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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मनोज है.. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं काफी समय से अन्तर्वासना की हिंदी सेक्स कहानी पढ़ रहा हूँ, मैंने भी सोचा कि क्यों ना मैं भी अपनी सेक्स कहानी यहाँ पर पेश करूँ।
बात आज से दो साल पहले की है.. तब मेरी उम्र 21 साल की थी। हमारे मकान में किराए पर एक परिवार रहता था, उस परिवार में मियां-बीवी और एक बच्चा था। अंकल का नाम अशोक था और उनकी उम्र 33 के आस-पास थी, वहीं आंटी की उम्र 32 साल थी और उनका नाम कोमल था। बच्चे की उम्र 6 साल थी उसका नाम रवि था।
अशोक अंकल हमारे यहाँ दो साल से रह रहे थे। हमारे बीच में अच्छी पटती थी।
मैंने आज तक कभी आंटी के बारे में ऐसा नहीं सोचा था.. लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हो गया जिसका मैंने कभी सोचा नहीं था।
मैं उस रोज घर पर अकेला ही था, मैं अपना समय बिताने के लिए एक ब्लू-फिल्म की सीडी लाकर उसको देख रहा था। मैं अपने टीवी पर मूवी देख रहा था, मुझे नहीं पता था कि जो मूवी मैं देख रहा हूँ.. उसका सिग्नल उनके टीवी पर भी कैच कर रहा था। पता नहीं कब उन्होंने टीवी ऑन किया और वो मूवी उन्होंने देख ली।
थोड़ी देर बाद ही मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई और मैं जल्दबाजी में सीडी निकालना भूल गया। मैंने टीवी और सीडी मेनस्विच से बंद कर दिए और जाकर दरवाजा खोला, तो देखा कि आंटी खड़ी थीं।
उन्होंने मुझे धक्का दिया और अन्दर आकर दरवाजा बंद कर दिया। वो मुझसे पूछने लगीं- तुम अभी टीवी पर क्या देख रहे थे? मैंने उन्हें कह दिया- कुछ नहीं आंटी.. बस ‘भूत’ की मूवी देख रहा था।
तो उन्होंने कहा- मुझे सब पता है कि तू क्या देख रहा था.. मैंने अभी टीवी पर देखा था कि तू क्या देख रहा था। मैंने उन्हें फिर मना किया.. पर आंटी नहीं मानी और कहने लगीं- सच बता दे नहीं तो तेरी मम्मी को बता दूंगी।
मैं थोड़ा डर गया.. पर मैंने उनको यही बोला- भूत फिल्म देख रहा था। उन्होंने कहा- तू ऐसे नहीं मानेगा.. चल मैं भी देखती हूँ कौन से भूत की फिल्म देख रहा है।
वो मुझे अन्दर ले आईं और कहने लगीं- चला वो मूवी। मैं डर गया था। मैंने उन्हें कहा- आप खुद ही चला लो।
मैं बेड पर दीवार की तरफ मुँह करके लेट गया। आंटी ने जैसे ही टीवी और सीडी प्लेयर ऑन किया.. वो सारा नजारा उनकी आँखों के सामने आ गया।
मैं और डर गया और सोने का नाटक करने लगा। तभी उन्होंने मुझसे कहा- तू तो भूत की मूवी देख रहा था, ये क्या है?
मेरी घिग्घी बंध गई थी।
आंटी ने मुझे धमकी दी और कहने लगीं- मैं तेरी मम्मी से कह दूंगी। मैं बहुत ज्यादा डर गया और कहने लगा- आंटी मम्मी को कुछ मत कहना.. आप जो कहोगी वो मैं करूँगा।
आंटी थोड़ी देर सोचने के बाद बोलीं- जो मैं कहूँगी.. करेगा? मैंने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
आंटी के चेहरे पर ऐसी खुशी आ गई.. जैसे मन की कोई मुराद पूरी हो गई हो। आंटी ने मुझसे कहा- मैं जैसे कहती जाऊँ.. वैसे करते जाना। मैंने ‘हाँ’ में सर हिला दिया।
आंटी ने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपने एक चूचे पर रख दिया और कहने लगीं- इन्हें दबाओ। मैंने कहा- ये गलत है। आंटी बोलीं- कुछ गलत नहीं है.. जैसा कहती हूँ.. वैसा करते जाओ वर्ना..
मैंने उनकी बात मान ली और उनकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया। मैं धीरे-धीरे दबा रहा था, आंटी को मजा नहीं आ रहा था।
आंटी बोलीं- जोर से दबाओ। मैंने बोला- आंटी इसे तो उतारो जो आपने पहन रखा है। तो वो बोलीं- रुक.. मैं उतारती हूँ।
आंटी ने अपने ब्लाउज और ब्रा को निकाल कर एक तरफ रख दिया और वापिस मेरे दोनों हाथ अपने चूचों पर रख दिए।
मैं उन्हें जोर-जोर से दबाने लगा। अब मुझे भी मजा आ रहा था और आंटी को भी।
फिर मैंने अपने मुँह को आंटी के चूचे पर रखा और एक-एक करके दोनों चूचों को चूसने और मसलने लगा।
आंटी बहुत ज्यादा गरम हो रही थीं और इधर मेरी डंडी भी जोर मार रही थी। मैंने आंटी से कहा- मुझे कुछ हो रहा है।
तो उन्होंने मेरी पैन्ट खोली और मेरा लंड निकाल कर उससे खेलने लगीं।
कुछ ही देर में मेरा लंड आंटी के मुँह में था, आंटी मेरे लौड़े को जोर-जोर से चूसे जा रही थीं। इधर मेरी हालत खराब हो रही थी।
हमारी चूसा-चासी कई मिनट तक चलती रही। उसके बाद मैंने आंटी के घाघरे का नाड़ा खोल दिया और उनकी पैन्टी भी उतार कर उनको पूरी नंगी कर दिया, मैं खुद भी नंगा हो गया। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे।
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा, उधर वो मेरे लंड से खेल रही थीं। यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
थोड़ी देर चूसा-चासी चलने के बाद मैंने उनको बिस्तर पर लेटाया और उनको चूमने लगा। मैंने उनके जिस्म के सारे अंगों को चूमा और अब बारी उनकी चूत की थी।
मैंने जैसे ही आंटी की चूत में जीभ लगाई.. उनके जिस्म में करंट सा दौड़ गया। आंटी ने मेरे सर को पकड़ा और चूत पर दबाने लगीं ‘आह्ह.. जोर से चूसो बेटा.. और चाटो..’
थोड़ी ऐसा ही चलता रहा। फिर हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और थोड़ी देर बाद हम एक-दूसरे के मुँह में झड़ गए। थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर से हम दोनों तैयार हो गए।
अब मैंने आंटी को कहा- मैं तैयार हूँ। तो आंटी ने ‘हाँ’ में सर हिलाते हुए मुझे चोदने का निमंत्रण दे दिया।
मैं आंटी की टांगों के बीच में आकर बैठ गया और अपने लंड को हाथ में लेकर आंटी की चूत पर रख कर रगड़ने लगा। आंटी सिसकारियां ले रही थीं और कह रही थीं ‘आह्ह.. अब मत तड़पाओ.. जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत की गहराई में उतार दो।’
मैंने देर ना करते हुए एक झटका मारा और आधा लंड आंटी की चूत में घुसा दिया। आंटी के मुँह से हल्की सी चीख निकली।
मैंने फिर एक झटका दिया और पूरा लंड आंटी की चूत में घुसा दिया जिससे आंटी की तेज चीख निकल गई।
मैंने आंटी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा।
ऐसा करने से उन्हें मजा आने लगा और वो अपने चूतड़ उछाल कर चुदाई में साथ देने लगीं।
पूरे कमरे में ‘फच-फच’ की आवाज हो रही थी। कुछ मिनट तक चुदाई करने के बाद मैंने आंटी से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ। आंटी बोलीं- अन्दर मत झड़ना.. मेरे मुँह में झड़ना।
मैंने अपना लंड निकाल कर आंटी के मुँह में दे दिया और दो-चार धक्कों के बाद आंटी के मुँह में अपनी सारी मलाई छोड़ दी। जो थोड़ी बहुत मलाई लंड पर लगी थी.. उसे आंटी ने चाट कर साफ़ कर दिया।
इसके बाद मैंने आंटी को जब भी मौका मिला हचक कर चोदा.. अब भी चुदाई चालू है।
दोस्तो, यह थी मेरी छोटी और सच्ची सेक्स कहानी। कैसी लगी मेरी कहानी मुझे आपके सुझावों का इंतजार रहेगा। [email protected]
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