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नोट: यह एक कहानी है, कोई सेक्स अनुभव नहीं! अगर आप सेक्स स्टोरी पढ़ना चाहते हैं तो आप ग़लत कहानी पर आ गए हैं। कहानी के सभी पात्र काल्पनिक है, कृपया कहीं और प्रसंग जोड़ने की कोशिश ना करें। धन्यवाद!
यह कहानी आज से करीब एक साल पुरानी है मगर आज भी वो घटनाएँ और बातें मुझे अच्छी तरह से याद हैं।
कहानी को आगे ले जाने से पहले मैं आपको अपना परिचय करा दूँ, मैं सीमा 26 साल की लड़की हूँ, अविवाहिता, मेरा कद 5’5″ है दिखने में बहुत सुंदर तो नहीं हूँ, लेकिन रास्ते से जाते समय लड़कों की नज़रें मुझ पर हमेशा गिरती हैं। मेरी नितम्ब और वक्ष… ये मेरी अमूल्य सम्पत्ति हैं।
मेरे उरोजों का आकार 34सी और नितम्ब 38″ हैं। मेरी आँखें भूरी और बाल काले घने हैं। दिखने में तो वैसे मैं बहुत पतली भी नहीं और बहुत मोटी भी नहीं हूँ, मेरा वजन 55 किलो है तो आप मेरे फिगर की कल्पना कर सकते हैं।
मैं मुंबई के एक ऑफ़िस में काम करती हूँ। वैसे तो में मुंबई की हूँ नहीं लेकिन घर की ग़रीबी के कारण मुझे मुंबई में काम करने के लिए आना पड़ा। कहते हैं कि मुंबई में कोई भूखा नहीं मरता, लेकिन यह बात मैंने खुद अनुभव की।
जॉब करते हुए मुझे अभी 3 साल हो गये हैं, मैं मुंबई में फ्लैट लेकर अकेली ही रहती हूँ।
सोमवार का दिन था और मुझे ऑफ़िस जाने में दिक्कत हो रही थी। शायद एक हफ्ते की छुट्टियों के बाद फिर से ऑफ़िस जाने में किसी को भी दिक्कत होगी। और आज सोमवार था तो ऑफ़िस जाना ही पड़ रहा था।
मैंने अपनी बहन (कज़िन) की शादी के लिए एक हफ्ते की छुट्टी मंजूर करवाई थी और उसके बाद अब ड्यूटी शुरू हो रही थी।
मेरे डेस्क पर फाइल्स का बोझ पड़ा हुआ था। लंच तक मैंने अपना आधे से ज़्यादा काम निपटा दिया था, जो इतने दिन का बाकी रह गया था।
इतने में मुझे अपने ऑफ़िस के सहेलियों ने आवाज़ दी- अरे सीमा चल, बस भी कर अब! बाद में कर लेना बाकी का काम, काम कहीं भागा नहीं जा रहा है! सब कुछ आज ही ख़त्म करेगी क्या?
‘अरे बस दो मिनट और, होने ही वाला है, तुम लोग कैंटीन में जाओ, मैं पहले वॉशरूम में जाकर बस 5 मिनट में आती हूँ।’ मैंने फाइल्स को साइड में करते हुए कहा।
मैंने जल्दी फाइल को पढ़ लिया और डाटा कंप्यूटर में एंट्री करके पीसी बंद कर दिया और वॉशरूम में गई। जैसे ही मैं अंदर घुसी, अचानक मेरे सामने एक खूबसूरत लड़की आई, वो बिल्कुल परी सी लग रही थी, उसकी आँखें हरी थी, शायद उसने अभी अभी हल्का सा मेकअप किया था।
एकदम बढ़िया फिगर में थी और उसके बाल पीठ तक खुले थे। दिखने में गोरे रंग की थी।
उसने फॉर्मल स्ट्रेट फिट पैंट और शर्ट पहना था। उसके वक्ष को देखकर उसकी साइज़ 36 की लग रही थी।
मैं आपको बता दूँ कि मैं 100% स्ट्रेट हूँ लेकिन उस लड़की को देखकर मेरे बदन में कुछ कुछ हो रहा था। मैं उसे देखने में इतनी खो गई कि उसने मुझे हंस कर ‘हेलो’ कहा था, यह मेरे ध्यान में भी नहीं आया। जब मेरा होश ठिकाने आए तो मुझे समझ आया कि मैं उसे घूर रही हूँ।
वो फिर एक बार मुस्कुराई और पूछा- आप ठीक तो है? मैं एकदम से हड़बड़ा कर बोली- हाँ, बिल्कुल! सॉरी मैं ऐसे घूरना नहीं चाहती थी, मैं बस अपने ख्याल में खो गई थी। मैंने शरमाते हुए कह दिया।
वो अभी आईने में देख कर अपनी लिपस्टिक ठीक कर रही थी, आईने में देख कर ही उसने मुझे स्माइल किया। फिर मैंने उससे पूछा- तुम्हें कभी देखा नहीं पहले, तुम फ्रेशर हो?
उसने लिपस्टिक अपने पर्स में रखा और हाथ धोते हुए बोली- जी हाँ, बस एक हफ़्ता हुआ है जॉइन किए, आज दूसरे हफ्ते का पहला दिन है।
मैं कुछ पूछने वाली थी इतने में उसी ने पूछा- आप तो सेल्स डिपार्टमेंट में हैं ना? आप भी मुझे आज पहली बार ही दिख रही हो? मैंने बाल ठीक करते हुए कहा- हाँ मैं लीव पर थी, आज ही आई हूँ एक हफ़्ते बाद!
उसने हंसते हुए कहा- मतलब मैं आई और आप गई। मैंने भी हंसते हुए कहा- हां ऐसा ही कुछ समझो! और तुम मुझे आप मत कहा करो, तुमसे इतनी भी बड़ी नहीं हूँ मैं! एम सीमा बाइ द वे!
उसने मेरा हाथ हाथ में लेते हुए कहा- ओ के सीमा, एम नीति! हमने शेक हैंड किया। उसे छूकर मेरे पूरे बदन में एक झटका सा लगा बिजली का सा!
पर फिर उसे उसके डेस्क पर जाना था तो मुझे बाय बोल कर चली गई। मैं भी हाथ धोकर कैंटीन में राखी के पास गई। राखी और मेरी अच्छी दोस्ती थी, वो मेरी बेस्ट फ्रेंड ही थी।
हम सब बातें शेयर करते थे।
मैं कैंटीन के टेबल पर जाकर राखी के पास जाकर बैठी। उसने मेरे लिए अपना खाना रखा था और ऐसे ही हम सब चर्चा कर रहे थे। माहौल बहुत ही अच्छा था और चर्चा में सब शामिल थे, चर्चा हर एक टॉपिक पर हो रही थी।
ऐसे ही बोलते बोलते ऑफ़िस के फ्रेशर्ज़ की बातें होने लगी। फिर किसी ने एक लड़के और लड़की के बारे में बताया, उन दोनो।ब का अफेयर चल रहा था और बहुत कुछ बोल रहे थे। तब नीति हमारा हॉट टॉपिक बन गई। मुझे उसके बारे में जानने में बहुत उत्सुकता थी, लेकिन मैं वो अपने चेहरे पे दिखाना नहीं चाहती थी, वरना ऑफ़िस में सबको चिढ़ाने को एक मौका मिल जाता।
मैं जानबूझ कर ऑफ़िस रोमान्स से दूर ही रहती आई हूँ क्योंकि कब, कहाँ, क्या हो जाए किसे पता चले और मेरी नौकरी चली जाए! ये कौन जाने! इससे अच्छा हम भले और हमारा काम भला!
लेकिन मैं इस लड़की को देख कर कुछ सोच नहीं पा रही थी। उसकी आवाज़ भी बहुत मधुर थी, उसका मुस्कुराना, बात करना सब कुछ लाजवाब था!
नीति के बारे में बोलते हुए मैंने सुना कि ऑफ़िस के पहले दिन से ही उसके बारे में बहुत गर्म चर्चे हो रहे थे लेकिन उसने अभी तक किसी को भाव नहीं दिया था।
ये पुरुषों की बातें तो उसे प्रपोज़ करने में बेट लगाने तक भी हुई थी, लेकिन उसने अभी तक किसी को कोई सिग्नल नहीं दिया था।
तो सब शेर उदास हो गये थे, बहुत सारी असफल कोशिशों के बाद अब कोशिश करना छोड़ दिया था।
खैर इन्हीं बातों में हमारा लंच टाईम ख़त्म हुआ और सब अपने अपने डेस्क पर जाते चले गये। जाते वक्त मुझे फिर एक बार नीति दिखी, हम दोनों ने एक दूसरी को देख कर स्माइल किया।
मेरे पेट में फिर से कुछ हो रहा था जो मैं ब्यान नहीं कर सकती। और जो आज तक मुझे कभी हुआ नहीं था।
नीति के विचार दूर करके मैं फिर से अपने डेस्क पर काम करने लगी और बाक़ी का दिन यूँ ही चला गया।
फिर ऐसे ही कुछ दिनों में मेरी और नीति की दोस्ती दिन ब दिन बढ़ती जा रही थी।
हम रोज लंच अवर्स में बातें करती, कभी टी ब्रेक में मिलती लेकिन कभी ऑफ़िस के बाहर मिलना नहीं हुआ।
तभी बारिश का मौसम आ गया और लोकल ट्रेन की समस्या हो गई थी।
मैं ऑफ़िस छूटने के बाद बाहर ऑटो ढूंढने निकली तो मुझे वहाँ नीति मिली, मैंने उसे पूछा कि वो वहा क्या कर रही है। तो उसने कहा- ट्रेन की प्रोब्लम हो गई है, तो फ्रेंड को कॉल करके बुला रही हूँ पर फोन नहीं लग रहा है। वह काफ़ी चिंतित दिख रही थी।
मेरे दिमाग़ में अचानक ख्याल आया तो मैंने उसे कहा- तुम्हें अगर कोई ऐतराज ना हो तो मेरा अपार्टमेंट यहीं थोड़ी दूर है, तुम मेरे साथ घर आ सकती हो और आज वहीं पर रह सकती हो, इतनी बारिश में कहाँ अब फ्रेंड को बुलाओगी।
मेरे ऐसे कहने पर उसने थोड़ा सोच कर हाँ कर दी, फिर हम ऑटो करके घर की ओर निकले।
फिर उसके बाद जो भी हुआ वो मैं कभी भूल नहीं सकती।
बारिश अभी भी बहुत ज़ोर की ही हो रही थी और रुकने का नाम नहीं ले रही थी। हम जब अंदर आए तो नीति आधे से ज़्यादा भीगी हुई थी और ठंड की वजह से उसके निप्पल शर्ट से बाहर आने की असफल कोशिश कर रहे थे।
नीति ने मुझे फिर से एक बार घूरते हुए देख लिया, उसने कुछ नहीं कहा, मगर उसके होठों पर एक हल्की सी मुस्कान दिख रही थी। मैंने जल्दी से अपना और उसका सामान अन्दर रखा, उसके लिए तौलिया निकाल कर रखा और फ्रेश होने चली गई। उसने भी मेरे बाद शावर लिया।
मैंने किचन से ही आवाज़ लगाई- नीति, कॉफी? वो अभी अभी नहा कर आई थी उसका बदन और ही खूबसूरत लग रहा था। वो ऐसे ही टॉवल में किचन में आई और पूछा- हाँ चलेगी, दूध कम और शक्कर ज़्यादा… पर सीमा मैं पहनूँ क्या? मेरे पास कपड़े तो हैं नहीं!
सच कहूँ तो मेरा उसकी बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं था, मैं केवल उसके पैर और वक्ष को घूर रही थी। शायद उसे यह बात समझ आई और उसने फिर से एक बार पूछा तो मैंने कहा- सॉरी, मैं निकलना भूल गई, अभी लाती हूँ।
मैंने अपने बेडरूम में जाकर मेरी एक शॉर्ट्स और टी शर्ट उसके लिए निकाल कर दी, थोड़ी देर बाद नीति वो पहन कर बाहर आई। अब तो वो और ही ज़्यादा सेक्सी लग रही थी।
हम दोनों गैलरी में कॉफी और बारिश का मज़ा ले रहे थे और ऐसे ही गप्पे मार रहे थे। फिर बोलते बोलते हम सेक्स और अपने पास्ट के बारे में बोलने लगे।
वो मेरे काफ़ी करीब बैठी हुई थी, हमारा बदन एक दूसरे को स्पर्श हो रहा था!
हम दोनों अब काफ़ी क्लोज़ फ्रेंड्स हो चुकी थी तो उसने मुझे काफ़ी कुछ बताया। उसका एक बॉय फ्रेंड था, वो दोनो सीरीयस थे पर उसके और भी कहीं अफेयर्स थे तो उसने ब्रेक अप कर दिया। उन्होंने सेक्स भी किया था।
मैंने उसे और भी कई बातें पूछी। फिर मैंने उसे पूछा- तुमने अपने बॉय फ्रेंड के अलावा किसी और को किस किया है?
तो उसने एक लड़की का नाम लिया और मुझे मेरे चेहरे पर मेरे भाव देखने के लिए देखने लगी।
मैं निशंक चौंक गई थी लेकिन मैंने अपने चेहरे पर कुछ भाव नहीं दिया और अचानक वो बिना कुछ कहे आगे आकर मुझे किस करने लगी।
मैं उसके इस बर्ताव से बहुत चौंक गई थी तो पहले मैंने कुछ नहीं किया। शायद वो काफ़ी डर गई थी कि शायद मैं उसे कहीं मार न दूं… मैंने ऐसे निश्चित कुछ नहीं किया और ना ही करने वाली थी।
जब मेरी साँसें तेज होने लगी तो उसने ग्रीन सिग्नल समझ कर मुझे पीछे काउच पर धकेला और अपने हाथ मेरे गले में डाल कर मुझे और ज़ोर से किस करने लगी।
यह मेरे लिए बहुत ज़्यादा था, मैंने आज तक अपने आप पर बहुत काबू रखा था, लेकिन बस अब और नहीं! मैं भी उसे उसी प्रकार से किस करने लगी।
हम दोनों एक दूसरे के मुँह पर काबू करने के लिए जैसे झगड़ रहे थे। अब मैं काउच पर लेटी हुई थी और वो मेरे पूरे बदन पर छा गई थी, उसके हाथ मेरे शरीर पर हर दिशा में हर अंग पर घूम रहे थे और मेरे हाथ उसके बालों में थे।
मैं कभी उसकी गर्दन को चूमती तो कभी होठों को! वो अभी धीरे धीरे मेरे बूब्स दबाने लगी।
मुझे नीचे कुछ कुछ हो रहा था… यह सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था। मैंने आज तक किसी लड़के के साथ कुछ खास किया नहीं था और यहाँ नीति इस सबके साथ बहुत परिचित थी।
जब उसका हाथ घूमते घूमते मेरी पैंट की तरफ गया और उसने मेरी पैंट को खोलना शुरू कर दिया तो मुझे जैसे एकदम से झटका लगा और मैंने उसको जोर से पीछे धकेला और कहा- एम सॉरी, मैं यह नहीं कर सकती!
उसके चेहरे पर दुख, शर्मिंदगी साफ नज़र आ रही थी।
मैं जल्दी अपने बेडरूम में गई, दरवाजा बंद कर दिया और सोचने लगी।
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