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मेरी चुदाई की तमन्ना बरकरार थी लेकिन मेरे पति के पास मुझे चोदने का वक्त ही नहीं था. मेरी सहेली ने अपने नौकर से चुदाई की बात बताई तो मैंने भी नौकर रखने की सोची.
लेखक की पिछली कहानी: सहेली के बॉयफ्रेंड से चुत चुदाई
दोस्तो, मेरा नाम नगीना तिवारी है और मैं उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की रहने वाली हूं। मेरा रंग सांवला है। मेरी उम्र 35 की है और मेरी चूचियां 38-ई की है. कमर 28 और गांड 40 की है।
मैं एक हॉउस वाइफ हूं और मैं अक्सर हल्के कपड़े और हर तरह के कपड़े पहनती हूं। मेरे कपड़े काफ़ी गहरे गले के रहते हैं और काफी खुले रहते हैं जिसमें मेरे मम्में और लचीली कमर और मोटी सी गांड साफ दिखती है जिस पर सभी की नज़र रहती है।
मेरी गांड बड़ी होने की वजह से जब मैं चलती हूं तो पीछे से और भी ज्यादा सेक्सी दिखती हूं. जो भी मुझे एक बार देख लेता है, तो बस देखता ही रह जाता है।
मेरे पति ठेकेदार हैं और मेरे दो बेटे हैं जिनकी हमने जल्दी शादी कर दी थी और वो दोनों बाहर देश में रहते हैं. अपनी गृहस्थी भी उन्होंने वहीं बसा ली।
काम के चलते मेरे पति बाहर रहते हैं. शादी के कुछ सालों बाद ही उन्होंने मुझमें रुचि लेना बन्द कर दिया था। अब जब तक बेटे मेरे साथ थे तो घर में मन लगा रहता था लेकिन अब ये अकेलापन मेरे बस के बाहर था। मेरी चुदाई की तमन्ना भी बरकारार थी.
मेरे परिचय के बाद अब सीधे कहानी पर आते हैं।
कुछ महीने पहले की बात है, जब मेरी एक सहेली ने मुझे बताया कि एक लड़का उसके यहां काम करता है जो उसकी मदमस्त चुदाई रोज़ करता है।
सहेली की चुदाई वाली बात ने मुझमें और ज़्यादा उत्तेजना भर दी थी। मेरी चुदाई की तमन्ना और तेज हो गयी थी.
एक दिन जब मेरे पति आए तो मैंने उनसे बोला कि अब मुझसे अकेले इस घर का काम नहीं होता है, मुझे कोई नौकर लाकर दो।
तो उन्होंने मेरे ही मन की बात कह दी कि कोई ऐसा नौकर देखो जो यहां रुक जाए. चूंकि मैं हमेशा घर से बाहर रहता हूं तो एक रखवाली भी हो जाएगी. इसके लिए कोई आदमी या लड़का रखो वरना रात की रखवाली अगर औरत या लड़की करेगी तो दिक्कत होगी उसको।
पति से पूछने के बाद अब मैं ऐसा ही कोई लड़का देखने लगी.
तभी एक दिन जब मैं शाम को बाज़ार से घर आ रही थी तभी घर से कुछ दूरी पर एक 25 साल की उम्र के आस पास का लड़का बैठा था. वो एकदम गंदा सा था और उसके कपड़े फटे हुए थे और वो काफी भूखा लग रहा था।
मैंने उसके पास जाकर पूछा तो उसने बस इतना बोला कि मैंने तीन दिनों से कुछ नहीं खाया. तो मैंने उसको अपने साथ घर चलने को बोला. वो मेरे पीछे पीछे आ गया.
घर के बाहर बिठाकर मैंने उसको भर पेट खाना खिलाया. उसके बाद उसने मेरा बहुत धन्यवाद दिया.
जब मैंने उसके बारे में पूछा तो उसने बोला कि उसको उसके माता-पिता या घर के बारे में कुछ नहीं पता और वो काफी समय से एक मिल में मजदूरी करता आ रहा है. अब वो वहां से इसलिए भाग आया क्योंकि वहां सबको मारा जाता था और खाना भी ठीक से नहीं दिया जाता था।
मैंने उससे पूछा कि अगर तुम मेरे घर में रह कर यहां काम करो तो मैं तुमको पैसा, खाना और रहने को घर और कपड़े सब दूंगी। क्या तुम मेरे घर में काम करना चाहोगे? तुम्हें रहने के लिए घर भी मिल जायेगा और कोई तुमको मार पिटाई करके काम भी नहीं करवायेगा. तुम्हें बस घर के हल्के फुल्के काम करने होंगे और आराम से रहना और वहीं पर खाना.
उसने कुछ देर काफी सोचा. फिर वो इस बात के लिए तैयार हो गया तो मैं उसको घर के अंदर लेकर आयी.
मैंने उसको सबसे पहले नहाने को बोला. वो बाहर वाले बाथरूम में नहाने चला गया और मैं अपने बेटों के कुछ पुराने कपड़े ले आयी।
जैसे ही मैं बाथरूम के बाहर गयी तो उसने दरवाज़ा बन्द नहीं किया था. वो हल्का सा खुला था और वो अपने बदन में साबुन लगा रहा था. जैसे ही वो इधर घूमा- बाप रे … उसका लौड़ा देखकर तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयीं।
अभी उसका लन्ड खड़ा भी नहीं था लेकिन आधा सोया हुआ था. उसकी लम्बाई काफी ज्यादा लग रही थी.
एक पल के लिए मेरी तो लार ही टपक गयी. उसका लन्ड देखकर मन किया कि अभी जाकर इसका लौड़ा मुंह में भर लूं लेकिन अभी मुझे अपनी भावनाओं पर काबू रखना था। तो मैंने उसको तौलिया दिया और कपड़े लाकर दिये.
जब वो कपड़े पहनकर बाहर निकला तो वो बिल्कुल पहचान में नहीं आ रहा था कि ये वही है जिसको मैंने सड़क पर देखा था।
मैंने उसको एक कैप्री दी थी और शर्ट। उस कैप्री में उसका वो बड़ा सा लन्ड अलग ही दिख रहा था।
अब मैंने उसके जिस्म से अपना ध्यान हटाकर उसको घर का सब काम बताया। वो मेरे साथ काम में हाथ बंटाने लगा.
मैंने उसको समझाया कि जब मेरे पति आएंगे तो उनसे ये मत बोलना कि मैं तुमको सड़क से उठाकर लायी हूं. उनको बोल देना कि तुम मेरी एक सहेली के घर में पहले काम करते थे.
अगर वो पैसे की पूछें तो डेढ़ हजार बता देना. फिर बाकी के डेढ़ हजार मैं तुम्हें अलग से दे दूंगी. उसने पूछा कि साहब को नाम क्या बताऊं तो मैंने उसको उसका नाम समीर बताने के लिए कह दिया.
कुछ देर बाद जब मेरे पति घर आये तो मैंने उनको उस लड़के से मिलवाया और उसने वही सब बताया जो मैंने उसे बोला था. पति भी उसको रखने के लिए राजी हो गये. उन्होंने उसे ऊपर का कमरा देने के लिए कह दिया.
अब रात का खाना पति मेरे अपने कमरे में अकेले खाते थे और वो उसके साथ पीते भी थे. समीर के हाथों मैंने उनका खाना उनके कमरे में भिजवा दिया और फिर मैंने और समीर ने साथ बैठ कर खाना खाया.
खाते समय जब मैं झुकती तो मेरी चूचियों के बीच की गहरी दरार पर बार बार उसकी नज़र जाती।
खाने के बाद कुछ देर उसने मेरे कमरे में मेरे साथ टीवी देखा और फिर वो ऊपर चला गया सोने के लिए।
अब उसके जाने के बाद मैंने अपनी नाइटी उतार कर ब्रा पैंटी को उतार दिया और ऊपर से सिर्फ नाइटी डालकर टीवी पर आवाज़ बन्द करके ब्लू फिल्म लगाई।
चुदाई की फिल्म देखते हुए मुझे समीर का ही ख्याल आ रहा था. उसका वो खम्बे जैसा लन्ड ही दिमाग में घूम रहा था। अब मेरा एक हाथ मेरी नाइटी के ऊपर मेरे बूब्स पर चला गया जिसको मैं मसलने लगी. मेरा दूसरा हाथ मेरी चूत पर आ गया।
मैं अपने चूचों को मसलती और अपनी दो उंगलियां अपनी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगी.
सामने चलती वीडियो और दिमाग में समीर का मोटा लौड़ा, जिसकी वजह से आज मैं दस मिनट के अंदर ही झड़ गयी। मैंने टीवी बन्द किया और सो गई।
रात के करीब दो बजे मेरी आँख खुली क्योंकि मुझे पेशाब लगा था.
जैसे ही मैं अपने कमरे से बाहर निकली तो देखा कि समीर बाहर वाले गेट के पास बैठा था.
अब मैं उसके पास गई और पूछा- क्या हुआ समीर? यहां क्यों बैठे हो? सोते क्यों नहीं हो? समीर- अरे मैडम, वैसे ही नीचे आ गया मैं!
मैंने उससे ज़ोर देकर यहां बैठने की वजह पूछी तो वो बोला कि वहाँ गर्मी बहुत है और मच्छर भी बहुत हैं। मुझे समझ आया क्योंकि उस कमरे में पंखा नहीं था तो गर्मी और मच्छर भी होंगे।
उससे मैंने मेरे कमरे में चलने के लिए कहा. वो मना करने लगा तो मैंने उसको जोर देकर अंदर चलने के लिए कहा. फिर अंदर जाकर मैंने एक चादर अपने बेड के बाजू में बिछा दी और वो नीचे लेट गया.
उसको मैंने एक तकिया दे दिया और कहा कि किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे आवाज देकर कह दे. फिर वो आराम से लेट गया और मैं अंदर नहाने के लिए चली गयी.
जब तक मैं बाथरूम से होकर आयी तो वो सो चुका था. मेरे कमरे में नाईट बल्ब जलता है तो मुझे उसका पूरा शरीर साफ दिख रहा था।
उसने ऊपर कुछ नहीं पहना था और नीचे कैप्री में उसका लन्ड हल्का तना हुआ था। मैं नीचे बैठ गयी. मेरा बहुत मन कर रहा था उसके लंड को छूने का.
धीरे मैंने अपने हाथ बढ़ाया और उसके मोटे सांप पर रख दिया. मेरी चूत में सुरसुरी सी दौड़ गयी. मन किया कि अभी इसको अपनी चूत पर रगड़ लूं. मगर ऐसा नहीं कर सकती थी. अभी समीर मेरे घर में नया था.
फिर धीरे मैंने उसके लंड पर हाथ रखा और उसको दबाकर देखा.
मेरे हाथ रखते ही उसके लंड में और भी तनाव आने लगा. शायद वो नींद में कोई सेक्सी सपना देख रहा था.
उसका लंड पूरा तन गया तो मेरे अंदर की आग भी भड़क गयी. मगर अब वो जाग सकता था तो मैंने फिर उसके लंड के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की और अपने बेड पर आकर लेट गयी.
सुबह मेरी आंख पांच बजे खुली तो मैं उल्टी करवट लेटी थी और पीछे से मेरी नाइटी कमर तक उठ गयी थी जिसकी वजह से मेरी 40 की गांड पूरी नंगी थी।
मैं जल्दी से उठी तो देखा समीर अपने बिस्तर पर नहीं था तो मैं समझ गयी कि आज लड़के ने सुबह सुबह अपनी मालकिन की नंगी गांड का दर्शन कर लिया है।
अब मैं भी उठी तो देखा वो झाड़ू लगा रहा था. फिर मैंने उससे चाय बनवायी और हमने साथ में चाय पी.
6 बजे मेरे हस्बेंड भी जाग गए. फिर नाश्ता किया और वो चले गए।
फिर साफ सफाई के बाद पहले मैं नहाने चली गयी और फिर मैं बाहर तौलिया बांधकर जब निकली तो उसकी नज़र मुझ पर थी लेकिन मैंने उसको पता नहीं चलने दिया कि मुझे मालूम है कि वो मुझे देख रहा है।
अब समीर ने भी नहाकर एक पुरानी पैंट और शर्ट पहन ली और फिर दोपहर में खाने के बाद हम दोनों सो गए.
शाम को मैंने समीर से मेरे साथ मार्केट चलने के लिए कहा.
मैंने एक सलवार सूट पहना और उसके साथ ऑटो पर बैठ गयी। ऑटो भरा हुआ था सवारियों से तो वो आगे होकर बैठा था और मैं उसकी पीठ से अपनी चूची चिपका कर बैठी थी.
बाजार से मैंने उसके लिए भी कुछ कपड़े लिए और फिर वापस आते समय मुझे एक शरारत सूझी.
जब हम दोनों घर पहुंच गए और समीर मेरे लिए पानी ले कर आया तो मैंने उसको बैठाया और उससे बोला- ये बताओ कि तुमको मैं अलग से पैसा क्यों देती हूं? तुमको आज मैं अपने साथ बाज़ार क्यों ले गयी? क्या मैं अकेली नहीं जा सकती हूं या अभी तक जाती नहीं थी?
समीर एकदम चुपचाप खड़ा था. मैं बोली कि ऑटो में वो बगल वाला आदमी मुझे अपनी कोहनी से बार बार मसल रहा था और सब्जी मंडी में जब मैं झुकती थी तो कोई भी मेरी गांड पीछे से दबाकर या सहला कर चला जाता था. मगर तुम बस झोला पकड़ने जाते हो. फिर निकलते समय इतनी भीड़ में मुझे कितने लोगों ने जगह जगह छुआ और कितना छेड़ा. तुमको कुछ समझ नहीं है क्या?
समीर बोला- मालकिन गलती हो गयी. अब आगे से नहीं होगी. मैंने अपने आप को शांत करते हुए उसको बोला कि ठीक है, जाओ मेरे लिए चाय बना लाओ।
अब उसके जाते ही मेरी हंसी निकल पड़ी क्योंकि मैंने उसका बहुत बढ़िया चूतिया काटा था. मेरे साथ ये सब कुछ नहीं हुआ लेकिन अब इस डांट से वो मुझसे चिपकेगा।
अब वो दिन और अगला दिन भी इसी तरह बीता.
फिर अगले दिन 6 बजे मैंने उससे मार्किट चलने को बोला तो वो अपना हाथ मुंह धोने लगा. तब तक मैं तैयार हो गयी. हमेशा की तरह आज भी मैंने एकदम हल्के कपड़े की साड़ी पहनी थी जिसमे मेरे बदन के अंग साफ प्रदर्शित हो रहे थे।
हम दोनों बाहर आये और ऑटो पकड़ी।
कुछ दूर तक तो हम दोनों इस तरफ अकेले थे लेकिन तभी दो आदमी इस तरफ चढ़े तो समीर ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख कर मुझे एकदम अपने से सटा लिया.
फिर मैं जानबूझ कर हल्का सा आगे हुई तो उसका हाथ कंधे से नीचे हो कर मेरे बूब्स के पास आ गया जिस पर उसने आगे से किसी कवच की तरह अपना हाथ लगा लिया.
समीर से सटकर बैठने की वजह से मेरा पूरा हाथ उसकी गोद में था जिससे मुझे उसके मोटे नेवला, जो उसकी पैंट में था, का अहसास भी हो रहा था.
अब जब भी हल्का सा झटका लगता तो उसका हाथ मेरे बूब्स पर किनारे से छू जाता. इस तरह मैं उसको अपने बदन का स्पर्श देते हुए सब्ज़ी मंडी आयी।
वहां भी वो मेरे एकदम पीछे मुझसे सट कर ही चल रहा था और उसका किंग कोबरा बार बार मेरी गद्देदार गांड पर चुभ रहा था।
आगे मैं एक दुकान पर प्याज़ देखने के लिए झुकी तो मेरा पिछवाड़ा एकदम उसके काले नाग से रगड़ता हुआ महसूस हुआ.
मेरी मोटी गांड उसके लंड से सटी थी लेकिन समीर एक इंच भी पीछे नहीं हटा।
जब सब सामान लेकर हम दोनों मंडी से बाहर निकलने लगे तो वो गली एकदम पतली सी थी और उसमें खूब भीड़ थी.
सब लोग एकदम घिस घिसकर गुजर रहे थे. जैसे ही मैं और समीर उस भीड़ में पहुंचे तो समीर ने अपने हाथ को पहले मेरी कमर और फिर मेरे पेट पर रख लिया.
असकी इस हरकत से मैं एकदम से सिहर सी उठी। मैंने उसका हाथ पकड़ा तो समीर ने धीरे से मेरे कान में बोला- मैं हूं, मेरा हाथ है ये. अब वो मेरे पेट को पकड़े हुए थे।
उस गली से बाहर निकलते ही मेरा पैर हल्का सा डगमगा गया और मैं एकदम आगे की ओर गिरने को हुई तो समीर का हाथ मेरे पेट से होते हुए साड़ी के अंदर ही मेरे ब्लाउज पर आ कसा.
उसके हाथ में मेरा एक चूचा आ गया. उसने मेरी चूची दबाकर मुझे गिरने से रोका और उसके कड़क हाथ में मेरा बोबा मसला गया तो मेरे मुंह से एक जोर की आह्ह … निकल गयी.
समीर को लगा कि गिरने के खतरे की वजह से मेरी चीख निकली है लेकिन उसके हाथ ने मेरी चूची को जो कस कर दबाया था उसी ने मेरी चीख निकाल दी थी.
खैर मैं गिरने से बच गयी लेकिन मेरी चुदाई की तमन्ना वहीं जाग गयी.
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मेरी चुदाई की तमन्ना की कहानी का अगला भाग: चूत की प्यास बुझाने नौकरी पर रखा लंड- 2
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