उसके लन्ड का, जैसे अमृत था. शायद पहली बार मैं किसी दूसरे मर्द का लन्ड चूस रही थी. मेरे पति भी मुझे ज़्यादा लन्ड नहीं चूसने देते थे.
उधर अनामिका अपनी ब्रा उतारकर समीर को अपने चूचे चुसवा रही थी और समीर भी बड़ी मस्ती से हम दोनों औरतों के साथ मज़े ले रहा था। अब अनामिका अपनी पैंटी उतार कर समीर के मुंह पर अपनी चूत रख कर बैठ गयी और उसको अपनी चूत मानो खिलाने लगी.
मैं अपनी चूत को समीर के मोटे लन्ड पर रगड़ने लगी और बहुत सारा थूक लगाकर धीरे धीरे समीर के लंड को अपनी चूत के अंदर लेती चली गयी।
इतना मोटा लन्ड मैंने पहली बार लिया था इसलिए ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत फटी जा रही है. उस वक़्त मुझे बहुत दर्द महसूस हो रहा था अपनी चूत में, लेकिन फिर अनामिका मेरी तरफ मुंह करके समीर के मुंह पर अपनी गांड रख कर उसको चटवाने लगी.
समीर भी किसी कुत्ते की तरह अनामिका की गांड चाट रहा था और अब अनामिका मेरा दर्द हल्का करने के लिये मेरे होंठों को चूमने लगी, मेरी चूचियां पीने लगी।
कुछ देर में मेरा दर्द कम हुआ तो मैं समीर के लन्ड पर कूद कूदकर उससे अपनी चूत की जोरदार चुदाई का मजा लेने लगी.
थोड़ी देर के बाद अनामिका समीर के मुंह से उतरी और मैं भी उसके लन्ड से उतर गई.
अनामिका अब कुतिया बन गयी और पीछे से समीर का लन्ड अपनी चूत में घुसवा लिया. अब मैं समीर के मुंह के आगे खड़ी होकर अपनी चूत और गांड उससे चटवाने लगी।
इसके बाद फिर अनामिका और मैं एक बार फिर दोनों ने मिलकर समीर का लन्ड चूसा और इससे पहले हम दोनों दो बार झड़ चुके थे. अभी समीर की टंकी खाली नहीं हुई थी।
हम दोनों का पागलों की तरह एक ही लौड़े को चूसना किसी को भी जल्दी झड़ने पर मजबूर कर सकता था. हुआ भी यही. करीब पांच मिनट की लन्ड चुसाई से समीर ने अपना माल हम दोनों के मुंह में छोड़ दिया.
उसके लन्ड से इतना माल निकला कि हम दोनों की हलक की प्यास बुझ गयी। हम दोनों समीर के बगल में लेट गई और कुछ देर बाद फिर अनामिका समीर का लन्ड चूसने लगी.
अब समीर मेरे दूधों को पीने लगा और मुझे होंठों पर किस भी किया. तकरीबन दस मिनट बाद उसका लन्ड फिर से टनटना गया और अबकी बार समीर उठा और उसने पहले अनामिका की गांड चाटी.
गांड चाटकर उसने उसकी गांड में अपना लन्ड एक ही बार में बड़ी बेरहमी से घुसा दिया जिससे अनामिका की गांड से खून भी निकल गया और उसकी हालत एकदम अधमरी सी हो गयी.
मगर वो बड़ी चुदक्कड़ थी इसीलिए वो दो ही मिनट में फिर से मूड में आकर समीर से फट फट की आवाज़ से अपनी गांड की जोरदार चुदाई करवाने लगी. मैं समीर की बगल में जाकर उसको किस करने लगी और उसको अपना दूध पिलाने लगी।
अब अनामिका के बाद बारी आई मेरी गांड की.
समीर ने मेरी भी गांड चाट चाटकर ढीली की; फिर मुझे सीधे लिटाकर मेरे दोनों पैरों को उठा कर अपने कंधे पर रखा.
वो मेरी गांड में अपना लन्ड घुसाने लगा और दर्द से मेरा ध्यान बंटाने के लिए अनामिका मेरे मुंह पर अपनी चूत रखकर चटवाने लगी. वो मेरी चूचियों को भी दबाने लगी.
अब समीर का लन्ड धीरे धीरे मेरी गांड फाड़ कर अंदर घुसता चला जा रहा था लेकिन मुझे दर्द का उतना ज्यादा अहसास नहीं हुआ शायद अनामिका को हुआ था. समीर मुझे बहुत ही प्यार से चोद रहा था.
अब उसका लन्ड अंदर जाने के कुछ देर बाद समीर ने मुझे धक्कापेल चोदा और करीब आधे घंटे बाद उसने फिर से हम दोनों को अपना वीर्य रस पिलाया. उसके बाद हम तीनों नंगे ही एक साथ सो गए।
अब सुबह मेरी आँख करीब 9 बजे खुली. मैंने देखा तो वो मेरी फ्रेंड का फ़ोन था जिसकी बेटी की शादी में हम यहां आए थे।
वो मुझपर गुस्सा करने लगी- क्या तुम और अनामिका यहां सोने आये हो? वो भी फ़ोन नही उठा रही और तुम भी। जल्दी से यहां आ जाओ।
मैंने तुरंत अनामिका को उठाया और हम दोनों तैयार होकर उसके घर आ गई। समीर अभी सो ही रहा था तो उसको उठाया नहीं और वैसे भी अभी उसका कोई काम नहीं था यहाँ।
दिन भर के बाद मैं शाम को अपने होटल तैयार होने पहुंची तो समीर सो रहा था. मैंने उसको जगाया और हम दोनों जल्दी से तैयार होकर शादी वाली जगह आ गए।
आज मैंने लाल रंग की बहुत सेक्सी और एकदम खुली साड़ी पहनी थी और समीर भी जीन्स और शर्ट में था. वहां वो आज एकदम मेरे पति की तरह मेरे साथ था.
तब तक अनामिका भी आ गयी. वो काफी सेक्सी गाउन पहने हुए थी.
रात भर चली शादी में हम तीनों ने खूब मजा किया और फिर उसके एक दिन बाद अनामिका आखिरी बार समीर से अकेले में चुदी और चली गयी.
हम दोनों भी शाम की ट्रेन में बैठ लिए और ए.सी. की पहली श्रेणी का टिकट था. रास्ते भर मैं समीर से चुदती हुई आई. उसका लंड मेरी चूत की प्यास बुझाता रहा.
फिर हम लोग घर पहुंच गये. घर आने के बाद घर खाली था क्योंकि मेरे पति एक हफ्ते के बाद आने वाले थे.
इन सात दिनों में मैंने बहुत मस्ती की. दिनभर मैं समीर को नंगा रखती थी. उसका लंड देखकर जब भी मेरा मन करता मैं उससे लिपट जाती और वो मुझे पटक कर चोद देता.
फिर जब मेरे पति घर आ गए तो दिन में उनके जाने के बाद मैं समीर से नंगी होकर जोरदार चुदाई का मजा लेती. उसका बिस्तर अब मैंने अपने ही कमरे में लगवा दिया था.
मेरे पति के सोने के बाद रात में मेरा नौकर मेरा बिस्तर गर्म करता था. मैं टांगें खोलकर उससे चूत मरवाती और उसका माल पीती.
मेरी जिन्दगी अब खुशहाल हो गयी. समीर जैसा लंड हर वक्त मेरे पास रहता था.
घर के काम और मेरी काम वासना दोनों के लिए मुझे बहुत अच्छा लड़का मिल गया था.
अनामिका से भी वीडियो कॉलिंग करके हम दोनों चुदाई करते और हम नौकर मालकिन की चुदाई देखकर वो अपनी चूत में उंगली करती।
धीरे धीरे समीर मेरे पति जैसा हो गया था. अब मैं उसके साथ उसकी वाइफ बनकर ही घूमती थी. जब मन करता उसका लंड लेती. अभी भी वो मुझे चोद चोदकर जवान बनाये हुए है.
तो दोस्तो, नौकर से जोरदार चुदाई का मजा की कहानी आपको कैसी मुझे इस बारे में जरूर लिखना. मुझे आप लोगों के मैसेज का बेसब्री से इंतजार रहेगा.
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